झुमकी के अंदर आते ही तूलिका की आँखे चमक जाती है। वो उसे पास बुलाती हुई पूछती है। झुमकी तु यहाँ कब से है? क्या तुमने कभी जीजू के माँ -बाबा क़ो देखा है।
तूलिका की बातें सुनकर दीक्षा मुस्कुराते हुए कहती है, हाँ !! झुमकी बताओं ना।
झुमरी कहती है, रानी सा मैंने तो नही देखा लेकिन मेरे से पहले मेरे माँ बाबा ने देखा होगा।ये सुनकर रितिका कहती है तो तुम्हारे माँ बाबा कहाँ है?
रितिका की बात सुनकर झुमकी उदास होकर कहती है, वो तो बड़ी माँ और छोटी माँ के साथ ही नही रहे। उनके जाने बाद हमें बड़े राजा साहब हमरे गांव से लेकर यहाँ आ गए। हमें उस वक़्त बहुत छोटे थे।
दीक्षा उसके कंधे पर हाथ रख कर कहती है, तुम उदास मत हो। हम सब है ना तुम्हारे। कनक कहती है, झुमकी आपके पास आपके माँ -बाबा की कोई तस्वीर है।
ये सुनकर झुमकी कहती है, है ना छोटी भाभी!!हम अभी लाते है, कहती हुई वो तेजी से निकल जाती है। शुभ कनक से पूछती है, आपने तस्वीर क्यों मंगवाई कनक।
ये सुनकर कनक कहती है, बड़ी जीजी !! आप चारों मे से कोई राजपरिवार और राजघराने क़ो उतने करीब से नही देखा और जाना है। लेकिन हमने देखा है। बहुत कुछ अपनी आखों से और समझा भी है। जिस तरह से बुआ सा के चेहरे के भाव बदल गए थे उससे तो यही लगता है की कोई बात जरूर है।
इधर एक बड़े से घर मे,
ओमकार रायचंद समान इधर -उधर भेंक कर तोड़ रहा था और जोर जोर से चिल्ला रहा था.... "नही नही !! मै तुमसे नही हार सकता दक्ष प्रजापति। दीक्षा सिर्फ मेरी है और हर कीमत पर वो मेरी होगी। ये कहते हुए अलग सा चमक उसकी आखों मे था। पुरे घर मे शोर था समान और कांच टूटने की।
निचे खड़े सभी राय, और रायचंद परिवार डर से कांप रहे थे। तभी अंदर एक नौकर आता है और तेजेंद्र रायचंद से कहता है, बड़े साहब कोई जयचंद और दाता हुकुम आये है मिलने।
ये सुनकर सभी कहते है ठीक है उन्हें अंदर लाओ। फिर अक्षय से कहता है, जाओ ओमकार क़ो बता दो। अक्षय रायचंद दौड़ कर ओमकार के कमरे के पास आता है और बहुत हिम्मत से कहता है,"भैया !! कोई जयचंद और दाता हुकुम आये है। जिसे सुनकर ओमकार के हाथ रुक जाते है। जो वो समान फ़ेंकने के लिए उठाया था।
ओमकार कुछ देर चुप रहने के बाद कहता है, उन्दोनो क़ो हमारे स्टडी रूम मे लेकर आओ। अक्षय सुन कर हाँ कर देता है। कम्या उसके पीछे पीछे आयी थी जिसे देख कर अक्षय अपनी लाल आखों से कहता है, यहाँ क्यों आयी हो !! उसकी बातें सुनकर कम्या क़ो अहसास होता है की जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी।
अक्षय की नजर खुद पर ऐसे पड़ते देख कम्या क़ो एहसास होता है कि जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई है। वैसे भी जब से उसकी अक्षय के साथ शादी हुई है। अक्षय उसे पसंद नहीं करता है। उसे शुरू दिन से ही लगता था कि काम्या एक लालची और मतलबी लड़की है। दोनों के रिश्ते में अच्छा कुछ नहीं था ; दोनों के रिश्ते में खटास थी …। दोनों ही एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे। काम्या को ओंकार पसंद था। वह ओमकार के पास रहने की वजह से उसने अक्षय से शादी के लिए हां कही थी। ये बात अक्षय क़ो मालूम थी। दोनों के बिच पति पत्नी जैसे कोई संबंध भी नहीं थे इसीलिए उन दोनों में बनती नहीं थी।
काम्या अक्षय की बात सुनकर चिढ कर कहती है,' तुम्हें इससे क्या मतलब है? मैं कहां आती हूं और क्यों जाती हूँ ।अक्षय उसके हाथों को पकड़कर जोर से मरोड़ते हुए कहता है, " मुझे सब कुछ से मतलब है,' तुम्हारी जितनी औकात है उसी औकात मे रहो। उससे आगे बढ़ने की कोशिश मत करना? यह कहते हुए वहां से निकल जाता है।
