Chereads / खून और प्यार / Chapter 1 - अध्याय -१ (पहला कतल)

खून और प्यार

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Synopsis

Chapter 1 - अध्याय -१ (पहला कतल)

यह कहानी जोखनपुर नाम की एक शहर की हे. एक रात की बात हे, रवि नाम का एक लड़का शराब के नशे मै धुत अपनी घर की फाटक खोल के अंदर आता हे. रात के तक़रीबन १२ बजे होंगे. उसका पैर डगमगा रहे थे, बड़ी मुश्किल से वह घरका दरवाजा खोलके अंदर घुसता हे. अंदर जाके वह लाइट स्विच दबाता हे मगर लाइट नहीं जलती.

रवि - यह साली लाइट कहा मर गयी?

तभी रवि को कुछ गिरने की आवाज अता हे. रवि चौंक उठता हे और अपनी मोबइल का लाइट अन करके देखता हे.

रवि - कौन हे? जो भी हे सामने आ साले. डरपोक की तरह क्या छुप रहा हे? बाहर आ कमीने.

तभी एक बिल्ली उसके आगे भागके निकल जाती हे.

रवि - साली बिल्ली थी. मै बेकार मै ही..

इसके पहले रवि अपनी बात पूरी करपाता किसीने उसकी सर पर पीछे से बार करदिया. रबी दर्द से चिल्ला पड़ा और उसके हाथ से मोबाइल गिर पड़ा. तभी वह जो भी इंसान पीछे था रवि को पकड़कर उसका सर को लेके सामने वाली कांच के टेबल पर दे मारा. रवि बेहोस हो गया. सुबह जब नौकरानी घर पर आयी उसने देखा की घरमे सारा सामान बिखरा पड़ा हे और हल मै खून गिरा हे. जब वह रवि के कमरे मै गयी तोह डर के मारे चिल्ला पड़ी और सबको बुलाने लगी. आस पड़ोस के लोग जमा हो गए और पुलिस को बुलाया गया. कुछ देर बाद पुलिस आ गये.

इंस्पेक्टर - तोह पांडे (कंस्टेबल), कुछ सुराग मिला?

पांडे - नहीं सार. पूरा क्लीन मर्डर हे सर. साला जो भी मारा हे बड़ी पहँची हुई आदमी हे सर कोई सुराग नन्ही छोड़ा.

इंस्पेक्टर - आदमी क्यों? औरत भी तोह हो सकती हे? क्यों पांडे?

पांडे - नहीं सर यह पका कोई आदमी हे सर.

इंस्पेक्टर - क्यों? तुम्हे ऐसा क्यों लगा?

पांडे - सर कमरे के हालत और बॉडी को देख के लगता हे की खुनी पहले उसके सर पे बार किया. फिर उनमे हातापाई हुआ और कमरे मै सारा चीज बिखर गया. फिर उसने रवि को पकड़ कर टेबल पर पटक दिया और उसे खिंच के उसके कमरे मे ले गया. उसके सारे कपडे उतारे, उसको कुर्सी पे बंधा. और ब्लेड से उसके सारे शरीर पर कट लगाया. फिर कमरे मे चोरी किया और भाग गया. इतना सारा कोई लड़की नहीं कर सकती सर.

इंस्पेक्टर - क्या बात हे पांडे, कमाल हे तुमने इतना कुछ पता लगा लिया.

पांडे - सुक्रिया सर.

इंस्पेक्टर - पर यही तुम गलत हो. अगर उसे चोरी करना होता तोह वह उसे मारता क्यों? वह उसके आने से पहले चोरी करके भाग जाता. चलो मान लो की चोरी करते वक़्त रवि आगया. तोह जब उसनेे रवि को बेहोस करके कुर्सी पे बांध लिया था, तोह वह चुप चाप चोरी करके निकल जाता खून क्यों किया? और औरतों को कम मत समझो वह भी कातिल हो सकते हे.

पांडे - सर आप कहना क्या चाहते हे? मुझे कुछ समझ मै नहीं आया.

