दक्ष की गोद में दीक्षा क़ो देख सभी परेशान हो जाते है। बैठक में, ज़ब घर के सभी बच्चे आते है तो तुलसी जी और राजेद्र जी पूछते है, दीक्षा बिंदनी क़ो क्या हुआ ??
दक्ष से पहले पृथ्वी जबाब देते हुए कहता है, कुछ नहीं रानी माँ !! सब ठीक है। वो थोड़ी थकान हो गयी है, छोटी बहु क़ो। तुलसी कहती है ठीक है, आप सभी बच्चे थोड़ी देर आराम कर लीजिये। फिर बात करेगे। सभी हाँ!!कहते हुए अपने अपने कमरे में चले आते है। दक्ष की बाहों में दीक्षा सो चुकी थी। इसलिये दक्ष उसे आराम से बिस्तर पर सुलाते हुए, कंबल ओढ़ा देता है।
फिर अपने फोन से मेसेज भेज सीधे स्टडी रुम में चला जाता है। इस वक़्त उसके चेहरे पर काफ़ी कठोर भाव नजर आ रहे होते है। कुछ बाद एक एक करके सभी अंदर आते है।सभी बैठ जाते है। पृथ्वी कहता है कुछ मालूम हुआ। अतुल जबाब देता है, हाँ!! फिर एक एक करके मॉल की साड़ी घटना बताता है। ये सुनकर सभी की हाथों की नशे कस जाती है। हार्दिक कहता है, माफ कर दीजिये हमें भाई सा!!हम सबके होते हुए भी भाभी माँ के साथ इतना कुछ हो गया। रौनक कहता है, इसमें तुम सबकी गलती नहीं है क्योंकि ऐसा कुछ होगा ये किसी क़ो मालूम नहीं था।
दक्ष पूछता है अतुल से, तुम्हारी बातों में ऐसा कुछ है जो तुम नहीं बता रहे हो। ये सुनकर अतुल कहता है, बहुत कुछ है दक्ष। हमें दीक्षा भाभी की सिक्योरिटी बढ़ानी होगी। मानता हूँ वो बहुत सक्षम है लेकिन कभी कभी हर इंसान कही कही कमजोर पर जाता है और दुश्मन जो घात लगाये होते है, वो उसी कमजोरी में, हम पर वार कर देते है।
अनीश कहता है पहेली बुझाना बंद करो और बताओं बात क्या है। अतुल. दक्ष की तरफ देखते हुए उसे पेन ड्राइवर देता है और कहता है पहले ये उस समय की वीडियो देखो। दक्ष पेन ड्राइव लैपटॉप में लगाने के बाद उसे देखने लगता है। जैसे जैसे वो वीडियो देखता है उसकी आँखे लाल होती जाती है। लैपटॉप बंद करने के बाद वो अतुल की तरफ देखता है। अतुल अपने पलक झपका कर कहता है, यही डर है मुझे भी।
पृथ्वी के साथ सभी कहते है, तुमलोग जरा हमें भी समझाओगे। दक्ष कहता है, विराज की आखों में दीक्षा के लिए जितनी पाने का जूनून है उससे कही ज्यादा उसके हाथों मरने का जूनून है। वो अच्छी तरह से जानता है की दीक्षा के दिल में वो अपनी जगह कभी नहीं बना पायेगा। लेकिन अगर कभी ऐसा मौका आये तो वो दीक्षा के हाथों मर कर उसके दिमाग़ में हमेशा के लिए अपनी जगह बना लेगा। वो बस दीक्षा पर अपनी मौजूदगी का असर देखना चाहता है।
ये सुनकर सभी सकते में आ गए। अनीश कहता है, शायद यही बात दीक्षा भाभी भी समझ गयी होगी इसलिये वो दक्ष क़ो छोड़ नहीं रही थी। अतुल कहता है ये और दुश्मनो से ज्यादा खतरनाक है। इसने साइकोलॉजी तरीका अपनाया है दीक्षा भाभी पर हावी होने का।
दक्ष सबकी बातें सुनकर कहता है, शुभम -अंकित विराज राठौर की पूरी कुंडली निकालो। हार्दिक -आकाश तुम दोनों इसकी हर हरकत पर नजर रखो। क्या करता है और किससे मिलता है। बाक़ी मै खुद संभाल लूँगा। मै इसे दीक्षा के हाथों मौत क्या उसे हाथ भी लगाने नहीं दूँगा।
तब तक दरवाजे पर आवाज़ आती है, हुकुम!!राजा साहब बुला रहे है !! उसकी बात सुनकर दक्ष कहता है चलो !! इस बारे में हम बाद में बात करेगे।
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ओमकार कहता है तो क्या सोचा है आपने। भुजंग कहता है, हमारे आदमी मंदिर में पहले से मौजूद रहेंगे। प्रजापति के बॉडीगार्ड और उसके आदमी सभी निचे होंगे और मंदिर एक सौ पांच सीढ़ियों के ऊपर है। अगर उनको किसी के होने की भनक भी लगी तो पहुंचते पहुंचते वक़्त लगेगा।
जयचंद कहता है लेकिन भवानी के मंदिर में खुन खराबा ठीक होगा। दाता हुकुम भी कहता है, ये तो अनुचित होगा। भुजंग उन्दोनो क़ो कहता है अगर उचित अनुचित का इतना भान है तो फिर छोड़ दो। नहीं तो लड़ाई चाहे जैसी लड़ी जाये। मतलब जीत से होने चाहिये।
