विशाल हर चीज करके देख चुका था। लेकिन उसके पास अपने परिवार की मदद लेने के अलावा और कोई भी रास्ता नहीं बचा था। जहां पर आर्यन को गए हुए कुछ समय ही हुए थे वहीं पर आर्यन में पूरी एक लाइफ बिता दी थी और अब वह किसी और लाइफ के अंदर चला गया था। एक नई जगह पर।
इस बार आर्यन जिसके शरीर में गया था। वह मुंबई के एक कॉलेज में पढ़ता था। वो ना तो पड़ने में अच्छा और ना किसी और चीज मै लेकिन वो दिल का काफी अच्छा था। हर किसी की मदत करता था। ना उसका नाम भी आर्यन था। और अब आर्यन उसी की लाइफ जीने वाला था।
एक दिन आर्यन क्लास में अपने कुछ दोस्तो के साथ बैठ था। उनमे से एक Manjeet नाम का लड़का बोला आज से तेरा भाई भी सिंगल नही है। मैने पूजा को प्रपोज किया और वो मान गयी।
तभी एक प्रीत नाम का लड़का बोला जियो राजा तुमने भी आखिर कर प्यार मैं पड़ ही गया अब पता चलेगा तुझे जब वो सारी रात तुझे सोने नहीं देगी और फोन पर बात करेगी।
Manjeet - नहीं यार तुझे पता है। मुझे कितनी नीद आती है। मैं फिर रात मै उससे कैसे बात करुगा इस से अच्छा में उसे बोल दुगा की जो बात करनी है। दिन में करे।
और फिर सब हसने लगते है।
प्रीत बोलता है। अब लगता है। आर्यन ही सिंगल है। बोल भाई हमारे लिए भाभी कब ढुढ रहा है।
आर्यन नहीं यार मेने भी प्यार के बारे में नही सोचा है।
प्रीत - देख भाई जब प्यार होगा ना तो हो ही जाए गा तेरी मर्जी से नहीं होगा या तेरे सोचने से दिल तुझे खुद बता देगा की तु उसके लिए है।
Manjeet - चलो भाई क्लास मै चलते है।
जब आर्यन क्लास के अंदर जाने वाला था। तो वो गेट पर एक लड़की से टकरा गया और जैसे ही वो लड़की गिरने वाली थी तो आर्यन ने उसका हात पकड़ कर अपनी तरफ खिचा और वो लड़की आर्यन की बाहों में चली गयी आर्यन का एक हात उसके हात मैं था। और दूसरा उसकी कमर पर और आर्यन उस लड़की की आखों में ही देख रहा था। फिर उस लड़की ने आर्यन को दूर किया और बोली-
Sorry मेरा ध्यान कहीं और था। ये बोलकर वो क्लास से बहार चली गयी। और आर्यन और उसके दोस्त अपनी सीट पर बैठ गए।
प्रीत - भाई तु क्लास की सबसे सुंदर और सिम्पल लड़की से टकराया है।
Manjeet - इस लड़की का नाम क्या था। ?
प्रीत - इस का नाम निशा है।
वीर - धीरे से बोला निशा ।
प्रीत - भाई तुझे कहीं प्यार तो नही हो गया है। ?
वीर नहीं ऐसे प्यार थोड़ी होता है।
फिर सब क्लास के बाद घर चले गए आर्यन रात को अपने कमरे में बैड पर लेटा और जैसे ही सोने लगा तो उसकी आखों के सामने निशा का चेहरा आने लगा आर्यन को बार बार वही याद आ रहा था। जो दिन में हुआ उसे पूरी रात नीद ही नहीं आई।
अगले दिन आर्यन जब कॉलेज गया तो उसकी आखें लाल हो गयी थी। प्रीत ने पूछा तु ठीक तो है।
आर्यन - नहीं यार कल सारी रात नीद ही नहीं आई मुझे।
Manjeet हस्ते हुए बोला कहीं निशा की तो याद नहीं आ रही थी।
ये सुनते ही सभी दोस्त हसने लगे
आर्यन - हाँ यार कल मै जैसे ही आखों को बंद करता तो वो देखती और कल जो हुआ वही याद आता ।
प्रीत - लगता है। भाई को प्यार हो गया है।
आर्यन कुछ नही बोला और नीचे देखने लगा।
Manjeet - अब हम भाई को उसके प्यार से कैसे मिलाए गए वो तो किसी लड़के से जादा बात भी नहीं करती।
प्रीत - लेकिन आर्यन से करेगी ना।
फिर सब क्लास के बाद प्रीत और Manjeet निशा के बारे में जितनी बात पता कर सकते थे करने लगे फिर उसके बाद।
प्रीत - वीर वो इस टाइम Library में है। वहाँ जा।
आर्यन - में क्या करू गा Library में ?
