वामिका के बॉडी में वह एनर्जी जाते ही जा रही थी, वो तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, और वामिका भी इस पर कोई कंट्रोल नहीं कर पा रही थी ।
उसका तो धीरे धीरे अपने शरीर से भी कंट्रोल जाने लगता है, वो अब भी हवा में ही तैर रही थी, वो सोचती है क्या मैं अब इस तरह से मरने वाली हूं ।
की तभी एक बाहर से आवाज आती है "रुक जाओ !" और इसी के साथ वो एनर्जी जो उस लकड़ी के बने खिलौने से वामिका की बॉडी में जा रही थी, वो रुक जाती है और वामिका जमीन पर आ जाती है ।
वामिका इस आधे बेहोशी की हालत में बड़बड़ाती है "क्या यह सीनियर की आवाज थी ?" और इसी के साथ वो पूरा बेहोश हो जाती है ।
और बाहर अक्षत टॉमी पर चिल्लाए जा रहा था "रुक जाओ, रुक जाओ ! तुम उसे लेकर ऐसे नहीं भाग सकते ।"
दरअसल यह आवाज अक्षत की ही थी, जो बस टॉमी को प्यार से उसका कुछ सामान लेकर भागने से मना कर रहा था, इधर अंदर वामिका के शरीर से काला काला धुएं जैसा कुछ बाहर आ रहा था ।
जो अपने आप ही वहां से गायब भी हो जा रहा था, यह काला धुआं वामिका के शरीर में जमी हुई सारी ब्लॉकेज थी, जो उस साफ एनर्जी के कारण अब बाहर आ रही थी ।
ये ब्लॉकेज समय बढ़ने के साथ साथ बढ़ती जाती थी, जो आगे चलकर कल्टीवेटर को और आगे के लेवल में नहीं पहुंचने देती थी, ये ब्लॉकेज शरीर में एनर्जी को सही ढंग से फ्लो नहीं होने देती हैं ।
करीब 1 घंटे बाद
वामिका को होश आता है, वो अपना सिर पकड़ कर उठती है, और बड़बड़ाती है "मैं कहां हूं ?" वो देखती है कि वो फर्श पर है, और यह याद आ जाता है कि वो है कहां ।
अब वो सब कुछ याद करने लगती है, जो भी उसके बेहोश होने से पहले हुआ था, उसे सब याद आने लगता है कि कैसे वो एनर्जी की अधिकता से उस समय फटने ही वाली थी ।
कि तभी सीनियर ने उसे बचा लिया, इसलिए वो फिर से मन ही मन अक्षत को धन्यवाद करती है ।
तभी उसे एक झटका लगा, जब उसने अपने लेवल को महसूस किया, वो अब मार्शल लेवल 7 पर पहुंच गई थी, और उसके शरीर से सारे ब्लॉकेज भी जा चुकी थी, वो अपनी बॉडी में अपनी एनर्जी को अच्छे से फ्लो कर पा रही थी, उसका शरीर काफी हल्का महसूस हो रहा है ।
उसे तो बस इतना याद था की वो बेहोश होने से पहले मार्शल लेवल 5 से मार्शल लेवल 6 पर पहुंच गई थी, पर अब तो वो मार्शल लेवल 7 के शुरुआती स्टेज पर पहुंच गई है ।
अब तो उसके चेहरे पर खुशी के भाव साफ-साफ झलक रहे थे, वह आज ऐसी जगह आई थी, कि एक दिन में वह मार्शल लेवल 4 से मार्शल लेवल 7 पर पहुंच गई, दिन क्या कुछ ही घंटे में पहुंच गई थी ।
जिससे कि काफी हैरानी और खुशी दोनों ही उसे हो रही थी, वो अब अक्षत के बारे में सोचने लगती है, कि उन्होंने कहा कि वो एक मामूली इंसान है, वो अपने आपको इतना मामूली इंसान रखना चाहते हैं ।
तो मैं इसमें उनकी जरुर मदद करूंगी, इतना सोच कर वो बाहर आ जाती है, वो बाहर आकर देखती है कि अक्षत तो आग जलाकर खाना पका रहा था ।
वो सोचती है कि सीनियर से जैसी उम्मीद थी, वो यहां अपने आप को मामूली इंसान बना कर, सभी चीजों का मजा ले रहे हैं, वो अपने आप को इतना मामूली इंसान दिखा रहे हैं, कि उन्होंने अभी तक अपने शरीर से एक भी एनर्जी का कण तक बाहर नहीं आने दिया है ।
तभी उसकी नजर दूसरी तरफ जाती है, जहां वो देखती है कि उस ईगल को भी आग में भुना जा रहा था, जिस ईगल ने उसे मरने के कगार पर ला दिया था ।
और आग के चारों ओर टॉमी घूम रहा था, अपना मुंह खोले लार टपकाते हुए, मानो वो यह कहना चाहता हो कि यह सब मेरा है, मैं किसी को भी नहीं देने वाला ।
अक्षत अपने बनाए गए खाने में नमक और भी कई चीज डालने लगता है, जिससे कि उसमें से एक लजीज खुशबू आने लगती है, जिससे कि अक्षत के मुंह में पानी आ जाता है ।
और फिर वो टॉमी की तरफ देखते हुए कहता है "तुम्हारे खान की क्या हालत है, क्या यह सब मैं तुम्हारे खाने पर भी डाल दूं ?"
