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Chapter 233 - उसने उसे दूर धकेल दिया

वह चाहे जहाँ भी जाए गू मोहन हमेशा ही ध्यान का केंद्र होता था।

यद्यपि यह उसकी सगाई की दावत की रात थी फिर भी अन्य सभी महिलाओं ने अभी भी अपनी आँखें उसी पर गड़ा रखी थी जैसे उन्हें एक मंत्र द्वारा मंत्रमुग्ध कर दिया गया हो। जब वे उस पर नज़र डालती थी तो उनके लिए अपने दिल की तेज़ धड़कनों को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा था ...

लू क्यूईयर ने संतुष्टि में अपने होठों का कोने को मोड़ा। वह कई सालों से इस आदमी से प्यार करती थी। वास्तव में उसने उसकी कई उपलब्धियों के स्तर पर रहने के लिए कड़ी मेहनत की थी। लंबे समय बाद आखिरकार वह आज रात उसके साथ सगाई कर रही थी।

वह सफल हो गई थी।

उसी समय फू किंगलन हुओ बाईचेन को अपने साथ गू मोहन से मिलाने के लिए लाया। फू किंगलन ने अपना गिलास उठाया। "मोहन, मैं तुम्हारी खुशियों भरी सगाई की कामना करता हूँ।"

गू मोहन का चेहरा भावहीन ही रहा और उसने हुओ बाईचेन को देखा। हुओ बाईचेन ने अफ्रीका में अपनी एक महीने की व्यापारिक यात्रा कुछ समय पहले ही पूरी की थी। यह तानाशाह बिल्कुल भी नहीं बदला था - उसकी सुंदर आँखों की जोड़ी अभी भी हमेशा की तरह आकर्षक थी।

"दूसरा भाई देखो? अंत में आप को लू क्यूईयर से ही सगाई करनी पड़ी। टैंग मोर के कारण आपने मुझे बेवजह ही अफ्रीका भेज दिया था।" हुओ बाईचेन ने असंतोष के साथ अपनी बात कही।

गू मोहन ने अपनी भौहें उठाईं।

फू किंग्लुन ने तुरंत हुओ बाईचेन के कंधे को थपथपाया और फुसफुसाया, "अपने शब्दों को पर ध्यान दो! उसे उकसाओ मत।"

हुओ बाईचेन को एहसास हुआ कि गू मोहन की भौंहें गुस्से में सिकुड़ गयी थी और उसका रवैया उसके प्रति बेहद रूखा था।

अपने घबराहट को निगलते हुए उसने तुरंत अपना मुंह बंद कर लिया।

लिन शियू की सुंदर आकृति को देखने के लिए फू किंगलन ने भीड़ पर नज़र डाली। हालाँकि वह उसे ढ़ूँढ़ने में असफल रहा।

क्या वह नहीं आई थी?

बैम! दावत खाने के दरवाज़ा झटके से खुल गया। दो सुंदर और आकर्षक आकृति हर किसी की दृष्टि के सामने दिखाई दी।

टैंग मोर और लिन शियू आ गयी थी।

टैंग मोर ने एक चुस्त काले रंग की ड्रेस पहनी हुई थी जिसने उसकी खूबसूरत फिगर को निखार दिया था। उसके लंबे काले बाल बड़े करीने से ऊपर की ओर बंधे हुए थे और उसके चेहरे की विशेषताएँ उसके नाजुक चेहरे को सुशोभित कर रही थीं जिससे उसका सुंदर और आकर्षक रूप झलक रहा था।

हुओ बाईचेन ने ऊपर देखा और उसने टैंग मोर को देखा लिया था। क्योंकि उसे उसकी वजह से मूर्ख बनाया गया था उसे अजीब लग रहा था। और साथ ही मोर को देखते ही उसकी आँखें में घृणा झलकने लगी। मधुमखियों की तरह एक ही दिशा में एक ही पक्ति बनाते हुए उसकी आँखें मोर का पीछा कर रही थी।

हालांकि इससे पहले कि वह दो कदम उठा पाता फू किंगलन ने जल्दी से उसकी बाँह पकड़ ली और नहीं के इशारे में सिर हिला दिया।

गू मोहन ने दावतखाने में बदलाव को महसूस नहीं किया। अपनी जेब में अपने एक हाथ को डालते हुए वह अपने फोन तक पहुंचा और उसने अपना फोन बाहर निकाल लिया। वह इस समय केवल टैंग मोर के नाजुक चेहरे के बारे में ही सोच पा रहा था।

वह वास्तव में उसे याद करने लगा था।

वह उसकी मुस्कान की हर टिमटिमाहट को याद कर रहा था।

मोर...

उसी समय दो नाजुक बाँहों ने उसकी शक्तिशाली कमर को मजबूती के साथ पकड़ लिया और एक महिला के नाजुक शरीर के एहसास वाले दबाव को उसने अपनी पीठ पर महसूस किया।

गू मोहन की आँखें चमक उठीं और वह जम गया।

दावत घर में हर कोई शांत हो गया और इस तरह के एक दृश्य को देखकर दंग रह गया। टैंग मोर ने दावत घर के बीचोबीच गू मोहन को गले लगा रखा था।

दावतघर में लोगों की नाराज़गी भरी बड़बड़ाहट की आवाजें हर तरफ फैल गई थी।

"ओह देखो । देखो टैंग मोर ने उसकी गर्दन पर क्या पहना हुआ है। क्या वही एक और इकलौती अंगूठी है?"

"यह नहीं हो सकता। गू मोहन की लू क्यूईयर से सगाई हो चुकी है। यह कैसे संभव है कि वह टैंग मोर को वह एक और इकलौती अंगूठी दे दे?"

"टैंग मोर यहाँ क्या कर रही है? वह इतनी हिम्मत रखती है कि उसे सार्वजनिक रूप से गले लगा रही है। लगता है कि वह यहाँ एक तमाशा खड़ा करने के लिए ही आई है।" ...

अमीर औरतों जोर-जोर से फुसफुसाते हुए आपस में चुगली भरी बातें कर रही थी। टैंग मोर की मलाईदार त्वचा पर लटकी हुई एक और इकलौती अंगूठी को देखते हुए लू क्यूईयर ने अपने हाथों को गुस्से में मुट्ठियों में बांध लिया।

वह उसके साथ ऐसा कैसे कर सकता था?

हीरे की अंगूठी की चमक टैंग मोर के साटन की तरह चमकीले शरीर को और भी उज्जवल बना रही थी। उसका बेदाग चेहरा देखकर स्पष्ट था कि केवल वही इस तारीशी गई शालीन अनुठी अंगूठी को पहन सकती थी। 

टैंग मोर की उपस्थिति ने उस रात की मुख्य महिला से बेहतर साबित हो रही थी।

महिला की बाँहों अभी भी गू मोहन की कमर के चारों ओर लिपटी थी । गू मोहन उसकी ओर मुड़ा और उसने उसे बेरहमी से दूर धकेल दिया।

"तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

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