आज फिर अभिनव पसीने से लत पत घबराहट के साथ उठा।
अभिनव ने कहा...
मुझे रोज ये एक ही सपना क्यों आता है। जिसमें में एक लड़की के साथ होता हु। ओर एंड मे हम मर जाते है। ऐसा क्यों हो रहा है। तभी उसे उस के दोस्त विभव का कॉल आता है। अभिनव कॉल उठता है।
सामने से विभव कहता है।
हां तो लाडसाहब...
उठ गए आप।
अभिनव कहता है। हां भाई उठ गया।
विभव ने कहा।
चलना नहीं है क्या? 9 बजे की बस है। कही भूल तो नहीं गया?
अभिनव ने कहा। हां भाई याद है। अभी उठा हु। तुम घर आ जाओ। फिर यही से साथ चलते है बस स्टेशन।
विभव ने कहा। ठीक है। तुम फ्रेस हो जाओ। तब तक में तुम्हारे घर आता हु।
फिर अभिनव फ्रेस होने चला गया।
दरअसल आज अभिनव और विभव दोनों साथ में अभिनव के बड़े पापा चंद्रजीत सिंह के घर मालदा गांव जा रहे थे।
(में आप को बता दूं। चंद्रजीत सिंह अपने गांव के सरपंच ओर काफी इज्जतदार व्यक्ति है चंद्रजीत सिंह की फैमिली में चंद्रजीत सिंह की पत्नी निर्मला देवी, उन का बड़ा बेटा शुभम ओर उन की बेटी प्रिया है जिसे सब प्यार से गुड़िया बोलते है।)
कुछ समय बाद विभव अभिनव के घर आ जाता है और दोनों साथ में बस स्टेशन के लिए रवाना हो जाते है।
अभिनव और विभव बस स्टेशन 8:45 बजे पहुंचे थे। 15 min wait करने के बाद bus वहां आ जाती है और दोनों बस में सवाल हो जाते है। ओर कुछ टाइम बाद बस रवाना हो जाती हैं।
बस मे अभिनव विभव से कहता है। यार आज फिर मुझे वही सपना आया। विभव कहता है। क्या...
आज फिर... तुम शायद ज्यादा ही सोचते हो सपने में बारे में इस लिए तुम्हे रोज एक ही सपना बार बार आता है। अभिनव खामोश हो गया। ओर बितते समय के साथ वो दोनों मालदा गांव महुंच गए।
बस से अभिनव ओर विभव उतर जाते है। विभव उतरते हुए अभिनव से कहता है। हां तो यहां से हमें खुद से तुम्हारे बड़े पापा के घर जाना होगा या उन के घर से कोई लेने आएगा।
अभिनव ने कहा...
अरे वो शुभम आएगा हमे लेने। उस से मेरी बात हो तो गई थीं शायद वो आता ही होगा।
ये सुन कर विभव ने कहा। अच्छा कौन वो तुम्हारे बड़े पापा का बड़ा लड़का शुभम?
अभिनव ने कहा। हां वहीं शुभम।
तभी वहां एक कार आकर रुकी। उस कार मेरे से एक लड़का बाहर निकला और ये लड़का ओर कोई नहीं शुभम था।
शुभम ने अभिनव को देखा और अभिनव को देख कर उसे खुशी से गले लगाते हुए कहा। ओर कैसा है।
अभिनव ने कहा में बढ़िया तुम बताओ। तुम कैसे हो। ओर घर में सब कैसे है। शुभम ने कहा। में भी मस्त हु। ओर घर में भी सब मस्त है। ओर ये विभव है ना तुम्हारा दोस्त।
अभिनव ने कहा। हां ये विभव है। जिस के बारे में मैने तुम को कॉल पर बताया था।
फिर अभिनव, विभव ओर शुभम तीनों कार में बैठ गए और घर के लिए रवाना हो गए।
घर पहुंच कर अभिनव ने सभी बडो को प्रणाम किया। अभिनव को देख कर चंद्रजीत सिंह ने अभिनव से कहा। आ गए अभिनव बेटा। सफर मे कोई परेशानी तो नहीं हुई ना।
अभिनव ने कहा नहीं बड़े पापा। कोई परेशानी नहीं हुई।
तभी सामने से अभिनव की बड़ी मां निर्मला देवी आते हुए कहती है। अभि... आ गए तुम। उन्हें देख के अभिनव उन्हें गले लगाते हुए कहता है। आप केसी हो बड़ी मां। निर्मला देवी जवाब देते हुए कहती है। में तो अच्छी हु। तुम तो शहर में अपना खयाल रखेंगे थे ना।
जवाब मे अभिनव कहता है। हां बड़ी मां। में अपना खयाल रखता हु।
फिर अभिनव आस पास देखते हुए कहता है। बड़ी मां, गुड़िया कही दिख नहीं रही। तभी पीछे से एक लड़की की आवाज सुनाई देती है।
अभिनव भया में यहां हु। अभिनव पीछे मूड के देखता है। पीछे प्रिया खड़ी थी। तभी प्रिया अभिनव के पास आकर अभिनव के गले लग जाती है। अभिनव प्रिया को देख कर कहता है। अरे वाह गुड़िया। तुम तो काफी बड़ी हो गई हो।
प्रिया जवाब देते हुए कहती है। भया आप तो शहर जाकर हमे भूल ही गए। कही आप को वहां भाभी तो नहीं मिल गई? प्रिया हंसते हुए कहती है। जिस का जवाब देते हुए अभिनव कहता है। जब मुझे तुम्हारी भाभी मिल जाएगी तब में सबसे पहले तुम्हे ही बताऊंगा। तभी पीछे से निर्मला देवी आवाज देते हुए कहती है। अभि.. चलो आ जाओ। खाना खा लो। तुम थक गए होंगे। अभिनव कहता है हां बड़ी मां।
ओर फिर सब खाना खाने चले जाते है।
कुछ समय बाद अभिनव, विभव, प्रिया ओर शुभम चारों प्रिया के रूम में बैठे थे। ओर बात कर रहे थे। तभी विभव शुभम से कहता है...