काम्या गुस्से मे हाथ को सहलाती हुए कहती है, " कि ऐसा कभी नहीं होगा या तो तुम मरोगे या तो तुम मेरे रास्ते से हटोगे । यह कहते हुए काम्या के आंखों में एक जुनून सा था। काम्या खुद से कहती है, "ओंकार सिर्फ मेरा है उसी में किसी भी हालत में पा कर रहूंगी चाहे इसके लिए मुझे जो करना पड़े। यह कहते हुए वो नीचे चली जाती है लेकिन उसे पता नहीं होता की उसकी यह बातें उसकी छोटी बहन कृतिका सुन रही होती है।
कृतिका कहती है,"ऐसा मै कभी नहीं होने दूंगी दीदी। तुम्हें दोनों चाहिए थे। ओमकार के कारण तुमने मुझसे अक्षय जी क़ो छीन लिया। मुझे अक्षय जी पसंद थे लेकिन तुमने शादी कर ली उनसे। अब तुम अक्षय जी क़ो मारने की सोच रही हो ।
ताकि तुम फिर से ओमकार क़ो पा लो। यह मैं नहीं होने दूंगी।अब ओमकार सिर्फ मेरे होंगे। तुम्हारी नही। यह कहती हुई कृतिका निचे चली जाती है।
इधर ओंकार कमरे से बाहर आता है और नीचे नहीं जा कर सीधे स्टडी रूम में जाता है। जहां उसका इंतजार जयचंद्र और दाता हुकुम कर रहे थे। ओंकार की कुर्सी के बैठते हुए कहता है,"बताइए आप लोगों का क्यों आना हुआ। यह सुनकर जयचंद बताता है कि शादी की रात क्या क्या हुआ था ? ओंकार उनकी उसकी बात सुनकर कहता है कि छोटे-मोटे दाव खेलने से बात नहीं बनेगी हमें एक बार में वार करना पड़ेगा। जिससे सारी कहानी खत्म होगी खास तौर पर दक्ष प्रजापति की।
दाता हुकुम उसकी बात सुनकर कहता है कि दक्ष प्रजापति एक कदम दो कदम नहीं कम से कम 2000 कदम आगे की सोचता है। तो हमें कम से कम 4000 कदम आगे की सोच कर ही चलना पड़ेगा। ओंकार कहता है अभी मेरे परिवार वाले आ रखे हैं उन्हें मुझे यहां से भेजना है फिर मैं इस विषय पर बात करूंगा। उसकी बातें सुनकर जयचंद कहता है, "हमें सुना है की आज आपके सारे रिस्तेदार वाले वहां प्रजापति महल गए थे और वहां से बेइज्जत हो कर बाहर आये है। MLA सतीश उसकी खबर तो आपने टीवी मे देख ही ली होगी। सुना है वहाँ इंस्पेक्टर और वकील के सामने ही,उसको वहीं से उठा लिया उन लोगों ने और किसी की इतनी हिम्मत नहीं है कि प्रजापति परिवार से जाकर सवाल करें।
सुनकर ओंकार कहते हैं हां मैंने खबर देखी है। वह लोग हर काम के लिए अपने पास एक ठोस वजह ढूंढ लेते हैं जिससे कोई उनसे सवाल ना करें। दाता हुकुम कहता है,"तो आपने क्या सोचा था रायचंद की दक्ष प्रजापति कोई ऐसी वैसी हस्ती है!!
ओंकार कहता है कुछ समय रुक जाइए सुना है उनका सबसे बड़ा दुश्मन भुजंग राठौर आ गया है। यह सुनकर जयचंद और दाता हुकुम की आंखें बड़ी हो जाती है वह कहता है आपको कैसे पता?ओंकार कहता है," अगर दुश्मन से जीतना है तो उसके हर उस दुश्मन का पता रखना जरूरी है जो उसे हराने में काम करें ।तो मुझे भी पता है भुजंग राठौर का। सुना है रात में महल पर हमला भी करवाया। और यह सुनकर जयचंद आह भरते हुए कहते हैं, "हां हमला तो करवाया लेकिन मारे गए सिर्फ उसी के आदमी।
ओमकार कहता है कि इस बार खेल थोड़ा दिलचस्प होने वाला है शतरंज की बाजी में सारे मोहरे दक्ष प्रजापति ने खुद से बिठा रखे। तो हमें उसमें थोड़ी सेंध लगानी पड़ेगी।वह सेंध किधर से लगाएंगे बस उसकी तलाश करनी जरूरी है। दाता हुकुम कहते हैं हम भी यही सोच रहे हैं जिस पर ओंकार कहते हैं आप एक मीटिंग फिक्स करवाइए भुजंग राठौर के साथ फिर देखते हैं आगे क्या बात करनी है?
जिसे सुनकर जयचंद कहता है कि क्या करना है होली में मीटिंग रखवा लेते हैं होली की होली हो जाएगी और बातें की बातें यह सुनकर ओंकार कहता है सुना है राजस्थान में होली के दिन तलवारों का खेल होता है होली में किसी का भी खून माफ माफ हो जाता है? यह बातें सुनकर,दाता हुकुम हंसने लगता है," क्या बात है!! आपने बिल्कुल ठीक कही रायचंद साहब होली में तो खून भी माफ हो जाता है। होली का रंग और खून का रंग एक ही तो है?
