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Chapter 27 - Ch-27

शुभम, अंकित और आकाश तीनों पार्वती विला मे आते है। शुभम अपने हाथों कों संभालते हुए उस बक्शे कों खोलता है। जिसमे कुछ पुरानी तस्वीर और एक डायरी थी।एक गुड़िया और छोटी छोटी बच्ची कि चीजे थी। जिस देख कर वो आपस मे कहते है शायद नरेंद्र अंकल अपनी बेटी कि यादो कों संजोये रखे हुए थे।आकाश कहता है, शायद हमे इस डायरी और फोटो से कुछ चीजे मिल जाये। ये सोच कर सभी उन तस्वीरों कों देखने लगते है।

उन तस्वीरों कों देख कर सबके मन मे सवाल था। अंकित कहता है ये तस्वीर शायद नरेंद्र और उनके परिवार का है। ये बच्ची शायद उनकी बेटी होगी। आकाश कहता है लेकिन इस तस्वीर के सहारे उसे ढूढ़गे कैसे।अब तो ये काफ़ी बड़ी हो गयी होगी। फिर सभी उसमें रखी और तस्वीरें देखने लगते है।

अंकित कहता है, "हम इस तस्वीर कों फोटो अजिंग मे डाल कर देखेंगे कि अभी इस उम्र मे ये तस्वीर किस तरह कि होगी।"

फिर देखते है कि एक तस्वीर जिसे देख कर शुभम कहता है, ये सब शायद एक साथ पढ़ाई करते थे। ये थे बड़े पापा कि कॉलेज ग्रुप फोटो मे नरेंद्र जी भी है। "सभी तस्वीर देख कर कहते है, शमशेर अंकल भी एक साथ ही थे। फिर गौर से देखते हुए कहते है, ये तो दाता हुकुम लग रहा है।

शुभम कहता है पता नहीं सबके तार एक दूसरे मे उलझ रखे है।

फिर एक तस्वीर आकाश दिखाते हुए कहता है, कि इस तस्वीर मे देखो !! बड़ी माँ और छोटी माँ के साथ ये बच्चा कौन है। अंकित कहता है इसकी भी ऐज ग्रोमिंग करवाकर देख लेगे।

आकाश कहता है, ये डायरी शायद नरेंद्र अंकल कि है। अंकित कहता है पढ़ जरा है। आकाश शुरुआत के कुछ पन्नो कों पढता हुआ कहता है, इसमें इनकी कॉलेज लाइफ से लेकर जिंदगी तक कि बात लिखी हुई है। इनकी बेटी का नाम जानवी शर्मा है!!जिससे ये बहुत प्यार करते है।

शुभम कहता है, जरा पन्ने पलट कर देख कोई उस समय कि बातें है, जो हुई थी। आकाश पन्ना पलट कर देखता है तो. उसमें जो लिखा रहता है, उसे पढ़ कर आँखे उसकी गुस्से से लाल हो जाती है। दोनों आखों से आंसू बहने लगता है।

शुभम और अंकित उसे देख कर कहते है, "क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रहा है !!!"

अंकित उसके हाथ से डायरी ले लेता है और पढ़ने लगता है, उसे पढ़ते हुए उसकी हाथों मे कपकपाहट होने लगती है और वो परेशानी से डायरी हाथ से छोड़ते हुए.... वहाँ से उठ कर खड़ा हो जाता है और.... खुद से कहता है, नहीं!!नहीं.... ये सच नहीं है!!

शुभम दोनों कि हालत देख डर जाता है और जैसे ही डायरी उठाने लगता है। आकाश रोते हुए कहता है, तू मत पढ़ मेरे भाई !! शुभम उसकी बात सुनकर भी डायरी उठा लेता है और पढ़ने लगता है।

उसे आधा पढ़ते हुए ही उसके हाथों से डायरी छूट जाती है और वो तेजी से फ्रिज से ठंडा पानी का बोतल निकाल कर। खुद के ऊपर डालते हुए कहता है, नहीं!!नहीं!! ये सच नहीं है!! फिर पानी का बोतल फेकते हुए कहता है, "क्यों !! क्यों!!

!!निचे गिर कर रोने लगता है। तीनो के हालत इस कदर बद से बदतर थे कि कोई किसी कों संभालने कि हालत मे नहीं था!!

अंकित खुद के कपड़े कों फाड़ते हुए कहता है, अगर हमे इस हकीकत के बाद इतनी घुटन हो रही है तो जिस दिन ये सच बाहर आएगी तो पूरा प्रजापति परिवार हिल जायेगा।

शुभम जमीन पर रोते हुए कहता है, मै गंदा खुन हूँ भाई !! मेरे माँ बाप इतने घटिया होंगे सोचा नहीं था। दिल चाह रहा है कि उन्दोनो कों बिच चौराहे पर गोली मार दू।

आकाश जो कब से खामोश बैठा था वो कहता है, अभी ये हाल है सिर्फ हमारा। सोच जब ये सच बाहर आएगी तो हार्दिक और दक्ष भाई का क्या होगा। शुभम कहता है ये सोच कर मेरी रूह कांप रही है।

