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Chapter 17 - Thappad

अभी तक अपने पढा के

आदित्य और जिया एक दूसरे के प्यार में डूबे हुए एक दूसरे के बहो माई आराम से सोये 😴 हुए थे

1 घंटे बाद जिया के मम्मी पापा होली खेलने के बाद वापस अपने घर आगे थे

जब वो लोग घर के अंदर आये तो घर की हालत देख कर हेयरान थे पूरे घर में हर जगह रंग गिरे हुए थे

महेश स्वाति को देखते हुए बोले :- अरे के क्या हालत हो गई है घर की और आदित्य और जिया कहा है

स्वाति बोली :- मुझे कैसे पता होगा जी माई तो आपके साथ ही थी

इतना बोल कर महेश और स्वाति जिया के रूम में उसे ढूंढ़ने के लिए जाते हैं

और रूम Ka नजारा Dekh Kar वो दोनो शॉक हो जाते हैं 

महेश और स्वाति ने देखा के उनकी बेटी किसी लड़के के साथ बेड पर सो रही है और वो भी उसे बिल्कुल चिपक कर उसकी बाहो माई

जब वो दोनो कमरे के थोड़े और अंदर गए तब जा कर अनहोन चैन K सास Le

उन्होने देखा के वो लड़का कोई और नहीं आदित्य था। अपनी बेटी को इतना प्यार से सोता देख स्वाति की आंखे भर आई 🥹

महेश बोले :- अरे तुमने फिर से अपना रोना धोना शुरू कर दिया हमने बच्चों को प्राइवेट स्पेस देना चाहिए चलो अभी के इसके पहले ये लोग उठ जाएं

इतना बोलने के बाद स्वाति और महेश दोनो हॉल में जाने लगे चलते चलते स्वाति महेश से बोली

:- आज मैं बहुत खुश हूं जी, कि हमारा जिया ko उसका जीवन साथी मिल गया है मुझे जिया की बहुत चिंता रहती थी कि उस जैसे गुस्से वाली और दबंग लड़की को कोई लड़का मिलेगा भी यहां नहीं

महेश बोला :- अरे अभी इतना इमोशनल मत हो और अब तुम्हें जिया की ज्यादा फिक्र नहीं करनी चाहिए वो अब बड़ी Hogayi है

स्वाति बोली :- चाहे वो कितनी भी बड़ी हो जाए मेरे लिए तो वो वही मेरी छोटी से राजकुमारी रहेगी जो हमेशा इस घर में खेलती रहती थी

बातो बातो माई वो दोनो कब हॉल में पोहुच गए उन्हें पता ही नहीं चला और दोनो सोफे पर Baith कर बात करने लगे

महेश बोला :- हाँ ये बात तो तुम्हारी सही है स्वाति तुम्हे याद है जब जिया छोटी थी तो कैसे मुझे घोड़ा बनाकर मेरी पीठ पर बैठ कर मुझे पूरे घर में घुमाती थी

स्वाति बोली :- हाँ बचपन से ही जिया Ladko से बात नहीं करती थी मुझे तो डर लगता था के इसकी शादी होगी भी यहां नहीं पर आदित्य Ka जिया के जिंदगी में आने के बाद मुझे मेरा ये सपना सच होता हुआ नज़र आ रही है

महेश बोले :- हाँ स्वाति हम भी अपनी जिया के बच्चों के साथ खेलने का मोका मिलेगा

इस तरफ़ जिया के माता-पिता उसके बच्चों के बारे में सपना बनने लगे थे

और दूसरी तरफ़ आदित्य और जिया उनकी बातों से अनजान आराम से एक दूसरे के साथ सो रहे थे

2 घंटे बाद दोपहर के 2:00 बजे जिया का सिर दर्द करने लग गया था

जिया ने Apne आपको बेड पे बिठाया और अपना सिर पकड़ लिया और जिया खुद से बोली :- आह पागल जिया इतनी भांग पीती He क्यों है के बाद मैं तू खुद को संभाल ही नहीं Paye

तभी जिया की नज़र अपने बाजू में आराम से सो रहे आदित्य पर पड़ती है और आदित्य को अपने बेड पे खुद के इतने पास सोते हुए देख 

पता नहीं जिया को क्या हो जाता है उसे लगने लगता है कि आदित्य ने उसके नशे में होने का फायदा उठा लिया है

वो आदित्य को उठाने लगी और गुस्से में अपने आप को कंबल से ढकते हुए बोली :- उठो हरामी कहीं के मैने Tumpe भरोसा किया और तुमने क्या किया मेरे साथ मैं सही सोचती थी तुम सारे लड़के एक जैसे होते हो

