*कहीं दूर जब दिन ढल जाए,,साँझ की दुल्हन बदन चुराए ..चुपके से आए*
राजेश ख्नना की फिल्म "आनंद" 1971 का ये गीत आज भी जिंदगी की बहुत सी पहेलियां सुलझा देता है । हम अब पूरी तरह तो सबकुछ ठीक नहीं कर सकते पर...^_^
समंदर के किनारे बैठे मैं अक्सर वो दिन याद करता हूं, जब सब कुछ एक जैसा था, ये नदी ये आसमां ये हवाएं ये उड़ते हुए पंछी सब अपनी जगह थे ,हम समय के साथ खुद को ढाल तो लेते हैं पर शायद कहीं वो एक छोटा निशान हमारे अंदर रह ही जाता है , अब तो ये हवा ये लहरें ये उड़ते हुए पंछी सब एक छलावा सा लगता है ..किसने कभी सोचा था कि आज यहां बैठे हम उस वक्त को कोसेंगे जो शायद हमारा था ही नहीं ।
जरूरत,,एक इन्सान की क्या जरूरतें होती होंगी,,कभी सोचा है, ख़ैर आप सब ज्यादा मत सोचो ये हमारी कहानी है तो सोच भी हमारी होगी.
यूं तो मैं उस शहर से आता हूं जिस शहर ने दुनिया को मौहब्बत की निशानी दी, मगर इसी शहर ने हमे भी एक ऐसा निशान दे दिया जो शायद अब किसी की जरूरतों के साथ खत्म हुआ ।
आपको भी लगता होगा जिसके साथ आप अभी हो या फिर जिसका इंतज़ार है उसके लिए आप सबकुछ है मगर आप भी एक जरूरत हो और जब जरूरतें खत्म होती है तभी एक रिश्ता भी खत्म किया जाता है।
ख़ैर इन सब बातों का अब कोई महत्व नहीं है क्युकी अब मैं जिंदगी में वापस आ गया हूं ^_^
कई साल इंतज़ार करने के बाद,, कई मील चलने के बाद,, कुछ हड्डियां तुड़वाने के बाद पता चला जिस नांव पर हम चल रहे थे वो पानी नहीं बस आग पर चल रही थी फिर जब हम उस नांव से उतरे अपनी हिस्से की ज़मीन पर कदम रखा तब हमें अपनी जिंदगी मिली
गलती उसकी नहीं की वो साथ नहीं गलती हमारी थी कि उसको पहले ही दूर क्यों नहीं किया ,हर चीज साथ छोड़ देती है जब जरूरत हो, आपके सिर के बाल भी आपको छोड़ जाएंगे और आपकी रूह भी बचेगा तो बस ये मांस और हड्डी से भरा थैला जिसको लोग जिस्म कहते है ।
उन सब दिनों के बाद हम अपने जीवन में वापस आए अब लगता है कि फौज के अलावा हमे कोई अपनाएगा नहीं तो चलिए अब हम भी फौज के काम आएंगे ।
आप लोगो को लग रहा होगा ये कहानी लिखी जा रही है या कोई दिल टूटे आदमी की कहानी, ख़ैर आगे चलिए साथ सब समझ में आ जाएगा की किसने क्या क्या किया है आपके साथ भी ।
अभी तो सूरज भी डूबने लगा है ये समंदर की लहरे भी अब किनारे से दूर जा रही है ,इसका मतलब तो समझते हो ना , जाओ अब अंधेरा होगा और कोई साथ नहीं होगा ।
अब कल कि सुबह के साथ आपको आगे की अच्छी जिंदगी के बारे में बताएंगे ये पुरानी बातें आज रात ही खत्म हो जाएंगी अंधेरे में .।
Written by...
- Anurag kumar