अंकित कहता है, उससे पहले हमे भाभी माँ कों बताना होगा, ताकि समय आने पर वो भाई कों संभाल ले !! शुभम कहता है चलो हम अभी बतायेगे। आकाश उन्दोनो कों रोकते हुए कहता है, रुक जाओ !! क्या तुम चाहते हो कि राज्यभिषेक से पहले राजस्थान कि धरती खुन से लाल हो जाये। एक बार राज्यभिषेक तो होने दो।

इतने दिन तक हम इस सच कों कैसे छिपाएंगे आकाश !! अंकित कहता है। तभी आकाश कहता है, इस सच कों छिपाएंगे नहीं। तब तक हम एक एक आदमी कों ढूढ़गे जो शामिल था। कुछ कों हम जानते है लेकिन वो. दो लोग जिनको हम नहीं जानते है। उनको ढूढ़ना पड़ेगा। फिर ये सच हम बतायेगे।

शुभम कहता है, उससे पहले ही कही भाई और भाभी कों ये मालूम ना चल जाय और मै तो कहता हूँ," राज्यभिषेक का इंतजार क्यों करना उससे पहले ही दुश्मनो कों झटके से खत्म कर देते है।

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प्रजापति महल मे वीर सबको दक्षांश से मिलवाते है। प्रताप परिवार अपनी बेटी कि नवासे कों देखें फुले नहीं समाता है। सबसे मिलने के बाद दक्षांश कहता है,"आप सब कौन है !! "

विक्रम जी कहते है, ये आपके मम्मी के नानू है और आपके परनानू है और हम आपके मम्मी के मामा और मामी है। तो आप के हम मामा नानू और मामी नानू है।

क्या आपको हमसे मिलकर अच्छा लगा !! दक्षाशं कहता है, अभी तक तो मै अपने डैडा के परिवार से मिला था अब मै मॉम के परिवार से भी मिल रहा हूँ। मुझे बहुत अच्छा लगता है पुरे परिवार के साथ रहना।

दक्षाशं कहता है, " वीर काका !! बाहर मे हमे दो लडकियाँ मिली, मेघा और वर्षा !! आज से वो हमारी बहन है तो. उसके हर चिज का ख्याल रखियेगा।

तभी बरखा जो सभी कों चाय नाश्ता दे रही थी। उसके पास आकर कहती है, छोटे सरकार क्या दोनों छोरियो ने कोई बदमाशी कि। तभी दक्षांश कहता है, " काकी पहली बात कि आप मुझे ये छोटे सरकार नहीं बुलाएगी। दूसरी वो दोनों आज से हमारी बहन है और वो दोनों हमे बहुत प्यारी लगती है। इसलिये आप उनको डाटना मत!!"

बरखा कहती है, लेकिन आप इतने बड़े लोग और हम बहुत छोटे लोग है!!

वो कहता है, मेरी मॉम और डैडा ने मुझे कभी नहीं सिखाया कि कोई बड़ा और कोई छोटा होता है। हम इंसान है और हमे इंसान कि तरह रहना चाहिए। हमारे लिए सब बराबर है।

दक्षांश कि बातें सुनकर वहाँ बैठे सभी बड़ो के चेहरे पर गर्वली मुस्कान आ जाती है। तुलसी जी कहती है, हमारे राजकुमार मे हर गुण बहुत बेहतर है। हमे नाज है कि वो हमारे घर का अंश है।

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इधर कमरे मे आते ही दीक्षा से रहा नहीं जात है। तूलिका कों सबको बुलाने वो निचे भेज देती है और खुद जैसे ही एल्बम कि बजाय डायरी खोलती है।

जिसमे पार्वती जी के लिखी हुई बातें थी.....दीक्षा डायरी के हर हिस्से कों पढ़ने लगती है। ये डायरी कॉलेज खत्म होने के आखिरी दिन से लेकर दक्ष कि जन्म तक का था।जिसमे पार्वती जी ने लिखा था, "

"आज कॉलेज का आखिरी दिन है और आज मै और मेरी दोस्त आरध्या प्रताप दोनों हर्षित और अभिषेक से मिलने जा रहे है। आज आरध्या अभिषेक से शादी के लिए पूछने वाली है। हालांकि काका सा कभी तैयार नहीं. होंगे। उसकी शादी एक आम लड़के से करने के लिए फिर भी आरध्या अपनी बातों कि बिल्कुल पक्की है।"

दीक्षा जैसे ही ये नाम पढ़ती है, तब तेजी से हर पन्ने कों पढ़ती हुई उसके आखों से आंसू बहने लगते है। वो खुद कों संभाल नहीं पाती और मन मे कहती है, " यानी मेरी माँ और दक्ष कि माँ, मेरे पापा और दक्ष के पापा दोनों कॉलेज के दिनों से एक. दूसरे के दोस्त थे।

तभी दीक्षा जल्दी से एल्बम पलट कर देखने लगती है।वो एल्बम पार्वती माँ कि थी। जबाब तस्वीरें पलट कर देख रही होती है तो उसमें पार्वती जी के साथ वो अपनी माँ कि तस्वीर भी देखती है। तस्वीर देखने के साथ उस एल्बम मे उसके माता पिता कि कॉलेज के दिनों कि तस्वीरें थी। जिसे देख दीक्षा कि भावना बिखरने लगती है.। वो खुद मे कहती है, क्या दक्ष कों मालूम था !! नहीं नहीं अगर दक्ष कों मालूम होता तो वो मुझसे नहीं छिपाते। लेकिन !! मतलब!!

