अध्याय मिष्टी का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए अपने कमरे में ले आया था। उसने कमरे में लाकर मिष्टी का हाथ झटके से छोड़ा जिससे मिष्टी का बैलेंस बिगड़ गया और वो एकदम से फ्लोर पर गिर गई। अचानक गिरने से उसके पैरों में बहुत कस के दर्द हुआ। शायद उसके घुटने छिल चुके थे।
मिष्टी अपने घुटनों को लहंगा उठा कर देख रही थी, डर से उसकी आंखें भर आई थीं। वो अभी बच्ची थी, उसे इतना नहीं पता था कि अध्याय गुस्से में उसे घूर रहा था, और उसी के सामने वो अपने पैरों को चलाते हुए रो रही थी। तभी अध्याय अपने घुटनों के बल जमीन पर बैठा और उसने एकदम से मिष्टी का वही पैर पड़कर सीधा किया।
"आहहह…." उसकी इस हरकत से मिष्टी दर्द से कराह उठी, उसका पूरा पैर सीधा था। तभी अध्याय ने एकदम से उसका लहंगा उठा कर घुटने के ऊपर तक कर दिया और अब उसका घुटना अध्याय की आंखों के सामने था, लेकिन उसकी नजर उसके घुटने पर नहीं उसकी गोरी टांगों पर थी। मिष्टी के पैर सच में काफी गोरे थे, वो देखने में काफी खूबसूरत थी।
अध्याय ने उसके पैर को पकड़ रखा था जिससे मिष्टी को अपने पैर में दर्द हो रहा था। वो अपने होठों को दांतो तले दवा कर दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी। तभी अध्याय ने उसे देखकर उसी जगह अपना हाथ रखकर दबा दिया जहां पर मिष्टी को चोट आई थी। उसके ये करते ही मिष्टी की एक तेज चीख कमरे में गूंज गई और वो दर्द तड़पते हुए अपने पैर को बार-बार पीछे खींचने लगी।
लेकिन अध्याय ने उसका पैर पकड़ रखा था जिससे वो हिल भी नहीं पा रही थी। मिष्टी रोते हुए बोली "Please छोड़ दीजिए… बहुत दर्द कर रहा है।"
अध्याय तिरछी मुस्कान के साथ बोला "ओह! दर्द हो रहा है मेरी मासूम बीवी को? तो ये दर्द बर्दाश्त करने की आदत डाल लो, क्योंकि तुमसे शादी मैंने तुम्हें दर्द देने के लिए की है।"
ये सुनकर मिष्टी अपना पैर पकड़कर सिसकते हुए बोली "लेकिन आप मुझे दर्द क्यों दे रहे है? मेरी क्या गलती है? मैंने आपका क्या बिगाड़ा है?
अध्याय उसकी चोट को बुरी तरीके से मसलते हुए बोला "तुमने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा लेकिन तुम्हारे भाई ने मेरा बहुत कुछ बिगाड़ा है, और उसका हरजाना उसकी बहन भुगतेगी। तो तैयार हो जाओ अपने भाई के हिस्से की जिल्लत सहने के लिए।"
ये सुनकर मिष्टी सहम गई, अध्याय की आंखों में उसे एक आग दिख रही थी और बेहद गुस्सा, और वो मासूम जिसने आज तक बाहरी दुनिया का कुछ नहीं देखा, उसे कुछ नहीं पता था कि गुस्से का मतलब भी क्या होता है, क्योंकि उसके भाई ने उसे शुरू से ही अपने सर पर बैठा कर रखा था, अगर उसने पानी भी बैड पर मांगा तो वो भी उसे बैड पर ही मिला था। बाहर स्कूल के लिए गई तो उसके पीछे भी गार्ड जाते थे, कॉलेज अभी वो गई नहीं थी।
निर्भय वशिष्ठ का खुद में एक नाम था। निर्भय अध्याय दोनों ही एक दूसरे को हर जगह टक्कर देते थे, और अब एक दूसरे के जानी दुश्मन बन बैठे थे।
मिष्टी रोते हुए बोली "Please छोड़ दीजिए, बहुत दर्द कर रहा है और अगर आप मेरे भाई से गुस्सा हैं तो मेरे भाई से बात कीजिए ना, और अगर आप नहीं बात करते तो मुझे बताइए मैं करुंगी बात।"
मिष्टी हर बात से अनजान अपनी मासूमियत में हर एक बात कहे जा रही थी। वही उसकी बातें अध्याय को इरिटेट कर रही थीं।