इंस्पेक्टर - मै यह कह रहा हूँ पांडे. की यह चोरी नहीं हे. सोचा समझा प्लानिंग के साथ किया गया खून हे. और इससे चोरी दिखाने के लिए चोरी करके भाग गया हे.

पांडे - अच्छा... हाँ सर यह भी हो सकता हे. क्या दिमाग़ हे आपका सर मान गए.

इंस्पेक्टर - मगर जिस तरीके से यह खून हुआ हे मुझे कुछ तोह गड़बड लग रहा हे.

पांडे - वह कियूं सर?

इंस्पेक्टर - पांडे, वह चाहता तोह इससे गोली या चाकू से आसानी से मार सकता था. मगर इसे ब्लेड से काट काट के तड़पा तड़पा के मारा हे. ऐसा लगता हे की बदला निकाला हो. नफरत भरी हुई हे इसके लिए.

इंस्पेक्टर - और यह ब्लड के साथ एक लेटर भी छोड़ा हे कातिल ने. R. क्या मतलब हो सकता हे R से? आखिर क्या कहना चाहता हे खुनी हमसे?

पांडे - सर यह तोह सिम्पल हे. R से रवि.

इंस्पेक्टर - R से रजनीकांत भी हो सकता हे ना? तुम ना ज्यादा दिमाग़ मत चलाया करो और पड़ोसियों को बुलाओ.

पांडे - ओके सर, माफ़ कीजिये.

पांडे जाके रवि के पडोसी मिस्टर वर्मा को बुलाके लता है और सर के पास लेके आता हे.

मिस्टर वर्मा - नमस्ते सर मेरा नाम हे मनोज वर्मा. मै बगल वाली घर मै रहता हूं.

इंस्पेक्टर - तोह वर्मा जी? आपने कल रात कुछ सुना या किसी को देखा?

मिस्टर वर्मा - नहीं सर मैंने कुछ नहीं सुना, नाकि किसीको देखा. मै और मेरे बीवी सो रहे थे सर.

इंस्पेक्टर - तोह आप कह रहे हे खुनी आता हे, रवि का कतल करके इनता तोड़फोड़ मचाके गया और आप घोड़े बेच के सो रहे थे आपको कुछ सुनाई नहीं पड़ा?

मिस्टर वर्मा - माफ कीजिये सर. काल रातको मैंने बस रवि के घरसे ऊँची आवाज मै गाना बजते हुए सुना था और कुछ नहीं.

इंस्पेक्टर - अच्छा तोह वह गाना चला कर यह खून कर रहा था. और आपको सक नहीं हुआ कुछ भी गाना सुनकर?

मिस्टर वर्मा - क्या बताऊँ सर. रवि कोई अच्छा लड़का नहीं था. शराब, जुआ, लड़किबाजी यह सब करता था. बड़ो को भी इज्जत नहीं देता था. बहत बार रात को पार्टी करके ऊँची आवाज मै गाना चलाते थे. बोलने पर भी कोई फरक नहीं पड़ा. मुझे कल लगा की वह फिर पार्टी कर रहा हे. इसी लिए मै सो गया.

इंस्पेक्टर - ठीक हे आप जा सकते हे. मगर मुझसे पूछे बगैर शहर मत छोड़ियेगा. मुझे अभी भी सक हे आपके ऊपर समझें?

मिस्टर वर्मा - ठीक हे सर, समझ गया.

पांडे - सर तीन लड़के आये हैं. और कह रहे हैं की वह तीन इस रवि की जिगरी दोस्त हैं.

इंस्पेक्टर - ठीक हैं बुलाओ उन्हें.

पंकज - सर नमस्ते, मेरा नाम हैं पंकज. यह उत्कर्ष और यह हे अमन. हम तीन रवि के कालेज से बेस्ट फ्रेंड्स हैं सर.

इंस्पेक्टर - है नहीं थे. वह मरचूका है. वैसे तुम लोग कल कहा थे रातको.

उत्कर्ष - सर हम चार काल रात एक पार्टी मै थे. और रवि जल्दी निकल अयाथा हम तीन तोह बहत लेट मै आये.