तब तक तूलिका के साथ सभी अंदर आ जाती है।

जहाँ हर साजिश कि परतें खुल रही थी। वही कही किसी कि मोहब्बत मिल रही थी तो कही कोई अपनी मोहब्बत से दूर जा रहा था। सबके अंदर जज्बात सुलग रहे थे। ना जाने कौन सा सेलाब आने कों था। जिंदगीयाँ बर्बाद होगी या आबाद ये तो वक़्त कि तिजोरी मे कैद था।"

दीक्षा कों रोते देख शुभ दौड़ कर उसके पास आती है। सभी घबरा कर उसे देखते है। तभी रितिका और तूलिका कि नजर अल्बम पर जाती है। दोनों हैरानी होती हुई कहती है, "यानी आरध्या ऑन्टी और पार्वती माँ दोनों दोस्त थी।"!!

दीक्षा कहती है, यही नहीं देखो पूरी तस्वीर.... सिर्फ मॉम नहीं, पापा भी एक दूसरे के दोस्त थे। लक्षिता बुआ, शमशेर फूफा जी सबके के सब। एक दूसरे के दोस्त याँ यू कहो कॉलेज मे पढ़ा करते थे।

ये देखो इनकी ग्रुप तस्वीर इसमें बहुत कों हम जानते है और बहुत कों नहीं। और ये देखो तस्वीर ये बच्चा। बता नहीं ये बच्चा छोटी माँ और माँ सा कि गोद मे कौन है।

रितिका कहती है, याँ तो जीजू होंगे याँ घर का कोई बच्चा होगा। दीक्षा कहती है, तस्वीरों कों ध्यान से देखो, घर के इस समय के हिसाब से याँ तो पृथ्वी भाई सा, या दक्ष होने चाहिए। रौनक और हार्दिक तो हो ही नहीं सकते है।

सभी उस तस्वीर कों गौर से देखने लगती है।

तभी रितिका कहती है, ये पार्वती मॉम के साथ कौन है ? निचे पदमा मामी कि तरह नहीं लगती है। ये देख दीक्षा जल्दी से अल्बम कि तस्वीरो कों पलटने लगती है। जिसमे एक तस्वीर पुरे प्रताप परिवार कि थी।

तूलिका ये देख कर कहती है, यानी निचे जो प्रताप परिवार आया है वो तेरा ननिहाल है। दीक्षा कहती है, क्या ये सच वो सब जानते है। रितिका कहती है, ऑफकोर्स जानते होंगे !! तभी तेरा रिश्ता जोड़ दिया।

दीक्षा कहती है, फिर तो दक्ष भी जानते होंगे। इस बात पर शुभ कहती है,"दीक्षा हम तुमसे एक बात कहना चाहते है !! अभी हम किसी और चिज पर फोकस कर रहे है, तो. उस पर ध्यान देते है। रही बात इस सच्चाई कि तो आप एक बार पहले दक्ष देवर सा से बात कर लीजिए फिर किसी नतीजे पर पहुंचये।"

शुभ कि बात सुनकर दीक्षा कहती है, हम समझते है जीजी !! और हम अब कोई बात कल के जश्न के बाद करेंगे।

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साक्षी हार्दिक से कहती है, मै मै आपको कुछ बताना चाहती हूँ। आप मेरे बारे मे कुछ नहीं जानते है। हार्दिक कहता है, जो तुम्हारे मन मे है, वो मुझे बेझिझक बता दो।

साक्षी कहती है, "मै अनाथ हूँ और मुझे मेरे माता पिता याँ किसी ने एक कचरे मे भेंक दिया था। तब जो मेरी बड़ी बहन और मेरी माँ है अभी,उन्होंने मुझे देखा  और उन्होंने मुझे अपनी बेटी बना कर रखा।"

मै नहीं जानती कि मै जायज संतान हूँ याँ नाजायज। मेरा खुन गंदा है याँ... आगे बोलती हार्दिक उसके होठों पर अपनी ऊँगली रखते हुए कहता है। आज कह दिया फिर मत कहना।

साक्षी कहती है, " मेरी बड़ी बहन मुझे बहुत प्यार करती है। वो यही राजस्थान मे ही किसी बड़ी कम्पनी मे नौकरी करती है। दो साल पहले मेरी माँ भी चल बसी। अब सिर्फ हम दोनों बहने ही एक दूसरे का सहारा है। मेरी पढ़ाई इस बार पूरी हो गयी इसलिए मै यहाँ चली आयी। "

हार्दिक कहता है तुम्हारा घर कहाँ है ? कल ले चलोगी अपने घर मुझे। कल मै तुम्हारी दीदी से तुम्हारा हाथ मांगूगा !!

साक्षी कहती है, लेकिन  आप बहुत बड़े लोग है और मै अपनी शादी दीदी कि शादी से पहले नहीं कर सकती हूँ। हार्दिक कहता है, तो मैंने कब कहा कि मै अभी शादी करना चाहता हूँ।

लेकिन आप कों इतनी जल्दी मुझसे प्यार हो गया!!साक्षी हैरानी से पूछती है!!