एक बार प्रजापति खानदान के ये दोनों शेर ढ़ेर हो गए तो और सब तो युहीं हमारे कदमों में आ गिरेंगे। और आप रायचंद साहब!!आप और हमारा बेटा विराज !! आप दोनों इनके कारोबार में सेंध लगाइये। हम बाहरी तोर पर लड़ेंगे क्योंकि अगर हमने अपनी सारी ताकत सिर्फ एक तरफ लगाई तो जितना असम्भव होगा। मजा तो तब है ज़ब दुश्मन क़ो चारों तरफ से तोड़ा जाये। ये सुनकर विराज कहता है, बाबा सा !! हमलोगो कुछ भी कर रहे है तो वो सब कुछ बाहर ही बाहर होगा। जरूरी है की कोई महल के अंदर जा कर भी सेंध लगाये। ये कह कर वो रंजीत और कामिनी की तरफ देखता है।
भुजंग उसकी बात सुनकर हँसते हुए कहता है, ये हुई ना बात !! तो ठीक है ऐसा करते है, जीजी और जीजा जी प्रजापति महल लौट जायेगे। रंजीत ये सुनकर कहता है, लेकिन अब हम कैसे जा सकते है। हमने तो खबर भिजवा दी थी की हम वापस वहाँ नहीं लौटेंगे। अब कैसे जायेगे।
भुजंग कहता है, जीजा सा!! फ़िक्र क्यों करते हो आप !! आपको ले जाने की जिम्मेदारी आपके दामाद की है। हमने खबर कर दी है। वो आपको उस महल तक पहुंचाएंगे। बाक़ी क्या करना है ये तो आपको मालूम ही है। बहुत अच्छी तरह से।
ओमकार कहता है तो ये तय रहा राठौर साहब की हमारे आदमी पहले से उस मंदिर में होंगे। दाता हुकुम कहता है और उन चारों के आलावा और कोई नहीं होगा। उन्दोनो की पत्नियां किसी से लड़ नहीं पायेगी और हमारे आदमी आसानी से उन्दोनो क़ो मौत की घाट उतार देंगे।
ये सुनकर विराज कहता है, हम मे से कौन जायेगा। भुजंग कहता है, अभी कोई नहीं क्योंकि हम ये दाव खेल रहे है। अगर दाव जीत गए तो बाजी हमारी और नहीं जीत सके तो अगली चाल इससे कही ज्यादा तकड़ी सोचनी होगी।
ठीक है राठौर साहब तो अब इज्जाजत दीजिये। होली में मिलते है कहते हुए दाता हुकुम उठ जाता है। सभी उसके साथ वहाँ से निकल जाते है।
ओमकार ज़ब बाहर आता है तो दाता हुकुम कहता है, "आपने अपनी चिज क़ो ऐसे कैसे छोड़ दी "। ये सुनकर कर ओमकार कहता है,"हुकुम साहब !! पहली बात की वो चिज नहीं है, दीक्षा है नाम उसका। रही बात देने की और नहीं लेने की तो. इस जंग में पहले ये तो मालूम हो. की जीत किसकी झोली में जाएगी। दीक्षा तो अंत में आएगी।"फिर अंत की बात अभी क्यों। चलिए।
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अक्षय युहीं घूमते हुए एक जगह आकर बैठ जाता है और वहाँ बनजारों क़ो गाना गाते हुए और नाचते हुए देखने लगता है। उसको अपने अंदर एक. अलग बेचैनी होती है. कुछ देर बाद देखता है की कुछ लड़के एक लड़की क़ो परेशान कर रहे। पहले तो वो नजरअंदाज कर देता है और खुद से कहता है, पहले तो लडको के साथ घूमने आ जाती है फिर दारू पी कर टल्ली हो जाती है और ज़ब लड़के उनका फायदा उठाते है तो सती सावित्री बनती है। खुद में बात कर उधर देख रहा होता है। तभी देखता है एक लड़का उस लड़की क़ो थप्पड़ मारता है और दूसरा उसके शर्ट क़ो खोलने लगता है। वो उन सबसे खुद क़ो छुड़ाने में लगी होती है लेकिन नाकामयाब होती है।
सभी लोगो देख रहे होते है लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आता है। ये देख अक्षय क़ो बर्दास्त नहीं होता और वो तेजी से वहाँ जाता है और जो लड़का उस लड़की के शर्ट खोल रहा होता है। उसको सीधे एक पंच मारते हुए कहता है, अभी के अभी दफा हो जाओ नहीं तो पुलिस क़ो कम्प्लेन कर दूँगा। वो लड़की अचानक से दूसरे लड़के से अपना हाथ छुड़ा कर अक्षय से आ कर लिपट जाती है और उसे जोड़ से पकड़ते हुए कहती है... प्लीज मुझे बचा लो। मै इन सबको नहीं जानती। वो लड़के ज़ब अक्षय से लिपटी पस लड़की क़ो देखते है तो कहते है, ये तुम्हारी कौन है ? ये मेरी गर्लफ्रेंड है !! अब निकलोगे या बताऊ बतमीजी करने का मतलब।
हम कैसे मान ले की ये तुम्हारी गर्लफ्रेंड है !इसे छोड़ो और अपना रास्ता नापों !! अक्षय कुछ कहता तब तक वो लड़की अपने चेहरे क़ो. उसके गर्दन में छिपा लेती है। उसकी छुवन अक्षय क़ो बेचैन करती है इसलिये वो अपने गार्डो क़ो बुला लेता है। देखते ही देखते उन चारों लडको के आगे अच्छे मोटे तगड़े दस गार्ड खड़े हो जाते है। अक्षय उस लड़की क़ो गोद में उठा लेता है और जाते हुए अपने गार्ड क़ो कहते जाता है, इनको ऐसा ज्ञान दो की दुबारा किसी लड़की के साथ गलत करने की सोचेंगे भी नहीं।
