Chapter 114 - यह तुम्हारी सजा है...

लिन चे ने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया और गु जिंग्ज को देखते हुए कहा,"तुम्हें क्या हो रहा है?"

गु जिंग्ज ने उसे गुस्से में घूरते हुए कहा,"मैंने कहा कि तुम यहाँ से जा सकती हो।"

"यदि तुम मुझे नहीं बताओगे कि क्या बात है,तो मैं यहाँ से नहीं जाऊंगी।"लिन चे ने कहा,और वह बड़े-बड़े कदम लेकर गु जिंग्ज़ के पास जाने लगी। 

जब लिन चे पास आयी तो गु जिंग्ज़ के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे,"क्या तुम थोड़ी कोमलता से पेश आ सकती हो लिन चे? मैंने तुम्हें कहा था ना कि तुम यहाँ से जा सकती हो!"

"लोगों ने मुझे बहुत बार मनोरंजन उद्योग छोड़ कर भाग जाने के लिए कहा,लेकिन मैं वहां पर अभी भी अच्छी तरह से टिकी हुई हूँ "मोटी चमड़ी वाली लिन चे एक मशीन पर जाकर बैठ गयी। उसकी आँखें गु जिंग्ज के गठीले शरीर को देखे जा रही थीं।

गु जिंग्ज की भौंहें उठ गईं, और उसकी काली आँखें,आसमान में जलते तारे की तरह, आग से भरी हुई थीं; वह बिलकुल चुप था और बहुत गुस्से में था।

"क्या तुम चाहती हो कि मैं तुम्हें जबरदस्ती बाहर निकालूँ?" गु जिंग्ज ने उसे घूरकर देखा।

लिन चे उसकी क्रुद्ध आँखों से चिंतित थी,लेकिन वह अपने खूबसूरत चेहरे से गु जिंग्ज़ को एकटक देखती रही,"गु जिंग्ज़,मैं तुम्हें चीज़ें समझाना चाहती हूँ। मैं एक दोस्त को लेने के लिए एयरपोर्ट गयी थी। तुम्हें इसके लिए इतना गुस्सा होने कि ज़रूरत नहीं है। मैं तुम्हारी पत्नी हूं, लेकिन मैं एक इंसान भी हूं। मुझे भी दोस्त रखने का अधिकार है। क्या हमने यह फैसला नहीं किया था कि,हम एक-दूसरे के जीवन में दखल नहीं देंगे?"

गु जिंग्ज ने जवाब दिया,"हां,मैं तुम्हारे दोस्तों से मिलने के अधिकार में दखल नहीं दे रहा हूं, लेकिन चूंकि तुम्हारे दोस्त मुझसे ज़्यादा ज़रूरी हैं, इसलिए तुम्हें यहाँ वापिस आने की ज़रूरत नहीं थी। मैं चाहता हूं कि तुम यहाँ से चली जाओ!"

"तुम..." लिन चे ने सोचा कि गु जिंग्ज़ एक बेतुका इंसान है। उसके जैसा बदलने वाला इंसान लिन चे ने आज तक नहीं देखा था।

उस समय, गु जिंगज़ उसे पकड़कर बाहर निकाल रहा था।

"गु जिंग्ज़, मुझे छोड़ दो। तुम एक बहुत बुरे इंसान हो..."

लिन चे इतनी उत्तेजित हो गयी कि,उसने अपना सिर नीचे किया और गु जिंग्ज़ के हाथ पर काट लिया।

गु जिंग्ज़ की पसीने से भीगी हुई त्वचा का नमकीन स्वाद उसके मुँह में आ गया।

गु जिंग्ज हिला भी नहीं। मानो उसे कोई दर्द महसूस नहीं हुआ था।

लिन चे ने गु जिंग्ज़ का हाथ हटाया और उसके पत्थर जैस कठोर भावों को देखा।

लिन चे ने कहा,"अगर मैंने कहा कि मैं नहीं जा रही हूं, तो इसका मतलब है कि मैं नहीं जा रही हूं।"

उसने गुस्से में,समझौता करने से इनकार कर दिया।

गु जिंग्ज़ ने लिन चे को पकड़ा और उसे जिम की एक मशीन की गद्देदार सीट पर बैठा दिया।

फिर उसने अपने नमकीन शरीर से लिन चे को नीचे की तरफ दबाया।

लिन चे उसकी तेज़ सांसों को महसूस कर सकती थी। ज़ाहिर था कि गु जिंग्ज़ का शरीर अभी भी गीला था। उसके कपड़े पसीने से पूरी तरह लथपथ थे।

वह आदमी उसे इतना दबा रहा था कि,लिन चे ढंग से सांस भी नहीं ले पा रही थी। लेकिन जिस तरह से उसने जबरदस्ती लिन चे के हाथ नीचे किए,और उन्हें गद्दीदार सीट पर धकेल दिया वह एक ऐसा एहसास था,जिसके बारे में वह किसी को नहीं बता सकती थी।

वह डर गयी और कांपने लगी। हालाँकि,उसे पसीने में भीगा हुआ देखकर, और अपने शरीर को गु जिंग्ज़ के**** के इतने करीब देखकर, वह ज़ोर से चीखना चाहती थी।

एक आदमी जो अभी इतनी कसरत करके आया था, वह बिलकुल एक जानवर की तरह जंगली हो रहा था। उसकी सुंदर मांसपेशियां स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थीं, जो उसकी ताकत को दर्शा रही थीं। कोई भी उसे छूने से अपने आप को रोक नहीं सकता था।

