Chereads / Heartless king / Chapter 29 - Ch-29

Chapter 29 - Ch-29

दीक्षा जबाब संयम और दक्ष की बात सुनती है तो कहती है, "हाँ!! आप ठीक कह रहे है !! शायद मै अचानक इन चीजों कों समझती तो जरूरत से ज्यादा रिएक्शन दिखा देती है। क्योंकि मुझे अपने जन्म से जुड़े किसी रिश्ते मे कोई भरोसा नहीं था।"

उसकी बातें सुनकर संयम उदास होते हुए कहता है, अगर आप चाहती है की हम सभी आपसे दूर रहे तो हम आपकी ख़ुशी के लिए ये भी करेंगे। हमारे लिए इतना काफ़ी है की हमारे दोनों भाई बहन सकुशल और अच्छे है। अब हमे आज्ञा दीजिये कहते हुए जाने लगते है।

तभी दीक्षा संयम के हाथों कों पकड़ लेती है और कहती है, " इतने सालों बाद हमे बड़ा भाई मिला है। जिसके कंधे पर हम सर रख कर अपनी परेशानियाँ कह सकते है। हम अपनी जिद मनवा सकते है। हम भी छोटे बन कर उनसे लाड लड़ा सकते है। तो अब आप हमसे पीछा छुड़ा रहे है ताकि आप परेशानियों से बच जाये। "

संयम उसे गले लगाते हुए कहता है, नहीं !! नहीं  हम कभी अपनी छोटी बहन की परेशानियों से पीछा नहीं छुड़ा सकते। बल्कि अब हम उनकी जिंदगी मे कोई परेशानी आने नहीं देंगे।

दीक्षा कहती है, हम भी थक गए है भाई !! बड़ी होने की जिम्मेदारी निभाते निभाते। अब हम भी चाहते है की कोई हमारी भी फ़िक्र करे और हमारी सारी परेशानियों कों चुटकीयों मे हल कर दे।

ये सुनकर दक्ष कहता है, तो क्या हमारे रहते हुए भी हमारी महरानी सा परेशान होती है। दीक्षा संयम से अलग होकर दक्ष से कहती है, "आप इतने जेल्स कैसे हो सकते है दक्ष ये तो भाई बहन की परेशानी की मै बात कर रही थी।

तभी शुभ और पृथ्वी कहते है, फिर अब तो कोई दिक्कत नहीं है ना आपको अपने ननिहाल से। दीक्षा मुस्कुराते हुए कहती है," नहीं !!बल्कि हम बहुत खुश।"

ये सुनकर रितिका और कनक कहती है, संयम भाई !! हमारे घर मे हर चिज बराबर बांटी जाती है। संयम कहता है, मै कुछ समझा नहीं।

=================

वृंदा के नजर मे सवाल देख कर विराज कहता है, चाहो तो पूछ सकती हो फोन करके। वृंदा, विराज से पूछती है, आप है कौन ?

विराज वृंदा से कहता है, " अगर तुम्हें अपने सवालों का जवाब चाहिए तो पहले मेरे सवालों के जवाब दो। यह सुनकर वृंदा कहती है कहिये आपको क्या पूछना है? विराज कहता है तुम्हारे सोने से पहले,  मैंने तुमसे कुछ बातें की थी क्या तुम ने सुनी थी?

वृंदा कहती है आपने जो बातें कही थी वह मैंने सुनी थी लेकिन अचानक से मैं आपको कैसे हां कह दूं मैं आपको जानती तक नहीं? विराज कहते अगर तुम मुझे जान लोगी तो मुझे हां कहोगी। वृंदा कहती है यह तो इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी पहचान कैसी है। विराज उसे बताता है कि आज ही उसे पता चला कि वह  प्रजापति खानदान का पोता है।

यह सुनकर वृंदा हैरानी से उसे देखती है और कहती है क्या मतलब आपका? विराज कहता है ज्यादा बातें अभी नहीं कर सकता वह समय के साथ तुम्हें खुद पता चल जाएगा लेकिन यकीन करो मैं बुरा इंसान नहीं हूं। वृंदा कहती है जानती हूं कि आप बुरे नहीं है और इसमें मैं आप से कोई शिकायत नहीं कर रही। बस मुझे कुछ वक्त चाहिए। विराज कहता है ठीक है फिर चलो कुछ खा लो। वृंदा कहती है लेकिन यहां। विराज कहता है मुझे ज्यादा कुछ बनाने नहीं आता इसलिए मैंने नूडल्स बना कर रखे हैं चलो कुछ खा लो फिर सो जाओ। वृंदा के साथ बाहर आं जाती है  और दोनों साथ में के नूडल्स खाते हैं।

==================

इधर संयम बहुत हैरानी से रितिका और कनक की बातें सुन रहा था। संयम कहता है मैं कुछ समझा नहीं। तब जाकर शुभ कहती है, "  जैसे आपको यहां एक बहन नहीं मिलेगी संयम भाई। यहां आपको दीक्षा के साथ हम सभी बहने मिलेंगे वह भी मुफ्त में।आप अकेले दीक्षा के भाई नहीं हैं आप हम सबके भाई रहेंगे और हम आपकी छोटी बहन।

यह सुनकर संयम अपनी दोनों बाहें फैला देता है, " सभी लड़कियां आकर उससे लिपट जाती है। संयम कहता है इससे ज्यादा खुशनसीब दुनिया में कोई भाई नहीं होगा जिसकी इतनी सारी बहने हैं। अब राखी के दिन मेरे कलाई पर एक राखी नहीं बहुत सारी राखियां बांधी होंगी। तूलिका कहती है और सारी बहनों की दुआओं से आपकी उम्र हमेशा लंबी रहेगी।सभी मुस्कुरा देते है।