दक्ष सबके साथ नीचे आता है सभी बड़े उन सब का इंतजार कर रहे होते हैं।दक्ष जब पृथ्वी सब के साथ नीचे आता है तो थोड़ी देर के बाद दीक्षा भी सबके साथ निचे आ जाती है। जब दक्ष के साथ सभी की नजर दीक्षा पर जाती है। दक्ष खड़ा होकर दीक्षा का हाथ पकड़ कहता है, " स्वीट्स आप निचे क्यों आयी ! आप ठीक हैं। दक्ष के साथ सभी कहते है, हाँ बहु आप निचे क्यों आयी!! दीक्षा कहती है, " हां मैं ठीक हूं।
तभी राजेंद्र जी कहना शुरू करते है उससे पहले सुकन्या जी कहती है, बाबा सा गुस्ताखी माफ!! आप कुछ कहे उससे पहले हम चाहते है की माँ सा!!हमारी मुश्किल दूर करे ये कहती हुई सुकन्या के साथ निशा, अर्चना और सुमन जी बहुत उम्मीद से तुलसी जी की तरफ देखती है।तुलसी जी भी हैरानी से कहती है, सुकन्या बिंदनी ऐसी क्या परेशानी आ गयी जो आप इस तरह से कह रही है. वो बात ये है माँ सा!! की हम सब चाहते है की आप सभी बिंदनी का एक नामांकरण कर दे जिससे हमें मालूम हो और हमारे साथ सबको मालूम हो की हम किसे बुला रहे है। सुकन्या की बातें सुनकर सभी एक साथ कहते है है आप ठीक कह रही है। चलिए तो हम सबसे पहले बड़ी बहु का नाम रखते है। शुभ यहाँ आईये और उनके साथ सभी हमारे सामने आईये। शुभ, दीक्षा, तूलिका, रितिका और कनक सब तुलसी जी के आगे खड़ी हो जाती है।
तो हम पहले नाम देते है हमारी बड़ी बहु शुभ पृथ्वी प्रजापति क़ो आज से इनको हम रानी बहु बुलाएंगे, क्योंकि इनमे हमें हमारी छवि दिखती है, ये हमारे घर क़ो हमारी तरह ही संभालेगी इसलिये आज से ये रानी बहु हुई ।
अब आईये तूलिका बहु रानी, ये हमारी घर की तेज की तरह है, इनको देख कर ताकत मिलती है इसलिये ये हुई हमारी हुकुम रानी बहु हुई। ये है हमारी रितिका बहु और कनक बहु, ये दोनों हमारे कर की सुकून और ख़ुशी की तरह है, इन्हें देख हमारे दिल क़ो सुकून और शांति मिलती है, इसलिये इनका नाम हुआ आज से छोटी कुवरी कनक बहु और बड़ी कुंवरी रितिका बहु!!! सभी सुनकर कर खुश हो जाते है। शुभम और आकाश कहते है, दादी माँ !! बड़ी नानी माँ !! अब तक दीक्षा भाभी सा का नाम नहीं बताया आपने।
तुलसी जी हंसती हुई दीक्षा क़ो आगे बुलाती है। दीक्षा आगे आती है। तुलसी जी उसके कंधे पर हाथ रखती हुई कहती है, आप में हम पार्वती बहु के साथ साथ खुद की छवि, हमारी छोटी बहु और सुमन बहु की छवि दिखती है। आप में वो सब काबिलियत है जो हर औरत खुद में चाहती है, इसलिये आपका नाम महारानी बहु।
ये सुनकर सभी ताली बजाते हुए तुलसी जी की बातों का ख़ुशी के साथ स्वागत करते है। राजेंद्र जी कहते है, मजा आ गया हमारी पोते बहु का नाम सुनकर।
अब राजेंद्र जी कहते है की अब जरूरी बात करे, "आप लोग को याद है ना कि होली के दिन क्या करना है? यह सुन दक्ष कहता है हम दोनों भाई को जाकर वहां पूजा करना है। तुलसी जी कहती है नहीं आप दोनों को नहीं आप पांचो को। हम पांचो का क्या मतलब दादीसा समझा नहीं,' रौनक कहता है? तुलसी जी कहती है कि आप पांचों की शादी हुई है। हमारे पांचों बच्चे अपने जोड़े के साथ मंदिर में जा कर पूजा करें यही हमारी इक्शा है ।
यह सुनकर पृथ्वी कहता है लेकिन बड़ी दादी सा!! पूजा तो और सिर्फ घर का बड़ा बच्चा करता । इस पर राजेंद्र जी कहते हैं कि आप और दक्ष ही पूजा करेंगे लेकिन शामिल यह सभी जोड़ा होंगे। इसके बाद ही हम होली मनाएंगे। हमारे यहां होली के बाद नया वर्ष माना जाता है इसीलिए हम चाहते हैं कि आप पांचो जाकर वहां पूजा करें। यह सुनकर लक्ष्य, मुकुल जी और चेतन जी के माथे पर शिकन आ जाती है। दक्ष और पृथ्वी ज़ब लक्ष्य सब के माथे पर शिकन देखता है तो कहता है,"काका सा आप फिकर मत कीजिए।हम सब संभाल लेंगे।
लक्ष्य कहता है बात यह नहीं है, दक्ष,'बात यह है कि अगर उस रात हमारे महल पर हमला हुआ था। तो मंदिर में भी हमला हो सकता है और नियम के मुताबिक तुम में से कोई भी उस समय हथियार लेकर नहीं जा सकता और मंदिर में और कोई भी तुम्हारी सुरक्षा के लिए वहां नहीं जा सकता ।