टॉमी अपना मुंह खोले, जीभ निकाल कर, हां में सिर हिलाता है, अक्षत तो उस ईगल पर भी नमक और मिर्च छिड़कने लगता है, यह देख कर तो वामिका के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है ।
वो सोचती है देखो इस ईगल को रोस्ट करके के साथ ही उस पर नमक भी छिड़का जा रहा है, जो अभी कुछ दे पहले मारने की धमकी दे रहा था ।
वामिका अक्षत के पास आ जाती है, और उसके सामने बड़े ही सलीका से कहती है "सीनियर मैं एक छोटी और नासमझ लड़की थी, तो मुझे अपनी गलतियों के लिए माफ कर दीजिए, अगर मैंने आपको गुस्सा दिलाया हो ।"
अक्षत तो उसकी तरफ देखता है और मन ही मन सोचता है कि चलो अंततः इस लड़की का दिमाग आराम करने के बाद सही हो गया है, अब ये नॉर्मल लग रही है ।
तभी अक्षत की नजर वामिका के चेहरे पर जाती है, तो वो थोड़ा चौक जाता है, क्योंकि उसे वामिका अब और भी खूबसूरत लग रही थी, वो अब और भी ग्लो कर रही थी ।
वो सोचता है कि इतने टाइम में क्या हो गया ? जो ये और भी खूबसूरत लग रही है, अक्षत का चेहरा थोड़ा-थोड़ा लाल हो पड़ जाता है, वो अपने आप को शांत करते हुए सोचता है अरे अक्षत यह तू क्या सोचे जा रहा है, यह सिर्फ तेरा सिर्फ वहम है और एक कुछ नहीं ।
वो खांसते हुए कहता है "ओह तो तुम अपने पैरों पर खुद चल कर आ गई हो, इसका मतलब अब तुम ठीक हो ।"
वामिका कहती है "जी, मेरा इलाज करने के लिए आपका धन्यवाद !"
अक्षत हंसते हुए कहता है "अरे इसकी कोई जरूरत नहीं है ।"
तभी वामिका थोड़ा शरमाते हुए कहती है "मैं आपका नाम पूछना आपसे भूल गई, क्या आप मुझे अपना नाम बता सकते हैं ?"
अक्षत वामिका के आंखों में देखते हुए कहता है "वैसे मेरा नाम अक्षत सिंह है, तुम मुझे सिर्फ अक्षत कह कर भी बुला सकती हो ।"
दोनों की नजरे अभी भी मिली हुई थी, वामिका कहती है "अगर आप बुरा ना माने, तो मैं आपको अक्षत सर कह सकती हूं, और आप मुझे वामिका कह कर भी बुला सकते हैं ।"
तभी अक्षत वामिका को एक बाउल आगे करते हुए कहता है "तुम यह खा सकती हो ।"
इस बाउल में अक्षत ने खीर रखा था, वामिका यह देख कर सोचने लगती है यह इन्होंने अपने लिए बनाया है, क्या यह मुझे देना चाहते हैं ?
