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Chapter 4 - Shaadi ya samjhauta

फिर दोनो निचे आ जाते है।

जग्गूजी-आइये दमादजी।। क्या मै आपको दमादजी बुला सकता हु।(जग्गूजी सकूचते हुए)

उर्मिलाजी-अरे क्यू नहीजी आपका हि बेटा  हैं अब तो।इंदर।।

सोनीजी- माजी क्या अब हम लोग रोका करे।।

श्रावणीजी-जि बहनजी ,अब हम लोग रोके की रसम करते है ।

उर्मिलाजी-इन्दर् बेटा अपने सर पर रुमाल डाल ले

इंदर-जि दादी ।

दरवाजे पर संजू के फूफाजी आते है।और सबसे नमस्त्ते करते है।

सोमूजी-माजि ये हमारी आशा जीजी के हस्बैंड केसब जी  पेशे से  बकील  है ।

केशवजी-अरे ,साले साब ,बिना ring के ये रोका कैसे होगा । ये लीजिये।

आशाजी-लाये बकिल् साब दीजिये।अभी इसे मंदिर मे पवित्र कर क लाती हु।

श्रावणीजी-उर्मिलाजि से,देखा माजी ।कितने संस्कारी है ये लोग।

उर्मिलाजी-तभि तो मुझे ये परिवार तुरंत पसंद आ गया ।

श्रावणी-आपकी पसंद पर तो कोई शक नहीं है माजी।

।तभी पूजा की थाली में आशा जी रिंग रखकर लाते हैं।

आशा जी यह लीजिए भाभी रिंग ।

अब सोमु जी और सोनी जी इंदर के माथे पर तिलक लगाती हैं। फिर हाथ में कुछ मिठाईयां कपड़े और रिंग का डब्बा रखती है।

अब तुम हमारे हुए बेटे।

इंदर जी आंटी अंकल

उर्मिलाजी-अरे इंदु ,अंकल आंटी नहीं मां पापा।।

मां पापा शब्द सुनते हीमां पापा शब्द सुनते ही इंदर मां पापा शब्द सुनते ही  एकदम से खुश होो गया।

फिर सोनू जी इंदर को मिठाई खिलाते हैं।

फिर इंद्र सोमु जी के और सोनी जी के पैर छूता है अरे बेटा यह क्या कर रहे हो सोमु जी कहते हैं।  इंदर- छूने दीजिए ना पापा ये हक़ मुझसे मत छीने।

और एक मीठे का टुकड़ा सोनीजी को खिलाने लगता है ।

इन्द्रेश- माँ, आप भी खाये।

ये सब देखकर नलेश उर्मिलाजी से कहते हैं ।देखा माजी ,हमारे इंदर को माँ बाप मिल गये।

  श्रावणी-   र्हाँ जी ये सब देखकर मै भी बहुत खुश हु।

चलिए अब सब लोग भाभी का भी रोका करे।।नक्ष बोला।

नीलेश -इश्को कितनी जल्दी पड़ती है ।

रिद्धि- क्यू ना हो जल्दी डेड ।।आखिर हमे भाभी जो मिलने वाली हैं । 

श्रावनी-उर्मिलाजि से ,माजी चलिए।

फिर उर्मिलजी ने संजू को लाल रंग का दुपट्टा उड़ाया।

ये देख कर सोनीजी आँखों मे आंसू भर लाई....।

ये देख नीलेशजी बोले भाभीजी आप रो रही है  लेकिन ये नहीं देख रही है कि हमारी गुड़िया कितनी प्यारी लग रही है ।

आशाजी- ठीक कह रहे है आप ।

और संजू के सर पर हाथ फिराति है।

अब श्रावणीजी और उर्मिलाजि संजना के हाथ पर मिठाई कपड़े गहने और रिंग रखती है।

उर्मिलाजी- चलिए जी अब संजू हो गई हमारी।

सोनीजी- संजू बेटा अपने से बड़ो के पाव छु कर आशीर्वाद लो।

संजना अपने से बड़ो के आशीर्वाद ले कर ।खड़ी होती है।फिर सोनीजी संजू से कहती है।

बेटा इंद्रेशजी के भी पाव छु लो अब ये तुम्हारे होने बाले पति है।

उर्मिलाजी-हा बेटा ,अब तो तुम लोगो की शादी होने वाली है।

"शादी या समझौता" संजू अपने मन में यह बात सोचती हैं ।फिर वह इंदर के पैर छूने के लिए आगे बढ़ती है।तभी इंदर संजू को कंधे पकड़ कर उठा लेता है ।और कहता है, कि मैं तुम्हें पैरों में नहीं, अपने आप से कंधे से कंधा मिलाकर देखना चाहता हूं।