ओंकार थोड़ा बहुत शैतानी मुस्कुराहट के साथ कहता है तो क्यों ना इसी रंग से कुछ खेला जाए कोई धमाका किया जाए ताकि दक्ष प्रजापति की नींव हिल जाए? यह सुनकर जयचंद कहता है तो ठीक है हम भुजंग से मीटिंग आज ही करते है। ओंकार कहता है बहुत अच्छा शाम के टाइम। ठीक है फिर हम चलते हैं ओमकारा कहता है ठीक है फिर हम मिलते हैं शाम क़ो ।
प्रजापति महल
झुमकी अपने मां-बाबा की तस्वीर लाकर सबको दिखाती है। सब उस तस्वीर को देखते हैं कोई कुछ कहता नहीं लेकिन उस बीच में अचानक शुभ कहती है कि मैंने इस इंसान को कहीं देखा है। यह सुनकर सभी उसकी तरफ देखती है, "दीक्षा पूछती है कि आप बिल्कुल कंफर्म है जीजी।
यह सुनकर शुभ, दीक्षा से कहती है कि हां मुझे अच्छी तरह से याद है,'दीक्षा इस इंसान को मैंने देखा है. यह बूढ़े बाबा थे, जिन्हें रास्ते में किसी गाड़ी ने टक्कर मार दिया था और मैंने मैं इन्हें हॉस्पिटल लेकर गई थी। इनका इलाज करवाने के दौरान जब मैं इनकी दवाइयां लेने गई थी तब तक कि हॉस्पिटल से भाग गए थे। उसके बाद मैंने कभी ध्यान नहीं दिया मैंने सोचा कोई और होगा चला गया होगा।
शुभ की बात सुनकर सभी अपने माथे पर बल डालना शुरू कर देती है कि, तूलिका कहती अगर यह आदमी हमें मिल जाता है तो। आगे कुछ कहती उससे पहले झुमकी उत्सुकता से शुभ के पैरों के पास बैठ जाती है और आस भरी नजरों से पूछती आप सच कह रही है भाभी सा। उसकी आंखों में, बेचैनी और उत्सुकता देख कर!! शुभ उसकी टोढ़ी क़ो ऊपर उठा कर कहती है," मैं सच कह रही हूं लेकिन तुम्हारे बाबा की तस्वीर बहुत जवानी की है तो.हो सकता है मुझे धोखा भी हुआ हो।
जब तक हम उस बात तक नहीं पहुंच जाते तब तक तुम कोई उम्मीद मत बांधो। यह सुनकर झुमकी अपना सर झुका कर कहती है, "हां मैं समझ सकती हूं। दीक्षा कहती है तो क्यों ना, हमें इस इंसान का पता लगाया। एक बार हमें अगर यह सच मालूम हो जाये की ये शख्स झुमकी के बाबा है तो, इससे हमें पूरा सच्चाई पता चल जाएगी ?
दीक्षा की बात सुनकर तूलिका कहती है तो चलो हमें एक मिशन मिल गया। रितिका उसकी बात सुनकर कहती," हां हमें तो मिशन मिल गया; तू डॉक्टरी छोड़ दे; मैं वकीली छोड़ देती हूं; और चलो हम लोग सरलक होम्स की तरह जासूसी कर लेते हैं।
यह सुनकर कनक हंसती भी कहती है, " जरूरी नहीं है, आप दोनों अपना अपना काम कीजिए। हम तीनों इस बीच में देख लेते हैं कहां कहां ढूंढा जा सकता है झुमकी के बाबा क़ो ? यह सुनकर दीक्षा कहती है कि, " हां वैसे भी और ऑफिस का काम, हमें होली तक करना नहीं है। होली के बाद ही हमें इजाजत मिली है। वैसे भी अगर दक्ष सब ऑफिस संभाल ले तो हमें काम करने मे आसानी होगी नही तो दक्ष कई साथ सभी हमसे इतने सवाल करेगे की बस।
रितिका कहती है, हम सब का तो थोड़ा रहम भी खा ले!! लेकिन दक्ष जीजू की नजर से तु एक पल ओझल हुई की.... स्वीट्स !!स्वीट्स करके तहलका मचा दे।उसकी बातें सुनकर सभी हाँ मे हाँ मिला देती है। दीक्षा अपनी आँखे छोटी करके कहती है इतने भी पोजीसिव नही है दक्ष। बहुत टांग खींच चुकी हो अब चुप हो जाओ नही तो अतुल क़ो वो बातें बता दूँगी जो. उसे नही मालूम है। ये सुनकर रितिका खी खी करती हुई हंसने लगती है। दीक्षा कहती है अतुल कई साथ अनीश क़ो भी। जिसे सुनकर इस बार तूलिका हंसने लगती है। रितिका गुस्से मे कुशन उस पर फ़ेंकती हुई कहती है, चुप हो जा चुड़ैल !!! बस इस बिच सबकी कुशन मस्ती होने लगती है।
तभी पीछे से, अंकिता,अनामिका और सौम्या आती है और कहती है क्या बातें हो रही हैं!! हमारे बिना भाभियों? ऐसा तो नहीं कि आप सब ने अपना गुट बनाकर अपनी नंदो को छोड़ दिया। यह सुनकर रितिका हंसते हुए कहती है, "नहीं नहीं!! ननद रानी अभी तो हमें एक दूसरे की राज से पर्दा उठा रहे थे। कहिये तो. आप सभी के राज खोल दे। जिसे सुनकर सौम्या कहती है, नही भाभी !! रहने दीजिये हम चलते है।