हार्दिक कहता है, "साइकोलॉजी के अनुसार, इंसान पांच मिनट मे भी प्यार मे पर सकता है और उस शख्स के साथ उम्र भर रह सकता है।"!! अब कल हम तुम्हारी दीदी से मिलने चलेंगे। उनको यहाँ जश्न मे लेकर आएंगे। जश्न खत्म होने के बाद हम अपनी बात परिवार वालों कों सब कुछ बता देंगे। फिर उन पर छोड़ देंगे। क्योंकि हार्दिक प्रजापति कों चोरी छिपे कुछ करने कि आदत नहीं है। फिर उसकी नाक कों दबाते हुए कहता है। अब तुम अपने कमरे मे जाओगी याँ मेरे साथ रुकोगी।

उसकी बात सुनकर साक्षी शर्मा कर नजरें झुका लेती है।

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शुभम बहुत ज्यादा निराश होता है। तभी अंकित कहता है, सब काम करने से पहले हम उन्दोनो बच्चों कों ढूढ़ना होगा। शुभम इस तरह टूटने से काम नहीं चलेगा भाई !! तुम्हें तो सबसे ज्यादा हिम्मत रखनी होगी क्योंकि तुम भी कड़ी हो इन सभी मे। अब उठो।

शुभम बिना कुछ बोले उनलोगे के साथ स्टडी रूम मे चला जाता है। आकाश लैपटॉप पर बैठता है। तीनों लग जाते है तस्वीर के साथ!!

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रेशमा जैसे ही कमरे मे आती है, तो कमरे मे दिव्यांश टॉवेल लपेटे हुए घूम रहा होता है। उसे अर्ध नँगा देख रेशमा कि हाथ से उसका समान झूठ जाता है। दिव्यांश उसकी चीख सुनकर भाग कर उसकी तरफ आता है और जैसे ही दोबारा वो. चीखती। उससे पहले वो उसका मुँह बंद करते हुए कहता है," ये राक्षणी कि तरह क्यों चीख रही हो तुम और तुम मेरे कमरे मे क्या कर रही हो.!! ये सब उससे, उसका मुँह बंद करके पूछता है !!

रेशमा उसे इशारे मे कहती है, हाथ हटाओ!!तभी तो बोलुँगी!!

दिव्यांश कहता है, हाथ हटा रहा हूँ और अगर तुम फिर चिल्लायी तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। ये मेरी दीदी का ससुराल। ये कहते हुए हाथ हटा देता है।

वो उसे घूरती हुई कहती है, " तुम पागल हो जो एक लड़की के रूम मे,ये... ये.... आधे नंगे होकर घूम रहे हो.!!

ओओओ हैलो मिस चश्मिस!!ये मेरा कमरा है, यहाँ मैं आधा नँगा होकर घुमु याँ पूरा ये मेरी मर्जी है...!! समझी तुम!!कह कर उसके माथे कों टैब करता है !!

रेशमा अपनी आस्तीन मोड़ती हुई कहती है, ओय हीरो!! ज्यादा रप चिक रप चिक मत करना। वरना ये टॉवेल खींच कर तुम्हारी पुरे नंगे होने का अरमान अभी पूरा कर दूँगी। निकलो मेरे कमरे से अभी!!

उसकी बातें सुनकर दिव्यांश अपनी टॉवेल पकड़ कर कहता है, " हे भगवान इस लड़की कों देखो दिन दहाड़े !! "!! रेशमा उसे घूरती हुई कहती है, रात हो गयी है अभी !!

दिव्यांश कहता है, चुप ड्रेकुला कि सास !! एक मासूम से लड़के कि इज्जत लूटने कि बात करते हुए शरम नहीं आती। ये मेरा कमरा है, चुड़ैल !!

रेशमा कहती है, "तेरी तो!! इतनी देर से, रात मे आने वाली सभी वैम्प का नाम लेकर मुझे पुकार रहा है !! रुक तेरी तो !! मै वैम्पांयर कि सास हूँ,  तो तुम मेरी बहु है और आज तेरा मै खुन पी जाउंगी !! कहती हुई उसे पकड़ने दौड़ती है।

दिव्यांश और वो, दोनों  पुरे कमरे मे भाग रहे थे। दिव्यांश अपनी टॉवेल संभालता हुआ उसका हाथ पकड़े सीधे बिस्तर पर गिर जाता है।

दिव्यांश निचे और रेशमा ऊपर होती है। दिव्यांश का चेहरा बेहद मासूम और हैंडसम था। रेशमा भी मासूम सी थी। दोनों एक दूसरे कि आखों मे देखें जा रहे थे। उन्दोनो कि बिच असहज हालात हो गए थे। ये देखते हुए रेशमा अपनी नजर चुरा रही थी। दिव्यांश उसे नजर चुराते देख, उसे पकड़ कर पलट देता है। अब वो निचे और दिव्यांश ऊपर था। रेशमा कि नजर नीची थी। तभी दिव्यांश कहता है, तुम्हारे कमरा कौन सा है।

वो अपनी नजर झुकाये हुए कहती है, दाहिने से तीसरा कमरा!! दिव्यांश कहता है और ये बाएं से तीसरा कमरा है। ये सुनकर रेशमा कि नजर उससे मिल जाती है।

वो बहुत मुश्किल से कहती है, सॉरी !! अब हटो मुझ पर से !!

