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Chapter 5 - Sanjna aur indresh ki saadi

संजू के रूम् मे -वो अपने बेड के सिरहाने पर सर रखकर बैठी है।

देवू-आइये जीजू।

संजना को इंदर और देवू के अंदर आने की आहत भी पता नहीं चली  टेंसन और थकान के कारण  कब उसकी आँख लग गई पता हि नहीं चला।वो अभी तक वैसे हि लेटी है।देवू संजना को उठाने लगता है तो ।इंदर उससे मना कर देता है ।और देवू चला जाता है 

इंदर संजना की खूबसूरती देख कर हैरान है।वो मन मे भगवान् से कहता हैं ।भगवान मेरे लिए बनाया लेकिन मुझे ना देने के लिए।

लेकिन मै आखिरी सांस तक संजू को अपना बनाने की कोशिश करता रहूंगा।

तभी इंदर का फोन बज उठता है।इससे संजू की आँख खुल जाति है।

संजू - जी आप।

इंदर-जी वो माँ -पापा और घरवालों ने आपसे bye बोलने के लिए भेजा है मुझे।

संजू-जी ok bye।। इंद्रेशजी।

इन्द्रेश-आप् मुझे इंदर बोल सकती है।

इंदर का तो मन संजू से बहुत सारी बातें करना चाहता था।पर उसने वहाँ ज्यादा देर रुकना ठीक ना समझ ok बाये  बोलने के बाद वहाँ से चला गया।

संजना - बहुत बेशर्म है मेरे रूम में चला आया।

बाहर बरामदे मे-

इन्द्रेश-जी अब हमें चलना चाहिए मुझे एक इंपॉर्टेंट मीटिंग में भी जाना है।

नीलेश-अरे बेटा ।।टाइम का पता हि नहीं चला ।हम लोग यहाँ से सीधे ऑफिस जाएंगे और ड्राइवर इन लोगो को घर छोड़ देगा।

उर्मिला जी ठीक है, अब हम चलते हैं सभी को नमस्ते।

सभी नमस्ते करते हैं और संजना के घर से सभी चले जाते हैं।

सोमु जी- केशवजी सब अच्छे से हो गया ना।

केशवजी-अरे साले साब क्यू चिंता कर रहे है।सब ठीक से हो गया।

आशाजी-अरे भईया ,सब ठीक हो गया ।।

सोनीजी-दीदी पता नहीं, कैसे होगी शादी ।।कुछ त्यारी नहीं हुई और 15 दिन मे शादी।क्या करे। कैसे करे।

आशाजी-ओफ्फो भाभी कभी तो चिंता छोड़ दिया करो।

जग्गूजी-हम् सब है भाभी।चिंता न करे ।

इधर इंदर के ऑफिस मे मीटिंग हो रही है लेकिन इंदर तो संजना की बाते याद कर रहा है।

आखिर संजना शादी को मना क्यू कर रही है।?

सायेद अभी उसका मन ना हो  शादी करने का।बाद मे मन बन जाये।

अब तो इंदर को यही लग रहा था कि बस संजू उसके पास रहे।ये जानते हुए भी कि संजू उसे अपना नहीं पायेगी।

देखते देखते ही समय बित गया ।शादी का एक हफ्ता बचा है ।आज अचानक इंदर का मन संजू को मिलने का कर रहा था।वो सोच रहा था कि क्या बहाना बनाऊ ।संजू से मिलने का।उसने सोचा कि नक्ष से बोलता है ।

इंदर का घर 

एक बड़ा  सा लोहे का मेन गेट जिस के पास एक दरवान बन्दूक लिए कुर्सी पर बैठा है ।

बिल्कुल महलो जैसा है इंदर का घर । इंदर के घर मे -

इंदर नक्ष के रूम मे आता है।नॉक करता है ।

इंदर-नक्श रूम मे हो क्या?

नक्ष-जी भाई पढ़ रहा था ।कोई काम था।

इंदर-वो .....।कुछ नहीं चल तु पढ़।कैसे कहु ?।

नक्ष - क्या है भाई बोलिये।

इंदर- मुझे तुझसे कुछ काम है।

नक्ष- भाभी से मिलना है? 