यह सुनकर शुभम और हार्दिक कहते हैं मंदिर में नहीं हो सकता, " मामू!! लेकिन मंदिर के चारों तरफ हमारे आदमी होंगे हम खुद मौजूद होंगे। तो आप फिकर मत कीजिए मामा सा हम सब संभाल लेंगे। यह सुनकर सभी मुस्कुरा देते हैं।राजेंद्र जी कहते हैं कि लक्ष्य!! हमें अपने बच्चों पर पूरा भरोसा है वह सब कुछ संभाल लेंगे और पूजा भी विधि पूर्वक संपन्न होगी ।
दक्ष मुस्कुरा के कहता हैं, हां दादा सा!! यही होगा। तुलसी जी कहती है तब चलिए सभी तैयारी कीजिए। कुछ गुजिया बनाएं कुछ मिठाई बनाई जाए सब कुछ तैयारी हम आज से ही करते हैं कल होलिका दहन। उसकी भी तैयारी कर लेते हैं!! क्या कल आप सब ऑफिस जाने वाले हैं दक्ष!!! हां दादी सा कुछ जरूरी मीटिंग है लेकिन हम लोग जल्दी ही आ जाएंगे!!
दीक्षा कहती है, हाँ दादी सा!! वैसे भी ये सब का काम नहीं करने देंगे तो इनको ऑफिस ही जाने दीजिये। हम सब कर लेंगे और सब संभाल लेगे। सभी में यह बात सुनकर मुस्कुरा देते हैं। दक्ष आँख दिखाते हुए कहता है क्या मतलब आपका महारानी सा कि हमारा कोई काम नहीं है?
यह सुनकर अनामिका कहती है भाई सा बात यह है कि आप सब काम कम करेंगे और अपनी आंखों से सभी भाभियों क़ो ज्यादा ताड़ेगें!! इससे हमारी सभी भाभियाँ बहुत ज्यादा परेशान हो जाएगीं। इसलिए आप सब ऑफिस जाइए। बाकी सारा काम हम सब संभाल लेंगे। यह सुनकर सभी भाई उसको घूरते हुए देखते हैं। अनामिका जाकर शुभ और कनक के पीछे छुप जाती।
राजेंद्र जी हंसते हुए कहते हैं अब लगता है घर हमारा है। तुलसी जी कहती है हां। यह सुनकर झुमकी कहती है तो इसी खुशी में हम चाय और पकौड़े लेकर आए हैं,' चलिए गरमा गरम सभी नाश्ता कीजिए। मुकुल जी कहते हैं वाह!! पकौड़े खाने का तो बड़ा मन था। दीक्षा कहती है हमने जो शॉपिंग किया आप सब ने देखा। निशा जी कहती है नहीं अभी तो हम लोगों ने नहीं देखा। यह सुनकर दीक्षा सौम्या और अंकिता को इशारा देती है। दोनों जाकर सारी शॉपिंग बैग लेकर आ जाती। फिर एक-एक करके जो जो कपड़े लिए थे। वो सबको एक-एक कर देती है और कहती हम चाहते हैं कि होली के दिन आप सब यही कपड़े पहने। सभी उन कपड़ों को देखकर खुश होते हैं कहते हैं जरूर हम अपनी बहू रानीयों की इच्छा का मान रखेंगे।
सभी मुस्कुरा देते है।
अक्षय जब उस लड़की को लेकर गाड़ी में आता है तो उसे उठाने की कोशिश करता है। उसका पूरा चेहरा उसके बालों से ढका हुआ था। ना जाने क्यों अक्षय का दिल ज़ब से वो उस लड़की से मिला था उसकी तरफ खींचा जा रहा था। लेकिन खुद क़ो शादी शुदा मान वो अपने जज्बात क़ो खुद पर हाबी नहीं होने दे रहा था। ज़ब उसके चेहरे से बालों क़ो. हटाता है तो बड़ी बड़ी अध खुली आंखों से वह लड़की उसे देखती है और अपनी मादक आवाज़ में कहती है प्लीज!! मुझे बहुत गर्मी लग रही है मुझे कहीं ठंडे पानी में डाल दो। फिर उसे उसके शर्ट को पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए अपने होठों को उसके गर्दन पर लगाते हुए कहती है मुझे अच्छा लग रहा है तुम्हें छूना। मुझे खुद क़ो छूने दो प्लीज मर जाउंगी में इस जलन से, मेरे कपड़े उतार दो प्लीज।
अक्षय अच्छा समझ जाता है की उन लडको ने इसे ड्रग्स का ओवरडोज दिया गया। उसकी हालत देख उसके मन में ये ख्याल आता है की अगर उसने आज इसे नहीं बचाया होता तो इसकी क्या दुर्गति होती. ये सोच एक प्लीज के लिए उसका रूह कांप जाता है। वो लड़की उसके गले क़ो काट रही थी और सांप की तरह उससे ऐसी लिपटी थी की अलग नहीं होने चाहती थी।उसे समझ में नहीं आता कि, वह उस लड़की को लेकर कहां जाये। घर नहीं जा सकता क्योंकि घर में कम्या और उसकी बहन है।इसीलिए उसने सोचा चलो होटल ले जाता हूँ।
यही सोच वो उसे लेकर होटल चला जाता है। अक्षय को नहीं मालूम होता है कि कौन है ये ? फिर उसे लेकर वह होटल में जाता है और रिसेपेशन पर कहता है मुझे एक रूम चाहिए और आप प्लीज किसी डॉक्टर को जल्दी बुला दीजिए। मेरी पत्नी की तबियत ठीक नहीं है।वो उसे रूम दे देती है।अक्षय उसे लेकर सीधे कमरे में आता है। कुछ देर बाद डॉक्टर आता है और उसे चेक करने के बाद कहता है इनको ड्रग का ओवरडोज़ दिया गया है और मैंने इन्हें एंटीडोज का इंजेक्शन दे दिया है लेकिन इसमें आपकी जरूरत ज्यादा है। आप समझ रहे हैं मैं क्या कह रहा हूँ ?