पृथ्वी और अनीश कहते हैं जब बहने मिल गई तो हमें भी साले साला मिल गया तो हमें बहनोई मान लो तुम। यह सुनते हुए अतुल हंस देता है और सभी मुस्कुरा देते हैं। जब कुछ देर तभी बैठते हैं तो दीक्षा पूछती है, " दक्ष से कि आप कुछ बताने वाले थे । दक्ष कहता है, "  हम  कुछ बताये उससे पहले यह बताइए कि आपको कैसे पता चला कि आप माधवगढ़ की राजकुमारी की बेटी है? दीक्षा कहती है हम और तूलिका गए थे नीचे। वहां हमें पुरानी एल्बम और पार्वती मां की डायरी मिली। एल्बम देखकर हमें समझ में आया क्योंकि उसमें पार्वती मां के साथ हमारी मां की भी तस्वीरें थी साथ में पापा की भी तस्वीरें थी और आपके पापा की भी तस्वीरें थी? यह कहना गलत नहीं होगा कि अभी जितनी भी है लोग है, दोस्त और दुश्मन, सभी एक दूसरे को जानते थे इन्हीं मे दाता हुकुम भी एक है ।

यह सुनकर दक्ष कहता है हां हम यह जानते हैं। दीक्षा कहती है फिर उसमें हमें एक पार्वती मां और हर्षिता मां के साथ एक बच्चे की तस्वीर देखी। वह तस्वीर हमने शुभम को भेजी और पता करने के लिए कहा कि यह तस्वीर किसकी है। दक्ष कहता है आप जानती हैं वह तस्वीर किसकी है। सभी एक साथ सर ना में हिलाते हुए कहती हैं कि हमें नहीं पता। दक्ष कहता है वह हमारे हार्दिक के बड़े भाई की तस्वीर है और हमारे छोटे भाई की तस्वीर है ।

यह सुनकर सभी आंखें बड़ी करती हुई कहती है लेकिन हमें तो नहीं पता था कि आपका कोई और भी भाई है या हार्दिक का कोई और भाई है। दक्ष कहता है यह बात पुरानी हो गई थी क्योंकि जब मां बाबा? हमारे भाई को लेके आ रहे थे उसी वक्त उनका एक्सीडेंट हो गया तो दादी सा ने इस बात को ही दबा दिया ताकि बात ज्यादा ना बढे और सवाल-जवाब ज्यादा नहीं हो।

दीक्षा कहती है तो क्या आपको मालूम चला कि वह कौन है? दक्ष उसके कंधे पर हाथ रखकर कहता है, " अभी जो मैं बताऊंगा उसको ध्यान से सुनिए गा और फिर कुछ और निर्णय लीजिएगा। दीक्षा कहती है हां हम सुन रहे हैं। दक्ष कहता है, " हमारे पास ओंकार और विराज आज आये थे। यह सुनकर दीक्षा कहती है वह दोनों क्यों आए थे? दक्ष दीक्षा को वह सब कुछ बताता है जो विराज और ओमकार के साथ उनकी बातें हुई थी।

दीक्षा दक्ष की बातें सुनकर कहती है हमें शक था उसी दिन जिस दिन हमने लक्षिता बुआ हुए चेहरे का भाव बदलते देखा था। ऐसा जरूर कुछ हुआ है जो  हमारी दुनिया कों हिलाने हिला कर रख सकता है। दक्ष कहता है हम भी मानते हैं और यह हम भी जानते हैं कि शुभम, अंकित, आकाश, विराज और ओमकार को यह सारी बातें पता है।

लेकिन पता नहीं क्यों यह सभी के सभी हमें कुछ नहीं बता रहे हैं? जिसे सुनकर दीक्षा,शुभम, अंकित और आकाश को देखती हैं तीनों अपना सर झुका लेते हैं। दीक्षा कहती है आपने पूछा इनसे। दक्ष अपना सर ना मे हिलाता है। दीक्षा कहती है जब आपने नहीं पूछा तो जरूर कोई बात होगी। तो हम भी इनसे नहीं पूछेंगे इनकी जब मर्जी होगी तब हमें बताएंगे वैसे तो हम पता लगा ही लेंगे की बात किया था।

दक्ष  कहता है, अब हम आप कों जो  बताने वाले हैं वह सुनिये । साथ मे खड़ी सभी लड़कियों कों देख कर कहता है ओरप सब भी सुनिये, " लेकिन ध्यान रहे ये बात इतने लोगों से आगे नहीं जानी चाहिए।

दक्ष एक गहरी सांस लेते हुए दीक्षा से कहता है। वह लड़का जो मां के और छोटी मां की गोद में था वह कोई और नहीं विराज है।

कुछ देर के लिए सभी के बीच में सन्नाटा हो जाता है और खामोशी से दक्ष की बातों को सभी समझने की कोशिश करती हैं,'  फिर तूलिका को जब बर्दाश्त नहीं होता है तो वह फिर से दक्ष से पूछती है, "  क्या कहा आपने जीजू की विराज राठौड़ आपका भाई है।

दक्ष कहता है यही सच है तूलिका,'  दीक्षा कहती है आप ये कैसे कह सकते है दक्ष, हो सकता है ये उनकी चाल हो ? फिर दक्ष अंकित की तरफ देखता है।  अंकित वह फोटो सभी दिखाता है जो उन लोगों ने निकाला था।सभी तस्वीर देख रही होती है।

दक्ष कहता है अगर आपको शक है तो हम डीएनए टेस्ट करवा लेंगे लेकिन हमें यकीन है कि विराज हमारा भाई क्योंकि उसके आंसू, आँखे सब चीख चीख कर कह रही थी की वो हमारा भाई है । पृथ्वी के साथ सभी कहते है, " हाँ हमे भी यकीन है की विराज हमारा भाई है और वो कोई चाल नहीं चल रहे है।

यह सुनकर दीक्षा मुस्कुराते हुए कहती है अगर आपको यकीन है तो हमें भी यकीन है। तभी अंकित करता है कि जब आपको इतना कुछ पता चल गया तो एक बात और जान लीजिये भाभी, " जब हम गए थे लखीपुर गांव तो नरेंद्र काका की बेटी के बारे में पता चला था। फिर वो तस्वीर दिखाते हुए कहता है, अब वह ऐसी दिखती है और जब हमने यह तस्वीर दक्ष भाई साहब को दिखाया तो उस तस्वीर कों देख संयम भाई ने कहा कि, " यह लड़की इनके साथ काम करती है।"

