Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 4 - Shairy No 4

Chapter 4 - Shairy No 4

अर्ज़ कुछ यूँ किया हैं जरा गौर फरमाइयेगा

मुस्कुराते हुए रहना, गम का साया तक पड़ने ना देना

मुस्कुराते हुए रहना, गम का साया तक पड़ने ना देना

गम का साया अगर पड़ भी जाये तो मुस्कुराते हुए चेहरे का नक़ाब ओढ़ लेना।