जी नुआन का दिल उमड़ आया और उसने खुद को उसकी बाँहों में सौंप दिया।
अभी सुबह शुरू ही हुई थी, और वह अभी तक दो बार ऐसा कर चुकी थी। अब तक, मो जिंगशेन को कुछ हद तक उसके अचानक से उमड़ रहे मीठे आवेग की आदत हो गई थी। उसने अपनी आँखें नीची कर धीरे से उसे पकड़े हुए, छोटे से सिर को देखा जो उसके आलिंगन में था। "जब तुम खाना खत्म कर लो, तो आराम करने के लिए कमरे में लौट जाना। शरद ऋतु की शुरुआत हो चुकी है। ठंड न पकड़ लेना।"
"खाने के ठीक बाद आराम करने जाना, क्या तुम मुझे सुअर की तरह पाल रहे हो?" जी नुआन ने उसके आलिंगन में अपना चेहरा रगड़ा।
अचानक यह देखते हुए कि उनके आस-पास के सहायकों को यह सब देख कर शर्म आ रही थी और उन्हे यह अनुपयुक्त लग रहा था, वह जल्दी से उसके आलिंगन से पीछे हट गई लेकिन उसने गौर किया कि उसे देखते हुए मो जिंगशेन की निगाहों में एक ऐसी हल्की मुस्कान थी जिसे समझना मुश्किल था।
"क्या तुम पहले हमेशा ऐसे ही नहीं करती थी?"
"वो तो…"
अतीत में, जी नुआन को मो जिंगशेन के साथ नाश्ता करना कभी पसंद नहीं था। वह हमेशा जल्दी जल्दी नाश्ता खत्म करती थी और फिर कोई मनमाना बहाना ढूंढ कर आराम करने के लिए वापस अपने कमरे में लौट जाती थी। वह हमेशा उसके आसपास एक मिनट भी ज्यादा बिताने के लिए तैयार नहीं थी।
"खों खों, ऐसा इसलिए था क्योंकि मैं पहले बहुत अच्छी तरह से सो नहीं पाती थी, तो मुझे दिन में थोड़ी नींद पूरी करनी पड़ती थी।" जी नुआन ने अपना चेहरा मलते हुए समझाया। "तुम जानते हो! अच्छे आराम से खूबसूरत त्वचा मिलती है!"
मो जिंगशेन ने उसके फूहड़ स्पष्टीकरण पर चुटकी ली और उसके स्पष्ट रूप से जबरन के तर्क का प्रत्युत्तर देने से स्वयं को रोक लिया।
यह देखकर कि मो जिंगशेन को उस पर विश्वास नहीं हो रहा था, उसने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपने चेहरे पर दबा लिया। "यदि तुम मुझ पर विश्वास नहीं करते हो, तो इसे स्पर्श करो! क्या यह नरम और चिकना नहीं है?"
मो जिंगशेन ने जी नुआन के चेहरे पर अपना अंगूठा धीरे से रगड़ा। जी नुआन ने उसके हाथों को पकड़ रखा था लेकिन वह उनकी हरकत को काबू नहीं कर पा रही थी। उसने उसकी ठुड्डी पर चुटकी ली। उसका चेहरा उस आदमी को देख तुरंत लाल हो गया, जो उसके करीब आ रहा था।
"वास्तव में, यह नरम और चिकना है," वह थोड़े भारी स्वर में फुसफुसाया।
इन तीन शब्दों को शुरू में उसके चेहरे का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उसके मुंह से यह सुनकर उसे लगा कि जैसे बात कुछ और थी। इससे उसका चेहरा लाल हो गया और उसकी धड़कन तेज हो गई।
"श्रीमती मो मुझे इतने सीधे तौर से बहका रही है। क्या तुम नहीं चाहती कि मैं कंपनी जाऊँ?" मो जिंगशेन उसके होंठों के ठीक बगल में फुसफुसाया। केवल एक उंगली की दूरी ने दोनों को चूमने से रोक रखा था।
जी नुआन का दिल धड़क गया।
वह उसे इस तरह कैसे छेड़ सकता है ...
मो जिंगशेन, वह उसे इस तरह कैसे छेड़ सकता है!
उसके पिछले जीवन में, उसके दिमाग में पानी भर गया होगा जो उसने मो जिंगशेन को एक हज़ार मील दूर धकेल दिया था! कौन कहता है कि एक भावना रहित व्यापारी एक रिश्ते में बेहद पारंपरिक और नीरस होता है!