दक्ष कहता है, " हां!! दीक्षा और इनका  नाम जानवी शर्मा है जो संयम के साथ काम करती है और हमने संयम से कहा है कि कल उसे पार्टी मे यहां बुला ले। दीक्षा कहती आपको नहीं लगता सारी गिरह खुलते जा रहे हैं। दक्ष कहता है खुलते तो जा रहे हैं, "  स्वीट्स!!  लेकिन बात यह है कि जब पूरी गिरह खुलेगी तो पता नहीं क्या होगा? यह बात दक्ष के बोलते ही शुभम अंकित और आकाश के चेहरे पर शिकन आ जाती है जो दीक्षा देख लेती।

दीक्षा कहती है अच्छा छोड़िए इन सब बातों को रात काफी गहरी हो गई है तो चलिए सो जाते हैं कल जश्न है तो कल के बाद देखें। दक्ष कहता है कल विराज और ओमकार भी आ रहा है। दीक्षा कहती है आप फिकर मत कीजिए। अगर सामने वाला बदलने को तैयार है तो हम क्यों नहीं? दक्ष मुस्कुराते हुए कहता है इसीलिए आप हमारी महारानी का।

संयम कहता है क्या मैं दादू और पापा को बता दूं? दीक्षा कहती है यह बात अभी जितनी छिपी रहेगी उतना ही हम सबके लिए अच्छा होगा। संयम कहता है मैं कुछ समझा नहीं। दीक्षा कहती है अगर किसी को पता चल गया कि हम माधवगढ़ की राजकुमारी है। यकीन मानिए दुश्मनों की संख्या और बढ़ जाएगी। संयम केहता है बात  आपकी ठीक है। लेकिन जब इतनी सारी बातें हो रही हैं तो हमें कुछ और बातें बतानी है। इस समय संयम की बातें सुनकर फिर सब जगह शांति हो जाती है सभी चुप हो जाते हैं। दीक्षा कहती है कोई गंभीर बात है भाई।

संयम कहता है हम जब अपनी बुआ को ढूंढ रहे थे तब हमें उन्हें ढूंढने के दौरान यह पता चला कि बुआ और फूफा जी का एक्सीडेंट किया नहीं गया था करवाया गया। उन्हें कुछ ऐसा पता चला था जो दुश्मन नहीं चाहते थे कि वह किसी को बताए और वह कानपुर से राजस्थान आने के लिए तैयार थे। तभी अतुल कहता है राजस्थान क्यों आ रहे थे? संयम कहता है यह हमें नहीं पता कि वह क्यों आ रहे थे लेकिन यह हमें पता है कि वह जब राजस्थान आ रहे थे तभी उनके गाड़ी का एक्सीडेंट किया करवाया गया?

यह सुनकर दीक्षा की आंखों में नमी आ जाती है। दक्ष के कंधे पर हाथ रखता है तो दीक्षा कहती है क्यों? क्यों दक्ष? आखिर हमारे माता-पिता के साथ यह सब क्यों हुआ? दक्ष कहता है कुछ लोगों की कुछ दिनों की लालच ने। हम दोनों को अनाथ कर दिया। लेकिन आप फिकर मत कीजिए। हम दोनों अपने माता-पिता के मौत का बदला जरूर लेंगे। दीक्षा कहती है ठीक है।अब चलिए रात बहुत हो गयी है। सभी अपने अपने कमरे में चले जाते हैं।

पृथ्वी जब सबके साथ कमरे में आता है, तो शुभ उससे लिपटती हुई कहती है, " आपको क्या लगता है हुकुम सा!! ऐसा क्या छुपा रहे हैं शुभम? पृथ्वी कहता है, "  अगर आपको यकीन हो तो मुझे भी डर लग रहा है कि कहीं कुछ ऐसा तो नहीं हुआ है जो हमें बर्दाश्त ना हो। क्योंकि आज शुभम कहो, विराज कहो,अंकित कहो या आकाश को कहो !! यह जो इतने मजबूत शख्स है,  इतने मजबूत किरदार के इंसान हैं। जिन्हें कोई नहीं तोड़ सकता आज इन सबको मैंने टूटते हुए देखा है।

सबकी जुबान पर सिर्फ एक ही बात थी कि अगर यह बात अभी खुली तो दक्ष बर्दाश्त नहीं कर पाएगा। सच कहूं तो  मुझे अब डर लग रहा है। शुभ कहती है मैं समझी नहीं हुकुम सा !!  पृथ्वी कहता है, " पता नहीं क्यों मुझे अब अतीत के खुलने से डर लग रहा है पता नहीं अतीत में ऐसा क्या है जो क्या लेकर आएगा? शुभ कहती है अतीत में जो भी है चाहे सच या झूठ जब भी सामने आएगा हम सब साथ रहेंगे तो सब कुछ संभाल ले। पृथ्वी कहता है हां उम्मीद तो यही है। फिर दोनों एक दूसरे के बाहों में आकर सो जाते हैं।

इधर अनीश भी परेशान होता है। रितिका कहती है क्या बात है? अनीश कहता है। आज बिराज और शुभम की हालत देखकर मुझे डर लग रहा है। रितिका कहती है ऐसी क्या बात है वकील साहब? अनीस उसे बताता है कि कैसे शुभम विराज बिलख बिलख कर रो रहे थे? यह सुनकर रितिका कहती है हो ना हो अतीत में कुछ ऐसा हुआ है जो हर किसी को चोट पहुंचाने वाला। अनीश कहता है सब का तो मुझे पता नहीं लेकिन हां उन दोनों के साथ ओमकार अंकित और आकाश भी डरते हुए कह रहे थे कि अगर दक्ष कों पता चला तो पता नहीं क्या होगा? रितिका कहती है इसका मतलब है कुछ ऐसा है जो दक्ष के साथ-साथ कोई बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। अनीश कहता है हां। रितिका कहती है, " अच्छा इसे वक्त पर छोड़ दीजिए अभी चलिए सो जाइए कल जश्न है बहुत रात हो गई।

अतुल और तूलिका एक साथ कमरे में आते हैं। तूलिका अतुल के बाहों में होती है और कहती है आज मैं बहुत खुश हूं कि दीक्षा को उसका परिवार मिल गया। अतुल कहता है दीक्षा के साथ दक्ष को भी उसका परिवार मिल गया लेकिन आज जो भी कुछ हुआ और कहा, " विराज और शुभम ने !! उनकी हालत देख कर मुझे भी  डर लग रहा है कि ऐसा क्या हुआ होगा अतीत  में?

