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Chapter 7 - Accidently meet

बेहोसी की हालत में मैं उन दोनों को वापस वहींं ले आया जहां से में उठ कर आया था । कुछ देर बाद लड़की को होस आया और सामने मुझे पाया और पूछने लगी तुम्हे होस कब आया इतने पूछते ही उनका सिर दर्द करने लगा। मैंने उन्हें आराम करने को कहा । मेरे लिए ये बहुत अजीब था जिसने मुझे बचाया आज वो ही बीमार है और उसे छोड़ कर में कहीं बाहर भी नही जा सकता । मुझे बहुत भूख भी लगी हुई थी । इधर उधर देखा ताकि कुछ खाने का डुंड लू और अपनी भूख शांत कर सकूं। मुझे कुछ फल मिले मेजर उन्हें खाने के बाद मुझे भूख बहुत ज्यादा लगने लगी लेकिन कुछ ठोस खाने को नहीं मिला । ये दुनियां मेरे लिए बहुत अजीब थी बिलकुल मेरी कल्पना के परे। जब वो लड़की आराम कर रही थी तो उसके शरीर से हल्की रोशनी मछली की तरह उसके शरीर पर तैर रही थी । वो दृस्य बहुत आश्चर्य जनक था मैने ऐसा पहले कभी नहीं देखा था। कुछ देर बाद उस लड़की को होस आया मैं वहीं पर आंख बंद कर के बैठा हुआ था। मैं उसकी आहट से एकदम से उठ गया । हम दोनो एक दूसरे को देखने लगे । हमारे अंदर ज्यादा नहीं थोड़ी बहुत समानता थी । शरीर का ढांचा एक जैसा ही था। बस उसकी शरीर से रोशनी आना मेरे लिए उससे बार बार देखने का जरिया बन रहा था। पिछले कुछ मिनटों से हम एक दूसरे को देखे जा रहे थे। मेजर किसी ने बोलने की हरकत नही की।