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Chapter 246 - चाकू से अपनी कलाई काट ली

गू मोहन ने अपना हाथ उठाया और दरवाजा खटखटाया, नॉक, नॉक, नॉक। उसने लयबद्ध तरीके से दस्तक दी। 

"मोर, इसी समय दरवाजा खोलो!"

कमरे में कोई आवाज़ नहीं थी।

गू मोहन के खूबसूरत चेहरा ठंड की बारिश की बूंदों से भीगी हुई थीं, केवल जिससे उसकी भाव-भंगिमाएँ और भी अधिक ठंडी दिखाई दे रही थीं। "मोर, अच्छी बनो। दरवाजा खोलो। तुम्हें पता है कि यह दरवाजा मुझे नहीं रोक पाएगा।"

अभी भी अंदर कोई आवाज़ नहीं थी।

गू मोहन को गुस्सा आ गया, उसकी छाती ऊपर की ओर उठ गई और हुओ बाईचेन अपने हाथ में एक चाबी लेकर दौड़ा।

 "दूसरे भाई, यह रही चाबी।"

गू मोहन ने उससे चाबी ली और जल्दी से कमरे का दरवाजा खोला।

कमरे में पूरी तरह से अंधेरा था, रोशनी को चलाया नहीं गया था। जब वह अंदर गया तो नरम और बड़ा बिस्तर खाली नज़र आ रहा था, जिसमें किसी के होने का कोई निशान नहीं था।

टैंग मोर कहाँ थी?

कमरे के चारों ओर गू मोहन की बाज़ जैसी नज़र ने मुआयना किया| आखिरकार एक अंधेरे कोने पर रुकने से पहले।

एक छोटी सी आकृति वहाँ दुबक कर बैठी हुई थी।

पियाक। गू मोहन ने कमरे की बत्तियों को जलाया और कमरे में रोशनी कर दी। जैसे ही उसने देखा कि उसके सामने क्या था, उसकी काली पुतलियाँ तुरंत सिकुड़ गईं।

मोर ...

नौकरानी ने उसे बदलने के लिए एक साफ सफेद पोशाक दी थी, लेकिन यह पोशाक पूरी तरह से खून से सनी हुई थी। एक छोटे चाकू को कालीन पर फेंक दिया गया था और उसकी दाहिनी कलाई बेजान हो कर लटकी हुई थी। उसकी कलाई पर खून का घाव था और खून की एक धारा बह रही थी, जिससे कालीन खूनी लाल रंग का हो गया।

उसने चाकू से खुद की कलाई काट ली थी।

अपने घुटनों को उसके दूसरे पतले हाथ के साथ पकड़े हुए, उसका छोटा चेहरा उसके घुटनों में दबा हुआ था और उसने एक दयनीय आकृति बनाई हुई थी। उसके रेशमी लंबे बाल उसके नन्हे चेहरे पर बिखरे हुए थे, पूरी तरह से उसे ढँक रहे थे और वह अकेली, छोड़ी हुई औरत की तरह कोने में दुबकी हुई थी।

जब उसने अपने सामने का दृश्य देखा तो हुओ बाईचेन दंग रह गया। उस पल में, उसने अचानक अपने दिल को दर्द में दुखते हुए महसूस किया। यह दृश्य सच में दिल दुखाने वाला था। 

यह एक अपरिचित भावना थी, वह नहीं जानता था कि उसे खुद के साथ क्या करना है।

गू मोहन धीरे-धीरे आगे बढ़ा और उसके सामने झुक गया| उसके बाद उसने एक हाथ बढ़ाया और उसके घाव पर दबाव डाला, खून गर्म था लेकिन उसका शरीर बर्फ से ठंडा था।

उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, एक हरकत भी नहीं। कुछ भी नहीं।

वह जम रही थी, उसमें कोई गर्मी नहीं बची थी।

उसकी आंखें खूनी लाल थीं और वह बिल्कुल एक चीनी मिट्टी की गुड़िया की तरह लग रही थी, जो जमीन पर गिरी हुई, टूटी हुई और भावनाहीन थी। एक पल के लिए तो उसने उसे छूने की हिम्मत नहीं की।

अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए, उसने उसके सिर के पीछे रखा और उसे अपनी बाँहों में खींच लिया। "मोर, मुझसे बात करो।"

टैंग मोर बहुत ज्यादा दर्द में थी। लव पी जहर बहुत शक्तिशाली था और वह अब इसे संभाल नहीं पा रही थी।

और इसलिए उसने एक छोटा चाकू ढूंढा और अपनी कलाई काट ली।

खून को उसकी कलाई से बहते हुए देखने के बाद, उसकी चेतना भी फीकी पड़ गई और उसे दर्द का एहसास नहीं हो रहा था।

मोर।

मोर।

उसे कौन बुला रहा था?

आवाज परिचित लग रही थी, यह गहरी और चुंबकीय थी, उसने याद किया जब वह पहली बार तीन साल पहले एक दूसरे से मिले थे। उस समय, वह उसकी बाँहों में गिर गई थी और उसके पहले शब्द थे- मैं तुम्हें नहीं जानता।

जब उसने ध्यान से इसके बारे में सोचा, यदि केवल वह उस दिन उसे नहीं रोकती, तो आखिरकार उसे बचने का दूसरा रास्ता मिल ही जाता। इस तरह चीजें उस ढंग से ख़त्म नहीं होती और उसका दिल नहीं खोता।

बस अगर।

वह खुद को इतनी बुरी तरह से चोट नहीं पहुँचाती।

टैंग मोर ने अपने बर्फ जैसे ठंडे शरीर को हिलाया और इकट्ठा कर दिया, उसकी सभी इंद्रियाँ एक ही भावना से पीड़ित थी और वह था दर्द।

फुफकार।

उसने आलिंगन में रहते हुए एक सांस ली।

उसकी प्रतिक्रिया सुनने के बाद, गू मोहन ने राहत की सांस ली और उसके एडम एपल जोर से हिलने लगा। जब उसने उसे अपनी बाँहों में कसकर पकड़ रखा था, एक गहरी गुस्से वाली अभिव्यक्ति उसके चेहरे को बिगाड़ दिया। वह बस इतना करना चाहता था कि उसे बस इतना कसकर गले लगे ले कि वह उसके खून और हड्डियों में समा जाए। वह उसके साथ मिल कर एक हो जाना चाहता था।

अपने पूरे जीवन, उसने कभी यह नहीं जाना था कि डर कैसा होता था। लेकिन अब इस समय वह बहुत डर गया था।

उसे उसे खोने से डर था।

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