वह स्पष्ट रूप से उसे मौत की कगार तक छेड़ रहा था!
जी नुआन ने अपनी आँखें बंद कर ली पर लगभग आधा पल बीत जाने पर भी, जिस चुंबन की उम्मीद उसे थी वह हुई ही नहीं।
जब उसने अपनी आँखें खोलीं, तो उसने देखा कि मो जिंगशेन की नज़र उस पर टिकी हुई है।
वह हमेशा निरुत्साह और शांत रहता था, दूसरों से दूरी बनाए रखता था और लोगों के बदलावों को देखने में कुशाग्र था। जी नुआन का चरित्र अचानक इतना बदल गया था, हालाँकि उन्होंने कुछ पूछा नहीं, पर इसका मतलब यह नहीं था कि उसने इन परिवर्तनों को ध्यान नहीं दिया था।
जी नुआन आश्चर्य में थम गई। उसने महसूस किया कि शायद वह बहुत जल्दबाजी कर रही थी और वह सहज रूप से एक कदम पीछे हट गई।
जैसे ही वह उससे दूर जाने वाली थी, मो जिंगशेन के हाथ ने उसकी कमर को पकड़ा और उसे वापस खींच लिया।
उसके होंठ तुरंत उसके होंठों पर चस्पा हो गए।
सहायकों ने पहले ही मेज साफ कर दी थी। उनके आसपास कोई नहीं था, और वहाँ इतनी शांति थी कि वह एक दूसरे की साँसे सुन पा रहे थे। जी नुआन ने अपनी बाँहों को उठाया और उन्हें उसकी गर्दन के चारों ओर कसकर लपेट दिया; उसकी नम आँखें मदहोश हो गई थीं।
मो जिंगशेन ने अपनी आँखें मूँद लीं।
देखने का कोई विकल्प नहीं था, अगर वह थोड़े लंबे समय तक उसे और देखता, तो आज की बैठक को कल पर वापस धकेलना पड़ेगा।
इस छोटी सी महिला के शरीर की ताजा गंध उसे आकर्षित कर रही थी। यद्यपि यह सिर्फ एक चुंबन था, यह जी नुआन को अपने नीचे दबाने की कामना करने के लिए पर्याप्त था।
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आंटी छें अतिथि शयनकक्ष से कंबल बाहर ले आईं। जिस क्षण वह बाहर निकली उसने देखा कि जी नुआन सोफे पर चमकदार-लाल हुए चेहरे के साथ बैठी थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी आत्मा चुरा ली गई हो।
यू गार्डन के दरवाजे की घंटी बजी। मो जिंगशेन, जिसे अभी-अभी कंपनी का फोन आया था और जा ही रहा था, सीधे दरवाजा खोलने चला गया।
दरवाजा खुला और वहाँ जी मेंगरान खड़ी थी।
जी मेंगरान ने हल्के रंग के कपड़े पहने हुए थे। उसके चेहरे पर थोड़ा हल्का मेकअप था जो उसकी जवानी को निखार रहा था। जैसे ही उसने देखा कि यह मो जिंगशेन है जिसने दरवाजा खोला था, उसकी आँखें चमक उठीं।
"भाई जिंगशेन! इस समय आम तौर पर, तुम पहले से ही कार्यालय में होते हो! तुम आज अभी तक गए क्यों नहीं?" जी मेंगरान का चेहरा खुशी से भर गया।
इससे पहले, जी मेंगरान मो जिंगशेन को दिलासा देने के बहाने का उपयोग करके उसे ढूंढने जाया करती थी, लेकिन वह हमेशा कार्यालय में होता था। मो कार्यालय इतनी सख्ती से प्रबंधित किया गया था कि उसके अंदर जा पाने का कोई विकल्प नहीं था। पिछली रात वह यू गार्डन में उसकी केवल एक झलक पाने में सफल रही, जब वह जी नुआन को अपने कमरे में खींच कर ले गया। एक लंबे समय से वह उसके इतने करीब खड़ी नहीं हो पायी थी।
वह दरवाजा खोलने के लिए आया था, यह उसके लिए एक आश्चर्यजनक अचंभा था!