वैसे शुभम। मैने सुना है कि इस गांव में कोई मेला होने वाला है?
शुभव ने जवाब देते हुए कहा...
हां...
हमारे गांव में रामकेली मेला होने वाला है।
ये सुन के विभव ने उत्सुकता से पूछा।
अच्छा... इस मेले में क्या क्या होता है?
शुभव कहता है। रामकेली मेला हमारे गांव में हर साल जोईशो संक्रांति पर बनाया जाता है। ओर ये मेला सात दिनो तक चलता है। हमारे पश्चिम बंगाल मे इसे बड़े पैमाने पर बनाया जाता है। इस मेले में भगवान कृष्ण ओर राधा की पूजा की जाती है। भक्तजन मंदिरों में पूजा करने जाते ओर प्रसाद चढ़ाते है। इस के अलावा कही सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते है। जैसे लोकनृत्य, संगीत, नाटक ओर इस के अलावा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते है और स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते है। मेले में विभिन्न प्रकार के स्थानीय व्यंजन उपलब्ध होते हैं। हम यहां पर मिट्टी के बर्तनों में बने पकवान, मिठाई और अन्य स्वादिष्ट चीजें भी चख सकते हैं।
इस के अलावा मेले में झूले, घोड़े की सवारी और अन्य मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते हैं। बच्चे यहां पर खूब मस्ती करते हैं।
इसके अलावा, मेले में कुछ अन्य गतिविधियां भी होती हैं, जैसे धार्मिक प्रवचन।
विभव शुभम को रोकते हुए कहता है। मतलब धार्मिक गुरुओं द्वारा धार्मिक प्रवचन दिए जाते हैं।
शुभव कहता है। हां विभव। यहां पर धार्मिक गुरुओं द्वारा धार्मिक प्रवचन दिए जाते है। इस के अलावा खेल और अन्य प्रकार की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
यह मेला सिर्फ एक धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है।
इतना सब सुन के विभव बहुत ज्यादा उत्सुक हो गया।
ओर उत्सुकता से कहता है अच्छा।
तो अब ये मेला किस दिन आयोजित होने वाला हैं।
ये मेला आज से ठीक तीन दिन बाद आयोजित होने वाला है।
अब तक काफी रात हो चुकी थी। तभी वहां निर्मला देवी आते हुए कहती है। अरे.. तुम सब अभी तक सोए नहीं। तभी शुभम कहता है। हां। अभी हम सब सो जाते है। कल सोमवार है। हम सब हमारे गांव के सबसे बड़े महादेव जी के मंदिर चलेंगे। महादेव जी की आरती करने। ओर सब अपने अपने कमरे में चले जाते है। अभिनव ओर विभव दोनों एक ही कमरा लिया था। ओर उसी में सोने गए।
अगला दिन। सभी उठ चुके थे। ओर सभी तैयार होकर महादेव जी के मंदिन की तरफ रवाना हो गए। शुभम अभिनव ओर विभव को नदी वाले रस्ते से होते हुए मंदिर ले जा रहा था। नदी को देखकर अभिनव को अपने बचपन के पल याद आने लगे थे। कैसे वो यहां खेलने आता था। नदी मे नहाया करता था। विभव नदी को देखकर अभिनव से कहता है। ये वही नदी है ना जिस के बारे मे तुम मुझे बताया करते थे।
अभिनव कहता है। हां ये वही नदी है। आज भी ये नदी पहले की तरह ही एक दम साफ ओर आकर्षक है।
कुछ देर बार सब मंदिर पहुंच गए।
मंदिर काफी बड़ा था। मंदिर में आकर अभिनव ओर विभव को काफी सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव हो रहा था।
सब मंदिर में आरती करते है। ओर प्रसाद गृन करते है। ओर सभी मंदिर के पंडित जी से मिल कर वापस घर की तरफ रवाना हो रहे थे। ओर पंडित जी अभिनव को ही देख रहे थे। जैसे उन्हें कुछ पता चल गया हो। वो अभिनव को रोक कर कुछ बात पाते तब तक अभिनव मंदिर से बाहर जा चुका था।
अभिनव को पीछे से देखते हुए पंडित जी मन ही मन में कहते है। आखिर तुम वापस आ ही गए। अब वो भी बहुत जल्द जागने वाली है। ओर अगर वो जाग गई तो इस गांव को सर्वनाश से कोई नहीं बचा सकता। तुम्हारी कहानी उस से जुड़ी हुई है। ओर इस कहानी को आगे भी तुम ही बढ़ाओगे। ये कहानी एक ऐसी कहानी है जो पहले ही लिखी जा चुकी है। ओर इस कहानी का अंत भी तुम्हे ही करना है। ओर में तुम्हारी प्रतीक्षा करूंगा। क्योंकि में जनता हु। तुम एक दिन मेरे पास जरूर आओगे। एक ऐसी कहानी को जानने जिस का हिस्सा तुम खुद रह चुके हो। उस कहानी की शुरुआत तुम्हीं से हुई थीं ओर तुम्हारा यहां वापस आना ओर इस अधूरी कहानी को पूरा करना नियति मे लिखा हुआ है।
Author - Vijay