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Chapter 11 - मैं हूँ न

ये क्सिउ सही में हंस रहा था और उसने पूछा "और क्या हाल-चाल?" 

इस तरह का ढीला और बेफिक्री का अंदाज सुषुप्त शेखर को कुछ भी बोलने लायक नहीं छोड़ा। उसने लगभग मान लिया था की यह, वो आदमी नहीं था, जिस पर वह आधे दिन से गुस्से में था। वैसे तो लोगों को लगता था कि उसने धोखा दिया है पर वह और विकट देव अच्छे से जानते थे कि यह सच नहीं है। ऐसे कैसे हो सकता था कि ये आदमी यूँ दिखाए कि मानो कुछ हुआ ही नहीं है? क्या उसने पुराने संदेश नहीं देखे थे? 

"बेशर्म नौसिखिए विकेट देव ने छिपे हुए सरगना के सामान को चुराने के लिए अपने दल के सदस्यों की मदद जान बूझकर नहीं की और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया। सभी लोग सावधान रहना"

सुषुप्त शेखर ने तुरंत ही रखे हुए संदेशों को दोबारा भेजा और ये क्सिउ के भावों की प्रतीक्षा करने लगा। पर अंत में ये क्सिउ ने कहा "तुम अभी भी यही कर रहे हो? क्या तुम्हें ऊपर दर्जे पर नहीं उठना है?" 

"मैं... मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी ताकत को जानो। क्या तुम जानते हो कि मेरे पूर्ण चन्द्र संघ से टकराने का अंजाम क्या होगा?" सुषुप्त शेखर ने इन शब्दों को काफी समय से तैयार किया हुआ था। जब उसने यह कह दिया तो उसे लगा कि वह असल मुद्दे से भटक रहा है। उसे लगा जैसे वह किसी रुई के बोरे में खंजर उतार रहा हो जो कि बिल्कुल भी असरदार नहीं था।

"जानता हूँ। मुझे पार्टी में साथ निभाने के लिए कोई नहीं मिलेगा" ये क्सिउ ने कहा।

ऐसा सुनकर सुषुप्त शेखर को आराम महसूस हुआ और उसने ठहाका लगाते हुए कहा "आओ देखते हैं क्या तुम फिर से मेरा अपमान करोगे"

ये क्सिउ जो कहा उसके बारे में उसने सोचा नहीं था "क्या तुम एक आदमी को नहीं खोज रहे हो? क्यों ना तुम मुझे जोड़ लो?"

सुषुप्त शेखर तुरंत ही मौन हो गया।

"धत तेरे की, तुम इतना नीचे कैसे गिर सकते हो?"

"हा हा हा अब मुझे जोड़ भी लो। अब हम एक दूसरे को पहले से बेहतर जानते है, तो क्यों ना हम साथ में काम करें?" ये क्सिउ सहसा खुद आगे बढ़कर मौके का फायदा उठाना चाहा और उससे विनती की। 

सुषुप्त शेखर के पास वाकई चार खिलाड़ियों का दल था और यह सही में वह पुरानी टीम नहीं थी। बाकी तीन खिलाड़ी सभी पूर्ण चंद्रमा संघ के सदस्य थे। एक संघ तभी काम कर सकता है जब आप पुराने आरंभ वाले गांव को छोड़कर आगे आए हो। इसलिए यह सभी सदस्य पुराने सर्वर को छोड़कर नए सर्वर पर आए थे और अंत में उन सभी को समान प्रारंभिक गांव में रखा गया था। इससे पहले जब सुषुप्त शेखर छिपे हुए सरगना को अपने लिए चाहता था तब यह पुराने संघ के सदस्यों के साथ करना काफी असहज होता इसलिए वह चार नए अजनबी खिलाड़ियों को ढूंढ लाया था। दुर्भाग्यवश वह ये क्सिउ से टकरा गया जिसने पहले उसकी मदद की और फिर उसे धोखा दे दिया। इसके तुरंत बाद उसने संघ से मदद मांगी और बड़े आराम से उससे मदद मिल भी गई। वह विकट देव को बदनाम कर देना चाहता था उसी समय उसी जगह। 

पर नतीजा क्या हुआ? नतीजा यह कि ये आदमी किसी बात की फिक्र ही नहीं कर रहा था। जब उसे कोई अपने दल में रखना नहीं चाह रहा था तो, उसने बेधड़क खुद ही पूछ लिया उसी के दल से जुड़ने के बारे में। उसके अनुरोध को देखकर सुषुप्त शेखर यह फैसला नहीं कर पाया कि उसे स्वीकार करना है या इंकार। 

सुषुप्त शेखर एक बार हार झेल चुका था। अपनी गलतियों से सीख कर उसने जाना यह आदमी कोई साधारण पात्र नहीं था। इसका लक्ष्य क्या था? वह कुछ हिचक रहा था तभी उसके बगल खड़े एक भाई ने उसे एक संदेश भेजा, "उसे जोड़ लो। यह आदमी मरना चाहता है। एक बार हम कोठरी में घुसेंगे तो वो क्या कर लेगा?"