वह थोड़ा पीछे होते हुए कहती है "आपकी इस काइंडनेस के लिए धन्यवाद ! पर मुझे कुछ जरूरी काम से जल्दी से जाना होगा, वैसे भी मुझे काफी समय हो गया है, और मैं अब आपको और ज्यादा परेशान नहीं करना चाहती ।"
इतना कह कर वो और भी पीछे हो जाती है, अक्षत तो उसे जल्दी में देखकर कहता है "ठीक है! मैं आपको जंगल के बाहर तक छोड़ देता हूं ।"
वामिका उसे दूर से ही ग्रीट करते हुए कहती है "आपको मुझे बाहर तक छोड़ने के लिए, परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है, मैं खुद ही यहां से अभी चली जाऊंगी अक्षत सर ।"
इतना कह कर वो एक जंप मारती है, और अपने तलवार पर चढ़कर वहां से चली जाती है, और अक्षत उसे जाते हुए देखता रह जाता है ।
वो उसे जाते देख सोचता है जैसा की उम्मीद थी एक कल्टीवेटर से, वो उड़ सकते हैं और पलक झपकते ही जमीन से गायब होकर कहीं भी जा सकते हैं ।
फिर वो बड़बड़ता है "मैं कब कल्टीवेटर बनूंगा ।"
स्पीति वैली सेक्ट
यहां की हालत एकदम खराब थी, कई लोगों की लाश से इधर-उधर पड़ी थी, और तलवारे टूटी पड़ी थी, और कई तो घायल थे जो दर्द से कहर रहे थे ।
यहां पर बीस्ट और स्पीति वैली सेक्ट के बीच में बैटल चल रहा था, स्पीति वैली सेक्ट पर इन बीस्ट ग्रुप ने हमला कर दिया था, यह बीस्ट ग्रुप तो पहले स्पीति वैली के घने जंगलों में रहते थे, और बगल के गांव और कस्बों वालों को परेशान किया करते थे ।
लेकिन आज तो इन्होंने इस सेक्ट पर ही हमला कर दिया, एक अधेड़ उम्र का आदमी हाथ में तलवार लिए खड़ा होने की कोशिश कर रहा था, वो काफी घायल हो गया था, उसको काफी गंभीर चोटे आई हुई थी ।
उसके मुंह से भी खून आ रहा था, वो लंबी-लंबी सांस ले रहा था, और अपने सामने दो लोगों को देखकर कहता है "सुशील और मनीष शर्मा तुम दोनों गंदे धोखेबाज, मैंने तुम दोनों को हमेशा अच्छे से यहां रहने दिया, और तुम दोनों ही हमारे सेक्ट को बर्बाद करने के लिए, इन नीचे बीस्ट ग्रुप से जाकर मिल गए, जिस थाली में खाया उसी में छेद कर दिया ।"
यह बोलने वाले थे, स्पीति वैली सेक्ट के सेक्ट लीडर राजीव शर्मा थे, तभी मनीष जो कि इस सेक्ट का पांचवा श्रेष्ठ था, कहता है "अरे सेक्ट लीडर यह आपकी पुरानी सोच है, आपको क्या लगता है ? कि आप जैसा कमजोर इंसान इस सेक्ट को ज्यादा दिनों तक संभाल भी पाता, बिल्कुल भी नहीं और आप चाहते हैं, कि तब भी हम आपकी बात माने ।"
और सुशील जो कि इस सेक्ट का चौथा श्रेष्ठ था, वो कहता है "आखिर यह बाद में यह स्पीति वैली सेक्ट तो बर्बाद होकर ही रहेगा, इस बीस्ट ग्रुप के सामने, तो बस हमने एक अच्छा चुनाव किया है बस ।"
दरअसल एक सेक्ट को चलाने के लिए उसमें कई लोगों का हाथ होता है, पहले तो सेक्ट लीडर का और फिर बाकी का उसके नीचे काम करने वाले श्रेष्ठों का, ये अपने-अपने काम को करते हैं जो इन्हें दिया गया होता है ।
इनके पोजीशन के आधार पर ही इन्हे सेक्ट का काम दिया गया होता है, सेक्ट लीडर के बाद आता है, पहले श्रेष्ठ उसके बाद आता है, दूसरा श्रेष्ठ ऐसे ही करके सभी आते हैं ।
अगर सेक्ट लीडर कहीं सेक्ट से बाहर गए हो, तो उनका सारा काम पहला श्रेष्ठ संभालता है, और वही सारे निर्णय लेता है जब तक की सेक्ट लीडर वापस ना आ जाए ।