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Chapter 5 - Mishti fainted

अध्याय ने मिष्टी को रेलिंग से सटा दिया था, और वही मिष्टी सहमीं हुई निगाहों से उसे देख रही थी। उसे अध्याय से बहुत डर लग रहा था। 

 

 

 

तभी अध्याय गुस्से में उसे घूरते हुए बोला, " तुम मेरे सामने जानबूझकर इतना मासूम बन रही हो ना , मुझे अच्छे से पता है जैसी तुम बन रही हो , वैसी तुम हो नहीं। लेकिन जो तुमने मेरे कपड़ों को खराब किया है, उसकी सजा तो तुम्हें मिलेगी, क्योंकि ये कपड़े तुम्हारा बाप लेकर यहां नहीं रख गया था ।"

 

 

इतना कहकर अध्याय ने उसका हाथ पकड़ा, और उसे खींचते हुए वहां से ले गया। मिष्टी को खींचते हुए वो नीचे हॉल में लाया, और वहां से सीधा बाहर की तरफ ले गया। हाॅल में इस वक्त कोई नहीं था जो उसे देख पाता।

 

इधर अध्याय खींचते हुए मिष्टी को बाहर लाया और उसने उसे वही बने फाउंटेन के ऊपरी किनारे पे खड़ा कर दिया। वही वो फाउंटेन काफी बड़ा था। लेकिन उसको बेहद खूबसूरत तरीके से डिजाइंस किया हुआ था, और उसके अन्दर से लगातार पानी बह रहा था।

 

 

 

तभी अध्याय मिष्टी को देखते हुए बोला, " अब सारी रात तुम यही खड़ी रहोगी , तुम्हें यहां से हिलने की भी इजाजत नहीं है, और अगर तुमने एक कदम भी नीचे रखा । तो तुम्हारे दोनों पैरों को तोड़ दूंगा मैं! याद रखना ये बात।"

 

 

अध्याय ने ये बात इतने गुस्से में बोली थी कि ये सुनकर मिष्टी सहम गई। लेकिन इस वक्त उस पानी का टेंपरेचर बहुत ठंडा था, और अब पानी से मिष्टी के कपड़े में भीगने लगे थे।

 

 

 

क्योंकि अध्याय ने बिल्कुल उसे फाउंटेन से सटाकर खड़ा किया था । जिससे फाउंटेन का पानी मिष्टी के सिर पर गिर रहा था, और ठंडे पानी की वजह से मिष्टी की हालत खराब हो रही थी।

 

 

 

 

उसके पैर और हाथ कुछ ही देर में कांपने लगे थे । वहीं ये देख अध्याय के चेहरे पर टेड़ी मुस्कुराहट थी। तभी वो उसे सर्द नजरों से घूरते हुए बोला, " यहां से हिलने की भी कोशिश मत करना , क्योंकि मैं तुम्हें बालकनी से देख रहा हूं! तो ये तो बिल्कुल मत सोचना, कि तुम्हें यहां देखने वाला कोई नहीं है , और तुम अपनी मर्जी का कर सकती हो।"

 

 

ये सुनकर मिष्टी ने डरते हुए कहा, " मैं यहां नहीं खड़ी रह पाऊंगी, ये पानी बहुत ठंडा है मुझे अभी से ठंडी लग रही है । प्लीज मुझे यहां से जाने दीजिए मुझे बहुत ठंडी लग रही है।"

 

 

 

मिष्टी को खुद के आगे इस तरीके से गिड़गिड़ाते हुए देखकर अध्याय के चेहरे पर टेड़ी मुस्कराहट आ गई। वो मिष्टी को देखते हुए बोला, " बेबी जब तुम्हें ठंड लगेगी फिर तुम ठंड से कांपोगी , और फिर तुम्हारी तबीयत खराब होगी। और तुम रोगी , तड़पोगी और तुम्हारी तड़प देखकर तुम्हारा भाई भी तड़पेगा,, और उसको तड़पते देखकर मुझे बहुत सुकून मिलेगा , क्योंकि उसने मुझसे मेरे प्यार को छीन लिया, मेरी इनाया को छीन लिया।" ऐसा कहते हुए अध्याय का चेहरा गुस्से से लाल था ।

 

 

उसकी गुस्से से भरी आवाज सुनकर मिष्टी कांप गई। उसने डरते हुए कहा, " आपको अगर मेरे भाई से लड़ना है, या उनसे गुस्सा है आप तो प्लीज उन्हें बुला दीजिए आप। मैं उनसे बात करूंगी वो भी आपसे बात करेंगे । सब कुछ क्लियर हो जाएगा, मेरे दादू कहते हैं की कुछ भी अगर गलत हो ना , तो सामने वाले इंसान से एक बार बात करनी चाहिए।

 

 

 

उस से सब कुछ डिस्कस करना चाहिए, और फिर सब कुछ सही हो जाता है। मेरी भी एक बार अपनी फ्रेंड से लड़ाई हुई थी ,और दादू ने मुझे समझाया था । मैंने उससे डिस्कस किया और सब कुछ सही हो गया तो आप भी वही कीजिए ना क्यों मुझे परेशान कर रहे हैं ?"