तूलिका कहती है क्यों ऐसा क्या हो गया? अतुल उसे सब कुछ बताता है। यह सुनकर तूलिका कहती है कहीं। यह कहते हुए उसके होंठ कांप रहे थे। अतुल उसके होठों पर उंगली करके कहता है शांत हो जाओ हम बाद में इस बारे में सोचते हैं चलो अभी सो जा। तूलिका को भी उसकी बात ठीक लगती है और दोनों जाकर सो जाते हैं।

दीक्षा और दक्ष जब अपने कमरे में आते हैं। दक्ष को परेशान देख दीक्षा कहती है कि आप यह सोच कर परेशान है कि ऐसा क्या छुपा है अतीत में? दक्ष कहता है हां और इस बात से खुश हूं कि मेरे अपने चाहने वाले इस बात का बिल्कुल ख्याल रखते हैं कि कहीं कुछ ऐसा ना हो जिससे मुझे दुख पहुंचे। दीक्षा हंसते हुए कहती है तो फिर परेशानी किस बात की अतीत चाहे जितना भी करवा क्यों ना हो हम हैं ना उसे संभालने के लिए? दक्ष कहता है दुआ कीजिए स्वीटस की अतीत सिर्फ कड़वा हो, दर्द से भरा ना हो।

यह सुनकर दीक्षा की आंखें बंद हो जाती है और वह अपने मन में कहती है पता नहीं क्यों मुझे लगता है अतीत दर्द और कड़वाहट दोनों से भरा हुआ? लेकिन फिर वह खुद को संभालते हुए दक्ष के माथे को चूमती है और कहती है, " आज बहुत रात हो गई आपका बेटा भी आपका इंतजार कर  के सो चुका है। तो चलिए सो जाइए कल बात करते हैं। दक्ष उसकी बात मान के उसे बाहों में भर कर सो जाता है।

आज प्रजापति महल पूरी दुल्हनों की तरह सजाया गया था क्योंकि आज जशन था उनके घर के चौथे वारिस का!!  तुलसी जी आज बहुत व्यस्त थी और वह बार-बार कह रही थी की एक भी कमी नहीं होना चाहिए भी सारा चीज सब ध्यान से रखना। राजेंद्र जी उनकी चहल कदमी देखकर कहते हैं,  अरे रानी सा आराम कीजिए सारी तैयारियां हो चुकी है। यह सुनकर तुलसी जी कहती है कैसे आराम कर ले हमारे परपोते का जश्न है आज?

सभी घर के सदस्य आज व्यस्त थे। लक्ष्य कहते है, पता नहीं दक्षांश के बड़े पापा और बड़ी माँ सब आज कहाँ है ? सुमन जी कहती है, रात कों सभी देर से आये थे इसलिये,!! आं जायेगे। तभी सभी पीछे से आवाज़ देते है, आं जायेगे नहीं. आ गए। सभी को देख कर लक्ष्य कहते है लेकिन दक्ष कहाँ है !!

ये सुनकर सभी एक पल के लिए चुप हो जाते है फिर अनीश कहता है वो भी आं रहा होगा। सभी फिर काम देखने लगते है।

दक्ष अपने कमरे में दीक्षा को देख रहा होता है। दीक्षा आईने में तैयार हो हुई दक्ष को देख कर कहती है, "क्या आज आपको ऐसे ही बैठे रहना है आज घर में जश्ने और आप यूं ही बैठे हुए हैं। दक्ष उसकी बात सुनकर उठ कर खड़ा हो जाता है और उसके पास आकर उसके मांग मे सिंदूर लगाते हुए कहता है,"  आज हम चाहते हैं कि आप लाल रंग की बनारसी साड़ी पहने।" दीक्षा कहती है, "  ठीक है, लेकिन ये कहने के लिए तो आप नहीं रुके है बताईये क्या बात है ? दक्ष उसके माथे कों चूम कर कहता है, बात ये है की आज हम बहुत ख़ुश है इसलिये आपको निहार रहे थे। चलिए जल्दी से तैयार हो जाईये । यह कहते हुए दक्ष तैयार होकर नीचे आ जाता है।

दक्ष के जाते ही दीक्षा के चेहरे के भाव बदल जाते हैं। वो भी सोच रही होती है कि ऐसा क्या हुआ है? यह सोचते हुए। वह अपने कमरे में सौम्या, अंकिता और अनामिका को मैसेज कर के बुलाती है। कुछ देर बाद वह तीनों दीक्षा कमरे में आते हैं। सौम्या कहती है भाभी मां आपने हमें क्यों बुलाया? दीक्षा कहती है कि  हम खुद नहीं पूछ सकते हैं शुभम,अंकित और आकाश से की आखिरी क्या छिपा रहे है वो हम सभी से, लेकिन हम चाहते हैं कि आप तीनों इसका पता लगाएंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ था हमारे अतीत में जो वह सब टूट कर बिखर चुके हैं? और यह काम हो आप तीनों को जीतनी जल्दी हो सके करनी होगी. तीनों कहती है ठीक है भाभी मां हम कोशिश करेंगे की जीतनी जल्दी हो सके। हम पता लगाये की आखिरी बात क्या है?दीक्षा मुस्कुराते हुए कहती है, ठीक है फिर आप सब जाईये।