वो गुस्से में चिढ़ते हुए बोला "मैं कोई बच्चा नहीं हूं जो तुम्हें बात करने के लिए भेजूंगा। मुझ में खुद इतना दम है कि तुम्हारे भाई को खड़े-खड़े घुटने पर ला सकता हूं, और जल्द ही लाऊंगा। मैं ऐसे भी उसे सजा दे सकता था लेकिन उसने मेरे इगो को हर्ट किया। जिस लड़की से मैं प्यार करता था उसे अपना बना लिया, तो इस बात की सजा इतनी आसान तो नहीं होगी। मैं भी उसे मेंटली उतना ही टॉर्चर करूंगा जितना उसने मुझे किया।"
कहते हुए वो गुस्से में मिष्टी को देख रहा था और मिष्टी उसे रोते हुए देख रही थी। तभी वो एकदम से खड़ा हो गया और बोला "मैं तुम्हें यहां फ्री में जमीन पर पड़े रहने के नहीं लाया, या फिर मेरे घर में रोटी तोड़ने के लिए। आज से तुम मेरे सारे काम करोगी, तो चलो उठो और सबसे पहले जाओ मेरे सारे कपड़े लेकर वॉशरूम में धोकर सही से सुखाओ और उसके बाद उन्हें प्रेस करके रखो। अगर इस काम में एक भी मिस्टेक हुई तो मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं।"
अध्याय की बात सुनकर मिष्टी हैरान रह गई। वो हैरानी से बोली "मैं कपड़े धोऊंगी?"
उसे इतना हैरान होते देख अध्याय गुस्से में बोला "तुम कहीं की महारानी नहीं हो जो तुम कपड़े नहीं धोगी । तुम इस घर में किसी नौकरानी से कम नहीं हो, मैं तुम्हें यहां महारानी बनाने के लिए नहीं लाया था। हां अगर आज तुम्हारी जगह इनाया होती तो इस घर में वो किसी महारानी से कम नहीं होती। तुम इस वक्त जमीन में बैठी हो वो मेरे बेड पर होती , और शायद मैं उसके कदमों में। लेकिन तुम मेरे कदमों होगी। इससे ज्यादा औकात तुम्हारी मेरी जिंदगी में नहीं है।"
कहते हुए अध्याय सख्त नजरों से उसे देख रहा था और इधर मिष्टी रोते हुए उसे देख रही थी। उसने कभी नहीं सोचा था उसे ये सब फेस करना पड़ेगा।
मिष्टी को अभी भी वहीं बैठा देख अध्याय गुस्से में चिल्लाया "तुम अभी भी यही बैठी हो? अब अगर तुम 10 सेकंड के अंदर यहां से नहीं उठी तो तुम मेरे कपड़े तो नहीं धो पाओगी लेकिन मैं तुम्हें जरूर धो दूंगा।"
ये सुनते ही मिष्टी एकदम से उठ खड़ी हुई, लेकिन एकदम से उठने की वजह से वो लड़खड़ा गई और वो दोबारा गिर गई। उसकी इस हरकत से अध्याय पूरी तरीके से इरिटेट हो रहा था, वो गुस्से में उसकी तरफ बड़ा और उसने एक झटके से उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ा कर दिया। वो दोबारा गिरती की तभी उसने उसे कंधे से पकड़ा और सीधा खड़ा किए रहा।
अध्याय ने उसके हाथ को पकड़ रखा था। वो तभी गुस्से में बोला "अगर तुम दोबारा गिरी तो मैं तुम्हें अपने इसी रूम की विंडो से नीचे फेंक दूंगा, और इसके बाद तुम मरोगी तो नहीं लेकिन तुम्हारी टूटी हुई हड्डियां जरूर मुझे मिलेगी, और वो बटोर कर तुम्हारे भाई को दे आऊंगा।"
ऐसा कह कर वो गुस्से में उसके कंधे को मसल रहा था। अध्याय की धमकी सुनकर मिष्टी सहम गई। वो तुरंत बोली "नहीं मैं धो दूंगी, आप छोड़िए मैं जा रही हूं… धो दूंगी कपड़े आपके।"
ये सुनते ही अध्याय के होठों पर शैतानी मुस्कुराहट आ गई। उसने तुरंत कहा "कपड़े सिर्फ इतने से नहीं हैं और कपड़े वाशिंग मशीन से नहीं धुलेंगे हाथ से धोए जाएंगे। मेरे सारे वार्डरोब के कपड़े निकालो, बस बाकी के वार्डरोब में जो भी कपड़े हैं वो कलेक्शन वैसा ही रहना चाहिए।"
ये सुनकर मिष्टी ने अपना सिर हिलाया और वहां से धीमे-धीमे लंगड़ाते हुए वार्डरोब की तरफ चली गई। इधर अध्याय उसे जाते हुए देख रहा था, तभी अध्याय खुद से बोला "ये तो बस शुरुआत है मिष्टी वशिष्ठ… तुम्हें अभी बहुत कुछ झेलना होगा।"
इधर दूसरी तरफ….
