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Chapter 195 - उसका नाम उसकी कमर पर छप गया था

टैंग मोर का पीला चेहरा नशे में लग रहा था| समय के साथ बाथरूम में तापमान बढ़ता जा रहा था।

"क्या तुम देखना चाहती हो? जब दवा का असर सबसे ज़्यादा था तो मुझे घबराहट हो रही थी इसलिए मैंने अपनी निचली कमर के हिस्से को हल्के से काटने के लिए एक छोटे चाकू का इस्तेमाल किया था। चोट गंभीर नहीं है। अगर तुम इसे ना देखना चाहो तो ठीक है।"

टैंग मोर हिचकिचायी। उसने अपने छोटे हाथों को फैलाया और उसकी बेल्ट को खोल दिया।

जब उसने नीचे देखा तो उसे लगा कि उसके ऊपर एक उत्सुक पर सुस्त निगाह टिकी हुई है। उसका चेहरे पर हल्की सी लालिमा आ गयी थी और उसके हाथों ने कसकर मुट्ठी बनाई। चूँकि उसे किसी पुरुष की बेल्ट को खोलने का कोई अनुभव नहीं था इसलिए उसने इसे खोलने में बहुत लंबा समय ले लिया।

वह चिंतित महसूस कर रही थी और उसकी हरकतों में घबराहट थी।

"हा।" गू मोहन धीरे से हँसा।

टैंग मोर को लगा जैसे उसके कान शर्मिंदगी से लाल होकर जल रहे थे। उसने अपने हाथ पीछे हटाते हुए कहा, "मैं इसे नहीं खोल सकती। तुम इसे खुद ही खोलो!"

वह इतनी लज्जा में थी कि उसने हड़बड़ी में अपनी आँखें उठाईं मानो वह अपना भोजन करने के लिए दौड़ रही हो। उसके कामुक काले गीले बाल, लाल होंठ और नाजुक मांसपेशियाँ पुरुषों को आसानी से उत्तेजित कर सकती थीं। गू मोहन ने खुद अपनी बेल्ट उतार दी।

टैंग मोर घबराई सी रह गई| उसकी निचली कमर पर एक निशान था। हालांकि वे उथले कटे के निशान थें पर उन्होंने उसकी मजबूत मांसपेशियों को एक बेढंग तरीके से ढक्का हुआ था। हालांकि करीब से निरीक्षण पर यह निश्चित रूप से किसी को भी झटका दे देगा।

उसने अपनी कोमल उँगलियों को फैलाकर कटे हुए हिस्से को छुआ जबकि उसकी आँखों में आँसू भर आए। "क्या यह दर्द कर रहा है?"

जिन स्थानों पर उसकी उंगलियों ने छुआ था उन पर पहले ही पपड़ी जम गयी थी। गू मोहन ने उसकी प्रतिक्रिया पर अपनी भौंह उचका दी और अपना गला साफ करने के बाद कहा "यह दर्द नहीं कर रहा। मोर क्या तुमने देखा कि मैंने क्या कुरेदा है?"

मोर ने स्पष्ट रूप से नहीं देखा क्योंकि उसके आँसुओं ने उसकी दृष्टि को धुंधला कर दिया था। उसने गहरी साँस ली और करीब से देखने के लिए आगे बढ़ी । अस्पष्ट काटने के निशानों के बीच उसे एक चीनी अक्षर दिखाई दिया - मो।

यह पागल आदमी !

उसने अपनी कमर पर उसके नाम को कुरेदने के लिए एक कलमनुमा चाकू का इस्तेमाल किया!

उसके होंठ फिर से कांपने लगे और आँसू उसके गालों पर बहने लगें।

"गू मोहन, किसने तुम्हें मेरा नाम कुरेदने की अनुमति दी? मैंने कॉपीराइट शुल्क भी अभी तक नहीं लिया था!" टैंग मोर ने आँसूओं में डूबे हुए प्रश्न किया।

गू मोहन ने अपनी खुदरी उँगलियों का इस्तेमाल किया और उसके आँसू पोंछे। "उस समय मैं अजीब हालत में था। मैं शायद सोच भी नहीं पा रहा था। जिस क्षण मैंने मांस को काटा था मुझे कुछ राहत मिली थी। मेरे दिमाग में बस तुम ही थी। मैं तुम्हारे कपड़े उतार कर तुम्हें नग्न करना चाहता था और अपने नीचे थाम लेना चाहता था। यह केवल बाद में मुझे पता चला कि मैंने तुम्हारा नाम कुरेद दिया था। मुझे पता है कि ये निशान दूर नहीं होंगे, लेकिन मोर, मैं पूरी तरह से तुम्हारा हूँ। मैं कभी किसी अन्य महिला को नहीं छूऊंगा। "

उनका दिलकश युवा प्यार एक-दूसरे के शरीर पर एक अविस्मरणीय छाप छोड़ जाता रहा था। यह वही प्यार था जिसका टैंग मोर ने गू मोहन के साथ वादा किया था।

जब टैंग मोर ने गू मोहन की कमर पर कुरेदे गए अक्षर को चूमा तो उसके लाल होंठ काँप उठे|

गू मोहन ने उसके सिर के पीछे हाथ रखा और उसे गौर से देखा, "क्या तुम मेरे लिए दर्द महसूस कर रही हो? यदि तुम ऐसा महसूस कर रही हो तो तुम्हें मेरे लिए अपना दिल के दर्द को व्यक्त करना चाहिए। बेबी मैं इतने लंबे समय से इससे वंचित रहा हूँ मुझे अब कुछ आनंद लेने दो, हम्म? "

उनकी स्थिति बेहद अंतरंग थी - वह खड़ा था जबकि मोर का नाजुक शरीर बाथटब में बैठा हुआ था जो उसके कमर के स्तर पर था।क्योंकि वह आदमी प्रकाश के विपरीत खड़ा था इसीलिए मंद प्रकाश उसके बालों के माध्यम से आ रहा था जिससे उसका सुंदर चेहरा कला की बेशकीमती मूर्ति जैसा लग रहा था।

टैंग मोर ने उठकर उसे चूमा।

टैंग मोर को एक अंतहीन समुद्र में तैरती एक छोटी नाव की तरह महसूस हो रहा था जैसे कि उसके मन में आतिशबाजी हो रही हो जिससे उसके विचार अशांत और बेकाबू हो रहे थे। अपने शरीर के नीचे चादरें पकड़कर वह अपने सूजे हुए होंठों से निकलने वाली कराहों को रोक नहीं पा रही थी। पसीने के बहुत से नाजुक मोती नीचे गिर रहे थे। यह ऐसा था जैसे वह कई बार मर गई हो और वह कई एहसासों में डूब गई हो।

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