इधर दिव्यांश के कमरे संयम और दक्ष बैठे होते है। वो दोनों उसे सब कुछ बता देते हैं और इंतजार कर रहे होते है, उसकी प्रतिक्रिया की। कुछ देर तक तो वो चुप रहता है फिर कुछ देर बाद, उछलते हुए संयम से लिपट कर, बहुत खुश हो कर कहता है, "  मुझे बड़ा भाई मिल गया तो मुझे कोई शिकायत किसी से नहीं।" उसकी बातें सुनकर दक्ष और संयम सभी मुस्कुरा देते है। जबाब दोनों उसके कमरे से निकल जाते है तो रास्ते मे हार्दिक मिलता है। उसे देख दोनों सोच मे पर जाते है की इसे बताये या नहीं। वो आगे कुछ सोचते उससे पहले  हार्दिक उन के पास आता है और कहता है, "  भाई हम मुझे आपसे कोई जरूरी बात करनी है। दक्ष कहता है बोलो।  हार्दिक उसे बताता है कि वह साक्षी को  पसंद करने लगा है लेकिन उसकी हाँ, उसकी अपनी बड़ी बहन है जानवी शर्मा के हाँ पर टिकी हुई है। इसलिये आज वो चाहता है की उसे आज जश्न मे बुलाया जाय,ताकि वह आप अपने परिवार से सब को मिलवा सके।

उसकी बातें सुनकर दक्ष अपने माथे पर दो ऊँगली रख कर रब करते हुए कहता है, " तुम बुला लो उसे और हम शाम मे मिल लेगे!!" ये कहते हुए दोनों बाहर निकल जाता है। दक्ष, संयम की तरफ देखता है और कहता है, तुम कहीं वही तो नहीं सोच रहे हो जो मै सोच रही हूँ। यह वही जानवी शर्मा तो नहीं।

संयम कहता है, " ये तो हमे शाम कों मालूम हो जायेगा। अभी मैं उसके घर जा रहा हूं?  यह कहते थे वह निकल जाता है।

इधर दक्ष भी सबके बीच आं जाता है।दक्षांश उसके पास आता है और उसकी बगल मे बैठ जाता है। दक्ष उसे देख कर कहता है, " क्या बात है जूनियर !! कुछ कहना है आपको हमसे !!" ये सुनकर दक्षांश, दक्ष की तरफ देखता है और कहता है, "डैड!! आपसे मॉम ने बात की !!" दक्ष पूछता है, नहीं लेकिन बात क्या है !!

दक्षांश थोड़ा उदास हो जाता है। उसे इतना उदास देख कर पृथ्वी, अतुल, अनीश और रौनक एक एक कर उसके आस पास बैठ जाते है। पृथ्वी उसे अपने गोद मे बिठाते हुए कहता है, " क्या हुआ मेरे शेर, आज आपके लिए जश्न है और आप है की उदास है। " फिर दक्ष कहता है, आप बताओं जूनियर क्या बात है।सभी की नजर दक्षांश पर जाती है।

वो कुछ देर चुप रहने के बाद कहता है, " मैंने कल मॉम और सभी माँ से कहा था की इतने बड़े घर और परिवार के बीच मै सिर्फ अकेला बच्चा हूँ और अब मुझे भी छोटे भाई बहन चाहिए। मै भी खुद से छोटे कों प्यार करना चाहता हूँ। "

ये सुनकर सभी मुस्कुरा देते है और एक साथ कहते है, बस इतनी सी बात !! हम जरूर इस बात पर सोचेंगे। दक्षांश कहता है मॉम ने भी यही कहा था। ये सुनकर सभी मुस्कुराते हुए कहते है, फिर क्या !! बस जबाब आपकी मॉम ने कहा है तो बहुत जल्दी आपके छोटे भाई बहन होंगे। अनीश कहता है, अब तो कोई परेशानी नहीं है ना। वह अपने सर हिला कर ना मे जबाब देता है। पृथ्वी उसे गोद से उतार कर कहता है, ठीक है फिर आप जाईये और खेलिए।

कुछ देर बाद संयम जानवी शर्मा के घर के बाहर खड़ा रहता है। संयम दरवाजा नॉक करता है.  जानवी अभी अंदर से नहा कर निकलती है उसके बालों में तौलिया लपेटा हुआ रहता है। जानवी शर्मा देखने में काफी खूबसूरत होती है। दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर वह कहती है आ रही हूं। फिर वह दरवाजा खोलती है। सामने संयम को देखकर उसकी आंखें हैरानी से फैल जाती है और वह कहती है सर आप मेरे यहां।

संयम तो उसे देखते ही एक पल उसकी खूबसूरती में खो जाता है क्योंकि आज तक संयम ने कभी उसे गौर से नहीं देखा था लेकिन आज पहली बार उसे इतनी गौर से देख रहा होता। संयम के कहता है क्या दरवाजे के बाहर ही बात करोगी या अंदर आने दोगी।

ये सुनकर जानवी दरवाजे से हट जाती है और कहती है, आप अंदर आईये। उसका एक कमरे का घर था साधारण लेकिन बहुत साफ सुधरा और सुन्दर लग रहा था। संयम बैठ जाता है। जानवी उससे पूछती है, सर !! आप चाय लेगे या कॉफी,!! संयम कहता है, अभी कुछ नहीं क्योंकि आज मै बहुत जल्दी मे हूँ। लेकिन फिर कभी तुम्हारे हाथ की बनी चाय जरूर पियूँगा। आज शाम कों प्रजापति महल मे जश्न है। उसके लिए मै तुम्हे बुलाने आया हूँ।

जानवी कहती है, लेकिन सर उतने बड़े लोग के बीच मै कैसे? संयम उठ कर खड़ा होता है और कहता है, ये मेरा ऑडर है और तुम्हारे लिए कपड़े कुछ देर आं जायेगे। शाम कों मै खुद आऊंगा तुम्हें लेने। अभी चलता हूँ। संयम कहते हुए निकल जाता है लेकिन जानवी अभी तक सदमे मे खड़ी थी।

शाम का वक़्त पूरा प्रजापति महल जगमगा रहा था। सारे राजस्थान की नजर आज की जश्न पर थी की अब क्या बताना चाहते है प्रजापति। सब तैयार थे। मेहमानों का आना शुरू हो गया था। उनकी स्वागत की तैयारी के लिए लक्ष्य, मुकुल और चेतन और विक्रम जी सभी मुख्य दरवाजे पर थे।

