लंबे समय से जो नकारात्मक भावनाएँ उस के मन में थीं, वे इस समय फट पड़ीं। ये वानवान, अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रही थी। आधे घंटे से अधिक समय तक रोने के बाद भी, आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
सी येहान बिना एक शब्द बोले या हिले डुले शुरू से आखिर तक लड़की को गले लगाए रहा।
यह देखकर कि सी येहान जा रहा चुका है, ज़ू यी उसके पीछे दौड़ा और दरवाज़े के पास जाकर खड़ा हो गया।
ये वानवान कितनी बुरी तरह से रो रही थी, यह देख कर उसे थोड़ा अपराधबोध हुआ।
उन्होंने सच में, उसे इस बार गलत समझा। मास्टर से डरने का कोई स्पष्टीकरण उसके पास नहीं था। उसने सद्भावना से सब कुछ किया और फिर भी उसे गलत समझा गया। वह दुखी कैसे नहीं होती?
अच्छी बात यह थी कि सच्चाई सब के सामने थी।
लेकिन मास्टर, वह बुरी तरह से रो रही है, क्या आपको कम से कम उसे थोड़ा सुकून नहीं देना चाहिए? बस एक बर्फ की मूर्ति की तरह वहाँ खड़े रहना, डरावना नहीं है?
अपने मास्टर के लिए, उसने शायद सीमा पार कर ली थी; वह वास्तव में कल्पना नहीं कर सकता था कि उसका मास्टर लड़की को दिलासा भी देगा।
एक लंबे समय के बाद, आदमी ने अपने आलिंगन को ढीला किया। उसके चेहरे पर शांत भावनाएँ थीं, और उसने ज़ू यी से कहा, "इसे वापस स्कूल छोड़ आओ।"
बोलने के बाद, वह मुड़ा और चला गया, पलट कर देखा भी नहीं।
जू यी ने जो सुना, उसके बाद, वह शुरू में स्तब्ध रह गया, अपने मास्टर को जाते हुए देखा और महसूस किया कि वह थोड़ा हताश थे।
जू यी ने लंबी साँस ली, बिस्तर पर उस लड़की को सुबकते हुए देखा और मधुरता से बोलने की पूरी कोशिश की, मिस ये, अब और मत रोइए, चिंता मत करिए। गलतफहमी दूर हो गई है, मास्टर आपको अब परेशान नहीं करेंगे। देखिए, उन्होंने आपको वापस स्कूल ले जाने की मुझे अनुमति दी! "
...
आधे घंटे के बाद, ये वानवान स्कूल के गेट पर पहुँची।
"मिस ये, हम पहुँच गये हैं।" ज़ू यी ने कार रोकी और दरवाज़ा खोलने में उसकी मदद करने के लिए पीछे की ओर गया।
ये वानवान अपना स्कूल बैग ले कर, भावहीन चेहरा लिए, उतर गई। उसके प्यारे से चेहरे पर अभी भी आंसुओं के निशान थे।
ज़ू यी ने अपने सामने लड़की को देखकर कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोला, लेकिन चुप रहना ही बेहतर समझा।
काली कार, उसकी दृष्टि से ओझल हो कर रात में गायब हो गई। ये वानवान की सूनी और नम आँखों ने फिर से ध्यान केंद्रित किया। वह स्कूल में जाने से पहले, कुछ समय के लिए उसी स्थान पर खड़ी रही।
वह तुरंत छात्रावास में नहीं गई, बल्कि स्कूल की छोटी सी झील के किनारे एक लंबी बेंच पर बैठ गई।
झील की सतह से ठंडी हवा टकरा कर आ रही थी और उसके चेहरे को छू रही थी, इस से वह फिर से सामान्य हो पाई।
कुछ समय पहले, उसका अतीत फिर से दोहराया गया था, लेकिन अब, उसने अपनी आज़ादी फिर से हासिल कर ली है।
शुरुआत में तो वह बस उसे, उसके ही खेल में हराना चाहती थी। लेकिन, भले ही सब कुछ योजना के अनुसार हो रहा था, सी येहान का डर वास्तविक था और तकलीफ़ जो उसने पहले महसूस की थी, वह भी उतनी ही सच्ची थी।
इस समय ही नहीं, बल्कि उसने दर्द और नाराज़गी अपने दोनों जीवन में भोगी थी।
इस घटना के बाद, वह पूरी तरह थक गई थी, लेकिन बाहर निकलने के बाद, वह बहुत बेहतर महसूस कर रही थी।
उसके जीवन में जो कुछ गड़बड़ियां होने वाली थीं, उसे उसने सौभाग्य से ठीक कर लिया और अपनी सारी मुश्किलों के बाद भी आपने जीवन का रुख़ बदल दिया।