अभिनव, विभव, शुभम ओर प्रिया घर की तरफ जा रहे थे। रास्ते में अभिनव उन सब जगह जाता है जहां वो पचपन मे जाया करता था। वो अपने पुराने दोस्तों से भी मिलता है। फिर सब जंगल के पास वाली नदी के पास थोड़ा आराम करते है। वहां बैठा विभव जंगल को ही देख रहा था। तभी विभव अभिनव से कहता है। चलो हम सब थोड़ा जंगल की तरफ गुम कर आते है। तब अभिनव भी शुभम ओर प्रिया से कहता है। हां हम एक बार जंगल में भी जाकर आते है। यह सुन के शुभम कहता है। नहीं नहीं...
गांव में जंगल की तरफ जाने से प्रतिबंध लगाया हुआ है। कोई भी जंगल की तरफ नहीं जाता है। अगर हम जंगल की तरफ गए और किसी को पता चल गया तो हमें बहुत डांट पड़ेगी।
यह सुनकर विभव ने कहा।
क्यों? ऐसा क्या है जिस की वजह से जंगल में जाने से पाबंदी लगाई हुई है।
शुभम कहता है। हमे ज्यादा कुछ तो नहीं पता है। हम सब बचपन से ये ही सुनते आ रहे है कि पहले गांव में मोते ज्यादा होती थीं। ओर जो भी जंगल की तरफ जाता था वो कभी भी वापस नहीं आता था। आज से कही साल पहले हमारे गांव में एक प्रेत का साया था। ओर वहीं सब को मारा करती थी। वो कौन थी? कहा से आई? वो तो हमें नहीं पता। लेकिन उसी की वजह से सब का जंगल की तरफ जाना प्रतिबंध किया हुआ है।
यह सुन कर अभिनव कहता है। तो अब क्या लोगों की मोते नहीं होती क्या?
जिस का जवाब देते हुए शुभम कहता है। नहीं... अब नहीं होती। ऐसा कहा जाता है। हमारे गांव के धर्म गुरुओं ने उसे जंगल में किसी जगह बांध दिया था ओर उस के बाद से हमारे गांव में ऐसी कोई दुर्घटना नहीं हुई है। अब ये बात सच है या झूठ वो तो नहीं पता। पर हमारे गांव में सब यही करते है।
तब विभव ने कहा। बांध दिया मतलब?
शुभम कहता है। बांध दिया मतलब.. कही कैद कर दिया। उस प्रेत को जंगल के किसी जगह कैद किया हुआ है।
यह सुन कर विभव कहता है। अगर उस प्रेत को कैद कर दिया है तो क्यों लोग अब जंगल जाने से डरते है। अब तो जंगल मे कोई खतरा है नहीं।
इस के जवाब में शुभव ने कहा कि पता नहीं। पर सब कहते है कि किसी की गलती से वो प्रेत आजाद ना हो जाए इस लिए कोई भी जंगल की तरफ नहीं जाता। ओर जंगल में इतने ज्यादा लोग मारे गए है कि आज भी लोगों के मन में जंगल को लेकर खौफ बना हुआ है।
फिर वो सब घर की तरफ चले जाते है।
जब वो सब घर पहुंचते तब अभिनव ओर विभव सामने एक बुजुर्ग सक्स को देखते है। जो वहां काम कर रहा था। उसे देख कर अभिनव शुभम से कहता है कि ये कौन है?
शुभव ने कहा..
ये रामु काका है। हमारे यहां काम ओर देख रेख करते है।
फिर सब घर के अंदर चले जाते है। निर्मला देवी सब को देख के कहती है। तो आ गए आप सब। चलो सब आजाओ ओर खाना खा लो। फिर सभी साथ में खाना खाते है और फिर सभी अपने अपने कमरे में आराम करने चले जाते है।
शाम का समय था। दिन काफी ढल गया था और अंधेरा होने हो आया था। अभिनव अपने कमरे की खिड़की से जंगल की तरफ देख रहा था। तभी पीछे से विभव आते हुए कहता है।
ओ लाडशाहब... आप इतने गुम सुन बैठे क्या कर रहे हो।
अभिनव ने कहा है। देख रहा हु... जैसे जैसे अंधेरा होता जा रहा है। जंगल जो अब तक कितना खुबसुरत लग रहा था वो अब कितना डरावना होते जा रहा है। जंगल कितना शांत हो गया है। जिस प्रेत के बारे मे शुभम बता रहा था। अगर वह सच है। तो उस की क्या कहानी रही होगी? वो प्रेत आई कहा से ओर मासूम लोगों को क्यों मारती थी। कुछ तो कहानी होगी उस के पीछे की।
जंगल की तरफ देखो तो ऐसा लगता है जैसे ये जंगल मुझे खुद की तरफ पुकार रहा है। में जब भी जंगल को देखता हु कुछ अजीब सा महसूस होता है। जैसे कुछ अपना पन सा है वह ओए। कुछ जो जुड़ा है मुझ से। ना जाने क्यों मेरा कोई अपना है वह पे।
यह सुन कर विभव कहता है।
हां भाई... तुम जंगल को निहारो ओर इसे ही फालतू को सोचते रहो। तब तक में अपना काम कर लेता हु।
ओर विभव अपने लैपटॉप में अपना काम करने लग जाता है।
( में आप को बता दूं। अभिनव ओर विभव दोनों एक software engineering कंपनी मे काम करते है।)
ओर अभी विभव अपने ऑफिस का ही काम कर रहा था।
वहीं अभिनव बाहर खिड़की से जंगल को निहार ही रहा था कि तभी उस जंगल से किसी के गुण गुना ने की आवाज आने लगती है। ये सुन कर अभिनव को काफी अजीब लगता है। ओर उस को ऐसा लग रहा था जैसे जंगल की तरफ से उसे उस का नाम लेकर कोई पुकार रहा हो। पहले तो अभिनव ने सोचा कि शायद उसे भ्रम हो रहा है। तो उस ने विभव को कहा कि क्या तुम्हे जंगल से किसी के गुनगुना ने की आवाज आ रही है क्या?