 

मिष्टी की बकवास सुनकर अध्याय गुस्से से चिल्लाया," जस्ट शट अप देखो मेरे सामने इतनी मासूम मत बनो, क्योंकि मुझे पता तुम इतनी मासूम नहीं हो तो ये बचपन दिखाना बंद करो, क्योंकि तुम्हारी बचपने वाली मासुमियत देखकर भी मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा ।

 

 

सजा तो तुम्हें मिलेगी क्योंकि जब तुम रोगी , तुम तड़पोगी तो तुम्हारा भाई भी तड़पेगा ,और उसे मैं अपने आगे झुकते हुए देखना चाहता हूं। नाक रगड़ते हुए देखना चाहता हूं। वैसे मुझे कोई शौक नहीं है अपनी लड़ाई के बीच में किसी लड़की को लाने का, किसी लड़की के कंधे पर रखकर बंदूक चलाने का । लेकिन इस चीज की शुरुआत तुम्हारे उस भाई ने की है , और जिसकी सजा अब तुम्हें भुगतनी होगी।"

 

 

इतना कह कर अध्याय वहां से चला गया । वहीं मिष्टी ने कांपते हुए अपने सीने को अपने हाथों से कवर कर लिया। वो इस वक्त ठंड से बुरी तरीके से कांप रही थी उसके बदन पर ठंडा पानी गिर रहा था , और उसके कपड़े पूरे भिग चुके थे। 

 

ठंड से उसका हाल बेहाल था। वही अध्याय अपने कमरे की बालकनी में खड़ा सिगरेट पीते हुए मिष्टी को देख रहा था। उसकी सर्द निगाहें मिष्टी पर टिकी हुई थी। 

 

तभी वो सिगरेट को अपने होठों से हटाकर सर्द नजरों से मिष्टी को देखते हुए बोला, " अभी तो ये शुरुआत है, देखती जाओ इसके बाद मैं तुम्हारे साथ क्या करुंगा अभी तो मेने सिर्फ मेंटली टॉर्चर करना स्टार्ट किया है क्योंकि फिजिकली तो तुम्हारे भाई के सामने करूंगा! 

 

 

ऐसा कहते हुए अध्याय के चेहरे पे मिस्टी के लिए नफरत झलक रही थी और इस नफरत की वजह निर्भय था जिसकी एक गलती के चलते मिस्टी की जिंदगी बर्बाद हो रही थी।

अगला दिन ,सुबह का वक्त ,

 

 

 

अध्याय का कमरा,

 

 

अध्याय अपने किंग साइज बेड पर गहरी नींद में सोया हुआ था । उसे कुछ भी होश नहीं था, कि पिछली रात उसने मिस्टी के साथ क्या किया था ? लेकिन कल रात सोते वक्त उसने अपने कमरे के डोर को खुला छोड़ दिया था।

 

 

तभी वहां शीतल जी की गुस्सा से भरी आवाज गूंजी," अध्याय ,अध्याय उठो , तुम उस बच्ची के साथ में इतना गलत करके इतने चेन से नहीं सो सकते । पता भी है तुमने उसके साथ क्या किया है? तुमने उसे पूरी रात ठन्डे पानी में भिगोया है, और तुम इतनी आसानी सो रहे हो।" 

 

 

शीतल जी की गुस्से से भरी आवाज सुनकर अध्याय ने साइड में पड़ा पिलो उठाकर अपने कान पर रख लिया, और सोते हुए बोला, " दादी प्लीज डोंट डिस्टर्ब मी मुझे सोने दीजिए , बाद में आकर आपकी डांट सुन लूंगा ।"

 

 

 

ये सुनकर शीतल जी ने उसकी पिलो को उठाकर साइड में फेंक दिया , और गुस्से में बोली, " अध्याय हम मजाक नहीं कर रहे हैं , मजाक भी अपनी जगह ठीक होता है।

 

 

लेकिन जो तुमने उस मासूम बच्ची को रात भर पानी में भिगोया है। उसकी तबीयत खराब भी हो सकती है , पहले उठो और उसे वहां से लेकर आओ, क्योंकि हम लेकर आए तो तुमको हम पर गुस्सा आएगा।"

 

 

 