अक्षय अफसोस की डॉक्टर की बात को समझते हुए सर हिला देता है। लेकिन उसकी हिम्मत नहीं होती डॉक्टर के जाने के बाद उस लड़की के करीब आये। लेकिन वो लड़की उस के हाथों को पकड़कर अपनी तरफ खींच लेती है। अक्षय उसके ऊपर आ जाता है, वो उसके चेहरे से अपना चेहरा रगड़ती हुई कहती है, प्लीज !! अक्षय उसे अपने बाहों में उठा कर सीधे वाशरूम में ले जाता है और शावर चला देता है। ठंडा पानी उसके बदन पर गिर रहा होता है।
ठंडे पानी की बौछार उसके बदन पर गिर रही होती है जिससे उसके तन की जलन की आग कम होने लगती है। उसने कपड़ा में एक पतली सी शर्ट पहन रखी थी। जो उसके बदन से पानी गिरने से चिपक जाती है। उसके पूरा बदन कपड़े से पूरी तरह से झाँकने लगता है। अक्षय की नजर उसके बदन के हिस्से पर जाती है लेकिन खुद को काबू करते हुए। वह उसे उसी तरह पकड़ के पानी के नीचे खड़ा रखता है और उससे पूछता है नाम क्या है तुम्हारा? वह लड़की अपनी लड़का राती जुबान से धीरे से कहती है लावण्या शेखावत और यह कहते हुए वह अपने भीगे होठों को अक्षय के गले पर रखे उसे चूमने लगती है।
अक्षय अपनी आँखे बंद कर उसे धीरे से हटाने की कोशिश करता है लेकिन वह खुद को उससे दूर नहीं करती है। वह कहती है मुझे तुम्हारी जरूरत है। अक्षय कहता है देखो यह गलत हो जाएगा। मुझे लगता है कि तुम शादीशुदा नहीं हूं और यह करने से मैं अब खुद को रोक नहीं पाऊंगा। लावण्या कहती है प्लीज मुझे अभी बचा लो। अक्षय कहता है अगर तुम होश में हो और मेरी बात सुन सकती हो तो ध्यान सुनना अभी हमारे भी जो भी होगा उसकी जिम्मेदारी मैं खुद लूंगा लेकिन अभी मैं तुम्हारे साथ किसी रिश्ते में नहीं बंध सकता हूँ। मैं पहले ही से किसी रिश्ते में हूं। लेकिन तुम्हें इतना वादा करता हूं कि मैं उस रिश्ते को तोड़ कर तुम्हारे साथ अपना रिश्ता जोरुँगा। मुझे नहीं पता की तुम्हारी जिंदगी में, मै पहला शख्स हूँ या नहीं। लेकिन मेरी जिंदगी में, तुम पहली और आखिरी होगी आज के बाद।
तुम्हें मुझ पर भरोसा करना पड़ेगा। पता नहीं अक्षय अपनी बातें लावण्या से कह रहा होता है लेकिन लावण्या क़ो उसकी बातें कितनी समझ में आती है। यह समझना थोड़ा मुश्किल होता है। अक्षय उसके चेहरे क़ो अपनी हाथों भर लेते है। दोनों के सर से पानी गिर कर दोनों के लबों से निचे जा रही होती है। दोनों एक दूसरे क़ो अपनी अपनी कशिश भरी नजर से देख रहे होते है। अक्षय कहता है, तुम्हें देख कर लगता है जैसे पहली नजर का प्यार सच में होता है। अपनी बातों को कह कर उसके होठों पर अपने होठों को रख देता है।
और उसे बहुत वाइल्ड तरीके से चूमने लगता है लावण्या भी उसे उसी तरह से झूमते हुए जवाब दे रही होती है।अक्षय पहली बार किसी लड़की की इतने करीब आया था और जहाँ लावण्या ड्रग्स के नशे में बेकाबू थी उसके साथ, अक्षय लावण्या के करीब से बेकाबू हो रहा था। दोनों की अपनी अपनी वजह थी। जहाँ अक्षय के टूटे दिल क़ो आज लावण्या से सुकून मिल. रहा था। वही लावण्या के बदन की जलन क़ो अक्षय का शरीर ठंडक पहुंचा रहा था।