राजेंद्र जी और हरिचंद्र सबसे मिल रहे थे। आज प्रजापति की सभी बहुओं ने अपने अपने पसंद की. बनारसी साड़ी पहन रखी थी।

सभी तैयार थे। बड़े बड़े लोग इस जश्न मे शामिल हो रहे थे। सभी एक एक करके आं रहे थे।धीरे धीरे वो लोग भी आं रहे थे जिन्हें ये जानना था की बात क्या है?इन मेहमानों मे कुछ खास मेहमान भी शामिल हो गए थे।

ज़ब रंजीत, कामिनी अंदर आये तो उनको देख कर लक्ष्य कहता है, क्या बात है बाबा सा !! आप भी मेहमान बन कर शामिल हुए !! उनकी बात का दोनों ने कोई जबाब नहीं दिया। तभी पीछे से भुजंग और उसके साथ साथ कायरा और मायरा भी अंदर है।

भुंजग  लक्ष्य की बात सुनकर कहता है, " क्यों भांजे ऐसी भी क्या बात है जो तुमने ये बात की "!!! वो क्यों मेहमान होंगे। मेहमान तो हमें सब है।" लेकिन तुम क्या इनके बेटे हो !!

कामिनी कहती है, छोड़ो भुजंग, पुत कपूत बन जाये तो कुछ नहीं कहा जाता है। चलो अंदर। भुंजग के पीछे आरहे अलंकार चौहान और उनका बेटा अधीराज चौहान, दाता हुकुम के साथ अंदर आते है। उन सबको देख लक्ष्य की नजर तीखी हो जाती है लेकिन अब वो कुछ नहीं कहता है।

सभी अंदर आं जाते है। अलंकार के साथ साथ मायरा और नायरा कों प्रजापति की आलिशान पार्टी देख आँखे बड़ी हो गयी। मायरा कहती ओह माय गॉड क्या आलिशान पार्टी है। अधिराज कहता है, हाँ लगता नहीं था की ऐसी पार्टी देखने कों मिलेगी।

पृथ्वी, रौनक, अतुल और अनीश सभी मेहमानों से मिल रहे थे। शुभम, अंकित, आकाश और हार्दिक अपनी अपनी वालियों का इंतजार कर रहे होते है।

शुभम जो कब से अंकिता का इंतजार कर रहा होता है। पीछे से आवाज़ आती है, " क्या आप अब यही बसना चाहते है की आपको अपने माता पिता की याद नहीं आती। ये आवाज़ सुनकर शुभम पीछे मुड़ कर देखता है तो लक्षिता अपने पति शमशेर और बेटी लावण्या के साथ खड़े थे।

लावण्या आगे बढ़ कर शुभम के गले मिल कर कहती है, कैसे हो आप भाई !! कितने दिन हो गए मुलाक़ात नहीं हुई आपसे। उसकी बातें सुनकर शुभम कहता है, "बस काम मे उलझा हुआ था। अब तुम कैसी हो? मै बिल्कुल ठीक हूँ।" अनामिका कहाँ है भाई । सभी अंदर है ज़ब कर मिल लो। लावण्या अंदर चली जाती है।कभी तक तो शुभम बिल्कुल सामान्य था लेकिन अगले ही पल उसकी आँखे लाल हो जाती है और वो अपने माँ बाप कों घूरता हुआ वहाँ से चला जाता है।

लक्षिता कहती है, आपने इसकी आँखे देखी। ये हमे किस तरह से देख रहा था। शमशेर कहता है, "ज़ब बेटा दुश्मनो के साथ रहता हो तो ऐसे तेवर हो. ही जायेगे। चलिए कुछ दिनों की बात है। वो दोनों भुजंग की तरफ बढ़ जाते है।

इधर ओमकार और कृतिका ज़ब अंदर आता है तो. सबसे पहले वो भुंजग के पास जाने लगता है। ये देख कृतिका कहती है," हमें तो दीक्षा से मिलने वाले थे ना। ओमकार कहता है अभी नहीं मौका देख कर हमें मिलेंगे। अभी चलो उनलोगों से मिलवाता हूँ जो दुनिये के सबसे घटिया इंसान है। थोड़ा मुस्कुरा दो।

इधर नायरा कहती है, विराज अभी तक नहीं आये है। ये सुनकर भुजंग कहता है, आं जायेगे। अभी तो पार्टी शुरू हुई है। सभी मेहमान के आने का सिलसिला लगा हुआ था और बातें होने लगी थी की आज क्या होने वाला है।

कामनी की नजर तुलसी जी पर गयी जो. कुछ राजवाड़ी महिलाओ के साथ बातें कर रही थी। तभी कामनी उनकी तरफ आकर कहती है, " क्या बात है जीजी !! आज आप इतनी ख़ुश है की आपको किसी का होश नहीं है। पोता ना जाने कहाँ से एक लड़की उठा कर ले आया और कहने लगा की ये है प्रजापति खानदान की बहु और आपने बिना सवाल किये मान लिया। अब ना जाने कौन और किसका बच्चा उठा कर ले आये है और वो.....!!!

कामनी की बातें सुनकर सभी आपस मे बातें करनी. लगयी है। तभी.....