अरे रुकिए सौम्या कहती हुई दीक्षा उन्हें रोक देती है।," हमें तो अपनी नंदो की बहुत जरूरत है इसलिये आप सब बैठिये कुछ जरूरी बात करनी है। दीक्षा सब क़ो इशारे से बैठने क़ो कहती है, फिर झुमकी क़ो देख कर कहती है, "झुमकी आपने दरवाजा नही लगाया था। अगर हमारी नंदो कई अलावा कोई और होता तो। जाईये दरवाजा अच्छे से बंद कीजिये।
झुमकी कहती है, जी रानी सा और जा कर दरवाजा बंद कर देती है
सौम्या को छोड़कर दोनों अंकिता और अनामिका कहती है," अच्छा तो बताइए भाभी हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं? ये सुनकर दीक्षा सबको एक एक कर के सारी बातें बताती है। दीक्षा की बात सुनकर सौम्या के चेहरे की भाव बदल जाते हैं। वह कहती है कि ठीक है, "मैं इसमें आपकी मदद करूंगी लेकिन अपने तरीके से"। अच्छा उसके कंधे पर हाथ रखती कहती है,' तुम्हें जो तरीका लगता है वह तुम ढूंढो बस यह बातें हमारे हमारे अलावा किसी क़ो मालूम नही होनी चाहिए।
यह कहते हुए दीक्षा अपना हाथ बीच में करती है और कहती है, सब वादा करो,सब एक साथ दीक्षा के हाथों में अपना हाथ रख कर कहती है,"वादा है हमारा"।
फिर तूलिका कहती है चलो हम लोग मिशन इंपॉसिबल पर चलते हैं। जिसे सुनकर अनामिका कहती है तो उसके लिए हमें टॉम क्रूज बनना पड़ेगा । यह सुनकर शुभ कहती अरे मेरी छोटी चिड़िया बोलने लगी।
अनामिका मुंह बनाते हुए तथा इतने सारे बड़े बीच में मेरा क्या काम !! मै जब भी बोलने की कोशिश करती हो हर कोई मुझे चुप करा देता है? यह सुनकर अंकिता कहती है अरे मेरी छोटी रानी,तेरे चोंच खुलते नही कि सभी भाई उसमें जाकर दाना डाल देते हैं, जिससे तु बोले ना बस चुप रहे ?ये सुनकर सभी हंसने लगती है।
उड़ा लो उड़ा लो सब मेरे मजाक उड़ा लो। भाभी आप देख रही है ना यह कहती भी अनामिका दीक्षा की तरफ देखती है। दीक्षा उसे अपने हाथ की तरफ इशारा देती है और अपने गले से लगाते हुए कहती है खबरदार मेरी छोटी चिड़िया को किसी ने कुछ कहा तो। अंकिता और सौम्या मुंह बनाते हुए कहती है, " हां आप उसी की भाभी हुई। आपकी छोटी चिड़िया।दीक्षा कहती है तुम दोनों तो मेरी जाँबाज बाज हो !! ये तो सब में छोटी प्यारी चिड़िया है ये अभी तुम्हारी तरह बाज नही बनी है, इसीलिए यह हम सबके लिए बहुत लाडली है। अब चलो होली की शॉपिंग करने। दीक्षा कहती है, " तुम सब तैयारी करो मैं सभी बड़ो से पूछ कर आती हूँ।
दक्ष सबके साथ ऑफिस आता है और ऑफिस आने के साथ ऑफिस में बने सीक्रेट कमरे कई अंदर पांचों चले जाते हैं। दक्ष बैठता है और गंभीरता से कहता है, "सतीश का खेल समाप्त होने के साथ हमारे दुश्मन अलर्ट हो गए होंगे। अब वह हम पर छोटे-मोटे वार नहीं करेंगे। पृथ्वी कहता है," हाँ!! छोटे-मोटे वार करे या ना करे लेकिन इस बात का ख्याल रहे कि होली आ रही है इसमें वह जरूर कुछ बड़ा करेंगे। तो हमें थोड़ा सावधानी बरतना होगा क्योंकि हमारा पूरा परिवार हमारे साथ होगा? यह सुनकर रौनक कहता है उस दिन आपको और भाई को हमारी कुल देवी के मंदिर जाना होगा जहां पूजा होनी है। और उस पूजा के दौरान मंदिर के अंदर हथियार ले जाने की इजाजत नहीं है। पूजा के बाद ही हम होली खेलना शुरू करते हैं। यह सुनकर अनीश कहता और सबसे बड़ी बात है कि वहां तुम और पृथ्वी भाई सा दोनों अकेले ही जाओगे। हम में से कोई तुम्हारे साथ वहां तक मंदिर के अंदर नहीं जाएगा। अतुल कहता है कोई बात नहीं हम मंदिर के अंदर नहीं जा सकते लेकिन मंदिर के चारों तरफ तो नहीं सकते।
दक्ष सबकी बात सुनकर कहता है, "बात हमारी नही हो रही है। बात यहां हो रही है घर की सभी महिलाओं की हमारे परिवार की । हम और पृथ्वी भाई साथ वहां रहेंगे लेकिन घर पर सभी महिलाएं रहेगी और होली के दिन भूलो मत वीर, दक्षांश को लेकर आ रहा है।
दक्ष आँखे बंद कर लेता है।
दक्ष का यू आंखें बंद कर लेना सबको हैरत में डाल देता है। पृथ्वी उसे इस तरह से आंखें बंद किए हुए देख पूछता है क्या बात है दक्ष!! तुम इस तरह से परेशान क्यों हो गए। दक्ष ये सुनकर कहता है, "ऐसी कोई बात नहीं है भाई सा!! सोच रहा हूं कि होली के दिन भी सुकून नही है हमारे हमारे जीवन में?