Manjeet - कोई भी किताब ले के निशा के पास बैठे जाना हम भी वही होगे कुछ दूरी पर।
आर्यन - पर ।
प्रीत - चल अब ।
फिर वे Library मै चले गए वाह आर्यन ने एक किताब ली और निशा के सामने बैठे गया और प्रीत और Manjeet थोड़ी दूरी पर ।
Manjeet इशारे करने लगा वीर को की कुछ बोल इस से।
वीर - निशा से बोला उस दिन तुम्हे लगी तो नहीं थी ना।
निशा ने उपर देखा तो उसे याद आया की ये तो वही लड़का है। जो कलास में टकराया
निशा बोली- नहीं मै ठीक हु।
और वापस से अपनी किताब पड़ने लगी।
वहाँ दूसरी और से Manjeet और प्रीत अभी भी आर्यन को बोलने के लिए इशारे कर रहे थे।
आर्यन -शायद उस दिन मेरी गलती थी।
निशा - नहीं ।
आर्यन - तुम वैसे क्या पढ़ रही हो ?
निशा - Noval क्यों
आर्यन - ऐसे ही पूछ रहा हु अच्छी है। क्या ?
निशा - हाँ इस लिए तो पढ़ रही हु।
फिर आर्यन को कुछ और नही सुजा तो वो बाहर चला गया उसके पीछे ही प्रीत और Manjeet भी आ गए ।
प्रीत- थोड़ी और प्यार भरी बात कर लेता
Manjeet - हसने लगा और बोला वो क्या प्यार भरी थी।
प्रीत - पहला दिन है। भाई का इस से अच्छा और कर भी क्या सकता था। अब आर्यन तु हर रोज एक काम कर ।
आर्यन क्या ?
प्रीत - तु हर रोज निशा के पास जाए गा उससे बात केरेगा और जितना होसके उसकी नजरों में ही रहना।
Manjeet - हाँ इस से वो तुझे अपना दोस्त तो बना ही लगी और अभी के लिए इतना काफी है।
फिर आर्यन ने ऐसा ही क्या वो हर रोज निशा से मिलता और बात करता उसके साथ जितना हो सके रहता। कुछ दिनों में ही आर्यन और
निशा मै दोस्ती हो गयी।
एक दिन जब निशा और आर्यन पार्क में बैठे थे तब ।
आर्यन - मैं एक बात बोलु क्या ?
निशा - हाँ।
आर्यन मैने जब तुम्हे पहली बार देखा तो तब से तुमसे प्यार हो गया और हर जगह बस तुम ही तुम दिकने लगी हो।
ये बोलते ही आर्यन को ऐसा लगा की उसका दिल काफी जोर से देड़क रहा है। उसे चिंता होने लगी की निशा अब क्या बोलगी।
निशा - देखो आर्यन हम बस दोस्त है। इस से जादा कुछ नही हम कभी एक नहीं हो सकते।
आर्यन - पर क्यों तुम किसी और को पसंद करती हो क्या ?