इंस्पेक्टर - कोई सबूत या गवाह जो ये साबित कर सके?

अमन - हाँ सर. हमारे और भी दोस्त थे उस पार्टी मै, वह गवाही दे सकते है सर.

इंस्पेक्टर - ठीक है. उन्हें कल थाने बुलाओ. और तुम्हे किसीपे सक है क्या? की कौन मार सकता है उससे?

पंकज - नहीं सर. रवि तोह एकदम सरीफ लड़का था. किसी से कोई झगड़ा या दुश्मनी नहीं था.

इंस्पेक्टर - हाँ हाँ. सुनचुका हूं मै उसका सराफत की किस्से. अब सच बताओगे या मै दुशरे हटकन्दे इस्तेमाल करू?

उत्कर्ष - नहीं नहीं सर. अरे हाँ.. सर काल पार्टी मै उसका विनोद के साथ बड़ी गन्दी लड़ाई हुई थी सर. मुझे तोह उसपे सक हो रहा है सर.

इंस्पेक्टर - कौन विनोद? हुआ क्या था डिटेल मै बताओ.

अमन - सर विनोद भी हमारी कालेज का फाइनल इयर का स्टूडेंट है सर काल रात उसका और रवि का झगड़ा हुआ था. मिना को लेकर.

पांडे - अब ये मिना कौन है?

उत्कर्ष - सर मिना भी हमरी कालेज की लड़की है. विनोद और रवि दोनों उससे पसंद करते है. कल मिना को लेकर दोनों की बिच मै झगड़ा हो गाय था. और सर विनोद ने रवि को जान से मरने की धमकी भी दिया था.

पांडे - अच्छा अब समझा. यह सब औरत का चकर के वजह से खून हुआ है सर.

इंस्पेक्टर - नहीं पांडे यह केस इतना भी सीधा नहीं है. तुम पहले उस विनोद और मिना को थाने बुलाओ. और तुम तीनो अभी जा सकते हो, मगर जब भी बुलाऊंगा तुरंत थाने आजाना समझें?

तीनो - हाँ सर.

कुछ देर बाद थाने मै विनोद और मिना दोनों को बुलाया जाता है और उनसे पूछताछ किया जाता है. पूछताछ के बाद..

पांडे - सर यह केस ने मेरा दिमाग़ खराप कर दिया है.

इंस्पेक्टर - क्यों क्या हुआ पांडे साहब?

पांडे - सर दोनों कल पार्टी से घर नहीं गए. कहाँ थे पूछने पर नहीं बताया. थोड़ा धमकाने के बाद बोलते है की दोनों पार्टी के बाद एक होटल मै रुके थे. उन्हें कुछ नहीं पता रवि का क्या हुआ.

इंस्पेक्टर - होटल मै पता किया?

पांडे - हाँ सर. होटल की CCTV कैमरा मै और रेजिस्टर से यह साबित होता है की दोनों ठीक कह रहे हैं. कल रात १२ रे सुबह ८ बजे तक यह दोनों वही थे.

इंस्पेक्टर - अच्छा. अरे क्यों किया रवि का खून?

विनोद - सर अपने तोह सुना की हम होटल मै थे.

इंस्पेक्टर - पर तूने तोह काल उससे धमकी दी थी ना की जान से मार देगा. अब तू ही हमारा प्राइम सस्पेक्ट हैं.

विनोद - माफ़ कीजिये सर. गलती होगया, नशे मै थोड़ा ज्यादा बोल गया था. मैने किसीका खून नहीं किया हैं सर मेरा यकीन कीजिये.

इंस्पेक्टर - ठीक हैं इसबार माफ़ किया, दुबारा हुआ तो देख लेना. अब जाओ यहाँ से.

विनोद - ठीक हैं सर, सुक्रिया.

पांडे - सर अब क्या करें उन्हें तोह छोड़ दिया.

