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Chapter 2 - एक छोटी गौरैया

उन जगहों पर पानी बहुत होता है जहां कभी किसी ने किसी को मिलने बुलाया हो , ख़ैर हमारा तो शहर ही नदी के किनारे है । ये धीमी धीमी धूप , ये सुबह की सर्द हवाएं, पंछियों का चहचहाना, यूं तो मेरे आगरा शहर में सबकुछ खुशनुमा है बस मुझे छोड़कर ^_^

इक छोटी सी गौरैया मेरे कमरे के बार आयी है , वो मुझे नजरअंदाज कर बस अपनी धुन में उड़ रही है मानो जैसे कह रही हो ,चलो उठो अब कबतक ऐसे सोए रहोगे ,देखो बाहर कितनी अच्छी धूप आई है , मगर इस नटखट गौरैया को क्या पता होगा धूप ही तो अंध्यारा करती है समय आने पर ।

वैसे तो हर रोज एक नया दिन आता है, अपने बिस्तर से उठना,अपने दांतो को चमकाना, वही सदियों पुराना अपना चेहरा फिर से देखना फिर अपने हाथों से चेहरे पर एक मुस्कान लाना और पूरे दिन उसको संभालना,, क्यूं आसान है ना ? ...ख़ैर आज का दिन थोड़ा नया भी है और ख़ास भी क्यूंकि आज मेरे स्कूल का आखिरी दिन है, यूं तो हमेशा से हमारे स्कूल ने हमें लूटा होगा मगर बस एक आज का ही दिन होता है जब पूरा स्कूल आपको "आप" होने का अहसास देता है ,आज हम सबकी विदाई होगी इस स्कूल से , वैसे आज बहुत ख़ुश हूं मैं पर एक खौफ भी है, आज मैं उसको पहली बार साड़ी में देखूंगा पर शायद आज आखिरी बार उसको देखूंगा , नहीं ,,,, ये आखिरी बार नहीं होगा वो हमेशा मेरे सामने रहेगी , यूं तो उसका एक फोन आ जाता था तो पूरे दिन मुस्कराने की वजह मिलती थी पर अब उसका फोन देख कर भी डर लगता है पता नहीं अब हमसे क्या शिकायत हो,

आज का दिन बहुत ख़ास है मगर थोड़ा ख़ास और बन गया जब उसने मुझे फोन कर मिलने बुलाया , पूरा साल बीत गया आज उसको मुझसे मिलना है , क्या लगता है आपको क्या बोलना होगा उसको ख़ैर जों भी हो हमे तो जाना ही है उनके पास ।

उसका लाल साड़ी में सजकर आना ,और इस चेहरे पर एक मुस्कान का छाना, लगता है जैसे मैने ही इस दिन को बनाया है सबकुछ मेरे लिए ही हो रहा है।

बस पलक झपकते ही वो दिन बीत गया , सबकुछ शुरु हुआ और खत्म भी हो गया पर मुझे ख़ाली क्यों लग रहा है सब , वैसे तो उसने मुझे मिलने बुलाया था मगर उससे मिलने वालों को कतार थोड़ी लम्बी थी , मैं उसके सामने से भी गुजरा रहूंगा पर शायद उसकी नजरें अब किसी और को ढूंढ रही है। उसने मुझे जब भी देखा मेरे चेहरे पर एक ख़ुशी थी, तो शायद उसको लगता होगा,,

*"कि उनके आने से जो आती है चेहरे पर रौनक

वो समझते है बीमार का हाल अच्छा है"*

दिन बीतते गए हम भी ठीक होते जा रहे थे मगर एक सवाल फिर सामने आ गया, चल आप बताओ कैसा हो जब आप किसी के लिए पूरा मौहल्ला घूमते रहो दिन भर और वही इन्सान शहर छोड़ कर चला जाए, तब आप भागोगे ,और ऐसे भागोगे जैसे एक बन्दूक से निकली गोली जाती है किसी के सीने में घुसने ,हम भी भागे थे ,इतना भागे की उसके घर तक आ गये ,उनके घर का हर एक शक्स हमसे मिला सब ने खबर दी जाने की, उनसे भी मुलाक़ात होती अगर वो अपनी नजरें चुरा कर ना गए होते ।

वो शहर से तो बाद में गई पहले हमारे दिल से गई और अब तो काफी बरस हुए इस बात को ,अब हम भी उन्हें भूल चुके है ,बस मेरी हर लिखावट में उसका अक्श होता है, अब शहर में राहत है पर वीरानगी भी ।

अब आगे की जिंदगी थोड़े अच्छे से बीतेगी इस उम्मीद में आगे चलते है

अब जब आप आओगे कुछ अच्छा सुनने को मिलेगा ये वादा है हमारा ।

मिलते हैं जल्दी ही एक खुशखबरी के साथ ^_^

written by

- Anurag kumar ^_^