निशा - नहीं।
और ये बोल कर निशा वहाँ से चली गयी और निशा जब क्लास में बैठी थी तब उसे खासी आई और उसने अपना रुमाल मुह पर रख लिए जब उसने देखा तो उस पर खुन लगा हुआ था। फिर निशा क्लास से सीधा घर के लिए चली गयी और कॉलेज वापस आई ही नही।
आर्यन अपने दोस्तो से बोला यार मुझे उसे नहीं बोलना चाहिए था। की मैं उससे प्यार करता हु उसके बाद वो आई ही नही यार कॉलेज सब मेरी गलती है।
प्रीत - इस मैं तेरी कोई गलती नही है। भाई उसे भुल जा और नई सुरुआत कर।
आर्यन - नहीं यार मैं उसे नहीं भूल सकता वो मेरा पहला और आखरी प्यार है।
Manjeet - ऐसी बात मत कर उसे आना होता तो आ जाती ।
आर्यन - मैं जा रहा हु निशा को डुंढने उसके किसी दोस्त को तो पता होगा की वो कहा है।
Manjeet चल हम भी चलते है।
फिर वे मिलकर क्लास की और जो भी लड़की निशा के साथ होती थी उससे जा के पूछने लगे लेकिन किसी को नहीं पता था। की वो क्यों नहीं आ रही और ये भी बोल रही थी की अब वो हमारा फोन भी नही उठा रही है।
ऐसे मै आर्यन को और चिन्ता होने लगी और वो सीदा प्रिंसिपल के ऑफिस मै चला गया।
आर्यन - मुझे कुछ पूछना है। सर।
प्रिंसिपल - हाँ बोलो
आर्यन - सर मुझे हमारे कॉलेज की एक लड़की के बारे में पूछना है। वो अचानक से उसने आना बंद कर दिया है। सर उसका नाम निशा है।
प्रिंसिपल - देखो मै उसके बारे में नहीं बता सकता कुछ काम होगा घर पर इस लिए नहीं आती होगी।
आर्यन - अगर सर काम होता तो किसी को तो बताती और ना वो अब किसी का फोन उठा रही है। मैने उसके सारे दोस्तो से पूछ लिए है। अब आप ही जो मुझे बता सकते हो मुझे जाना है। की वो ठीक तो है। सर प्लिज ।
प्रिंसिपल - ऐसी बात है। तो मैं तुम्हे उसके घर का पता दे सकता हु.।
और फिर प्रिंसिपल ने आर्यन को निशा के घर का पता बता दिया और आर्यन जल्दी से निशा के घर के लिए निकल गया।
Manjeet - हम कहा जा रहे है। कुछ तो बोल आर्यन ?
आर्यन - हम निशा के घर जा रहे है। अभी।
फिर प्रीत और Manjeet ने कुछ नही बोला और उसके साथ जाने लगे।
कुछ ही देर में सब निशा के घर पर थे और आर्यन एक मिनट नहीं रुक और अंदर जाने के लिए बेल दबा दी फिर अंदर से एक औरत आई।
आर्यन हम निशा से मिलने आए है। कहा है। वो और कॉलेज क्यों नहीं आती।
तभी वो औरत रोने लगी और रोते रोते बोलती में निशा की माँ हु।
Manjeet - आँटी आप रो क्यों रही हो।
निशा की माँ - निशा होस्पिटल में है।
आर्यन हैरान होते हुए बोला पर क्यों ?
निशा की माँ- ब्लड कैंसर है। और फिर से वो रोने लगी।
ये सुनते ही आर्यन एक बार लड़खड गया और फिर से बोला कोन से होस्पिटल में ?