उसकी बातें सुनकर पृथ्वी कहता है,"जब तक यह सारी उलझन है खत्म नहीं हो जाती तब तक हमारे जीवन में सुकून नहीं हो सकता छोटे। इसीलिए तुम इतना परेशान होगे तो फिर सब कुछ संभालोगे कैसे? तुम परेशान ना हो हम लोग सब कुछ संभाल लेंगे और उस दिन तो हमारे शेर का शेर आ रहा है?ये कहते हुए पृथ्वी की आवाज़ मे ख़ुशी महसूस होती है।
दक्षांश क़ो मैंने कभी देखा नहीं इसलिए मैं उत्सुक हूं उसे देखने के लिए कि हमारा शेर का शेर कैसा दिखता है। यह सुनकर रौनक कहता है," हां भाई साहब!! मैं भी बहुत उत्सुक हूं। कैसा दिखता होगा !! कैसी बातें करता होगा!! हमारे घर मे अनामिका के बाद वही तो सबसे छोटा बच्चा होगा।
यह सुनकर अतुल और अनीश कहते हैं बहुत एक्साइटेड हो आप दोनों जबाब मिलेंगे तब मालूम होगा की वो दक्ष का बेटा दक्ष नही है बल्कि दक्ष होल स्क्वायर दक्षांश है । यह सुनकर पृथ्वी हँसते हुए कहता है तो फिकर किस बात की है हम भी अपने बब्बर शेर के शेर से मिलेगे ।
दक्ष मुस्कुरा देता है कहता हां भाई साहब बहुत दिन हो गया उसे मिले हुए इतना समझदार है कि मैं आपसे क्या बताऊं जब मैं मिला था मैंने सोचा नहीं था वह इतनी आसानी से मुझे एक्सेप्ट कर लेगा। लेकिन मुझे एक मुझे 1 दिन की भी मेहनत नहीं लगी उसे यह सब बताने में कि मैं उसका पिता हूं और उसे ही समझने में कि वह मेरा बेटा है? पृथ्वी के साथ सभी दक्ष के चेहरे की ख़ुशी को देख रहे थे जब वह दक्षांश की बातें कर रहा था। दक्ष कहता है, "भाई सा!! वो मुझसे भी ज्यादा तेज है। उसका दिमाग़ हमारी रानी सा की तरह चलता है। हम दोनों के अंदर जितनी बेहतरीन गुण है वो सब हमारे दक्षांश क़ो मिला है। मैंने तो कभी नही सोचा था की सात का इंतजार महादेव मुझे इस रूप मे देंगे। मैंने जितनी सिद्द्त से उन्हें चाहा, उन्होंने ने भी बिना हमें जाने उतनी ही सिद्द्त से हमारी मोहब्बत निभाई। बस हम दीक्षा के चेहरे की ख़ुशी देखना चाहते है जब वो हमारे बच्चे से मिलेगी।बस परेशानी इसी बात की है की हम उन्हें खुश देख पाएंगे या नही।
तुम फिक्र क्यों करते हो दक्ष,हम सब संभाल लेंगे। अभी तुम सिर्फ फिक्र करो कि दक्षाशं आएगा तो उसके साथ कैसे हमें रहना? दक्ष पृथ्वी की बात सुनकर कहता है भाई सा!! यह बात नहीं है। संभाल तो सब कुछ लूंगा लेकिन सोच रहा हूँ की क्या हम हमारी पत्नियों को कैसा जीवन दे रहे हैं, ये मार- काट, लड़ाई -झगड़े,दुश्मनी!! क्या कभी वो हमारे साथ सुकून से रह पाएंगी या नहीं। यह सुनकर सब भी चुप हो जाते हैं क्योंकि कहीं ना कहीं दक्ष की बातें सभी को प्रभावित करती है?
