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ड्यूकडम का उदय: सिविल इंजीनियर की कहानी

Tejasv_Vishnoi
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Chapter 1 - एक बिल्डर का नया जन्म

आखिरी चीज़ जो मुझे याद थी, वो था एक कंस्ट्रक्शन साइट की गड़बड़—हर तरफ धूल, औजारों की तेज आवाज़ें, और मैं, हाथ में ब्लूप्रिंट लिए बीच में खड़ा। मैं एक ठेकेदार पर चिल्ला रहा था जिसने नींव के लिए गलत कंक्रीट मिक्स इस्तेमाल कर लिया था। यह मेरे लिए एक आम दिन था—थोड़ा तनाव भरा, लेकिन मेरे काम को पूरा होता देखना हमेशा संतोष देता था।

लेकिन फिर वो हादसा हुआ।

सबकुछ एक पल में खत्म हो गया। ऊपर से मचान गिरने लगी। मुझे कुछ समझने का मौका भी नहीं मिला, और सब काला पड़ गया।

जब मेरी आँखें खुलीं, तो मैं किसी अस्पताल में नहीं था। न ही मैं अपनी पुरानी दुनिया में था।

मैं एक अजीब से कमरे में था। दीवारें पुरानी और पत्थर की बनी हुई थीं। कमरे में हल्का अंधेरा था, और एक ठंडी सी मिट्टी की गंध महसूस हो रही थी। मेरे नीचे एक घास-फूस भरा गद्दा था। सबसे अजीब बात यह थी कि मेरा शरीर बहुत हल्का और कमजोर महसूस हो रहा था। मैंने अपने हाथ देखे, जो अब छोटे और नाज़ुक हो चुके थे।

मैं धीरे-धीरे उठने की कोशिश कर रहा था कि तभी एक औरत कमरे में आई। वो साधारण कपड़े पहने थी और उसके हाथ मेहनत से सख्त हो चुके थे।

"छोटे मालिक! आप ठीक हैं!" उसने राहत भरी आवाज़ में कहा और मेरी तरफ दौड़ी।

"छोटे मालिक?" मैंने हैरानी से पूछा। मेरी आवाज़ पतली और अजीब लग रही थी।

उसने घबराते हुए मेरी ओर देखा। "आपको चोट लगी थी, छोटे मालिक। आप विंथल ड्यूकडम में हैं, अपने घर में।"

विंथल? घर? मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि ये सब क्या हो रहा है। कुछ समय बाद मुझे समझ आया कि मेरा नाम अब लियोरिक विंथल है। मैं एक ड्यूक का बेटा था, और यह दुनिया मेरी पुरानी दुनिया से बिल्कुल अलग थी। यहाँ तलवारें और जादू असली थे, और लोग अभी भी पुराने ज़माने की तरह जी रहे थे।

धीरे-धीरे मुझे यह भी पता चला कि यह ड्यूकडम खराब हालत में था। सालों की लापरवाही और गलत फैसलों ने इस जगह को तबाह कर दिया था। खेत खराब थे, खजाना खाली था, और लोग भूख और गरीबी से जूझ रहे थे। मेरे पिता, जो खुद एक अच्छे इंसान थे, इस ड्यूकडम को किसी तरह संभालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनके पास न पैसे थे और न कोई योजना।

अगले दिन मैंने इस नई दुनिया और अपने ड्यूकडम को देखने का फैसला किया।

महल, जिसे मैंने अपना घर समझा, गिरने की कगार पर था। दीवारों में दरारें थीं, और टावर इतने झुके हुए थे कि कभी भी गिर सकते थे। जब मैं गांव की ओर गया, तो वहां की हालत और भी खराब थी। सड़कें कीचड़ से भरी थीं, और घर छोटे-छोटे झोपड़े थे जो किसी भी मौसम में गिर सकते थे। लोग भूखे और थके हुए दिख रहे थे, लेकिन उनके चेहरे पर इंसानियत थी।

एक किसान, जिसके खुद के कपड़े फटे हुए थे, मुझे अपने खेत से एक सेब देकर गया।

उस रात, मैं अपने कमरे में लेटा रहा और सोचता रहा। इस जगह को बचाने का एक ही तरीका था—मुझे अपने पुराने जीवन का सारा ज्ञान इस्तेमाल करना था।

मैंने तीन चीज़ें तय कीं:

1. सड़कें और बुनियादी ढाँचा बनाना, ताकि गांव और शहर जुड़ सकें।

2. खेती और व्यापार को बेहतर करना, ताकि लोगों को खाने और पैसे की कमी न हो।

3. लोगों को शिक्षा और ट्रेनिंग देना, ताकि वे खुद अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

सबसे बड़ी समस्या थी पैसा। खजाना खाली था, और जो थोड़ा बहुत था, वो कर्ज़ चुकाने में चला जाता था। लेकिन मेरे पास मेरा ज्ञान था। मुझे पता था कि अगर मैं सही योजना बनाऊं, तो कम पैसों में भी इस ड्यूकडम को बचा सकता हूँ।

अगले दिन मैंने अपने पिता के पास जाने का फैसला किया। उनके कमरे में ज्यादा सामान नहीं था, और हर चीज़ पर पुरानी और थकी हुई हालत साफ झलक रही थी।

मेरे पिता, जो लम्बे और गंभीर चेहरे वाले थे, मुझे देखते ही बोले, "लियोरिक, तुम्हें आराम करना चाहिए। तुम्हें अभी चोट लगी है।"

"मैं ठीक हूँ, पिता जी," मैंने कहा, अपनी छोटी सी काया को मजबूत दिखाने की कोशिश करते हुए। "और मैं इस ड्यूकडम को फिर से खड़ा करना चाहता हूँ।"

उन्होंने मुझे आश्चर्य से देखा। "तुम? और वो भी कैसे? तुम अभी बच्चे हो।"

"बस मुझे एक मौका दीजिए," मैंने आत्मविश्वास से कहा। "मैं आपको अपना प्लान दिखाऊंगा।"

मेरे पिता ने कुछ देर तक मुझे देखा, फिर सिर हिला दिया। "ठीक है, लियोरिक। मुझे दिखाओ कि तुम क्या कर सकते हो।"

और यहीं से मेरी नई यात्रा शुरू हुई।

मेरे पुराने जीवन में, मैंने ऊंची-ऊंची इमारतें और पुल बनाए थे। लेकिन इस जीवन में, मुझे एक नई दुनिया को बनाना था। ये मेरी दूसरी ज़िंदगी थी, और इसे मैं किसी भी हाल में बर्बाद नहीं होने दूंगा।