अक्षय उससे कहता है तुम पहली लड़की हो जिस देख मेरा दिल धड़का है। पता नहीं तुम मुझसे प्यार करोगी या नहीं लेकिन मैं तुम्हें कभी भी अब प्यार करना नहीं छोड़ सकता हूँ ।आज से तुम अक्षय रायचंद की हो।कहते हुए उसके शर्ट क़ो फाड़ देता है। अब लावण्या उसके सामने अपने अन्तःवस्त्र में देखी। जिसे देख अक्षय बेकाबू होते हुए कहता है। लावण्या तुम सच में मेरे करीब होने चाहती हो। लावण्या उसकी बातों पर कोई जवाब नहीं देती वह बस उसे चूमने लगती है और काटने लगती है।
अक्षय कब तक खुद को बर्दाश्त कर पाता वह भी लावण्या पर टूट पड़ता है और उसके बदन के हर हिस्से को चूमने और काटने लगता है। लावण्या के बदन से सारे कपड़े उतार देता। अब लावण्या उसके सामने बिल्कुल बिना कपड़ों की थी। उसके गोरे बदन को देख अक्षय की आंखें में बेहिसाब मोहब्बत नजर आती है।उसे गोद में उठाकर बिस्तर पर ले जाता है और अपने कपड़े उतार कर उसे ऊपर आ जाता है और उसे प्यार करने लगता है। लावण्या अपनी मदहोश आवाज़ में कहती है लाइट्स बंद कर दो। अक्षय मुस्कुरा कर लाइट्स बंद कर देता है और दोनों क़ो एक चादर से ढक लेता है। हल्की पीली रौशनी में अक्षय क़ो लावण्या का बदन संगेमरमर सा लग रहा होता है।अक्षय उसके हर हिस्से को अपने लबों से चूमने और काटने लगता है।उसे इस तरह प्यार करने लगता है की लावण्या अब उसके प्यार में खुद को मदहोश होने से नहीं रोक पाती है और अपनी मादक आवाज़ में कहती है, " अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता अब मुझे मत तड़पाओ।
अक्षय उसे चूमना छोड़ उसके ऊपर आकर कहता है, " यह तुम्हारा पहली बार है क्या?? ना जाने क्यों अक्षय का दिल कह रहा था लावण्या का भी ये पहली बार हो !! वो बस लावण्या के जबाब का इंतजार कर रहा था। इसका जवाब लावण्या अपने सर को, " हां "!!में हिला कर देती है।
अक्षय अंदर से इतना खुश हुआ की उसकी आखों से आंसू बह गए जो लावण्या के गालों पर गिर गए थे। लावण्या ज़ब उसके आखों में आंसू देखती है तो हल्का खुद क़ो उठ कर उसके दोनों आखों क़ो चूम लेती है। अक्षय खुश होकर कहता है," अगर तुम्हें दर्द होगा तो तुम बर्दाश्त कर लोगी थोड़ा दर्द होगा।
लावण्या कहती है इस जलन से अच्छा मैं वह दर्द बर्दाश्त कर लुंगी. अक्षय मुस्कुरा तो उसके होठों पर अपने होठों को रखता है और धीरे से उसके अंदर खुद को समा देता है । उसकी चीख अक्षय के होठों में दब जाती है। अक्षय फिर उससे बहुत प्यार से करने लगता है। धीरे धीरे उसे दर्द में आराम आने लगता है और अक्षय और वह दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। ना जाने कितनी कितनी देर तक दोनों एक दूसरे से प्यार कर रहे होते हैं औरना जाने कब थक कर दोनों सो जाते हैं?