दिव्यांश कहता है, क्यों अब नहीं लड़ाई करनी है मुझसे। अब मै ना हटू तो!!!... प्लीज हट जाओ !! एक शर्त पर पहले अपना नाम बताओं.....!!! मेरा नाम रेशमा है !! वो हँस कर कहता है और मै हूँ दिव्यांश राय !! अब हटोगे!! मेरा दिल नहीं कर रहा है, वो शरारत से कहता है !!

रेशमा हल्का खुद कों ऊपर उठाती है और उसके गाल कों काट लेती है। वो अपने गालों पर हाथ रख.... आहहहह..... करता हुआ उसके ऊपर से उठ जाता है। रेशमा वहाँ से तेजी उठ कर अपने कमरे मे भाग जाती है।

दिव्यांश अपने गाल पर हाथ रखते हुए कहता है.... जंगली बिल्ली!! फिर मुस्कुरा देता है।

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कही तकलीफो कि रहगुजर थी तो कही उम्मीद का दामन था। कोई हैरान था परेशान था तो कोई खुद मे मुस्कुरा रहा था। आज कल प्रजापति महल कि हवाएं हर दिशा से गुजड़ रही थी। अब देखना ये था कि ये हवाएं कौन सा तूफान लाती है।"

दीक्षा कहती है हमे कैसे मालूम होगा कि ये बच्चा कौन है। सभी सोच रहे होते है, तभी दक्षांश आकर कहता है, मॉम, बड़ी मॉम, छोटी माँ,मासी आप सब अभी यहाँ क्या कर रहे है।

दक्षांश कों देख कनक जल्दी से सबकुछ अपने आँचल मे छिपा लेती है और कहती है, ऐसा तो कुछ नहीं कर रहे है। फिर दीक्षा कहती है, आईये हमारे पास।

दक्षांश दीक्षा के पास आता है। दीक्षा उसके माथे कों चूमती हुई कहती है, क्या बात है बेटू!!

दक्षांश कहता है," मॉम मुझे आप सभी से शिकयात है।" दीक्षा के साथ चारों कहती है, ऐसा क्या हुआ हमारे बच्चे कों !! क्या हमने कोई गलती कर दी !!"

दक्षांश कहता है, " मॉम !!  इतने बड़े घर मे इतने लोगों है। जीनके बिच सिर्फ मै अकेला बच्चा हूँ। सब मुझसे प्यार करते है क्योंकि मै सबसे छोटा हूँ। मै भी सबसे प्यार करता हूँ, " लेकिन मै भी चाहता हूँ कि मै भी अपने से छोटे कों प्यार करुं।

मेरी पांच पांच माँ है लेकिन भाई बहन एक भी नहीं है।क्यों मॉम !! मै अकेला ही इधर से उधर करता हूँ। नहीं तो सभी बुआ और चाचू के साथ ही खेलता हूँ।

आज बरखा काकी कि दोनों बेटियों कों मैंने बगीचे मे देखा। दोनों मुझे इतनी प्यारी लगी कि उन्हें मैंने अपनी बहन बना लिया। आप सब मुझे छोटे भाई बहन क्यों नहीं देते। मै कब तक अकेला रहुँगा। आप सबको मेरा अकेलपन नहीं देखा जाता। "

ये सुनकर सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगती है । दीक्षा कहती है बस इतनी सी बात !! उसकी बातें सुनकर सभी अपनी आँखे बड़ी कर उसे देखती है। दीक्षा सबको नजर अंदाज करती हुई कहती है, " ठीक है !! फिर हम ऐसा करते है, " कि आपकी इस परेशानी के बारे मे, सब मिलकर सोचते है और आपकी इस परेशानी का उपाय ढूढ़ते है। "

पक्का मॉम !!वादा!!दक्षांश अपना हाथ आगे कर देता है। दीक्षा उन चारों कों आँखे दिखा कुछ इशारा करती है, तभी पांचो उसके हाथ पर अपना हाथ रखती हुई कहती है, " आपकी पांचो माँ का आपसे वादा है कि अब आप अकेले नहीं रहेंगे। बहुत जल्दी आपके भी छोटे भई -बहन होंगे "!!!

दक्षांश ख़ुश होकर सबके गालों कों किश करते हुए कहता है, थैंक्यू मॉम, बड़ी मॉम, छोटी मॉम, मासी मम्मा, स्वीट मासी कहते हुए निचे भाग जाता है।

पांचो उसे देख खिलखिला कर हँस देती है।

दीक्षा कहती है, वादा किया है तो अपना अपना नंबर लगाओ। उसकी बातें सुनकर सब उस पर चढ़ कर उसे पीटने लगती है और कहती है, हम नंबर लगाये और तुम क्या करोगी!!!!

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क्लब मे विराज अपने पीछे बैठे शख्स कि आवाज़ सुनकर कहता है। कही ऐसी जगह चले जहाँ कोई भीड़ ना हो। वो शख्स कहता है तुम आगे चलो। हम पार्वती मेन्सन जा रहे है।

विराज कहता है लेकिन कोई देख लेगा !! वो शख्स कहता है, घबराओ नहीं अभी सबकी नजर प्रजापति महल पर है। इसलिये चलो। मै आगे निकल रहा हूँ। ये कहते हुए दक्ष और सयम वहाँ से निकल जाते है।

इधर शुभम और अंकित आकाश कों देख रहे थे लैपटॉप पर ऊँगली चलाते हुए। तभी शुभम के नंबर पर दीक्षा का फोन आता है। दीक्षा का फोन देख एक बार फिर शुभम घबराने लगता है। उसे घबराता देख अंकित कहता है,"संभाल यार खुद कों !! बात कर भाभी से !!"

