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Chapter 4 - यादगार लम्हे

हम दोनो चाय पी रहे थे और साथ में बचपन में किए गए मजे एक दूसरे को याद दिला रहे थे। हनी बचपन से ही शरारती था । स्कूल में बंक करना उसकी शरारतों मैं से एक था मगर पढ़ने में भी अवल था हम दोनो की खूब जमती थी। हम दोनो साथ ही दो साइकिलों पर जाया करते थे । बचपन की बातों में इतने खो गए थे की शाम कब हो गई पता ही नहीं चला।

हम दोनों आज बहुत खुश थे कि हमने आज बाहर खाने का मन बनाया । शाम के आठ बज चुके थे और हम शहर के फेमस रेस्टोरेंट जो की मॉल रोड़ पर स्थित था हम वहां गए। हमने वहां की फेमस चाप ढिस तंदूरी रोटी और एक सीजनल वेज ऑर्डर किया और डेजर्ट में राबड़ी के साथ जलेबी का मजा लिया । मन बहुत खुस था । जैसे ही हम खाना खा कर बाहर निकले मौसम ठंडा होने लग गया था । रात के करीब 10 बज चुके थे और घूमते घूमते हम घर लोट आए थे। हनी ने बिस्तर लगाया और हम दोनो साथ ही सोने लगे । हनी सो गया था मैं भी सोने लगा था की अचानक मेरी पीठ पीछे मुझे दर्द महसूस हुआ मुझे लगा किसी ने जोर से कुछ चुबोया हो । मुझे लगा थकान कि वजह से ऐसा हुआ होगा और मैं फिर करवट लेकर सो गया।