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Chapter 3 - पहला एहसास

दृश्य बहुत अजीब था। इससे पहले मैंने उसे कहीं नहीं देखा था। ज़मीन पर कुछ निसान थे जैसे किसी के पैरों के हों और वे पास के जंगल की तरफ जाते हुए दिख रहे थे । जब मैं ऊपर की तरफ देखा तो कुछ निसान जैसे कुछ आकृतियां पेड़ों पर बनी हुई थी और कुछ आकृतियां मेरे दोस्त के घर की दीवार पर बनी हुई थी। ऐसा लग रहा था की अंग्रेज़ी , हिंदी भाषा के शब्दों को तोड़ कर आपस में जोड़ रखा हो और कोई मंत्र लिखा हो ।मेरे समझ में कुछ नही आ रहा था। हवा में अजीब सी दुर्गंध फैली हुई थी जिससे मुझे सांस लेने में बहुत तकलीफ सी हो रही थी, ये मैंने पहले कभी नहीं महसूस नहीं किया था। वो आकृतियां कुछ देर बाद चमक उठी और जोर सी आवाज गूंजी जिससे मेरे कानो में दर्द होने लगा ,आवाज बंद होने का नाम ही नही ले रही थी।जिससे मैं बेहोश होकर वहीं जमीन पर गिर गया।जब मुझे होश आया तो मैं घर के अंदर मेरे दोस्त के बिस्तर पर लेटा हुआ था। मेरे दोस्त ने बताया कि मैं पिछले तीन दिनों से सो रहा हूं उसने मुझे जगाने की कोशिश भी की मगर मैं नहीं जागा।साथ के हॉस्पिटल से डॉक्टर को भी बुलाया मगर उससे भी कुछ पता ना चला उसने कहा कमजोरी की वजह से ऐसा हुआ है उसने पिछले तीन महीने से ऐसे केसेस देख रहा है लोग अपने आप ही ठीक हो रहे है ज्यादा गबराने वाली बात नहीं है तुम अब ठीक हो। डॉक्टर के जाने के बाद जब मैंने हनी को उन आकृतियों के बारे में बताया तो वो हंसने लगा । मैंने उसे विश्वास दिलाने के लिए बाहर ले गया लेकिन मैं खुद हक्का बक्का रह गया बाहर कहीं पर किसी तरह का निशान नहीं था न पेड़ पर ना दीवार पर और न जंगल की तरफ जाते हुए कोई पैरों के निशान।उसने मुझे अनसुना कर दिया कहा कि ये मेरे मन का कोई वहम है तुम ज्यादा मत सोचो इसके बारे में और फिर वह मुझे घर में अंदर ले गया और हम चाय का मजा लेने लगे।