"बस एक शब्द और नहीं कामिनी जी, तुलसी जी के कुछ कहने से पहले पदमा जी कहती है, " आप जिसके बारे मे बात कर रही है उससे पहले आप अपनी पहचान बताईये की आप क्या है और किस खानदान से आती है? क्योंकि मुझे जहाँ तक मालूम है की आपकी पहचान सिर्फ और सिर्फ प्रजापति खानदान की छोटी बहु की हैसियत से है और कोई पहचान नहीं है।

तभी एक औरत कहती है, लेकिन इनकी बात तो पुरानी हो गयी हुकुम रानी सा !! अभी तो उनकी बात हो रही है जो यहाँ के होने वाले राजा है।बात तो उनकी पत्नी की हो रही है।

पदमा जी कहती है, अगर आप उनकी हो थी है तो. हमें भी उनकी ही बात कर रहे है। वो कोई ऐसी वैसी खानदान से आती नहीं है। ज़ब वो आयेगीं तो उनके चेहरे का गुरूर ही बताएगा की. वो किस खानदान से आती है। तब तक सब्र रखो आप सब।

तुलसी जी पदमा जी के साथ वहाँ से चली जाती है। तुलसी कहती है, आपने उन्हें बताया क्यों नहीं, जो बात हम सभी कों कल रात आपने बताई थी। पदमा जी मुस्कुराते हुए कहती है, " रानी माँ!!इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि माधवगढ़ रियासत के बहुत सारे रसूख लोग यहाँ आं रखे है जो आरध्या कों जानते थे। वो दीक्षा कों देख खुद ही अंदाजा लगा लेगे। आप चलिए हमारे साथ। फिर सभी सुमन, निशा, सुकन्या, और अर्चना जी सबके पास आं जाती है। निशा जी पूछ ही लेती है,, पदमा जी से की क्या बात हुई? पदमा जी सबकुछ बता देती है।

जिसे सुनकर सुमन जी कहती है, माँ सा की आदत कभी नहीं जायेगीं !! तुलसी जी कहती है, अच्छा छोड़िये. चलिए हम सब बैठते है, कुछ देर मे हमारे लड़ोसर आं जायेगे।सभी बैठ जाते है।

इधर सब आपस मे बात करते हुए, राजेंद्र जी और हरीशचंद्र जी के पास पहुँचे जाते है जो लक्ष्य, विक्रम जी के साथ बैठे होते है। पीछे से दाता हुकुम कहता है, राजा साहब !! सारे मेहमान आं गए लेकिन जिस के लिए ये जश्न रखा है वो तो कहीं नजर नहीं आं रहे है। तभी लक्ष्य और विक्रम कहते है, थोड़ा ठंड रखिये दाता !! इंतजार का तो अपने अलग मजा है।

दाता कहता है, चलिए फिर इंतजार कर ही लेते है वैसे भी सब कुछ तो रेडीमेड ही हुआ है इस प्रजापति खानदान मे, शादी भी और बच्चा भी। ये सुनकर सभी उन्हें घूरते है और रंजीत और भुजंग सबके साथ खड़ा हँस रहा होता है।

तभी मुकुल जी कहते है, " अरे दाता !! ये हुनर भी हमारे प्रजापति खानदान के बेटे मे ही है की रेडीमेड सब कुछ वो हासिल कर जाते है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है, जिन्हें रेडीमैड तो जाने दो दर्जी से सिला हुआ एक कुरता भी नहीं मिलता। ये कहते हुए, मुकुल जी के साथ साथ, लक्ष्य सब भी हंसने लगते है। "

ये सुनकर दाता और कुछ कहता उससे पहले भुजंग उसे रोक देता है और कहता है, अभी नहीं।

इधर गाड़ी से टेक लगाये संयम, जानवी के घर के बाहर खड़ा होता है। तभी जानवी फिरोजी रंग की अनारकली ड्रेस पहनी हुई बाहर आती है। जिसे देख संयम की दिल की बेक़रारी बढ़ने लगती है।जानवी नजर झुकाये उसके पास आती है। संयम उसे देख मुस्कुराते हुए गाड़ी की डोर खोल देता है। जानवी शर्माती हुई उसमें बैठ जाती है। संयम गाड़ी लेकर निकल जाता है।

पार्टी अपने चरम पर थी।

अंकिता , सौम्या, अनामिका, वृंदा, साक्षी, और रेशमा सभी ने आज अपनी अपनी पसंद के मुताबिक गाउन पहन रखी हुई थी

बाहर सभी लडको कों इंतजार था की कब उनकी वालियाँ आएगी। तभी सभी कों एक साथ आते देख सारे लड़के बस निहारते रह गए।

शुभम आकर अंकिता का हाथ थाम लेता है और उसके साथ साथ सौम्या -अंकित, अनामिका -आकाश, रेशमा -दिव्यांश, हार्दिक -साक्षी सभी एक दूसरे के हाथों मे हाथ डाल देते है। लेकिन वृंदा के साथ साथ सबकी आँखे बड़ी हो. जाती है, जब साक्षी कों हार्दिक के साथ और दिव्यांश कों रेशमा के साथ देखा तो। सभी कों अपनी तरफ देख रेशमा और साक्षी शर्मा कर उन्दोनो से हाथ छुड़ाने लगती है। तभी सौम्या और अंकित कहते है, " नहीं इसकी जरूरत नहीं है स्वागत है तुम्हारा हमारे घर मे और परिवार मे। " वृंदा उन्दोनो के हाथों कों पकड़ कर कहती है, मै बहुत खुश हूँ तुमदोनों के लिए।

सभी एक दूसरे के साथ अच्छे लग रहे थे। उन सभी कों साथ देख कर घर के बड़े एक दूसरे कों देख कर मुस्कुरा रहे होते है।

तभी विराज आता है और उसकी नजर सीधे वृंदा पर जाती है। आज उसे वृंदा बहुत खूबसूरत लग रही थी। वृंदा की नजर भी विराज पर जाती है,दोनों एक दूसरे कों आखों आखों मे तारीफ करते है।

विराज कों देख मायरा उसके पास आती है और उसके गले लगते हुए कहती है, ओह्ह्ह वीर कितनी देर कर दी आने मे !! बताओं मै कैसी लग रही हूँ। "

विराज के गले किसी लड़की कों देख वृंदा की आँखे नम हो जाती है। जिसे विराज देख लेता है लेकिन कुछ कहता नहीं। वो मायरा कों खुद से अलग करते हुए कहता है, " बस रुक जाओ मायरा और ये क्या बतमीजी !!"जबाब देखो तब मुझसे चिपक जाती हो। दूर रहो मुझसे।

मायरा विराज के इस तरह की बेरुखी से गुस्से मे आं जाती है और कहती है, ये क्या बतमीजी है विराज और ये क्या लगा रखा है तुमने। तभी पीछे से एक तेज आवाज़ आती है, मायरा !! ये आवाज़ सुनकर मायरा पीछे मुड़ कर देखती है तो भुजंग उसे गुस्से मे देख रहा होता है।

भुजंग की नजर जब मायरा पर जाती है तो वो गुस्सा मे वो उसके पास आता है और उसके बाजु कों पकड़ एक तरफ खींच कर ले जाता है। उसे एक तरफ ले जा कर कहता है, तुम्हारा दिमाग़ खराब है। खबरदार जो तुम उस विराज के आस पास दिखी तो। समझी या नहीं। मायरा सर झुका कर कहती है, " समझ गयी "!!