अनीश माहौल की गंभीरता देखते हुए कहता है,"हद करते हो यार तुम लोग भी अगर हम लोगों के जीवन में यह झगड़ा लड़ाई नहीं हुए तो हमारी बीवियां से रोज झगड़े होंगे और वो रोज डंडे लेकर दौड़ा दोड़ा कर हमें मारेगी। क्या वह अच्छा लगेगा तुम लोगों क़ो की बीवी से मार खा रहे हो।
बीबी से मारने खाने से तो अच्छा है कि हम दुश्मनों को मार डाले और उन्हें भी कहे कि हम दुश्मन मार के आए हैं? ताकि वह हमें बहुत सारा प्यार करें और कहे की हमारे पति लड़ कट के आये है। अब उनसे क्या लड़े। मै सच कह रहा हूँ दुश्मन से लड़ना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल है बीबी से लड़ना। इसलिये कम से कम इस लड़ाई झगड़ा क़ो कोषों मत यार!!! कम से कम इस बहाने वो हमें सिर्फ प्यार करेगी।
अनीश की बातें सुनकर सभी हंसने लेते हैं और अपना सर हिलाते हुए कहते इसका कुछ नहीं हो सकता। चलो फिर काम कर लेते हैं और फिर तैयारी करते हैं।दक्ष कहता है ठीक है फिर शाम में एक साथ घर चलते हैं। यह सुनकर सभी मुस्कुराते हैं और अपनी अपने कामों में लग जाते हैं। दक्ष को किसी का फोन आता है वह फोन सुनकर दक्ष। उधर से दक्ष को कुछ कहा जाता है जिसे सुनकर दक्ष कहता है होली तक संभाल लो फिर देखते हैं।
इधर दीक्षा नीचे आकर सभी बड़ो को देखते हुए कहती है कि दादीसा हम लोगों ने सोचा है कि थोड़ा हम लोग होली की शॉपिंग कर ले तो क्या आप हमें इजाजत देगी? यह सुनकर सुकन्या जी कहती है नेकी और पूछ पूछ बच्चे तैयारी कर लो तुम लोग और निकल जाओ। हम लोग यहां पर देख लेते हैं। यह सुनकर दीक्षा कहती है नहीं उसकी जरूरत नहीं है छोटी मां हमने यहां भी सारी तैयारियां कर लिए हम समय पर आ जाएंगे। वैसे सब कुछ तैयार है।
तुलसी जी कहती है कोई बात नहीं आप सब जाइए हम देख ले।दीक्षा कहती है ठीक है फिर हम सब तैयार हो जाते है ये कहती हुई अंदर की तरफ चली जाती है। निशा जी कहती है चलिए अर्चना जी जरा देखें हमारी बहुएँ कैसे तैयार हुई है।
दीक्षा जब अंदर आती है तब तक सभी तैयार हो जाती। सभी के कपड़े देखकर कहती हैं कि यह क्या पहन रखा है तुम सब ने? सभी ने जींस -टीशर्ट पहन रखा है।सिर्फ झुमकी ने कुर्ती पहन रखी थी । पीछे से तुलसी जी और निशा जी सबके साथ आती है और दीक्षा की बात सुनकर कहती है, " तो क्या हो गया,' ऐसा तो कुछ भी नहीं है पहन रखा जींस और टॉप पहन रखा है?
यह देख दिशा मुड़ के कहती है कि आप सब। निशा जी कहती हमने सोचा कि चलो जरा हम अपनी सुंदर बहू को देख ले क्या पहन कर जा रही है? यह सुनकर सभी मुस्कुराते हुए सर झुका लेती हैं। सुकन्या जी कहती है अरे आज तो तुम लोग बवाल लग रही हो। तुलसी जी कहती है, "सुकन्या बिंदनी कभी तो अच्छी अच्छी भाषा का प्रयोग कर लीजिए। अरे माँ सा!! मै क्या करूं जुबान है मेरी फिसल जाती? सभी हँस देती है फिर तुलसी जी कहती है,"आप सब बहुत खूबसूरत और वो क्या कहते है सुमन...!! मुझे नही मालूम बड़ी माँ सा !! नालायक कही की !! आप बताओं निशा बिंदनी बहुत खूबसूरत के साथ साथ और क्या लग रही है हमारी बहुएँ। माँ सा !! खूबसूरत के साथ हॉट लग रही है।
तुलसी जी मुस्कुराते हुए कहती है," हाँ !! आप सभी खूबसूरत और हॉट लग रही है।
फिर दीक्षा से कहती हैं, "आप क्यों परेशान हो रही है हमारे यहां कोई बंधन नहीं है। आपके कपड़े हम आपके चरित्र नही नापते इसलिये जो आपको पसंद है वह पहन की आप सब जा सकती?
दीक्षा सुनकर हां कर देती है तब निशा जी कहती हैं सब तैयार हो गई तुम कब तैयार होगी। मैं अभी तैयार होकर आती हूँ ?