फिर निशा की माँ ने उसे बता दिया की वो कहा है। और आर्यन निशा से मिलने के लिए चला गया।
कुछ ही देर में वे होस्पिटल में आ गए थे और वहाँ से उस कमरे के पास चले गए जहाँ निशा थी।
जब आर्यन ने खिड़की से निशा को देखा तो उसे आशु आ गए अंदर निशा को कुछ मशीन लगी हुई थी साथ मै oxygen mask लगा हुआ था। आर्यन ने निशा की हालत देखते तो उसे लगा की उसका दिल बैठ गया है। और वो रोने लगा।
प्रीत और Manjeet बोलने लगे भाई रो मत सब ठीक हो जाए गा चल अंदर जा और निशा से मिल ले।
आर्यन ने अपने आशु साफ किया और अंदर चला गया अंदर जाते ही वो निशा के पास बैठा और उसका हात पकड़ लिए इतने में फिर से उसकी आखों से आसु आने लगे।
फिर निशा ने अपनी आखें खोली और बोली आर्यन तुम यहाँ वो काफी धीरे बोल रही थी।
आर्यन - तुम मुझे पहले बता नहीं सकती थी की तुम बीमार हो।
निशा - तुम मुझसे प्यार करने लगे थे श्याद में भी प्यार करने लगी थी इस लिए तुम से दूर होने के लिए में वहाँ से चलती गयी पर क्या बताती मै की मेरे पास कुछ ही दिन है। जीने के लिए।
आर्यन - मुझे फरक नहीं पड़ता की तुम क्या सोचती हो और इस से मेरा प्यार कम भी नही होगा मैं तुमसे ही प्यार करता था। और करता रहुगा ।
ये सुनकर निशा की आर्यों में आसु आ गए।
आर्यन निशा के सामने तो काफी अच्छे से उसे बातें करता और अकेले में काफी रोता ये देखा कर उसके दोस्त भी काफी उदास थे वे उसे हिम्मत रखने की सलाह देते लेकिन आर्यन की हिम्मत ही नही होती वो निशा को खोने से डरता था।
एक दिन आर्यन निशा के पास बैठा था। फिर निशा जोर जोर से खासने लगी और खून की उल्टी कर दी ये देख कर आर्यन पूरी तरह टूट गया और बाद मै डॉक्टर से जा कर बोला क्या कहीं पर भी निशा का ईलाज नहीं हो सकता मै निशा को कहीं पर भी लेकर जा सकता हु।
डॉक्टर नहीं उसके पास इतना टाइम नहीं है। जादा से जादा 7 दिन फिर वो नहीं बचेंगी।
आर्यन - मै उसे ऐसे नहीं जाने दुगा।
फिर वो अपने दोस्तों के साथ निशा के पापा के पास गया और आर्यन बोला अंकल हम निशा को बाहर ले के जाना चाहते है।
निशा के पापा- नहीं उसकी हालत देख रहे हो तुम मेरी बच्ची मर रही है। और तुम्हे बाहर जाना है।
प्रीत - अंकल अब तो डॉक्टर ने भी बोल दिया है। की उसके पास कुछ ही दिन है। तो आप क्या चाहते है। की वो अपने आखरी दिन इस कमरे मैं पड़े पड़े निकले।
निशा के पापा- ठीक है। पर उसका ध्यान रखना ।
आर्यन -अपनी जान से भी जादा।
फिर आर्यन निशा के पास गया और बोला चले मैडम ।
निशा - कहा ?
आर्यन - बाहर तुम्हें क्या यही रहना है। डॉक्टर से भी बात कर ली है।
फिर आर्यन निशा को पहले तो उसे पार्क में ले गया जहा वो और निशा बैठा करते थे।
निशा - काफी खुश थी वहाँ से बहार आ के।
फिर उसने आर्यन के साथ अपनी पसंद की जगहों पर गयी अपने दोस्तो से बातें की और आर्यन के साथ Movies आर्यन भी खुश था। निशा को खुश देख कर ।
एक दिन वे दोनों निशा की पसंद की जगह नदी के पास बैठे थे अब निशा की हालत पहले से जादा खराब लगा रही थी।
फिर निशा ने आर्यन का हाथ पकडा और उसके पास जा के उसके होठों पर किस करने लगी और कुछ ही टाइम में निशा नहीं रही आर्यन ने निशा को देखा और उसे अपनी बाहों में ले लिए और रोने लगा।
आर्यन को रोता देख कर प्रीत और Manjeet भी उसके पास आ गए और आर्यन को हिम्मत देने लगे।
आर्यन हर बार एक अलग जिंदगी में पहुंच जाता उनसे वो जिंदगी जीनी पड़ती चाहे वह अच्छी हो या बुरी इसमें ध्रुब कुछ भी नहीं कर सकता था। और हर एक जिंदगी के खत्म होते ही वो फिर से किसी और जिंदगी में पहुंच जाता.।