लेकिन अंकित कहूँगा क्या मै उनको,!!" अंकित कहता है सिर्फ तस्वीरें के बारे मे अभी बताना। डायरी के बारे मे, हम कुछ समय बाद बतायेगे। "

शुभम फोन उठाते हुए कहता है, "जी भाभी माँ!!"उधर से दीक्षा कहती है, शुभम  तुम्हें कुछ वहाँ से मालूम हुआ!! जी भाभी माँ !! कुछ फोटो मिले है। उनकी बेटी के !! ओह्ह्ह अच्छा !! मै तुम्हें एक तस्वीरें भेज रही हूँ, उसके बारे मे पता करके मुझे बताओं !! ठीक है भाभी माँ !!

कुछ देर बाद शुभम के नंबर पर दीक्षा उस बच्चे का फोटो भेज देती है। शुभम और अंकित जबाब उस तस्वीर कों देखते है। उनकी आँखे बड़ी हो जाती है। अंकित कहता है, ये तो वही तस्वीरें है जो हमारे पास है।

सभी अब आकश के काम खत्म होने का इंतजार करते है। सबसे पहले आकाश जानवी कि तस्वीर निकल कर दिखता है। जिसे देख अंकित कहता है, इसका प्रिंट निकाल लो। कल जश्न के बाद पहले इसे ढूढ़ते है। पता नहीं कहाँ और किस हाल मे होगी।

शुभम कहता है, भाभी ने भी इसी बच्चे कि तस्वीरें भेजी है। अब बहुत जरूरी हो. गया है ये पता करना कि ये बच्चा कौन है और इसका हमारे घर से क्या रिश्ता है।

तीनों काम पर लग जाते है।

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सौम्या परेशानी मे बार बार अंकित कों कॉल कर रही थी लेकिन अंकित उसके फोन का जबाब नहीं दे रहा था। अंकिता भी इसलिये परेशान थी। अनामिका दोनों के पास आकर कहती है, ये फोन नहीं उठा रहा है। दोनों उसकी बात सुनकर कहती है, मेरा भी नहीं उठा रहा है।

अंकिता कहती है, आने दो इनकी अक्ल ठिकाने लगाऊंगी।

इधर प्रताप परिवार कहते है, तुलसी जी और राजेंद्र जी से कि हमेशा  आप सभी कों एक जरूरी बात बतानी है। तुलसी जी कहती है तो इसमें इतना संकोच कि क्या जरूत है, विक्रम तुम भी हमारे बेटे कि तरह हो। बताओं बात क्या है !!

पदमा जी कहती है, रानी माँ !! वो आरध्या कि बेटी दीक्षा है। ये सुनकर सभी हैरानी से कहते है, हमारी आरध्या !! विक्रम जी कहते है, हाँ !! लेकिन हमने ये बात अभी दीक्षा कों नहीं बताईये है।

लक्ष्य कहता है, अच्छा किया जो नहीं बताया !! उसका अपने रिस्तेदाओ के साथ अनुभव बहुत करवा रहा है।

तुलसी जी ख़ुश होकर कहती है, तो ये तो. अच्छी बात है। फिर आप सब इतने परेशान क्यों. हो रहे है। पदमा कहती है, रानी माँ !! हमे डर है कि क्या दीक्षा हमे अपनायेगी।

पदमा कि बात सुनकर सुमन जी कहती है, "पदमा !! दीक्षा बहुत सुलझी हुई लड़की है। वो बातों कों समझती है और उस मे सयमता बहुत है.। हमे उम्मीद है कि वो आप सभी कि भावनाओं कों चोट नहीं पहुंचाएगी।

निशा जी कहती है, चलो फिर तो अब रिस्तेदारी हो गयी। कल के जश्न मे ये ख़ुशी हम सभी से बाटेंगे। मुकुल जी कहते है, अरे आराम से पत्नी देवी। पहले बच्चों से बात कर लेगे उसके बाद।

लक्ष्य कहता है, वैसे अभी तक दक्ष नहीं आया है और ये पृथ्वी सब भी गायब है। राजेंद्र जी कहते है, कही गए होंगे !! सुमन जी कहती है, आज इस ख़ुशी मे, हम सबकी पसंद का खाना बनवाते है। उनके साथ साथ पदमा, निशा, अर्चना, और सुकन्या जी भी उठ जाती है और कहती है, चलिए आज सभी बच्चों कि पसंद का कुछ बनाते है। तुलसी जी कहती है, हम अपने लाडेसर कि पसंद का बनायेगे। हम भी आते है।

राजेंद्र जी उनको जाते देख कहते है, तो रानी सा !! बाहर मे एक कप सबके लिए चाय और कुछ मठरी का इंतजाम करके भिजवा दीजिये। हम सब बाहर जाते है, क्यों भई !! हरीशचंद्र !!