जिया की आवाज सुन कर आदित्य भी बिस्तर पर उठ कर बैठ गया और नींद में ही बोल :- क्या हुआ जिया इतना चिल्ला क्यों रही हो

जिया का गुस्सा और तेज हो गया आदित्य K बात सुन कर जिया ने Uski Gardn पकड़ ली और उसे उठाने लगी

और बोली :- उठो ये तुमने मेरे साथ अच्छा नहीं किया मेरे नशे मैंने होने का फ़ायदा उठा लिया तुमने मैंने तुम्हें ऐसा नहीं समझा था आदित्य

जिया के बात सुन कर आदित्य के नींद उड़ गई 

आदित्य बोला :- ओह हेलो क्या बोल रही हो तुम मैंने नहीं ऊपर से तुमने मुझे परेशान किया है Aur पूरे दिन में बस तुम्हें ही संभाल रहा था

आदित्य ने इतना बोला था कि तभी एक ज़ोर के थप्पड़ मारने की आवाज़ पूरे कमरे में Sunayi देती है

जिया ने आदित्य के बात पूरी होने से पहले ही आदित्य के गालो पर थप्पड़ मार दिया

जिया के अचानक थप्पड़ मारने की वजह से आदित्य को भी गुस्सा आ गया और वो अपने गालो को पकड़कर बिस्तर से खड़ा Hote Hue बोला

:- शायद मेरी ही गलती थी कि मैंने तुम्हारा इतना ख्याल रखा। मैं इसका हकदार हूं

इतना बोल आदित्य कमरे से जाने लगा पर फिर पीछे मुड़ते हुए जिया को देखते हुए बोला जो वह बिस्तर पर बैठी थी

:- अगर मैंने तुम्हारे साथ जबरदस्ती की होती तो तुम यह सब बोलने के लायक नहीं होती देखो अपने आपको तुम्हारे शरीर पर कोई निशान नहीं है और नाही तुम्हारे कपड़े तुम्हारे शरीर से अलग Hue Hai

इतना बोल कर आदित्य फिर से जाने लगा पर के बार फिर पीछे मुड़ता है और कहता है:- जिया गुस्सा इंसान को ताकत तो देता है पर गुस्से में मैं इंसान हमेशा गलत फैसला लेता है

और इतना बोल कर आदित्य कमरे का दरवाजा खोल कर चला जाता है

और कमरे में सिर्फ जिया थी जो कि कंबल से खुदको कवर करके रखे हुए थी

आदित्य की बात सुनकर जिया को एहसास हुआ कि उससे कितनी बड़ी गलती होगी उसकी आंखो में आसू भर आए

और वो अपने आप से बोली :- ये मैंने क्या कर दिया मैंने अपने आदित्य को थप्पड़ कैसे मार दिया 

फिर उसे आदित्य के बोली हुई बाते याद आयी जो अभी आदित्य ने उसे थोड़ी देर पहले कहीं थी

और दूसरी तरफ आदित्य के जिया के कमरे से बाहर निकलने के बाद आदित्य घर से निकलने के लिए जाने लगता है

आज जिया ने उसे जो थप्पड़ मारा था वो थप्पड़ उसके दिल 💔 पर लगा था

आदित्य को जाते वक्त स्वाति और महेश दिखाए दिए जो सोफे पर बैठ कर दूसरे से बात कर रहे थे

तभी स्वाति की नज़र आदित्य पर पड़ती है स्वाति बोली :- अरे आदित्य बेटा तुम उठ गए और जिया कहा है वो उठ गई क्या

आदित्य बोला :- हा मां जिया उठ गई है

इतना बोल कर आदित्य जाने लगा आदित्य को जाता देख महेश बोले :- आदित्य कहा जा रहे हो आज त्यौहार है और आज के दिन तुम पूरे दिन हमारे साथ ही रहोगे

आदित्य बोला :- लेकिन पापा

महेश बोले :- लेकिन वक्त कुछ नहीं तुम्हें मेरी बात सुननी ही पड़ेगी

स्वाति भी आदित्य को जिद करते हुए बोली :- हा बेटा आज रात का खाना तुम यहीं खाओगे

आदित्य स्वाति और महेश का प्यार देख कर बहुत खुश हुआ क्योंकि बचपन से ही आदित्य को माँ बाप का प्यार नहीं मिला था

अपनी इतनी फिक्र करता देख आदित्य के आखे भर आई अब बेचारा आदित्य उन्हें क्या बता के उनकी बेटी ने उसे थप्पड़ मार दिया थावो भी बिना सच जाने

अब क्या होगा आगे क्या आदित्य हो जाएगा जिया से नाराज या फिर जिया मना लेगी आदित्य को

जाने के लिए सुनते रहिए