सभी तब तक सबके साथ नीचे हॉल में जाकर बैठ जाती हैं दीक्षा चली जाती है तैयार होने। दीक्षा जब तैयार होकर नीचे आती है तो सबकी नजर उस पर ठहर जाती है दीक्षा ने बहुत खूबसूरत गाजरी रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थी। हाथों में चूड़ियां। एक लंबी चोटी। जिसे देखकर तुलसी जी कैसी है चलो सारी फिरंगी बहू के बीच में एक देसीबहु जा रही है यह कहती वह हंसने लगती है।
जिसे सुनकर सब कहती है, हम भी बदल कर आती और सभी दौड़ कर भाग जाती हैं अपने रूम में। जिसे देख निशा जी हंसती हुई कहती है तुम अपने चक्कर में सभी की जींस टॉप होतल बदलवा दी ।
जिसे सुनकर दीक्षा कहती है,'पहनना कोई बुरी बात नहीं है मैं भी पहन सकती हूं लेकिन मैंने सोचा शादी का दूसरा ही दिन है तो चलो अभी साड़ी ही ठीक है और वैसे भी मॉम मुझे साड़ी ही ज्यादा पसंद है। यह कहते हुए जब सभी ऊपर देखती है तो शुभ ग्रीन कलर की साड़ी पहन रखी थी। कनक ने ब्लू कलर की साड़ी पहन रखी थी। रितिका ने पीले रंग की साड़ी पहन रखी थी और तूलिका ने मैरून रंग की साड़ी पहन रखी थी।
सब को देखते हुए तुलसी जी बलाई बलिया लेते हुए कहती है मेरी बहूओं को किसी की नजर ना लगे।सभी मुस्कुरा देती है।
सारी लडकियाँ निकल जाती है शॉपिंग के लिए तो शुभम और अंकित उनके आगे खड़े हो जाते है, गाड़ी लेकर। ये देख दीक्षा कहती है, आप सब यहाँ क्या कर रहे बरखुरदार !! हार्दिक आगे आकर कहता है, "उहूँ उहूँ उहूँ!! "सभी हार्दिक क़ो देखती हुई कहती है, अच्छा तो आप भी मौजूद है। हार्दिक कुछ कहता है,'उससे पहले आकाश आकर कहता है 'उहूँ उहूँ '..।...!!!
तूलिका हंसती हुई कहती है,"ओओओ होहोहो..... आप भी !!! चारों एक साथ अदब से सर झुका कर कहते है,"आपकी खिदमत मे हाजिर है,"रानी साहिबा "!! आप हमें भी अपनी सेवा करने का सौभाग्य दे। ज्यादा मुश्किल नही होगी। हम ड्राइवर बन कर आप सबके साथ चलेंगे। झुक जाते है।
जिसे देख सभी मुस्कुराने लगती है। दीक्षा कहती है, ठीक है !! चलिए। सभी निकल जाते है मॉल ...!!!!!
इधर ओमकार, जयचंद और और दाता हुकुम के भेजने के बाद हॉल मे आता है। सतीश के साथ हुए हादसे के बाद तूलिका और रितिका का परिवार वहाँ से चला गया। साथ ही साथ प्रियंका का भाई भी दक्ष की क्रूरता देख और समझ कर ओमकार क़ो छोड़ना बेहतर समझा और वो भी चला गया।अब सिर्फ राय परिवार ही थे।
ओमकार बैठता है और अपने पिता से कहता है, आप सब के लिए यही अच्छा होगा की आप सब वापस लखनऊ चले जाये। ये सुनकर मिस्टर रायचंद कहते है,"क्या तुम नही चलोगे "!!! जिसके लिए यहाँ बैठे हो उसकी शादी हो चुकी है वो भी कोई ऐसे वैसे से नही यहाँ के राजा के साथ हुआ है। तुम. क्यों मौत क़ो दावत दे रहे हो।
तेजेंद्र जी की बात सुनकर ओमकार गुस्से मे कहता है, क्योंकि दक्ष प्रजापति मुझे नही जानता। मै हूँ ओमकार रायचंद माफिया का राजा और जो मेरी थी वो उसकी कभी नही हो सकती। मुझे समझाने से बेहतर है की आप सब वापस चले जाये और वहाँ का बिज़नेस संभाले। मैंने यहाँ पर अपनी बिज़नेस स्टाब्लिश कर लीं है। ये सुनकर तेजेंद्र हैरानी से कहता है, ये कब किया तुमने!!!
ओमकार हँसते हुए कहता है बहुत पहले से !! छोड़िये आप सब अभी निकल रहे है। तभी कम्या कहती है, लेकिन ओमकार जी किसी क़ो तो यहाँ रहना चाहिए। अक्षय क़ो यही रोक लीजिये। ये सुनकर मिसेस रायचंद कहती है, कम्या बहु ठीक कह रही है, अगर तुम चाहते हो की हम सब चले जाये तो यहाँ अक्षय और कम्या तुम्हारे साथ रुकेंगे और मै ना नही सुनुँगी।
ओमकार कहता है, ठीक है मॉम !! अगर अक्षय क़ो कोई एतराज नही है तो मुझे कोई दिक्क़त नही है। अक्षय कहता है, मुझे लखनऊ मे बहुत सारे काम है तो मै यहाँ आता जाता रहुँगा। कम्या चाहे तो रह सकती है।