हरीशचंद्र जी कहते है, हाँ चलो राजेंद्र !! बहुत बातें भी करनी है। सालों बीत गए ऐसे बैठे हुए। लक्ष्य अपने ग्रुप के साथ कहता है, विक्रम चलो जरा बाहर घूम आये। बहुत दिन हो गए नुकड़ कि चाय पिए हुए। विक्रम कहता है, हाँ चलो !! वक़्त बीत गया ये चिज छूटे हुए। कुछ याद ताज़ा हो जाएगी।

सभी अपनी अपनी जोड़ी दार के साथ अपनी पसंद कि चीजे करने लगे।

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कुछ देर बाद पार्वती विला मे, पृथ्वी, रौनक, अनीश और अतुल पहुंचते है। उनको दक्ष ने बुलाया था। कुछ देर बाद दक्ष और सयम भी पहुंचते है।

सयम कों देख चारों उसके गले मिलते है। पृथ्वी कहता है, अचानक हमे क्यों बुलाया दक्ष !! तब तक. पीछे से ओमकार और विराज अंदर आते है। उन्हें देख पृथ्वी और अतुल. गुस्से मे उनको देख कुछ कहते। उससे पहले दक्ष कहता है, कुछ भी प्रतिक्रिया करने से पहले बात सुन लेना जरूरी होता है। हम कोई बच्चे नहीं है। अगर वो. घर के अंदर आये है तो बिना मेरी इज्जाजत के तो नहीं आएंगे।

सभी शांत हो जाते है।दक्ष कहता है, स्टडी रूम मे चलो।सभी स्टडी रूम मे आते है। वहाँ शुभम, अंकित और आकाश कों देख सबकी आँखे छोटी हो जाती है।

दक्ष जैसे ही तीनों कों देखता है, "तुम तीनों यहाँ क्या कर रहे हो।"दक्ष के सवाल सुनकर तीनों एक दूसरे कों हाथ मारते है। तब तक दक्ष उनके पास आ जाता है। तीनों अपने पीछे लैपटॉप छिपाने की कोशिश करते हुए कहते है,"वो भाई सा!! हम यहाँ कुछ काम के लिए आये थे।"

पृथ्वी कहता है, अच्छा फिर छिपा क्या रहे हो तुम सब!! इस बार अंकित कहता है, हमारा एक दोस्त है उसकी किसी दोस्त की बचपन की तस्बीर कों ऐज ब्लोमिंग कर के देख रहे थे की इस समय वो कैसा दिख रहा होगा। लेकिन अभी आप सब  शायद जरूरी मीटिंग कर रहे तो हम. जाते है। फिर कभी कर लेगे।

दक्ष कहता है, उसकी कोई जरूरत नहीं है तुम सब बैठो। हम साथ मे बात करेंगे। विराज ने मुझे मेसेज किया था की उसे मुझसे मिलना है और कुछ बातें करनी है। तो मुझसे सबसे बेहतर यही जगह लगी। आओ बैठो विराज और तुम भी ओमकार।

दोनों वहाँ सोफे पर बैठ जाते है। सब सब विराज की तरफ देखते है। विराज बोलना शुरु करता है और कहता है, "बातों कों ज्यादा नहीं घुमाऊंगा। सीधी बात करुँगा। मै अपनी पिछली गलती के लिए आप सभी से माफ़ी मांगता हूँ। मुझे नहीं मालूम था की अतीत मे मेरा परिवार ने इतना घटिया काम किया होगा। मै अपनी पहचान तो नहीं बदल सकता की मै भुजंग राठौर का बेटा हूँ लेकिन मै उनकी तरह इतनी गंदी हरकत नहीं कर सकता।

मै यहाँ आप सभी कों ये कहना चाहता हूँ की मै अपने पिता कों और उनके साथियो कों समझा नहीं सकता और ना ही उन्हें रोक सकता हूँ की वो आप लोगों के ऊपर कुछ करे।

मै खुद कों बहुत असहाय और गंदा समझ रहा हूँ, जबाब से उनकी हरकत का हमे मालूम चला है।

विराज की बात सुनकर अतुल कहता है, ऐसा क्या मालूम चला है जो राक्षस साधु बन गया। विराज मुस्कुराते हुए कहता है, अगर किसी कों पहली नजर मे पसंद कर लेना मुझे राक्षस बनाता है तो मै हूँ राक्षस। रही बात ऐसा क्या हो गया है तो काश मै बता सकता की ऐसा क्या हुआ।

मुझे उम्मीद है ये सच आप सब तक जरूर पहुँचेगीं, लेकिन मै चाहता हूँ की मै नहीं बताऊ, वो सच, क्योंकि मुझ मे इतनी हिम्मत नहीं है। वो सच सुनकर ही ये राक्षस साधु बन गया। बस इतना चाहता हूँ की इनका राजभिषेक शांति से हो जाये। तब आप सभी कों सच मालूम हो।

मै चाहता हूँ, ये कहते हुए उसकी आखों मे बेहिसाब गुस्सा और नफ़रत था, जो सभी देख रहे होते है। विराज कहता है," जिस दिन आप सबके सामने सच आये। आप उनलोगों कों ऐसी मौत देना की उनकी रूह कांप उठे। कहते हुए रोने लगता है। "

उसे यू रोता देख दक्ष उठ कर उसके पास आता है और उसे पानी देता है। विराज दक्ष कों देख उसकी कमर पकड़ लेता है और जोर जोर से रोते हुए कहता है, मत छोड़ना उन घटिया लोगों। मत छोड़ना। मार डालना उन लोगों कों।

उसे इस तरह रोते देख ओमकार उसकी पीठ पर हाथ रख देता है। सभी हैरत भरी नजर से विराज कों देखते है। दक्ष उसके पीठ सहलाते हुए कहता है, "मुझे नहीं मालूम की किस सच ने तुम्हें इस कदर तोड़ दिया की तुम अपने दुश्मन कों पकड़ कर इस कदर रो रहे हो। जहाँ तक मै तुम्हें जानता हूँ। तुम बेहद गंभीर और मजबूत इंसान, बिल्कुल मेरी टककर के, लेकिन इस तरह से बिखरना तुम्हारा !! मुझे भी परेशान कर रहा है की ऐसा कौन सा सच है !! जो मेरे दुश्मन कों भी बदलने की ताकत रखता है। शांत हो जाओ विराज !!