पार्टी मे अब अनीश पृथ्वी से कहता है, भाई सा!!हमारी बीबियां अभी तक तैयार नहीं हुई है। रौनक कहता है, अनीश भाई सा!! सुंदर औरतों कों तैयार होने मे वक़्त लगता है।

तभी अतुल कहता है, जरा उधर नजर तो दो !! ये कहते हुए सभी देखते है तो शुभ ने पीली, तूलिका ने सफेद, रितिका ने गोल्डेन, और कनक ने ब्लू रंग की बनारसी सारी पहन रखी थी। चारों बेहद खूबसूरत लग रही थी। उन सभी कों देख पार्टी मे आये सारे मेहमानों की नजर उधर चली जाती है।

अलंकार कहता है भुजंग से, क्या बात है भुजंग !! इस बार तो सारे हीरे प्रजापति महल मे आं गए है। ये सुनकर दाता हुकुम कहता है," असली कोहनूर तो अभी तक आयी नहीं है "!! जरा उसे देखेंगे तो आपकी नजर नहीं हटेगी।"

अलंकार के साथ साथ अधिराज, मायरा और नायरा की नजर उन चारों पर जाती है। अधिराज उन चारों कों देख कर अलंकार के पास आता है और कहता है, डैड !! इन कोहनूर कों हम अपने पार्टनर कों दे तो हमारी सारी समस्या का समधान हो जायेगा। इधर नायरा उन सभी कों देख कर मायरा से कहती है, लगता है पूरी दुनिया की खूबसूरती यही आं गयी है। मुझे तो जलन होने लगी इन सभी कों देख कर।

उसकी बातें सुनकर मायरा कहती है, बात तो तुम्हारी सहीं है। इन लड़कियों कों छोड़ो मै तो कहती हूँ, दुनिया के सबसे हैंडसम आदमी यही है। जरा नजर तो दो।

अलंकार उसकी बात सुनकर कहता है, बहुत सहीं बात कहीं है। वो तो प्रजापति की सारी सारी लडकियाँ कमाल की है। आप सबकी तस्वीर लेकर दुबई के मालिक कों भेजिए। बाक़ी का हम बाद मे देखगे।

भुंजग से जबाब रहा नहीं जाता है तब वो जाकर लक्ष्य कों कहता है, " क्या बात है लक्ष्य अभी तक जिसके लिए ये पार्टी रखी है, उनका कोई अता पता नहीं है। हम क्या उनका इंतजार करने आये है। "

ये सुनकर लक्ष्य की जगह पृथ्वी कहता है, " वो राजा है तो अपने वक़्त पर ही आएगा !! आप प्रजा है तो इंतजार करना आपका कर्तव्य है। जाईये इंतजार कीजियेगा !!" पृथ्वी ने ये बात इतनी कठोर तरीके से कहीं की भुजंग उसे सुनकर चुप हो गया।

विराज जो मायरा की हरकत से पहले से ही परेशान था और अब उसे वृंदा कों समझाना था। क्योंकि जब से ये हुआ था तब से उसे वृंदा कहीं दिख नहीं रही थी। उसे बेचैन देख अतुल उसके पास आकर धीरे से कहता है, " जिसे ढूढ़ रहे हो वो पीछे है "!! ये सुनकर विराज सबकी नजरों से बचाते हुए दूसरी तरफ चला जाता है।

इधर संयम जब जानवी के साथ अंदर आता है तो उसे लेकर सबके पास चला जाता है। तभी साक्षी की नजर जानवी पर जाती है और वो हार्दिक का हाथ छोड़ कर सीधे जानवी कों पीछे से जाकर लिपटती हुई कहती है," दिदु !!"

जानवी जैसे ही साक्षी की आवाज़ सुनती है वो धीरे से कहती है, छोटी !! ये सुनकर सभी एक दूसरे कों देखते है। जानवी मुड़ कर साक्षी कों देखती है तो पूछती है, तुम यहाँ कैसे !! साक्षी उसे सब कुछ बताती है और एक एक कर सबसे मिलवाती है।फिर साक्षी कहती है, मै आपसे मिलने आने वाले थी लेकिन आप यहाँ कैसे!!

तभी संयम कहता है, इन्हें मै लाया हूँ यहाँ !! ये मेरी कंपनी मे काम करती है।

जानवी जबाब सभी प्रजापति के सदस्यों से मिलती है तो मन मे कहती है, इतना बड़ा परिवार लेकिन कितने सौम्य है सभी। शुभ कहती है, आप यहाँ खुद कों मेहमान मत समझिये। इसे अपने घर समझिये और हमे अपना। जानवी मुस्कुरा देती है।

संयम उसे मुस्कुराते देख धीरे से उसके करीब आता है और उसके कानों के पास झुक कर धीरे से कहता है, " अब इन सभी की आदत डाल लीजिये !!" ये सुनते ही जानवी हैरानी से संयम की तरफ देखती है।

तभी पृथ्वी कहता है, लो पार्टी की आं रही है।

तभी पार्टी मे आये सब मेहमानों की नजर सामने जाती है। सामने से आ रहे दक्ष और दीक्षा के साथ दक्षांश कों देख सबकी आँखे बड़ी हो जाती है। तीनों का ओरा और किरदार इतना दमदार और आकर्षक लग रहा था की सबकी नजर उन तीनों चली जाती है।