सुषुप्त शेखर ने इसके बारे में सोचा। उसके साथ उसके चार दोस्त थे। उसके पास घबराने की कोई वजह नहीं थी। 

अतः ये क्सिऊ जंगल में चार लोगों के साथ घुस गया। इस बार उनकी किस्मत बहुत अच्छी नहीं थी और उनका सामना बागड़ बिल्ले से नहीं हुआ। ये क्सिउ हँसा और पूछा "क्या तुम्हें अभी भी मेरी जरूरत है आरोग्यम के लिए?"

"कोई जरूरत नहीं है। सब लोग एक साथ हमला करेंगे" सुषुप्त शेखर ने कहा और बाकी चार तुरंत ही राक्षस पर हमला करने के लिए दौड़ गए। ये चार जरूर ही कोई नौसिखिए नहीं थे। उनकी कुशलता किसी दिग्गज की तरह थी और उनकी कुशलता का दर्जा यह था कि उस तरह के दो या तीन लोग मिलकर ही सफाई से हरे जंगल की कोठरियों को साफ कर सकते थे। एक और आदमी को जोड़ना, उनकी योग्यता को और बढ़ा देता। ये क्सिउ ने ज्यादा कुछ नहीं कहा। उसने बस अपना बहुरंगी छाता निकाला और भाले की तरह बनाकर हमला कर दिया। 

आकाशीय आक्रमण, नाग दंत यह दो तरह के हमला करने की कुशलता थी। जाहिर सी बात है इन कुशलताओं के अलावा भी पात्रों के पास सामान्य आक्रमण थे। खिलाड़ी, आम आक्रमण की दिशा और ताकत के अनुसार, जिन्हें बहुत सी चीजें सम्भालनी थी जैसे सीधे खंजर घोपना, चाकू चलाना, सीधे काटना, बोटी बोटी करना इत्यादि। जब इस तरह के हमले पूरी तरह से इस्तेमाल कर लिए जाते हैं तो कई बार ये कुशलता के अनुरूप ही होते हैं पर इनका प्रभाव दूसरा होता है। उदाहरण के लिए आकाशी हमला एक तरह से हवाई हमला है पर इस से हुई तबाही एक आम ऊपरी हमले से अलग होती है। नाग दंत एक तरह से सीधे खंजर भोंकना है। पर इसमें खंजर मारने की रफ्तार काफी तेज होती है और इससे विपक्षी कुछ देर के लिए आवाक भी रह सकता है। जब एक पात्र आवाक रह जाता है वह कोई हरकत नहीं कर पाता। 

ये क्सिउ को इस तरह की किसी कुशलता का प्रयोग करने की जरूरत नहीं थी। उसके साधारण हमले भी हरे जंगल के राक्षसों को मारने के लिए काफी थे। लेकिन जैसे ही उसने अपना भला एक ऐसे स्थान पर छोड़ा जहां कोई राक्षस नहीं थे, तो एक राक्षस उसके ऊपर अन्य लोगों द्वारा छोड़ दिया गया। ये क्सिउ हँसा और उसने ये स्वीकार कर लिया। वह जानता था कि ये सुषुप्त शेखर है और उसके अन्य सहायक जानबूझकर के छोटे राक्षसों को छोड़ रहे हैं। वह उसे ऐसी स्थिति में ढकेलना चाहते थे जहां वो चारों ओर से घिरा हुआ हो। 

पर घिरा हुआ, घिरा हुआ होता है, ये क्सिऊ कैसे इससे बच नहीं सकता था? वह पांच हरे जंगल के राक्षसों से एक बार से ज्यादा घिर चुका था। आकाशीय आक्रमण को एक राक्षस पर भेज कर वह घेरे से बाहर निकल आया। सामने की तरफ से चलकर उसने दाएं हाथ से पांच छोटे राक्षसों को एक साथ काट दिया। बाकी के 4 लोग बिना उंगली उठाए देखते रहे। पर अंत में उन्होंने देखा कि विकट देव ने सभी राक्षसों को बिजली की गति से हरा दिया है। उसकी ताकत भयानक थी। यह देखकर बाकी चार काफी हद तक जलन महसूस करने लगे। 

