Chapter 93 - मेरा ख़ूबसूरत प्रेमी

ज़ू यी ने जो कहा, उसे सुनकर, ये वानवान ने आगे कोई जाँच नहीं की लेकिन बड़बड़ाई, "सौभाग्य से आप समय पर पहुंच गए। नहीं तो मैं किसी और की प्रेमिका बन जाती। लिंग डोंग और मैंने एक शर्त लगाई थी; कि अगर उसे पता लगेगा कि यह सब झूठ है और मेरा प्रेमी नहीं आता, तो मैं उसकी प्रेमिका होने के लिए सहमत हो जाऊँगी ... "

सी येहान की आँखों की ठंडक को अभी बढ़ना था, इससे पहले कि लड़की अपनी विजयी और चहकती आवाज़ में कहती, "जब आपने वादा किया कि आप आएंगे, तो मुझे पता था कि आप ज़रूर आएँगे, इसलिए मैंने इस बारे में ज़्यादा सोचे बिना उसके साथ एक शर्त लगा ली। लिंग डोंग की प्रतिक्रिया से ऐसा लगा कि वह निश्चित रूप से इस बार हार मानेगा। आखिरकार, मेरा प्रेमी इतना हसीन जो है! आप उसे एक सैकेंड में सौंदर्य प्रतियोगिता में हरा देंगे भले ही आपने एक बोरी पहनी हो!"

लड़की को ख़ुश होता देखकर, सी येहान की आँखों के नीचे की चमक तुरंत पिघल गई; स्पष्ट है कि यह ये वानवान की ख़ुशामद का ही नतीजा था।

जैसे ही ज़ू यी ने यह सब सुना उसका चेहरा आँसुओं से भीग गया।

भले ही उसने एक बोरी पहनी हो? देवीजी, अगर आपने पहले कहा होता, तो हम जैसे लोगों को आज रात ऐसी यातनाओं से नहीं गुज़रना पड़ता!

अंत में वह समझ गया कि उन सभी की दस हज़ार प्रशंसा भी, इस लड़की के एक शब्द, "हसीन" की तुलना नहीं कर सकते हैं।

रेस्तरां स्कूल से बहुत दूर नहीं था और वे कुछ ही समय बाद अपने गंतव्य पर पहुंच गए।

ये वानवान उस आदमी की पीठ पर से कूद गई, "मैं यहाँ हूँ!"

आदमी ने मुड़कर अपने सामने लड़की को देखा, उसकी अभिव्यक्ति फिर से भावहीन हो गई।

ये वानवान को लगा कि उसका मूड मार्च के मौसम की तरह था -बादलों से घिरा और अप्रत्याशित।

इसी समय, थोड़ी दूर पर फूलों की क्यारी के पास, जहाँ ये वानवान और सी येहान खड़े थे, दो छात्र भी खड़े थे: एक लड़का और एक लड़की।

लड़की एक छोटी गुलाबी स्कर्ट पहने, प्यारी और आकर्षक लग रही थी और उसके हाथ में बहुत नाजुकता से लिपटा एक पेपर बॉक्स था। वह डरी हुई सी लड़के के सामने खड़ी थी, "सी ... सी ज़िया ... मैं ... मैं तुम्हें पसंद करती हूँ ... मैंने ये चॉकलेट खुद बनाई ... मुझे उम्मीद है कि तुम इन्हें पसंद करोगे..."

सामने खड़ा लड़का ओवरसाइज़्ड पजामा पहने हुए था, जैसे वह सोने से ठीक पहले अपने डॉर्म से आया हो। लेकिन इससे उसका आकर्षण बिल्कुल कम नहीं हुआ था, बल्कि वह और अधिक सहज और स्वाभाविक लगने लगा, जिससे लड़की का दिल बहुत तेजी़ से धड़कने लगा।

जिस लड़के का चेहरा सभी लड़कियों को आकर्षित कर सकता था, वह अधीर और असंतुष्ट दिख रहा था, उसने अधीरता से चिढ़कर कहा, "मुझे मीठा पसंद नहीं है।"

लड़की का चेहरा पीला पड़ गया। पर उसने ऐसा दिखाया जैसे उसने बुरा न माना हो और विनती करती हुई बोली, "ठीक है ... फिर अगली बार मैं कुछ और बनाऊँगी..."

"और मैं तुम्हें पसंद नहीं करता।"

अपनी बात कहने के बाद, वह लड़की की परवाह किए बिना तुरंत मुड़ कर चला गया।

जैसे ही वह डॉर्म की ओर बढ़ रहा था, लड़के ने अचानक शांत हवा में एक परिचित आवाज़ सुनी- "मैं यहाँ हूँ!"

सी ज़िया रुक गया और उस आवाज़ की दिशा की ओर अवचेतन रूप से मुड़ गया।

ये वानवान?

उस लड़के ने अपनी भौहें चढ़ाईं और और परछाई में छुप गया। उसने टहनियों के बीच में से झाँका, और उसने देखा कि स्ट्रीटलाइट्स के पास ये वानवान खड़ी हो कर किसी आदमी से बात कर रही थी।

उस आदमी की पीठ उसकी तरफ थी और वो उसकी एक हल्की सी परछाई ही देख पा रहा था, पर एक झलक में ही, सी ज़िया के चेहरे के भाव बदल गए। 

सी येहान!

ऐसा कैसे हो सकता है?

सी ज़िया के चेहरे पर डर और अनिश्चिता के भाव आ गए। उसने देखा कि ये वानवान ने अपने पंजों पर खड़े हो कर उस आदमी के गाल पर एक हल्का का चुंबन दिया, "शुभ रात्री"!

फिर वो पीछे मुड़ कर हाथ हिलाती हुई वहाँ से जाने लगी।

उसी समय, वो लंबी और निरुत्साहित आकर्ति मुड़ी और उस आदमी ने अपनी बाहों को लंबा कर के उस लड़की को पकड़ लिया जो अभी ज़्यादा दूर नहीं जा पाई थी। उसने उसे अपने आलिंगन में भर लिया, उस पर झुक कर उसे एक आखिर बार ज़बरदस्त चुंबन दे दिया....

जैसे ही सी ज़िया ने उस आदमी का चेहरा देखा, वो एक दम स्तब्ध हो कर वहीं जड़वत रह गया। 

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