इधर ओमकार ज़ब घर आता है तो कम्या लिविंग रूम में रहती है और उसके सामने जाती है। ओमकार उसकी तरफ देखता नहीं है। कम्या कहती है क्या आपका खाना लगा दू। उस पर ओमकार कहता है, अक्षय आ गया!! नहीं उन्होंने कहा था की वो आज नहीं लौटेंगे। हम्म्म्म!! मुझे खाना नहीं एक कप कॉफी चाहिए। कम्या कहती है अभि भिजवाती हूँ।
कम्या ज़ब कॉफी बना रही. होती है तो. रितिका कहती है, दी!! मै जरा बाहर जा रही हूँ। थोड़ी देर से आउंगी। कम्या कहती है ठीक है। कम्या मन में कहती है, आज लगता है मेरी मुराद पूरी होने वाली है, कहती हुई कप में कुछ मिला देती है। फिर ओमकार के कमरे में दो कप कॉफी लेकर आती है।
आज की सुबह सबके लिए खास लेकर आया था। किसी के लिए अच्छी खबर थी तो किसी के लिए बुरी। लेकिन होली से एक दिन पहले की सुबह कुछ लोगों की जिंदगी बदलने वाली थी।
अक्षय की जब आँख खुलती है तो उसकी बाहों में लावण्या सोई हुई होती है। अक्षय बेहद प्यारे से लावण्या के चेहरे को देखता है और प्यार भरी नजर के साथ कहता है, " तुम मेरे सबसे ज्यादा खास हो और उसके माथे क़ो चूम लेता है । कुछ देर बाद ज़ब लावण्या की आंखें खुलती है तो अक्षय अपनी आंखें बंद कर लेता है।
अपने सर को पकड़ के कहती है, "आह्ह!! मेरा सर इतना भारी क्यों लग रहा है? मै हूँ कहाँ !! सर पकड़े हुए उसे महसूस होता है की वो किसी के बाहों में है। तब वो अपने बगल में देखती हैं तो अक्षय आँखे बंद किये हुए था। खुद क़ो किसी अजनबी के साथ देख लावण्या खुद से कहती है, नहीं !! नहीं !! ये नहीं हो सकता। ऐसे कैसे मै किसी के साथ हूँ। फिर खुद क़ो ज़ब चादर के अंदर महसूस करती है तो जोर से चीखने के लिए मुँह खोलती, उससे पहले अक्षय उसके मुंह पर हाथ रख देता है।
लावण्या उसको अपनी बड़ी बड़ी आंखों से देखते हुए इशारे से पूछती है कौन हो तुम? अक्षय कहता है चिल्लाना मत हम यहाँ पति पत्नी है और तुम्हारी चिल्लाने से सब गलत समझ लेगे। मै हाथ हटा रहा हूँ आराम से बात करते है। फिर वो उसके मुँह पड़ हाथ हटा देता है और उसे कहता है,"अच्छा कल रात को पूरी तरह मेरे से लिपटी हुई थी और अब कह रही हो की कौन हो तुम? लावण्या उसकी बात सुनकर अपनी आंखें बंद करके कल की बातें याद करने की कोशिश करती है लेकिन उससे कुछ अच्छी तरह से याद नहीं आता। वो उसे खुद पर से धक्का देती है और अपनी आंख दिखाते हुए कहती है,"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ कुछ करने की!!
अक्षय जब उसकी बातें सुनता है तो कहता है,"क्या तुम्हें कुछ याद नहीं है रात को क्या हुआ था हमारे बिच ? वो बेबसी से अपना सर ना में हिलाती है और कहती मुझे कुछ कुछ धुंधला सा याद है। अक्षय कहता है देखो मैंने बहुत कोशिश की थी, " तुम मेरे करीब नहीं आओ । लेकिन तुमने मेरी एक बात नहीं मानी। मैं सच कह रहा हूं। मैंने तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी तुम खुद मेरे करीब आयी थी । चाहे तो देख लो मुझे, ये कहते हुए अक्षय अपने ऊपर के हिस्से से चादर हटा देता है। लावण्या की नजर जब अक्षय की पूरी बॉडी पर जाती है तो उसके पूरी बॉडी पर उसके नाखून के निशान से लेकर उसे दांत काटने तक का निशान देख, लावण्या शर्म से सर झुका लेती और रोने लगती।
उसको इस तरह से रोते देख अक्षय को अच्छा नहीं लगता वह उसे पकड़ कर अपने सीने से लगाते हुए कहता है, "देखो जो भी हुआ उसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं । मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो और मेरी जिंदगी में इतने करीब सिर्फ तुम आयी हो। तुम वो पहली लड़की हो जिसके करीब मै आया हूँ और मै तुमसे वादा करता हूँ की मेरी जिंदगी में तुम्हारे सिवा आज से कोई नहीं होगी। पता नहीं तुम्हें मैं अच्छा लगता हूं या नहीं!! लेकिन मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो!! मुझे थोड़ा वक्त तो मैं इस रिश्ते को नाम देना चाहता हूं।
लावण्या ये सुनकर उसे अलग होती हुई कहती है,"लेकिन मैं तुम्हारे साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती ।रात जो भी हुआ हमारे बिच, समझ सकती हूँ की गलती मेरी होगी और मै अपनी जिम्मेदारी निफा सकती हूँ। समझ लेना हमदोनो के बिच वन नाईट स्टैंड हुआ। उसके आलवा कुछ नहीं। हम दोनों एक दूसरे के लिए अब से अजनबी है।
अक्षय उसकी बात सुनकर गुस्से में उसके दोनों गालों क़ो पकड़ कर दबाते हुए, उसके होठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमने के साथ काटने लगता है क्योंकि उसे लावण्या की बातें नहीं पसंद आयी। वो तब तक चुमता है ज़ब तक लावण्या की सांस में परेशानी नहीं आने लगती है. ज़ब वो उसके सीने पड़ मारने लगती है तो अक्षय उसे छोड़ कर घूरते हुए कहता है,"ये जो तुमने यूरोपयन कंट्री वाली लाइन बोली ना !! भूल. जाओ और अपनी खोपड़ी में बिठा लो बनोगी तुम. अक्षय रायचंद की पत्नी ही।क्योंकि रिश्ता तो तुम्हारा मेरे साथ जुड़ चुका है अब नाम लेने की जिम्मेदारी है ।
लावण्या कहती है जो हुआ रात की बात वह भूल जाओ तुम्हारा मेरे सामने मत आना। यह कहती भी उससे खुद को छुड़ाकर उठने की कोशिश करती लेकिन फिर वह गिरने लगती। अक्षय उसे पकड़ कर अपनी बाहों में भर लेता है। अभी दोनों बिना कपड़ो के देख और अक्षय कहता है, तुम चाहे जितना भाग लो। मै तुम्हें खुद के पास लाकर रहुगा। अभी मै कुछ अधूरा काम पूरा कर लूँ फिर तुम्हें मेरी होने से कोई नहीं बचा सकता। उसे गोद में उठाकर वॉशरूम ले जाता है और उसे तब में लिटा कर गरम पानी भर देता है। फिर उसके चेहरे के हर हिस्से क़ो चूमते हुए कहता है.... अपना ध्यान रखना। तुम्हारे कपड़े बाहर मंगवा दिए है। जल्दी मिलुंगा कहते हुए निकल जाता है। लावण्या बस मुँह देखते रह जाती है क्योंकि एक रात में उसकी जिंदगी बिल्कुल बदल चुकी थी।अक्षय निकलने से पहले लावण्या के लिए एक नोट लिख कर चला जाता है।
प्रजापति महल
शुभ हमें देर हो रही है, हम निकल रहे है। शाम क़ो जल्दी लौट आएंगे। आज सुबह से प्रजापति महल में भागा भागी थी। सभी बड़े हॉल में बैठे चाय की चुस्कीया लेते हुए अपने पांचो पोते और पांचो बहुओं क़ो देख रहे थे। लक्ष्य कहता है, अब लगता है की हमारे घर में रौनक लौट आयी। ये सुनकर मुकल जी कहते है, हमें तो हमारी जवानी के दिन याद आ गए। इसी तरह निशा क़ो हम अपने आगे पीछे ऑफिस जाते हुए दोड़ाया करते थे। निशा कहती है, हाँ!!और इनके जाने के बाद मै आराम से सुबह की चाय पीने बैठती थी। सुकन्या कहती है,'हाँ!! अब यही हाल हमारी बहुओं की हो रही है। सभी मुस्कुरा देते है।
तूलिका मै नाश्ता नहीं करुँगा। लेकिन अतुल जल्दी आ जाऊंगा बाय। स्वीट्स हमारा वॉलेट कमरे में रह गया लेते आईये। क्या दक्ष!! हमने सब कुछ निकल कर दिया था, फिर भी आप भूल गए। चलिए आप नाश्ता कीजिये। हम लेकर आते है। नहीं स्वीट्स!!हम नाश्ता नहीं करेगी। भाई सा और अतुल हमारा इंतजार कर रहे है। दीक्षा वॉलेट लेकर आती है तो अनीश, रौनक के साथ साथ शुभम सब भी नाश्ता नहीं कर जल्दी निकलने लगती है। तभी शुभ जोर से आवाज़ दे कर कहती है, जो जहाँ है वही रुक जाईये।
सब उसकी कठोर आवाज़ सुनकर रुक जाते है और इधर बड़े भी चाय पीना छोड़ उसे देखने लगते है। कनक, रीती आप दोनों सभी क़ो पराठा रोल करके हाथ में दीजिये। तुली और दीक्षा सबको हाथ में एक एक गिलास जूस दीजिये। सभी वही करती है। शुभ एक पराठा और जूस लेकर पृथ्वी क़ो देती है और सबको कहती है। आप सब जूस पी ले और गाड़ी में पराठा खा ले। कल से आप सब अगर देर से उठ कर हमारे सर पड़ तांडव मचाया तो ठीक नहीं होगा। नाश्ता बिना किये कोई घर से बाहर नहीं जा सकता। सभी जल्दी जल्दी जूस पीते है और अपनी अपनी पत्नी क़ो माथे पड़ चूमते हुए निकल जाते है।
उनके निकलते ही सभी बड़े हंसने लगते है और दीक्षा सब सांस लेती हुई उन सभी के पास बैठ जाती है। रितिका कहती है, "झुमकी हमारे लिए चाय लाना, सुबह से चाय नहीं पी है।"
बाहर जैसे ही सब आते है, जोर से सांस छोड़ते हुए अनीश कहता है..... आज तो पत्नी बम फुटने से बचा गया। उसके साथ सभी कहते है, "हाँ!!अब चलो ताकि शाम क़ो जल्दी पहुँचे। अगर देर हुई तो ये बम. रात क़ो परमाणु बम बन जाएगी। सभी हँसते हुए निकल. जाते है।
रायचंद विला
जब ओंकार की आंखें खुलती है तो सर को पकड़ते हुए कहता है,"आह!! सर क्यों दुख रहा है मेरा। रात में क्या हुआ था मुझे कुछ याद क्यों नहीं ? इतने सारे सवाल खुद से करते हुए जब वह उठने की कोशिश करता है तो अपने बॉडी पर किसी का हाथ देखता है। किसी लड़की का हाथ देख उसकी आंखें बड़ी हो जाती है वह घूम कर देखता है तो उसके बगल में कम्या वसो हो रही होती है।ये देख उसकी आँखे बड़ी हो जाती है। वो तेजी से खुद के शरीर और उसकी पीठ क़ो देखता है। जो पूरी तरह से निशान से भरे हुए थे।
खुद से बातें करते हुए, नहीं!!नहीं!! मै अपने छोटे भाई की पत्नी के साथ ऐसे कैसे कर सकता हूँ। कल क्या हुआ था कुछ याद क्यों नहीं आ रहा मुझे। कल कॉफ़ी पीने के बाद का मुझे कुछ याद क्यों नहीं। अचानक कुछ सोच वो गुस्से और नफ़रत से कम्या क़ो देखने लगता है।