इंस्पेक्टर - और कर भी क्या सकते हैं? उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. चलो जाँच जारी रखो कुछ ना कुछ जरूर हाथ लगेगा. और उन तीन नमूनों के ऊपर भी नजर रखो. मुझे उनपर थोड़ा सक हो रहा हैं, कुछ तोह वह छुपा रहे हैं.

पांडे - ठीक हैं सर.

उसी रात अमन के फार्म हॉउस मे तीनो दोस्त बैठ के दारू पी रखे थे और बातचित कर रहे थे.

अमन - आखिर कौन साला यह कर सकता हैं. मेरे हाथ लगा तोह मै खुद उसका कतल कर दूंगा.

उत्कर्ष - यार मुझे ना बहत डर लग रहा हैं कहीं अगली बारी हमारी तोह नहीं.

पंकज - अबे चुप ना यार. कितना बकवास करता हैं. उसका बाहतो के साथ लफड़ा था किसीने काम तमाम कर दिया होगा और क्या.

उत्कर्ष - फिर भी. यार मुझे लगता हैं कहीं हमने जो किया था.. कहीं उसकी वजह से..

अमन - अबे साले चुप कर. अगर यह बात तूने वह इंस्पेक्टर के सामने बताई तोह मै खुद तेरा गला घुट दूंगा समझा.

पंकज - साला कितना बड़ा फटु हैं यार. कुछ नहीं होगा तू बिंदास बैठ ना.

उत्कर्ष - ठीक हैं तुम दोनों कह रहे हो तोह मै चुप रहता हूं.

"उनसे थोड़ी दूर एक ऊँची जगह से एक इंसान खड़ा होकर बाईनाकुलर से उन्हें देख रहा था. आखिर कौन था वह इंसान ? क्या उसीने ही कतल किया था रवि का? अगर किया था तोह क्यों किया था? क्या इंस्पेक्टर और पुलिस डिपार्टमेंट के हाथ कुछ सुराग लगेगा? या क्या वह खुनी को पकड़ पाएंगे? और क्या हैं वह राज जो उत्कर्ष को छुपाने बोला अमन और पंकज ने? जानना चाहते हैं तोह पढ़िए अगला अध्याय."

यह कहानी जोखनपुर नाम की एक शहर की हे. एक रात की बात हे, रवि नाम का एक लड़का शराब के नशे मै धुत अपनी घर की फाटक खोल के अंदर आता हे. रात के तक़रीबन १२ बजे होंगे. उसका पैर डगमगा रहे थे, बड़ी मुश्किल से वह घरका दरवाजा खोलके अंदर घुसता हे. अंदर जाके वह लाइट स्विच दबाता हे मगर लाइट नहीं जलती.

रवि - यह साली लाइट कहा मर गयी?

तभी रवि को कुछ गिरने की आवाज अता हे. रवि चौंक उठता हे और अपनी मोबइल का लाइट अन करके देखता हे.

रवि - कौन हे? जो भी हे सामने आ साले. डरपोक की तरह क्या छुप रहा हे? बाहर आ कमीने.

तभी एक बिल्ली उसके आगे भागके निकल जाती हे.

रवि - साली बिल्ली थी. मै बेकार मै ही..

इसके पहले रवि अपनी बात पूरी करपाता किसीने उसकी सर पर पीछे से बार करदिया. रबी दर्द से चिल्ला पड़ा और उसके हाथ से मोबाइल गिर पड़ा. तभी वह जो भी इंसान पीछे था रवि को पकड़कर उसका सर को लेके सामने वाली कांच के टेबल पर दे मारा. रवि बेहोस हो गया. सुबह जब नौकरानी घर पर आयी उसने देखा की घरमे सारा सामान बिखरा पड़ा हे और हल मै खून गिरा हे. जब वह रवि के कमरे मै गयी तोह डर के मारे चिल्ला पड़ी और सबको बुलाने लगी. आस पड़ोस के लोग जमा हो गए और पुलिस को बुलाया गया. कुछ देर बाद पुलिस आ गये.

इंस्पेक्टर - तोह पांडे (कंस्टेबल), कुछ सुराग मिला?

