Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 5 - Shairy No 5

Chapter 5 - Shairy No 5

अर्ज़ कुछ यूँ किया हैं जरा गौर फरमाइयेगा

सुलगती हुई चिंगारी हूँ में हवा ना देना

सुलगती हुई चिंगारी हूँ में हवा ना देना

कहीं आग का गोला ना बन जाये