उनके बार-बार उठाने से अध्याय इरिटेट होते हुए उठकर बैठा , और उनकी तरफ देखते हुए बोला, " दादी आपकी प्रॉब्लम क्या है ? मैंने आपसे पहले ही कह दिया था।उस लड़की को शादी करके मैं इस घर में लाया हूं, लेकिन बस शादी की है उसे अपनी बीवी नहीं माना है। मैंने सिर्फ शादी उसे तड़पाने के लिए की है। तो आपको फिर उस से क्यों इतना फर्क पड़ रहा है।

 

मैं उसे पीटू, मारो या उसे टॉर्चर करूं , आपको कोई फर्क नहीं पढ़ना चाहिए ।"

 

 

इस पर शीतल जी गुस्से में बोली, " अच्छा! मतलब तुम किसी भी मासूम लड़की की जिंदगी बर्बाद करते रहो , तुम उसके साथ जानवरों जैसा बर्ताव करते रहो, और हम कुछ कहे भी न ? वैसे हमने तुम्हें ये संस्कार तो नहीं दिए थे अध्याय ।

 

 

और ना हीं हमने कभी सोचा था ,कि तुम किसी लड़की से शादी करके उसे इस तरह टॉर्चर करोगे ।"

 

 

ये सुनकर अध्याय बेड से खड़ा होते हुए बोला, " दादी मैं आपसे पहले भी कह चुका हूं , ये मेरी पर्सनल लाइफ है मुझे क्या करना है ? और क्या नहीं की ये मुझ पर डिपेंड करता है।"

 

 

"तो बेटा तुम इतने बड़े हो गए हो , कि अब हम तुम्हारी जिंदगी में कुछ कह नहीं सकते है , तो बेटा अब जो तुम्हारी मर्जी मे आये तुम वो करो।"

 

 

इतना कहकर शीतल जी वहां से गुस्से में जाने लगी । वहीं उन्हें इस कदर जाते देखा अध्याय समझ गया, कि वो नाराज हो गई है। 

 

 

वो तुरंत उनकी तरफ बढ़कर उनके हाथों को पकड़ते हुए फ्लोर पर बैठकर बोला, " दादी आई एम सॉरी! आई नो मैं ज्यादा बोल गया। लेकिन आप ये कैसे कह सकती हैं, कि आपको मेरी लाइफ में बोलने का हक नहीं है?"

आपको वो हर हक है। आखिर मॉम डैड के जाने के बाद आप ही तो वो हो ना जिसने मुझे सब कुछ सिखाया । लेकिन दादी मेरी भी आपसे रिक्वेस्ट है , कि प्लीज उस लड़की के मैटर में आप कुछ मत बोलिए , और आपको मेरी कसम है आप उसके मैटर में कुछ नहीं बोलेंगी।"

 

 

 

अध्याय की ये बात सुनकर शीतल जी ख़ामोश हो गई।अब उन्हें समझ नहीं आ रहा था , कि वो क्या करें अध्याय ने अपना दिमाग लगाकर उन्हें खामोश कर दिया था ।

 

 

 

तभी वो बोली, " देख मैं तुझसे नाराज नहीं हूं बेटा, लेकिन जो भी करना सोच समझ कर करना मिष्टी बहुत मासूम है।"

 

 

ये सुनकर अध्याय खड़ा होते हुए बोला, " दादी दुनिया में कोई मासूम नहीं होता, सब बस दिखावा है। उस लड़की को तो अभी बहुत कुछ झेलना है ।"

 

 

 

ऐसा कहकर वो वहां से निकल गया। वही उसकी बात सुनकर शीतल जी परेशान हो गई, वहीं अध्याय चलते हुए बाहर आया।

 

 

तो उसने देखा मिस्टी फाउंटेन के अंदर बेहोश पड़ी हुई थी । उसके कपड़े पूरे भीगे हुए थे वहां गार्डन में सर्वेंट सफाई कर रहे थे। लेकिन कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा था।

 

 

 

 क्योंकि किसी के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी अध्याय सूर्यवंशी की बीवी को एक नजर देखने तक की। वही अध्याय सर्द निगाहों से मिष्टी को देख रहा था। वो गुस्से में अपने मन में बोला, " ये सब कुछ नाटक कर रही है सिर्फ और सिर्फ सिंपैथी पाने के लिए लेकिन इसे तो मै छोडूंगा नही। 

 

 

ऐसा कहकर वहां आगे बड़ा और उसने एकदम से मिष्टी का हाथ पकड़कर उसे फाउंटेन से बाहर निकाल, और खड़ा कर दिया। वही उसके अचानक खड़े करने से मिष्टी के कदम लड़खड़ा गये , और वो धम्म की आवाज से फ्लोर पर गिर गई।

