अर्ज़ कुछ यूँ किया हैं जरा गौर फरमाइयेगा
शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता हैं
शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता हैं
टूटने पर जुड़ते भी हैं
पर क्या फायदा निशान रह जाता हैं
अर्ज़ कुछ यूँ किया हैं जरा गौर फरमाइयेगा
शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता हैं
शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता हैं
टूटने पर जुड़ते भी हैं
पर क्या फायदा निशान रह जाता हैं