"इस आदमी की कुशलता काफी बेहतरीन है" "भूमि सप्तम" नाम के पार्टी सदस्य ने सर हिला कर अपनी सहमति जताई। 

"वह एक दिग्गज है। उसकी कुशलता देखो, वह आराम से हरे जंगल की कोठरियों का सामना अकेले कर सकता है" दूसरे आदमी ने कहा। 

"वह जानता है कि वह क्या कर रहा है। उसने अकेले ही निडर बागड़ बिल्ले को संभाल लिया था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि उसकी कुशलता मुझसे ज्यादा होगी" सुषुप्त शेखर ने कहा। 

"इस कुशलता के साथ उसका हरे जंगलों में मरना बहुत मुश्किल है" एक आदमी ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा। 

"क्यों ना हम मकड़ी की गुफा में चले जो 10 वे दर्जे पर है" भूमि सप्तम ने कहा। 

मकड़ी की गुफा 10 वे दर्जे से 15 वे दर्जे तक की कोठरियां थी। हरे जंगल से काफी कठिन दर्जा था। यदि हरे जंगल का उद्देश्य खिलाड़ियों को समय देना था कि वह गेम को जान सके, तो जैसे ही वो 10 वे दर्जे में मकड़ी की गुफा में पहुंचते हैं, खिलाड़ियों को अपनी वास्तविक कुशलता और तकनीक का प्रयोग करना पड़ता है। इसे मकड़ी की गुफा इसलिए कहते थे क्योंकि इसमें रहने वाले राक्षस मकड़ी जैसे होते थे। यह दो तरह के होते थे। एक जो लंबे जाले फेंकते थे जिससे लोग अंधे भी हो सकते थे। इससे बंध जाने वाले खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पाते। दूसरे मध्यम आकार के जिनके काटने से जहर फैल जाता था। इनके काटे खिलाड़ी लगातार अपनी सेहत में गिरावट महसूस करते थे। हरे जंगल में केवल छिपे हुए सरगना के पास ही इस तरह के हमले करने की ताकत होती थी।

साधारण राक्षस के अलावा मकड़ी गुफा में 3 सरगना और थे। लंबे वाले, मध्यम आकार वाले और मकड़ियों का राजा अंतिम सरगना। छिपे हुए सरगना में मकड़ी लड़ाके, मकड़ी योद्धा और मकड़ियों का बादशाह। 

क्योंकि 1 से 10 वे दर्जे तक समय का पता नहीं चलता है तो ऐसे बहुत से लोग थे जिन्हें अभी तक खेल का अंदाजा नहीं लगा था। जैसे ही वह मकड़ी वाली कोठरी में गए वह जिंदा वापस नहीं लौट पाए। इसलिए आरंभिक मदद वाली किताब कभी भी वहां जाने की इजाजत नहीं देती थी। मकड़ियों वाली कोठरी को सिर्फ सुषुप्त शेखर जैसे लोग ही पसंद करते थे क्योंकि उनके पास खास दिग्गजों वाली कुशलता थी। 

"अगर हम इस आदमी को मकड़ी वाली गुफा में मार देते हैं तो हम चार ही बचेंगे। क्या हम फिर भी उसे पार कर पाएंगे?" सुषुप्त शेखर ने हिचकते हुए पूछा। 

"जब तक हम छिपे हुए सरगना से नहीं मिलते हैं तब तक कोई दिक्कत नहीं होगी" भूमि सप्तम ने कहा। 

"अगर हम छिपे हुए सरगना से मिलते हैं तो वो भी उसे हरा नहीं पाएगा। मकड़ियों वाली गुफा यहां से बहुत कठिन है" एक आदमी ने कहा।

"सही बात है। इसलिए पहले जल्दी करते हैं और दर्जा उठाते हैं। जब हम 10 वे दर्जे पर पहुंचेंगे तब मकड़ियों की गुफा में घुस आएंगे" सुषुप्त शेखर ने कहा। 

तभी एक सदस्य जिसने अब तक कुछ नहीं कहा था वह बोला "मतलब हम पहले उसे ऊपर के दर्जे तक ले जाएंगे? और फिर उसे मारेंगे?"

सुषुप्त शेखर ने जब उसे सुना तो अचंभित रह गया। उसे लगा कि उसने कितना मूर्खतापूर्ण योजना बनाई है। पर भूमि सप्तम के पास इसको समझाने का भी तरीका था, "हम पहले उसे सारे कठिन काम करवाएंगे और फिर उसे लात मार कर निकाल देंगे"

"सही है, बिलकुल सही, एकदम सही, ऐसा ही होगा" सुषुप्त शेखर को काफी आराम महसूस हुआ।

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