फिर सभी उसे कहते है, हम समझ रहे है, तुम्हारी तकलीफ कों !! शांत हो जाओ !!विराज रोते हुए कहता है, मै क्यों उस गंदे खुन की पैदाइश हूँ,!! मुझे खुद से घिन आती है !!"

ओमकार कहता है, " जब मैंने ये सुना तो मेरी भी रूह कांप गयी। बहुत सोचा फिर इस नतीजे पर पंहुचा की दीक्षा मिली तो मुझसे पहले थी। मै उसकी जिंदगी तुमसे पहले आया था। हल्का हँसते हुए कहता है, हमारी तो शादी भी तय हो. चुकी थी। अगर उसे मेरी होना होता तो वो तुम्हारी कभी नहीं होती। तुम तो उसके जिंदगी मे, मेरे बाद आये थे। लेकिन वो तुम्हारी थी इसलिए मेरे बाद भी वो तुम्हारी ही हुई।

बस ये सब सोच कर मैंने खुद कों समझा लिया की वो मेरी कभी थी ही नहीं। रही बात तुम्हारे पास आने की तो मै ये नहीं कहूँगा की, मै तुम्हारा दोस्त हूँ लेकिन इतना जरूर कहूँगा की तुम्हारा दुश्मन भी नहीं हूँ। मै बस चाहता हूँ की तुम्हारा राज्यभिषेक तक यहाँ रहु और तुम्हारे और तुम्हारे परिवार की रक्षा मे कुछ सहयोग कर सकूँ। वैसे तुम सब खुद मे ही बहुत सक्षम हो लेकिन समझ लो ये मेरे प्रायश्चित करने का तरीका है। बाक़ी जो तुम्हारा निर्णय होगा हमे मंजूर होगा।

तब तक विराज खुद कों संभाल चुका था। लेकिन उसे दक्ष के करीब सुकून मिल रहा था इसलिये उसे छोड़ता नहीं है।

उन्दोनो की बातें सुनकर शुभम, अंकित और आकाश एक दूसरे कों देखते है। आकाश कहता है, मुझे ऐसा क्यों. लग रहा है की ये दोनों भी वो सच जानते है। जो आज हमे मालूम हुई है। शुभम कहता है, उस हादसा ने जब इन दोनों कों इस कदर तोड़ा है तो सोचा है की भाई कों कैसे तोड़ देगी। अंकित कहता है, डर तो. इसी बात है, इसलिये पहले भाभी कों बताना जरूरी है।

सभी आपस मे उलझें हुए थे। अतुल विराज के पास आकर कहता है, हमें तुम दोनों पर पूरा भरोसा की तुम दोनों ने अभी जीतनी बातें की वो सब सच और पुरे दिल से की है। लेकिन ऐसा कौन सा सच है, जिसने तुम दोनों कों इस तरह से परेशान कर दिया है। तुम हमे वो सच क्यों नहीं बता देते।

अतुल की बातें सुनकर पृथ्वी, अनीश, और रौनक भी उसे यही बात कहते है। दक्ष धीरे से विराज कों खुद से अलग करते हुए कहता है, अब तुम ठीक हो !! विराज सर हिला कर हाँ मे जबाब देता है।

विराज कहता है, सच बताने की हिम्मत नहीं है मुझमे,!! मै नहीं बता सकता। दक्ष कहता है कोई बात नहीं हम खुद मालूम कर लेगे आखिरी ऐसा क्या सच है जो तुम सबको इस कदर तोड़ रहा है।

तभी पीछे से प्रिंट की आवाज़ आती है। तो सभी का ध्यान उधर चला जाता है। शुभम, अंकित और आकाश तीनों पीछे मुड़ कर देखते है तो. जिस बच्चे की तस्वीर दीक्षा ने भेजी थी। उसकी पिक्चर प्रिंट होकर बाहर आ गयी थी। तीनों अपनी घबराहट छिपाते हुए, जल्दी से वो पेपर उठा कर कहते है, "कुछ नहीं है !! बस !!"

उनकी घबराहट देख अनीश उनके पास आता है और उनके हाथ से पेपर लेते हुए कहता है, तुम तीनों भूल गए की मै एक वकील हूँ, जो सच, झूठ और घबराहट कों पहचान जाता है।जबाब से आया हूँ तब से देख रहा हूँ। तुम तीनों झूठ बोले जा रहे हो और हमसे कुछ छीपाये जा रहे हो।

पृथ्वी कहता है, जरा देखो तो कौन है इस तस्वीरे मे, जिसे ये तीनों हम सभी से छिपा रहे है।