वशिष्ठ मेंशन….
इनाया अपने कमरे में थी, उसके हाथ में अपना फोन था और उस फोन की स्क्रीन पर अध्याय की फोटो थी। वो उसे फोटो पर हाथ रखकर रोए जा रही थी। तभी वो अध्याय की फोटो पर हाथ फिराते हुए बोली "कितनी बुरी किस्मत है ना हमारी… तुम भी मुझसे प्यार करते थे मैं भी तुमसे प्यार करती थी लेकिन शायद हमारे वक्त को ये मंजूर नहीं था, इसलिए हम दोनों ही अलग हो गए, लेकिन चलो मेरी शादी हुई.. लेकिन तुमने मेरे उपर भरोसा ना करके मेरे ही सामने किसी और को अपना बना लिया। क्या तुम्हें एक बार भी अपनी इनाया पर भरोसा नहीं हुआ? तुम्हें कैसे लगा कि मैं तुम्हें धोखा दे सकती हूं?"
कहते हुए वो एक बार फिर रोने लगी। वो रो ही रही थी कि तभी कमरे के अंदर एकदम से निर्भय आया। निर्भय को देखकर उसने तुरंत अपने आंसू पोंछे और फोन को साइड में छुपा दिया, लेकिन शायद निर्भय ने उसे फोन को देखते हुए देख लिया था।
निर्भय अपनी आईब्रो ऊचकाते हुए बोला "किसे देखकर तुम अपने आंसू बहा रही थी ओह ये तो मुझे पूछने की जरूरत नहीं। जरूर तुम्हारा So Called आशिक होगा, उसी के लिए तुम रो रही होगी ना?"
ये सुनते ही इनाया सहम गई। वो अपना सर न में हिलाते हुए बोली "नहीं ऐसा कुछ नहीं है।"
उसकी बात सुनते ही निर्भय के चेहरे पर गुस्से के भाव आ गए। वो तुरंत बोला "मुझसे झूठ बोल रही हो? शर्म नहीं आती? आज ही शादी हुई और आज ही तुम्हारी मेरे साथ पहली रात है, और तुम पहली रात को अपने पति की बाहों में होने की बजाय अपने आशिक की फोटो देखकर आंसू बहा रही हो। वैसे तुम जैसी लड़की से उम्मीद भी क्या की जा सकती है? आखिर हो तो गिरी हुई ना… तो आदतें भी वही होगी।"
ये सुनते ही इनाया की आंखे भर आई, उसने रोते हुए गुस्से में कहा "मेरी मर्जी मैं चाहे जिसकी भी फोटो देखूं, उससे आपको मतलब नहीं होना चाहिए, और क्या पहली रात लगा कर रखा है आपने? ये हमारी कोई पहली रात नहीं है, भूलिए मत आपने मुझसे जबरदस्ती शादी की है। मैं आपसे शादी करने के लिए नहीं आई थी, आपने मुझे ब्लैकमेल किया और मुझसे शादी कर ली, अगर आपने मेरी बुआ को पैसे नहीं दिए होते तो कुछ नहीं होता। आपने मेरे अध्याय से बदला लेने के लिए उसकी कमजोरी का फायदा उठाया, अगर आप एक मर्द ही थे तो मर्द के जैसे लड़ते ना.. एक औरत को बीच में क्यों घसीटा?"