पांडे - नहीं सार. पूरा क्लीन मर्डर हे सर. साला जो भी मारा हे बड़ी पहँची हुई आदमी हे सर कोई सुराग नन्ही छोड़ा.

इंस्पेक्टर - आदमी क्यों? औरत भी तोह हो सकती हे? क्यों पांडे?

पांडे - नहीं सर यह पका कोई आदमी हे सर.

इंस्पेक्टर - क्यों? तुम्हे ऐसा क्यों लगा?

पांडे - सर कमरे के हालत और बॉडी को देख के लगता हे की खुनी पहले उसके सर पे बार किया. फिर उनमे हातापाई हुआ और कमरे मै सारा चीज बिखर गया. फिर उसने रवि को पकड़ कर टेबल पर पटक दिया और उसे खिंच के उसके कमरे मे ले गया. उसके सारे कपडे उतारे, उसको कुर्सी पे बंधा. और ब्लेड से उसके सारे शरीर पर कट लगाया. फिर कमरे मे चोरी किया और भाग गया. इतना सारा कोई लड़की नहीं कर सकती सर.

इंस्पेक्टर - क्या बात हे पांडे, कमाल हे तुमने इतना कुछ पता लगा लिया.

पांडे - सुक्रिया सर.

इंस्पेक्टर - पर यही तुम गलत हो. अगर उसे चोरी करना होता तोह वह उसे मारता क्यों? वह उसके आने से पहले चोरी करके भाग जाता. चलो मान लो की चोरी करते वक़्त रवि आगया. तोह जब उसनेे रवि को बेहोस करके कुर्सी पे बांध लिया था, तोह वह चुप चाप चोरी करके निकल जाता खून क्यों किया? और औरतों को कम मत समझो वह भी कातिल हो सकते हे.

पांडे - सर आप कहना क्या चाहते हे? मुझे कुछ समझ मै नहीं आया.

इंस्पेक्टर - मै यह कह रहा हूँ पांडे. की यह चोरी नहीं हे. सोचा समझा प्लानिंग के साथ किया गया खून हे. और इससे चोरी दिखाने के लिए चोरी करके भाग गया हे.

पांडे - अच्छा... हाँ सर यह भी हो सकता हे. क्या दिमाग़ हे आपका सर मान गए.

इंस्पेक्टर - मगर जिस तरीके से यह खून हुआ हे मुझे कुछ तोह गड़बड लग रहा हे.

पांडे - वह कियूं सर?

इंस्पेक्टर - पांडे, वह चाहता तोह इससे गोली या चाकू से आसानी से मार सकता था. मगर इसे ब्लेड से काट काट के तड़पा तड़पा के मारा हे. ऐसा लगता हे की बदला निकाला हो. नफरत भरी हुई हे इसके लिए.

इंस्पेक्टर - और यह ब्लड के साथ एक लेटर भी छोड़ा हे कातिल ने. R. क्या मतलब हो सकता हे R से? आखिर क्या कहना चाहता हे खुनी हमसे?

पांडे - सर यह तोह सिम्पल हे. R से रवि.

इंस्पेक्टर - R से रजनीकांत भी हो सकता हे ना? तुम ना ज्यादा दिमाग़ मत चलाया करो और पड़ोसियों को बुलाओ.

पांडे - ओके सर, माफ़ कीजिये.

पांडे जाके रवि के पडोसी मिस्टर वर्मा को बुलाके लता है और सर के पास लेके आता हे.

मिस्टर वर्मा - नमस्ते सर मेरा नाम हे मनोज वर्मा. मै बगल वाली घर मै रहता हूं.

इंस्पेक्टर - तोह वर्मा जी? आपने कल रात कुछ सुना या किसी को देखा?

मिस्टर वर्मा - नहीं सर मैंने कुछ नहीं सुना, नाकि किसीको देखा. मै और मेरे बीवी सो रहे थे सर.