 

 

 

वहीं अब तक सभी लोग बाहर आ चुके थे। शीतल जी, मेनका बाहर खड़ी थी, क्योंकि योगेश जी और साकेत जी ऑफिस जा चुके थे। मिष्टी को जमीन पर पड़ा देखा अध्याय को उस पर और गुस्सा आया क्योंकि मिष्टी अभी भी बेहोश थी।

 

 

अध्याय ने नजर उठा कर वहां काम कर रहे सर्वेंट को सर्द निगाहों से देखा। अध्याय को अपनी तरफ देखता पाकर सभी ने अपनी नजर झुका ली‌। तभी अध्याय ने मिष्टी को देखा, और उसका हाथ पकड़कर उसे एकदम से उठाकर खड़ा कर दिया।

 

 

 

लेकिन मिष्टी अभी भी बेहोश थी। उसकी हालत खराब हो चुकी थी। उसका बदन ठंड से कांप रहा था। वहीं मिस्टी को बेहोश देखकर अध्याय ने दोबारा उठाकर उसे फाउंटेन के अंदर फेंक दिया।

 

 

वहीं ये देखकर सब हैरान रह गये ।अध्याय अपने गुस्से के चलते पागल हो चुका था। वो मिष्टी को खिलौने की तरह ट्रीट कर रहा था। वही उसके इस कदर फेंकने से मिष्टी दर्द से चिल्ला उठी ,और एकदम से होश में आई , डरते हुए उसने अध्याय को देखा । तो अध्याय उसे खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था। वही मिष्टी के हाथ से खून बह रहा था, क्योंकि फाउंटेन के अंदर लगे टाईल्स उसके हाथों में लग गए थे।

 

 

दर्द की वजह से मिष्टी की आंखों में आंसू आ चुके थे, वो रोते हुए अध्याय को देख रही थी। तभी अध्याय ने उसका हाथ पकड़ कर उसे खींचकर एकदम से बाहर निकाल , और फ्लोर पर पटक दिया।

 

 

 

 

जिसकी वजह से मिस्टी को काफी चोट आई। उसके हाथ और पैरों की स्किन छिल गई ।‌वही ये देखकर शीतल जी गुस्से में चिल्लाई, " अध्याय अपने ऊपर ऊपर काबू रखो, क्यों इतना जानवर जैसा सुलूक कर रहे हो उस बच्ची के साथ में,.... ।"

 

 

वो कुछ आगे बोलती , की तभी अध्याय ने उन्हें हाथ दिखा कर रोक दिया। वही ये देखकर वो खामोश हो गई। 

 

 

 

तभी अध्याय नीचे झुका और उसने मिष्टी का हाथ पकड़ा ।तभी उसकी नज़रें मिष्टी के भीगे हुए जिसस्म पर गई, मिष्टी के कपड़े भीग कर उसके जिसस्म से चिपक चुके थे जिससे उसके बदन का काफी हद तक हिस्सा रिवील हो रहा था। 

यह देखकर अध्याय के हाथों की मुट्ठी कश गई। उसने नज़रें घुमाकर वहां काम कर रहे सभी सर्वेंट को सर्द निगाहों से देखा तो वह सभी खामोशी से अपना काम कर रहे थे लेकिन अध्याय से यह बर्दाश्त नहीं था। 

 तभी वह सभी सर्वेंट की तरफ देखते हुए बोला, " सभी की नजर नीचे होनी चाहिए, और अगर किसी की नजर उठी। तो वो नजर किसी और को देखने के लिए नहीं बचेंगी।" 

 

 

गुस्से में इतना कह कर उसने मिष्टी का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए वहां से ले गया। वो जानवरों की तरह मिष्टी के साथ बर्ताव कर रहा था।

 

मिष्टी को खींचते हुए वो अपने रूम में लाया और रूम के फ्लोर पर पटकते हुए बोला, " वैसे काफी अच्छी एक्टिंग कर लेती हो तुम , तो क्या ये तुम्हें तुम्हारे भाई ने सिखाई है। येस ऑफ कोर्स उसने सिखाई होगी, क्योंकि खुद भी तो एक बहुत अच्छा एक्टर है।

 

 

एक धोखेबाज एक्टर जो लोगों से बदला लेने के लिए उसके प्यार को इस्तेमाल करता है। लेकिन क्या ही कह सकते हैं ना जब खुद का प्यार ही धोखेबाज हो तो कुछ नहीं हो सकता।"

 

ये कहते वक़्त अध्याय की आंखों में एक दर्द नजर आ रहा था। और वही मिष्टी फ्लोर पर पड़ी ठंड से बुरी तरीके से कांप रही थी।

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