ये सुनते ही निर्भय का दिमाग खराब हो गया। वो तुरंत बैड के करीब आया और उसने एकदम से इनाया के गालों को अपने हाथों में भरा और उन पर दबाव बनाते हुए बोला "क्या कहा?.मैं मर्द नहीं हूं… देखेगी मेरी मर्दानगी? अगर मैं आया ना अपनी मर्दानगी दिखाने पर तो कहीं की नहीं रह जाओगी तुम, याद रखना ये बात।"
उसके गालों पर प्रेशर डालने से इनाया को अपने गाल में बहुत तेज दर्द हो रहा था। उतना ही उसे निर्भय की हरकतों पर गुस्सा भी आ रहा था। वो तुरंत गुस्से में बोली "तो दिखा दीजिए ना अपनी मर्दानगी… छोड़ दीजिए मुझे, और जाइए अपनी बहन को अध्याय के चंगुल से बचा लीजिए। तो मैं भी जानूंगी कि आप असली मर्द हैं।"
ये सुनते ही निर्भय ने एकदम से उसके गालों को छोड़ दिया और उसे जानलेवा नजरों से घूरने लगा। इनाया के शब्द उसके सीधे एगो पर लगे थे।
तभी निर्भय उसे घूरते हुए बोला "मर्दानगी तो मैं दिखाऊंगा, और अपनी बहन को तो उसके चंगुल से बचा कर लाऊंगा। वैसे भी वो उसके पास नहीं रहेगी, और उस साले को तो मैं उसकी औकात याद दिलाऊंगा, लेकिन उससे पहले मुझे लगता है कि मुझे तुम्हें तुम्हारी औकात याद दिलाने की जरूरत है, क्योंकि तुम शायद भूल रही हो कि मैं कौन हूं…"
निर्भय ने ये शब्द गुस्से में कहे थे और वो इनाया के बहुत करीब था, उसकी बात सुनकर इनाया सहम गई। वो डरते हुए उसे देख रही थी तभी निर्भय ने उसे एकदम से बेड पर धक्का दिया और दूसरे ही पल वो उसके ऊपर हावी हो गया। उसके अचानक ही ऐसे करने से इनाया डर से कांप उठी। वो एकदम से उसके ऊपर आया था जिससे इनाया की बॉडी में अचानक ही प्रेशर पड़ा और उसे तेज दर्द का एहसास हुआ।
इनाया उसे अपने ऊपर से धक्का देते हुए बोली "हटिए मेरे ऊपर से।"
ये सुनकर निर्भय ने उसे गुस्से में घूरा। दूसरे ही पल उसने उसके दोनों हाथों को आपने एक हाथ से पड़कर सर के ऊपर कर दिया और उसे गुस्से में घूरने लगा। उसकी इस हरकत से इनाया सहम गई। वो डरते हुए बोली "देखिए मुझसे दूर रहिए, आप ये अच्छा नहीं कर रहे।"
"मैं अभी तक तुम्हारे साथ में अच्छे से ही बिहेव कर रहा था लेकिन तुम्हे मेरी मर्दानगी देखनी थी ना, तुमने मेरी मर्दानगी पर सवाल उठाया था, तो चलो मैं दिखाता हूं तुम्हें अपनी मर्दानगी। आखिर मुझे भी तुमसे कोई मोहब्बत तो है नहीं, और नफरत तो बहुत है.. और नफरत अब हद से ज्यादा बढ़ चुकी है, क्योंकि तुम्हारी वजह से ही तुम्हारे उस आशिक ने मेरी बहन से शादी कर ली। वो कितनी मासूम है और वो पता नहीं इस वक्त उसके साथ क्या कर रहा होगा.."
मिष्टी का नाम आते ही निर्भय के चेहरे पर टेंशन के भाव आ गए थे। इधर इनाया भी डरते हुए उसे देख रही थी। लेकिन इनाया डरने वालों में से नहीं थी, उसने अपनी सारी हिम्मत बटोरी और गुस्से में बोली "आप भूल रहे हैं कि मेरा अध्याय अभी मुझसे प्यार करता है और जो आप मेरे साथ में करने की कोशिश कर रहे हैं अगर एक बार उसे पता पड़ गया ना तो अब वो आपकी बहन को भी नहीं छोड़ेगा। भूलिए मत जो आप मेरे साथ कर सकते हैं वो भी उसके साथ कर सकता है, और मुझे तब भी इस बारे में पता है लेकिन आपकी बहन तो इतनी मासूम है कि शायद ऐसा कुछ होगा तो सीधा ही मर जाएगी।"
उसके ये कहते ही निर्भर ने उसका गला पकड़ लिया और उस पर अपनी पकड़ कसने लगा। उसकी इस हरक़त से इनाया बुरी तरीके से छटपटाने लगी। उसके दोनों हाथों को निर्भय ने अपने एक हाथ से पकड़ रखा था और उसकी बॉडी को भी जकड़े हुए था। जिससे वो हिल तक नहीं पा रही थी।
तभी निर्भय गुस्से में चिल्लाया - तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी बहन के बारे में ये कहने की? अगर तुमने एक और शब्द उसके खिलाफ कहा तो मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा।"
कहते वक्त उसका चेहरा गुस्से में दहक रहा था। वहीं इनाया अपने पैरों को बुरी तरीके से छटपटाते हुए उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी।