Chereads / RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत) / Chapter 8 - ब्रम्हा शास्त्र मिला brahma shastra found

Chapter 8 - ब्रम्हा शास्त्र मिला brahma shastra found

जलेदी राक्षस के महाराजा भगवान शिव के लिंग के पास बैठ कर पूजा कर रहा था," नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय| नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय| मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय| श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥

अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।। !."

तभी वो एक कौवा आकर अपने महाराजा के सामने छिपकिली के रूप में खड़ा हो गया, जलेदी के महाराजा जब उस छिपकिलि को देखा परंतु अपने पूजा पे ध्यान देते रहा, तभी वो छिपकिली की आवाज आई," महाराज की जय, महाराज मैं आज बहुत दुख भरी संदेश लेकर आया हूं, यदि आपका इजाज़त हो तो मैं बता सकता हूं!." महाराजा उस छिपकिलि की बात सुन कर गुस्सा से देखने लगा, वो छिपकिली महाराजा की गुस्सा देख कर कहा," महराज यदि मेरे इस संदेश से आपको प्रेशानी हुआ होगा तो मुझे छम्मा करे!." और फिर से कौवा की भेष बदल कर वहा से जाने को चाहा तभी महाराजा खड़ा होकर कहे," नही चिपकिली, तुम ठहरो और मुझे सब संदेश दो!." वो कौवा वही पे रुक गई और कहने लगी," महराज राक्षस जलेदी की पंचत्व हो गई है!." महाराजा उस कौवा की बात सुन कर गुस्सा हो गया था और जोर जोर से कहने लगा," नही जलेदी की अंत ऐसे नही हो सकती है, तुम झूठे संदेश लेकर आय हो!." वो कौवा अपने महाराजा की बात सुन कर आश्चर्य से कहा," महराज ये सत्य है जलेदी जब पयोधि हो रहा था तब उसने जोर से आवाज दिया," राम जय श्री राम!." महाराजा कौवा की बात सुन कर आश्चर्य से पूछा ," परंतु वो कौन था जो जलेदी को निर्वाण किया!." वो कौवा महाराजा की बात सुन कर कहा," महराज, वो बालक कोई बालक नही है, अर्थात वो कोई श्री राम चंद्र यों बजरंग बल्ली का भक्त है , यदि उसे कोई भी प्राणी छूना चाहेगा तो भस्म हो जाएगा, अर्थात आपको दुष्ट न हो तो मैं कुछ कथन चाहता हूं!." वो महाराजा उस कौवा की बात सुन कर कहा," कथन.. कथन चाहते हो, अनुरोध है!." वो कौवा महाराजा की बात सुन कर कहा," आप उस बालक से युद्ध का पयेगाम मत मांगिए, आप भी रावण की तरह इस बालक राम्या की शरण में चले जाइए!." वो महाराजा इस कौवा की बात सुन कर बहुत गुस्सा हो गया और कहने लगा," नही.. कभी नही मैं उस बालक से शिकस्त नही हो सकते है, मैं उसे युद्ध करूंगा, जाओ उसकी बहन काम्या की संदेश लेकर आओ मैं स्वयं जाऊंगा!." वो कौवा अपने महाराजा की बात सुन कर कहा," परंतु असंभव है वहा पे जाना!." महाराजा गुस्सा में उस कौवा से कहा," परंतु क्यू!." वो कौवा महाजराजा से कहा," महराज वो बालक अपने घर से दूर जंगल में रहता है, उसकी बहन को किसी ने आज तक देखा ही नहीं, फिर मैं तो क्या इस स्मारक का कोई भी नही जा सकता है!." वो महाराजा कौवा की बात सुन कर गुस्सा में कहा," तुम जाओ और अपना एकटक नजर उस बालक पे दृढ़ रखो, कभी तो वो आयेगी उस बालक से मिलने!." वो कौवा अपने महाराजा की बात सुन कर कहा," जो आज्ञा महराज !." वो कौवा वहा से उड़ कर फिर वहा चल दिया फिर से जाकर एक पेड़ पे बैठ गया और राम्या को देखने लगा,

राम्या जिस मंदिर में रहता था उस मंदिर से काफी दूर पे राम्या की गुरु हरिदास रहते थे राम्या सुबह में अपने पोटली में थोड़ा सा चाना बांध कर और धनुष लेकर वहा से चल दिए अपने गुरु हरिदास के पास, राम्या जब अपने आश्रम पहुंचा तो राम्या की गुरु हरिदास एक चटाई पे बैठे थे और बहुत सारे शिष्य आंख बंद कर के सामने बैठ कर ," वॉम नमः शिवाय: ... वॉम नमः शिवाय: ... वॉम नमः शिवाय: ... वाॅम नमः शिवाय: ... वॉम नमः शिवाय: ... !." का जाप कर रहे थे, राम्या थोड़ा गच हो गया था राम्या काफी अधिक ज्ञानी था, परंतु हरिदास बाबा सबको एक जैसा ज्ञान देते थे, राम्या गच होने की कारण चुपके से जाकर अपने चटाई पे बैठ गय, हरिदास बाबा को पता चल गया था की राम्या यहां पे उपस्तित हो चुका है, जाप समाप्त होते ही हरिदास बाबा जब अपना आंख खोले तो सामने राम्या नही था, बाबा को लगा की," मेरा अनुभव गलत निकला परंतु राम्या तो यहां पे आया था कहा गया होगा!." हरिदास बाबा राम्या को वहा से उठ कर ढूढते हुए बीच जंगल में चले गय, राम्या अपनी धनुष से बाण को एक आम के पेड़ पे आम तोड़ने के लिए वार कर रहे थे, तभी हरिदास की नजर राम्या पे पड़ा तो हरिदास राम्या के पीछे चुप चाप खड़ा रहे, राम्या एक बाण जैसे छोड़ा जाकर वो पे लग गया और वो आम गिर गया, राम्या उस आम को उठा कर अपने पोटली में बंध कर रख लिया, फिर से राम्या दूसरी बाण को चलाया तभी वो बाण आम को मिस कर गया और एक जानवर को जाकर लग गया वो जानवर हिरण था, हिरण जमीन पे गिरते ही मनुष्य का भेष में आ गया था और जोर से चिला उठा," जय श्री राम, जय श्री राम!." राम्या ये आवाज सुन कर बहुत घबरा गया और चारो तरफ नजर घुमा कर देखने लगा, परंतु कोई नही नजर नहीं आया, राम्या के पीछे ही राम्या की गुरु खड़े थे राम्या जैसे पीछे घूम कर देखा तो हरिदास खड़े थे राम्या अपने गुरु को देख कर कहे," गुरु जी ये कैसी तान थी, जो मेरे प्रभु श्री राम की नाम आ रही थी!." राम्या की गुरु राम्या की बात सुन कहे," कौन हो सकता है चलो चल कर देखते है!." राम्या और राम्या की गुरु दोनो वहा से उस जानवर के पास चल दिए, जब उस जानवर के पास पहुंचे तो हरिदास की नजर एक साधु पे पड़ी और उसके आसन पे राम्या का ही धनुष लगा था जिसका देहांत हो चुका था, परंतु उस साधु के पास एक धनुष था वो धनुष ब्रमः शास्त्र था, हरिदास उस धनुष को उठा कर गौर से देखने लगे, तो राम्या भी उस धनुष को देखते हुए अपने गुरु से कहा," गुरु जी ये कौन सी शास्त्र है!." हरिदास बाबा उस धनुष को देखते ही समझ गय थे की ये," जरूर ब्रम्हा जी का शक्ति है!." राम्या की गुरु जी मृषा शब्द से कहा," ये कोई साधारण सा साधु का धनुष है अब इनको संभाल कर हमे ही रखना होगा!." राम्या बालक था परंतु ज्ञानी बहुत था अर्थात इस बात को राम्या समझ नही पाया की मेरे गुरु जी जिस धनुष को लिए थे वो धनुष ब्रम्हा शास्त्र था, राम्या की तरफ देखते हुए हरिदास गुरु कहे," चलो आश्रम श्री राम और बजरंग बल्ली की आरती की अवकाश आ चुकी है!." राम्या और राम्या की गुरु जी वहा से अपने आश्रम की तरफ चल दिए,

महाराजा की संदेशा देने वाली छिपकिली हरिदास के हाथ में वो धनुष देख कर सोचा," ये कौंशी शास्त्र है जिसे ये उठा कर ले जा रहा है, मुझे अपने महाराजा को बताना चाहिए!." वो छिपकिली कौवा की भेष बदल कर वहा से अपने महाराजा के पास चल दिया,

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to be continued...

क्या होगा अब इस कहानी का अंजाम हरिदास वो ब्रम्हा शास्त्र धनुष किसको देंगे, और कौवा अपने महाराजा को बताएगा तो क्या होगा जानने के लिए पढ़े " RAMYA YUDDH"

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