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Chapter 19 - उसे नहीं देखने का दिखावा करना और उसके पैरों को लांग कर चले जाना

नान जी ने सबसे पहले टॉयलेट में जाकर अपने हाथ धोए।

उसने अपने हाथों को जोर से रगड़ा जैसे कि वो अजीब सनसनी अभी भी थी।

ऐसा लग रहा था कि उसने समय पर अपनी ताकत को नियंत्रित नहीं किया और गलती से चुटकी ले ली। हाथ धोने के बाद वो टॉयलेट में एक बंद जगह में चली गई।

हालांकि, उसने अपने बैग में एक सैनिटरी पैड तैयार रखा था, लेकिन क्योंकि ये जल्दी आ गया था, उसकी स्कर्ट पर थोड़ा सा दाग ​​आ गया था। शुक्र है कि उसने लाल रंग पहन रखा था, इसलिए ये बहुत स्पष्ट नहीं था।

लेकिन अगर उसकी स्कर्ट पर दाग आ गया है, तो ...

एक खतरनाक विचार उसके दिमाग में कौंध आया। उस आदमी ने सफेद पतलून पहन रखी थी, मतलब वो भी दागदार हो गया था ...

अरे नहीं!

आदमी की तीक्ष्ण विशेषताएं, काली आंखे, अभिमानी शब्द और उसकी आंखों के कोने पर दिखाई देने वाला दुर्भावनापूर्ण रूप जब उसने अपनी भौंहे थोड़ी ऊपर उठाईं थी, उसके मन में प्रकट हुईं। वो सिहर उठी।

वो निश्चित रूप से ऐसा व्यक्ति नहीं था, जिसके साथ खिलवाड़ किया जाए। उससे उदासी, निर्दयता, हिंसा और निराशा की भावना आती थी।

क्या वो अपनी पतलून पर उसके मासिक धर्म के खून के दाग को देखकर उसे मारना चाहेगा?

वो जानती थी कि कुछ महानुभाव, जो अधिकारी और व्यवसायी थे, वो विशेष रूप से एक महिला के मासिक धर्म के खून से सनने को अशुभ मानते थे। ये शुद्ध अंधविश्वास था लेकिन उनका माना था कि संदेह में पड़ने और दुर्भाग्य का सामना करने से बेहतर था इस पर विश्वास करना और तैयार रहना।

नान जी बंद जगह से बाहर आई, अपने हाथों को फिर से धोया और उन्हें प्रार्थना में जोड़ कर खड़ी हो गई।

उम्मीद है कि युवा मास्टर एक अंधविश्वासी और तामसिक व्यक्ति नहीं था!

दुर्भाग्य से, भगवान ने नान जी की प्रार्थना नहीं सुनी।

जैसे ही वो टॉयलेट से बाहर निकली, उसने देखा कि एक लंबा और ठंडा आदमी बाहर की दीवार के सामने टिक कर खड़ा है, जिसका एक पैर मुड़ा हुआ है और दूसरा गलियारे में फैला हुआ है।

उसके पैर इतने लंबे थे कि अगर वो उन्हें बाहर खींचता, तो वो आसानी से गलियारे को अवरुद्ध कर सकते थे।

नान जी का उन लंबे पैरों की प्रशंसा करने का मन नहीं थी। उसकी दृष्टि केवल उसकी पतलून की जांघ पर चमकदार लाल दाग की ओर खींची गई थी।

क्या वो आज मरने वाली थी?

कमरे से निकलने के लिए उसने इतनी मुसीबत झेली, और ये अभी भी इस तरह समाप्त हो रहा था।

नान जी ने ध्यान से उसके चेहरे को देखने के लिए आदमी की जांघों पर से अपनी आंखे हटाईं। वो अपने मुंह के बीच एक बिना जला सिगार पकड़े हुए था, उसकी लंबी उंगलियां एक छोटे चांदी के लाइटर के साथ खेल रही थीं। समय-समय पर, वो ढक्कन को बंद कर देता था और नीले रंग की लपटें निकल जाती थीं, जो उसके चेहरे की अच्छी तरह से परिभाषित सुंदर आकृति को दर्शाती थी और वो अधिक गहरा और अप्रत्याशित दिखता था।

उसका सिर थोड़ा नीचे था और उसकी पलकें किसी महिला की तुलना में अधिक लंबी थीं। उच्च नाक के नीचे, उसके सेक्सी, लाल रंग के पतले होंठों को उसने एक साथ खतरनाक तरीके से दबाया हुआ था।

उसका जबड़ा उसने जोर से कस रखा था, जिससे वो भावनाहीन और गुस्से में लग रहा था।

निश्चित रूप से, वो निराश था।

नान जी ने मन ही मन खुद को कोसा। मुझे आज घर छोड़ने से पहले पंचांग पर एक नजर डालनी चाहिए थी।

विकल्पों को तौलने के बाद, नान जी ने महसूस किया कि ऐसा अभिनय कर के दूर जाना बेहतर था जैसे कि कुछ भी गलत नहीं था।

कमरे में की गई उस आदमी की हरकतों को देखते हुए, वो निश्चित रूप से उस प्रकार का व्यक्ति नहीं था जो आसानी से उसे सिर्फ माफी मांगने से जाने देता।

शायद वो नीचे देख रहा होगा और उसे उसके बाहर आने की सूचना नहीं होगी।

नान जी ने अपने होंठों को थोड़ा काटा और एक शांत नजर से, आदमी की लंबी टांगों के पास से गुजरी।

एक कदम, दो कदम, तीन कदम…

अरे वाह, उसने उसका पीछा नहीं किया।

हालांकि, उसे महसूस नहीं हुआ कि जब वो उन लंबे पैरों को पार कर रही थी, तो वो आदमी पहले से ही उसकी तरफ देख रहा था।

दुर्भावना के निशान के साथ उसकी गहरी आंखे चमक रही थीं।

...

नान जी जल्दी से लिफ्ट में चली गई। उसने वीचैट समूह को एक संदेश भेजा जिसमें वो, यानरन और किन यूबिंग थी, 'लड़कियों, मेरा मासिक धर्म आ गया है, इसलिए मैं आज रात को नहीं मिल पाऊंगी। अगली बार, बहन जी इसकी भरपाई के लिए एक पार्टी देगी।"

जब लिफ्ट पहली मंजिल पर पहुंची, तो नान जी के गले में जो बेचैनी थी वो खत्म होती महसूस हुई।

लिफ्ट से बाहर निकलने के ठीक बाद, उसके दाईं ओर की लिफ्ट का दरवाजा खुला और एक दर्जन से अधिक काले कपड़े पहने अंगरक्षक बाहर आ गए। वे दो पंक्तियों में बड़े तरीके से खड़े थे और एक पल बाद, एक लंबा आदमी सामने आया।

नान जी ने आदमी के छोटे बालों के नीचे गहरी, संकीर्ण आंखों को देखा और उसका दिल अचानक फिर से कस गया।

उस आदमी की शक्ल देख, क्लब हाउस के अंदर और बाहर आने-जाने वाली महिलाओं की भीड़ लग गई । वे प्रवेश द्वार पर खड़े होकर, उस आदमी के बारे में बातें कर रही थीं और अचंभित थी। वो वास्तव में लंबा, सुंदर और बहुत गजब का दिखता था। उनका आदर्श प्रकार।

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