मो जिंगशेन का शरीर लंबा और तंदुरुस्त था। वह उसे अंदर ना जाने देने के इरादे से दरवाजे पर खड़ा हुआ था।
मेंगरान ने अंदर झांका। उस कोने से, वह जी नुआन को नहीं देख पा रही थी, इसलिए वह धीरे से बोली, "क्या मेरी बहन अभी भी सो रही है? ऐ, किसी को बिना देखे पूरे दिन अपने आप को कमरे में बंद रखना, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि उसका चरित्र दिन-ब-दिन अजीब होते जा रहा है। मैं उसे मनाने के लिए समय निकाल लूँगी।"
उसने इस तरह बोलने की हिम्मत की क्योंकि वह पहले से ही योजना बना कर बैठी थी।
चूंकि जी नुआन और मो जिंगशेन के बीच एक अवरोध था, भले ही वह किसी भी वजह से कल यू गार्डन में लौटा हो, पिछली रात यहाँ बहुत शांति नहीं रही होगी। जी नुआन ने उसके साथ फिर से झगड़ा किया होगा।
"इतनी जल्दी आ गई यहाँ?" मो जिंगशेन की आवाज़ शांत थी और इसमें कोई गर्मजोशी नहीं थी।
मेंगरान को पहले से ही उसकी उदासीनता की आदत थी और उसे लगा कि कल रात उनके बीच कुछ अप्रसन्नता भरी बात हुई होगी।
उसने एक समझदार मुस्कान दी। "मुझे चिंता है कि चूंकि मेरी बहन इन कुछ दिनों से बहुत खुश नहीं है, इसलिए वह फिर से कुछ अनुचित परेशानी का कारण बन सकती है। इसलिए, मैंने सोचा कि जल्दी आ जाऊँ और उसके साथ साथ रहूँ।"
"मैंने क्या अनुचित चीजें की हैं?" अचानक जी नुआन की आवाज कमरे के अंदर से आई।
जी मेंगरान एकदम जड़ हो गई।
जी नुआन चल कर मो जिंगशेन के बगल में, मुसकुराते हुए, खड़ी हो गयी, उसका हाथ स्वाभाविक रूप से मो जिंगशेन की कोहनी को पकड़े हुआ था।
"थोड़े बुरे स्वभाव के अलावा, मैंने और कौन सी बेतुकी चीजें की हैं? तुम्हें यह इतनी अच्छी तरह से याद है कि तुम बार बार उसका जिक्र करती रहती हो?"
जी मेंगरान ने ताज्जुब के साथ जी नुआन को देखा। फिर उसने उसका हाथ मो जिंगशेन की बाँहों में लिपटे देखा।
एक रात पहले की घटना के बाद, मो जिंगशेन को जी नुआन से पूरी तरह से निराश होना चाहिए था। यह कैसे हो सकता है ...
"तुम और भाई जिंगशेन ..." जी मेंगरान संकोच के साथ बोली।
जी नुआन ने उसकी बात काट दी। "मेंगरान, मैं इतने लंबे समय से शादीशुदा हूँ, तुमने अभी तक उसे संबोधित करने का तरीका क्यों नहीं बदला है? यह तुम्हारा जीजा है; तुम उसे भाई जिंगशेन नहीं कह सकती।"
जी मेंगरान उसके सामने के दृश्य को देखकर ठहर सी गयी। गहरी साँस लेते हुए, उसने अचानक पूछा, "भाई जिंगशेन, क्या तुमने मेरी बहन को कुछ किया है? पहले तो वह तुमसे छिपती रहती थी। जब भी तुम उसे छू भी लेते थे, वह आठ से दस बार नहाती थी। अब वह अचानक तुम्हारे इतने करीब क्यों है ...?"
जी नुआन, मो जिंगशेन का टेक लगाकर खड़ी हो गई। उसे हँसी आ रही थी। "क्या उससे मेरी त्वचा छिल नहीं जाएगी। मेरी बहन युवा है और फिर भी गंभीरता से बात नहीं करती है। यह इतना अतिरंजित बात है कि इससे लोगों को हँसी आती है।"
मो जिंगशेन ने उसकी तरफ देखा। "कोई आश्चर्य नहीं कि यह इतनी नरम और चिकनी है। तो तुम दिन में आठ या दस बार तक स्नान करती हो।"
उसका हाथ जी नुआन की कमर पर चला गया, वह धीरे से उसके कान से फुसफुसाया जिससे कि केवल जी नुआन उसकी बातें सुन सके।