इंस्पेक्टर - तोह आप कह रहे हे खुनी आता हे, रवि का कतल करके इनता तोड़फोड़ मचाके गया और आप घोड़े बेच के सो रहे थे आपको कुछ सुनाई नहीं पड़ा?

मिस्टर वर्मा - माफ कीजिये सर. काल रातको मैंने बस रवि के घरसे ऊँची आवाज मै गाना बजते हुए सुना था और कुछ नहीं.

इंस्पेक्टर - अच्छा तोह वह गाना चला कर यह खून कर रहा था. और आपको सक नहीं हुआ कुछ भी गाना सुनकर?

मिस्टर वर्मा - क्या बताऊँ सर. रवि कोई अच्छा लड़का नहीं था. शराब, जुआ, लड़किबाजी यह सब करता था. बड़ो को भी इज्जत नहीं देता था. बहत बार रात को पार्टी करके ऊँची आवाज मै गाना चलाते थे. बोलने पर भी कोई फरक नहीं पड़ा. मुझे कल लगा की वह फिर पार्टी कर रहा हे. इसी लिए मै सो गया.

इंस्पेक्टर - ठीक हे आप जा सकते हे. मगर मुझसे पूछे बगैर शहर मत छोड़ियेगा. मुझे अभी भी सक हे आपके ऊपर समझें?

मिस्टर वर्मा - ठीक हे सर, समझ गया.

पांडे - सर तीन लड़के आये हैं. और कह रहे हैं की वह तीन इस रवि की जिगरी दोस्त हैं.

इंस्पेक्टर - ठीक हैं बुलाओ उन्हें.

पंकज - सर नमस्ते, मेरा नाम हैं पंकज. यह उत्कर्ष और यह हे अमन. हम तीन रवि के कालेज से बेस्ट फ्रेंड्स हैं सर.

इंस्पेक्टर - है नहीं थे. वह मरचूका है. वैसे तुम लोग कल कहा थे रातको.

उत्कर्ष - सर हम चार काल रात एक पार्टी मै थे. और रवि जल्दी निकल अयाथा हम तीन तोह बहत लेट मै आये.

इंस्पेक्टर - कोई सबूत या गवाह जो ये साबित कर सके?

अमन - हाँ सर. हमारे और भी दोस्त थे उस पार्टी मै, वह गवाही दे सकते है सर.

इंस्पेक्टर - ठीक है. उन्हें कल थाने बुलाओ. और तुम्हे किसीपे सक है क्या? की कौन मार सकता है उससे?

पंकज - नहीं सर. रवि तोह एकदम सरीफ लड़का था. किसी से कोई झगड़ा या दुश्मनी नहीं था.

इंस्पेक्टर - हाँ हाँ. सुनचुका हूं मै उसका सराफत की किस्से. अब सच बताओगे या मै दुशरे हटकन्दे इस्तेमाल करू?

उत्कर्ष - नहीं नहीं सर. अरे हाँ.. सर काल पार्टी मै उसका विनोद के साथ बड़ी गन्दी लड़ाई हुई थी सर. मुझे तोह उसपे सक हो रहा है सर.

इंस्पेक्टर - कौन विनोद? हुआ क्या था डिटेल मै बताओ.

अमन - सर विनोद भी हमारी कालेज का फाइनल इयर का स्टूडेंट है सर काल रात उसका और रवि का झगड़ा हुआ था. मिना को लेकर.

पांडे - अब ये मिना कौन है?

उत्कर्ष - सर मिना भी हमरी कालेज की लड़की है. विनोद और रवि दोनों उससे पसंद करते है. कल मिना को लेकर दोनों की बिच मै झगड़ा हो गाय था. और सर विनोद ने रवि को जान से मरने की धमकी भी दिया था.

पांडे - अच्छा अब समझा. यह सब औरत का चकर के वजह से खून हुआ है सर.

इंस्पेक्टर - नहीं पांडे यह केस इतना भी सीधा नहीं है. तुम पहले उस विनोद और मिना को थाने बुलाओ. और तुम तीनो अभी जा सकते हो, मगर जब भी बुलाऊंगा तुरंत थाने आजाना समझें?