इंदर-ह्म्म्म्।

नक्ष-तो फिर शर्मा क्यू रहे है? 

  इंदर-तु बता कैसे मिलु ?

नक्ष- भैया क्या आपको पता है आज देवेश का birthday है ।

तुझे कैसे पता इंदर हैरानी से बोला 

भाई हम लोग बेस्ट फ्रेंड है ।अब।

ओह तुम लोग कब क्या करते हो पता नहीं चलता है।

सोच क्या रहे है चलिए जाइये और देवू को गिफ्ट दीजिये इसी बहाने  आप भाभी से भी मिल लेंगे ।  नक्श तू बता ना क्या ठीक रहेगा देवू के लिए गिफ्ट।

watch ठीक रहेगी भैया उस पर एक ही है  वह बहुत पुरानि हैं ।

शाम के 7बजे है और संजना के दरवाजे पर laxjury गाड़ी आकर रुकी सभी दरवाजे की तरफ देखने लगे।दरवाजे पर नक्ष ने बेल बजाई और संजू ने ही दरवाजा खोला। नक्स ने संजू के पाँव छुए और देवू से मिलने चला गया ।संजू  को देखकर इंदर ने हेलो कहां ।लेकिन संजू ने कोई जवाब नहीं दिया और अंदर चली गई । अपनी मां को बुलाने लगी।

सोनीजी-अरे दामादजी आप ।

इंदर-  मां जी आपने तो बुलाया नहीं हम खुद ही चले आए देवू के बर्थडे पर.   ।। 

देवू- अरे वो जीजा जी बात यह है कि मैं बर्थडे सेलिब्रेट नहीं करता हूं  दीदी ही करती है सब और  के रूम में चले जाते हैं और सोनी जी इंदर जी के लिए जुस् लाती हैं ।

इंदर-मा पापा नजर नहीं आ रहे हैं कहीं गए हैं क्या सोनी जी बस बेटा अंदर तैयार हो रहे है देबू का केक लेने जा रहे हैं ।

इंदर -अरे मां केक तो हम लोग लाए हैं अपने साथ।

 इसकी क्या जरूरत थी ।संजना चिढ़कर बोली कहकर संजना सीढ़ी पर चढ़कर बलून लगाने लगती है और यह सब इंदर देख रहा होता है।

  उतरते समय अचनाक संजू का सूट संजू के पैर मे हिलगता हैं और वो जैसे हि गिरती है वैसे ही तुरंत इंदर आगे बढ़कर संजना को गोद मे ले लेता है ।

संजना को छूने से इंदर के मन मे फिर से मखमली एहसास हुआ ।इंदर संजना का चेहरा देखता रह गया ।

संजू मुझे उतारिए यह सुनकर इंदर होश में आता है और संजू को अपनी गोद से उतार देता है। अब सब लोग बर्थडे पार्टी मनाते हैं फिर इंदर देवू के लिए गिफ्ट में एक एक्सपेंसिव वॉच देता है।

सोमु जी -अरे इसकी क्या जरूरत थी ।

इंदर- पापा। देबू भी तो मेरा भी तो कुछ है ।

 अब शादी को सिर्फ 3 दिन ही बाकी हैं हल्दी मेहंदी सब रस्मे में हो जाती हैं आज शादी का दिन मंदिर में-

संजना और इंदर की शादी हो रही है सभी रीति रिवाजों के साथ ।

विदाई के समय संजू अपने मां पापा बुआ फूफा और जग्गू अंकल जी से गले लग कर बहुत रोती है। सबस ज्यादा वह देबू के गले लग कर रोती है। यह देखकर उर्मिला जी कहती हैं बेटा  देवु। संजू का घर भी तुम्हारा ही घर है अब तुम वहां जब दिल चाहे संजू से मिलने आ सकते हो।

अब संजू विदा होकर कार मे बैठती है ।

और सभी लोग लालजी menson पहुंच जाते हैं। । यहां भी सभी रश्मो रिवाजों के बाद उर्मिलाजी  संजू को खानदानी कंगन देती है

संजू-दादी इसकी क्या जरूरत है।

श्रावणीजी- बेटा जी ये तो रिवाज हैं ।