उसके विशाल हाथों ने लिन चे की दसों उंगलियाँ पकड़ लीं। जब गु जिंग्ज़ ने उसे चूमा, तो उसका नमकीन पसीना लिन चे के मुंह में चला गया।

उसी वक़्त, लिन चे को अपने निचले पेट से एक कंपकंपी ऊपर की ओर बढ़ते हुए महसूस हुई,उसे लगा जैसे कि वह तैर रही हो।

वह हट गया। लिन चे अपने होंठों को बहुत देर तक चाटती रही,जैसे कि उसे और अधिक की आस थी।

हालाँकि, उसे अपने दिल और दिमाग पर पूरा कण्ट्रोल था।

"गु जिंग्ज़...तुम बहुत गर्म हो रहे हो। मुझे छोड़ दो।"

"तुमने अब यह कहा! लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है!"गु जिंग्ज़ ने लिन चे की नशीली आँखों में देखा और वह उसे अपने बहुत पास चाहता था।

लिन चे का खूबसूरत शरीर किसी को भी उत्तेजित कर सकता था।

"तुम मुझे दबा रहे हो। मुझे दर्द हो रहा है..."लिन चे ने बड़बड़ाया...

"इतनी सी देर में तुम्हें कुछ नहीं होगा!" गु जिंग्ज के निचले क्षेत्र में हलचल मच गयी। क्या इस लड़की को पता नहीं था कि इस तरह के दर्द के बारे में सुनकर पुरुष और लालची बन जाते हैं?

"परंतु…"

"एक अच्छी लड़की बनो; यह नहीं दुखेगा। थोड़ी सी देर में तुम्हें पता भी नहीं चलेगा..." गु जिंगज़ ने उसे पकड़ लिया और उसके हाथ लिन चे के शरीर पर नीचे की ओर जाने लगे।

"गु जिंग्ज़, मुझे जाने दो..."लिन चे अब कमज़ोर महसूस कर रही थी।

गु जिंग्ज़ ने कहा,"अगली बार तुम्हें छोडूंगा नहीं। यदि तुमने फिर से मेरी बात नहीं मानी, तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।"

"कौन तुम्हारी बात नहीं मान रहा है...मैं केवल अपनी एक दोस्त से मिलने गयी थी..." लिन चे बस रोने ही वाली थी।

गु जिंग्ज़ ने कहा,"दोस्त! यह सुनने में कितना अच्छा लगता है?तुम अगर यह भी कहतीं कि तुम अपने प्यार से मिलने जा रही हो,तो भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।"

"क्या?" लिन चे ने अपना सिर उठाया, अपने आँसुओं को रोकते हुए उसने गु जिंग्ज़ की तरफ देखा।

यह सब सुनकर वह सच में रोना चाहती थी।

गु जिंग्ज़ ने उत्तर दिया,"किन क्विंग। क्या वह तुम्हारा प्यार नहीं है? क्यों? क्या मुझे तुम्हें यह समझाना पड़ेगा?"

लिन चे ने उसे हैरानी से देखा,"किन क्विंग? क्या तुम पागल हो? मैं अपनी दोस्त शेन योरान,को लेने गयी थी। वह अभी-अभी विदेश से पढ़ाई करके लौटी है!"

गु जिंग्ज की भौंहें मुड़ गयीं। उसने शंका में लिन चे की ओर देखा,"क्या तुम किन क्विंग से मिलने नहीं गयी थी?"

"में किन क्विंग से मिलने क्यों जाउंगी?!" लिन चे ने उसे दूर धकेल दिया। लिन चे ने नीचे देखा,उसके कपड़े अस्त-व्यस्त हो रहे थे। गु जिंग्ज़ पीछे की ओर गिर गया,और फर्श पर अपने दोनो हाथ टिका लिए,अभी भी वह लिन चे को अजीब तरह से घूर रहा था।

लिन चे ने पूछा,"तुम इसलिए इतना गुस्सा हो गए, क्योंकि तुम्हें लगा कि मैं किन क्विंग से मिलने गयी हूं?"

गु जिंग्ज के चेहरे के भाव बदल गए और उसकी उदासी दूर हो गई। हालाँकि, वह अब अजीब महसूस कर रहा था,क्यूंकि उसने बिना सच जाने लिन चे पर शक किया था।

उसने अपना मुँह पलट लिया,और लिन चे के सामने अपनी शर्मिंदगी छुपा ली। उसने कहा,"हां ... हां, मैंने कभी इतना गिरा हुआ इंसान नहीं देखा है।"

लिन चे ने कहा "तुम गिरे हुए इंसान हो ! मैंने किन क्विंग को देखा भी नहीं! मैं शेन यौरन के साथ थोड़ी देर के लिए कॉफी शॉप पर थी,और फिर हम एक बार में चले गए!"

गु जिंग्ज़ उठ गया,"सच में? "फिर तो बहुत मज़ा आया होगा।"

लेकिन लिन चे ने गु जिंग्ज़ को गुस्से से देखा। वह उसके पास गयी और एक हाथ से गु जिंग्ज को धक्का दिया,"तुम ... तुम बस एक जानवर हो। तुम बहुत बुरे इंसान हो!" जब उसने बोल लिया,तो वह शरमाते हुए बाहर भाग गयी, उसकी पलट कर देखने की हिम्मत भी नहीं हुई।

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