तीनो - हाँ सर.

कुछ देर बाद थाने मै विनोद और मिना दोनों को बुलाया जाता है और उनसे पूछताछ किया जाता है. पूछताछ के बाद..

पांडे - सर यह केस ने मेरा दिमाग़ खराप कर दिया है.

इंस्पेक्टर - क्यों क्या हुआ पांडे साहब?

पांडे - सर दोनों कल पार्टी से घर नहीं गए. कहाँ थे पूछने पर नहीं बताया. थोड़ा धमकाने के बाद बोलते है की दोनों पार्टी के बाद एक होटल मै रुके थे. उन्हें कुछ नहीं पता रवि का क्या हुआ.

इंस्पेक्टर - होटल मै पता किया?

पांडे - हाँ सर. होटल की CCTV कैमरा मै और रेजिस्टर से यह साबित होता है की दोनों ठीक कह रहे हैं. कल रात १२ रे सुबह ८ बजे तक यह दोनों वही थे.

इंस्पेक्टर - अच्छा. अरे क्यों किया रवि का खून?

विनोद - सर अपने तोह सुना की हम होटल मै थे.

इंस्पेक्टर - पर तूने तोह काल उससे धमकी दी थी ना की जान से मार देगा. अब तू ही हमारा प्राइम सस्पेक्ट हैं.

विनोद - माफ़ कीजिये सर. गलती होगया, नशे मै थोड़ा ज्यादा बोल गया था. मैने किसीका खून नहीं किया हैं सर मेरा यकीन कीजिये.

इंस्पेक्टर - ठीक हैं इसबार माफ़ किया, दुबारा हुआ तो देख लेना. अब जाओ यहाँ से.

विनोद - ठीक हैं सर, सुक्रिया.

पांडे - सर अब क्या करें उन्हें तोह छोड़ दिया.

इंस्पेक्टर - और कर भी क्या सकते हैं? उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. चलो जाँच जारी रखो कुछ ना कुछ जरूर हाथ लगेगा. और उन तीन नमूनों के ऊपर भी नजर रखो. मुझे उनपर थोड़ा सक हो रहा हैं, कुछ तोह वह छुपा रहे हैं.

पांडे - ठीक हैं सर.

उसी रात अमन के फार्म हॉउस मे तीनो दोस्त बैठ के दारू पी रखे थे और बातचित कर रहे थे.

अमन - आखिर कौन साला यह कर सकता हैं. मेरे हाथ लगा तोह मै खुद उसका कतल कर दूंगा.

उत्कर्ष - यार मुझे ना बहत डर लग रहा हैं कहीं अगली बारी हमारी तोह नहीं.

पंकज - अबे चुप ना यार. कितना बकवास करता हैं. उसका बाहतो के साथ लफड़ा था किसीने काम तमाम कर दिया होगा और क्या.

उत्कर्ष - फिर भी. यार मुझे लगता हैं कहीं हमने जो किया था.. कहीं उसकी वजह से..

अमन - अबे साले चुप कर. अगर यह बात तूने वह इंस्पेक्टर के सामने बताई तोह मै खुद तेरा गला घुट दूंगा समझा.

पंकज - साला कितना बड़ा फटु हैं यार. कुछ नहीं होगा तू बिंदास बैठ ना.

उत्कर्ष - ठीक हैं तुम दोनों कह रहे हो तोह मै चुप रहता हूं.

"उनसे थोड़ी दूर एक ऊँची जगह से एक इंसान खड़ा होकर बाईनाकुलर से उन्हें देख रहा था. आखिर कौन था वह इंसान ? क्या उसीने ही कतल किया था रवि का? अगर किया था तोह क्यों किया था? क्या इंस्पेक्टर और पुलिस डिपार्टमेंट के हाथ कुछ सुराग लगेगा? या क्या वह खुनी को पकड़ पाएंगे? और क्या हैं वह राज जो उत्कर्ष को छुपाने बोला अमन और पंकज ने? जानना चाहते हैं तोह पढ़िए अगला अध्याय."