यह देख सोमू जी कहते हैं कीआज तो मैं गंगा नहा लिया मैंने जैसा सोचा था वैसे ही मुझे दामाद जी मिले हैं।

केशवजी- साले साहब,दामाद जी बहुत ज्यादा अच्छे हैं।इतने बड़े बिजनेसमैन होते हुए भी इनमें कोई घमंड नहीं है।

जग्गूजी आपने बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं इंद्रेश जी को ।

उर्मिला जी -यह सब तो हमारी श्रावणी का कमाल है मेरे बड़े बहु बेटे के जाने के बाद श्रावणी ने ही इंद्रेश को अपने बेटे की तरह प्यार किया।

श्रावणी जी -बस कीजिए माजी ।। यह तो आपके ही संस्कार हैं जो कि हम यह सब सीख पाए।।

नीलेश जी चलिए अब हम लोग आगे की रस्में करते हैं अब अंगूठी बदल लेते हैं।

उर्मिला जी -हां बेटा ठीक है।

अब संजना और इंदर को एक दूसरे के आमने सामने खड़ा कर दिया जाता है। फिर एक दूसरे को अंगूठी पहनाने को कहा जाता है।

उर्मिलाजी-  इंद्रेश बेटा रिंग पहनाओ संजना को । सोनीजी- संजू हाथ आगे बढ़ाओ

जैसेही इन्द्रेश ने संजू की उंगीलिओ को छुआ 

इन्द्रेश के मन मे हलचल हुई।

नीलेसजी- इंदर बेटा रिंग पहना बेटा क्या ऐसे ही उंगलियां पकड़ा रहेगा अब तो सारी उम्र तुझे यह हाथ पकड़े रहना है।

जी चाचू ।।कहते हुए इंदर संजू को के पहन देता है 

श्रावनी जी -संजना अब तुम पहनाओ इंदर को रिंग । फिर संजना इंदर को रिंग पहना देती है ।

सब लोग तालियाँ बजाते है और मुबारक बाद देते है।

देवेश इंदरजी के पाव छु कर कहता है।

congratulation जीजू।

इंद्रेश -अरे बेटा आप तो मेरे नक्ष की तरह है।

नक्ष -हां यार तु हमारी लाइन मे है।

फिर सब हसने लगते हैं ।

अब सब लोग खाना खाते है ।

नीलेशजी सोमूजी से -अब आप शादी कब की रखना चाहेंगे।

सोमेशजी -जब आप चाहे।

तभी इंदर बोलता है ,अगर आप लोगो को कोई प्रॉब्लम ना हो तो क्या हम लोग शादी किसी मंदिर मे करे।

ये सुनकर सभी बोले हमे कोई ऐतराज नहीं।

इंद्रेश-दादि आप क्या कहती है, 

उर्मिलाजी-तेरि शादी हो तु जान।

तभी बच्चे बोलते है ओह shit भाई छोटी छोटी रश्मो मे हि तो मजा आता है।

आशाजी-अरे बच्चो,।। रश्मो के बिना तो शादी अधूरी है।।

तो फिर ठीक है।आज से 15 दिन बाद  मंदिर मे शादी होगी।और 1 हफ्ते पहले रस्मे सुरु होंगी

उर्मिलाजी- जा बेटा  संजना अंदर जा कर आराम कर ले।

संजना तो जैसे कि उसे इसी पल का इंतजार हो।

वो तुरंत अंदर चली जाती है ।

श्राव्णीजी-सोनिजि अगर आपको कोई प्रॉब्लम ना हो तो इंदर को संजू के रूम मे ....।।baye कहने के लिए भेज दे।

सोनीजी-जि ये भी कोई पूछने बली बात है ।

नक्ष-जाइये भाई। भाभी से baye बोल आये।ओहो भाई का फेस तो देखे कितना लाल हो गया 

इन्द्रेश -नक्षु तु कुछ ज्यादा नहीं बोल रहा हैं ।घर चल तु।

फिर देवेश इंदर को संजू के रूम मे ले जाता है ।

आइये जीजू मै ले चलता हु । फिर इंदर संजू के रूम में जाने लगता है।