ये सुनकर चंदना जी कहती है, लेकिन जमाई बाबू वो अकेली कैसे रहेगी ? ये सुनकर कम्या कहती है, मॉम मै अकेली कहाँ रहूँगी !! ओमकार जी है तो और अक्षय जी तो आते जाते रहेंगे। कम्या की बात सुनकर कृतिका कहती है, आप क्यों परेशान हो रही है मॉम!! मै रहूँगी ना दीदी के साथ। कृतिका की बात सुनकर सभी कहते है ठीक है लेकिन कम्या क़ो उसकी बातें पसंद नही आयी। मगर मुस्कुराते हुए अपनी सास से कहती है, अब तो. आपको फ़िक्र नही है ना मॉम। नही बेटा।
ओमकार कहता है फिर ठीक आप सब निकल जाईये आज ही और ये कहते हुए वो अपने कमरे मे चला जाता है। इधर अक्षय कहता है, मॉम मुझे कुछ काम है तो मै बाद मे आऊंगा अभी निकलता हूँ।
तेजेंद्र जी अपनी पत्नी से कहते है, हमारे दोनों बच्चे हाथ से निकल गए है। जिसे सुनकर कुंदन जी कहते है, अरे भाईसाहब ये उम्र ही बागी होने की है, दो -चार साल बीतने के बाद सब ठंडे पर जाते है। ये भी ठीक हो जायेगे।हाँ शायद आप ठीक कह रहे है।
फिर चंदना जी अपनी सास से कहती है, माँ जी आपको स्कूल मे नही मालूम की दीक्षा की माँ किस राजघराने से थी। उसकी बातें सुनकर वो घूरती हुई कहती है, चंदना अपनी लालच क़ो लगाम दो और यहाँ से जाने की तैयारी करो। तुमदोनों के चक्कर मे बहुत बेज्जती करवा लीं हमने। अब चलो। अपनी सास के तेवर देख चंदना ने चुप रहना ही ठीक समझा।
दक्ष के ऑफिस मे फोन आता है। उधर से कोई कहता है, राजा साहब!! रानी सा सबके साथ बाजार निकली है। "दक्ष सुनकर कहता है, हम्म्म्म!!ठीक है, उन सबका ध्यान रखो !! जी राजा साहब।
दक्ष मन मे, स्वीट्स बिना बताये आप अचानक शॉपिंग के लिए निकल गयी है, बात क्या है??? तभी उसके मोबाइल पर बहुत सारी तस्वीरे आती है, दीक्षा की जो हार्दिक ने भेजी होती है। गाजरी रंग की साड़ी दीक्षा की खूबसूरती क़ो चार चाँद लगा रहा था। वैसे तो सभी अपनी अपनी जगह बहुत खूबसूरत लग रही थी साड़ी मे लेकिन दीक्षा की बात ही अलग थी। दक्ष दीक्षा क़ो निहार ही रहा था, तब तक एक एक करके सभी अपनी मोबाइल क़ो देखते हुए उसके केबिन मे आ गए।
दक्ष जो दीक्षा क़ो निहारने मे व्यस्त था, इस तरह सबके अचनाक अंदर आने से गुस्से मे सबको घूरता है और कहता है, भाई सा!! इन सबका तो मालूम है लेकिन आप कब से इन बंदरो की टोली मे शामिल हो गए। उसकी बात सुनकर पृथ्वी अपनी आईबरों ऊपर करते हुए कहता है,'छोटे !! माना की आप अभी छोटी क़ो देखने मे व्यस्त थे और हमें सब भी इसलिए आये है कहते हुए सभी अपना अपना मोबाइल दिखाते है। जिसमे सभी की पत्नियों की तस्वीर थी। हंसती मस्ती करती हुई।
अनीश कहता है, यहाँ हमें सब फ़िक्र मे मीटिंग पर मीटिंग कर रहे है और हमारी सुंदर नारियाँ निकली है अपनी खूबसूरती का जलवा गिराने बाहर। बताओं कोई पति कैसे ये बर्दास्त करे। ऊपर से कमायत लगने के लिए सभी ने साड़ीयाँ पहन लीं है। अरे जींस टॉप पहन लेती क्या जरूरत थी हमारे बिना इतनी खूबसूरत बन कर बाहर जाने की।
उसकी बातें सुनकर इस बार कोई सर नही हिलता बल्कि रौनक और अतुल कहता है, जिन्दगी मे पहली बार आज तूने समझदारी वाली बात की है। बताओं क्या जरूरत थी ब्ला की खूबसूरत लगने की।
पृथ्वी कहता है दक्ष हमें चलना चाहिए। सबकी बातें सुनकर दक्ष कहता है, मुझे अपनी वाली के साथ साथ आप सब की वालीयों पर भी यकीन है की हम सभी क़ो अगर वहाँ उन्होंने देख लिया तो शॉपिंग के बजाए हमारी वाट लगा देगी। इसलिये थोड़ा सब्र रखिये। मै भी जाना चाहता हूँ लेकिन इस तरह की उन्हें शक ना हो।तब तक तो उनके साथ अंकित सब है ही।
ये सुनकर सभी बैठ जाते है और सभी दक्ष की तरफ देखते है। इस तरह देखने से दक्ष कहता है, क्या है !!! अनीश कहता है... प्लान बता !! दक्ष उसे घूरता है और कहता है इस तरह से घूरना बंद करो और तुम सब भी सोचो। ये सुनकर सभी अपना मुँह बना लेते है।
तभी रौनक कहता है क्यों ना हमें ये कहे की सरप्राइज देने आये है। ये सुनकर चारों कहते है, वो हमारा सरप्राइज बना देगी। अनीश कहता है मीटिंग के बहाने चले। अतुल कहते है पांचो की मीटिंग एक ही जगह होगी।
परेशान होकर अनीश कहता है तो तुम सब सोचो कैसे मिलना है.... पत्नियों से अपने।
हैलो बाबा सा!! आई एम लैंड !! वेलकम माय सन विराज राठौर!!!!