जब विभव ने आवाज सुनने की कोशिश की तो उसे कोई आवाज नहीं सुनाई दे रही थी। उस ने अभिनव से कहा कि तुम्हे ऐसे ही भ्रम हो रहा है। घड़ी में देख 8 बजने को आए है। जंगल मे दिन के टाइम भी जाने नहीं दिया जाता तो कोई रात के समय जंगल क्यों जाएगा।
तब अभिनव ने कहा कि नहीं... सच मे जंगल से किसी के गुनगुना ने की आवाज आ रही थी।
तभी कमरे में प्रिया आती है और कहती है कि आप दोनों नीचे आ रहे हो ना खाना खाने। तभी अभिनव कहता है। हां हां हम आ रहे है। फिर दोनों खाना खाने के बाद सब के साथ थोड़ा टाइम बिता के सो जाते है। अगले अभिनव की एक दम से आंख खुली। अभिनव काफी सहमा हुआ था। अभिनव को आज भी वही सपना आया। लेकिन इस बार उस सपने कुछ अलग था। हर बार की तरह वो एक लड़की के साथ होता है। ओर एंड मे वो दोनों कर जाते है। लेकिन इस बार वो लड़की उसे अपनी तरफ बुला रही थी। वो लड़की काफी तकलीफ में थी। ओर अभिनव को ही पुकार रही थी। उसे बोल रही थी अभि.. मुझे यह से आजाद करो। मेरे पास आओ। में तुम्हारा ही इंतजार कर रही हु। अब तुम वापस आ ही गए। में अब तुम्हे वापस अपने से दूर जाने नहीं दूंगी। मेरे पास आओ। ओर मुझे यहां बाहर निकाले।
अभिनव अपने सपने के बारे मे सोच ही रहा था कि उसे प्रिया आते दिखी। प्रिया ने बोला। भया उठ गए आप। प्रिया को जवाब देते हुए अभिनव कहता है।
हां गुड़िया मे उठ गया। क्या हुआ? तुम सुबह सुबह यहां। कोई काम था?
प्रिया ने कहा। हां भया। वो मुझे मार्केट जाना था। आप इतने साल बाद गांव आए है। तो सोचा आप के साथ चलू। आप भी मार्केट गुम लेना। अभिनव ने कहा। में भी सोच रहा था मार्केट की साइड जाकर आऊ। चलो तुम जा रही हो तो साथ चलते। ओर अभिनव ओर प्रिया दोनों साथ मार्केट चले जाते है।
कुछ समय बात विभव उठता है तो अपने आस पास अभिनव को ना देख के नीचे आता हैं नीचे हॉल में शुभम सोफे पर बैठा था। विभव शुभम के पास जाकर कहता है। घर में कोई दिख नहीं रहा। ओर अभिनव कहा गया।
शुभम ने कहा। अभिनव ओर प्रिया दोनों मार्केट गए है। तुम सो रहे थे तो अभिनव ने तुम्हे परेशान किया नहीं। ओर मां बाबा रामकेली मेले की तैयारी देखने गए है। परसो मेले की शुरुआत हो जाएगी। इस लिए मेले की तैयारी चल रही है।
शुभम विभव से कहता है। आओ यहां बैठ जाओ। ओर विभव उस के पास बैठ जाता है।
शुभम विभव से सवाल करते हुए कहता है। वैसे तुम्हारी ओर विभव की मुलाकात कब हुई। ओर तुम दोनों दोस्त कब बने।
विभव जवाब देते हुए कहता है। हम दोनों ने साथ ही स्कूल कंप्लीट की। ओर कॉलेज भी साथ ही की। बचपन में अभिनव के मम्मी पापा का कार एक्सीडेंट में देहांत हो जाने के बाद अभिनव काफी अकेला हो गया था। उस के बाद से में उस के साथ काफी ज्यादा टाइम स्पेंड करने लगा। अभिनव मेरे भाई जैसा है। मैने कभी अभिनव को अकेला फील नहीं होने दिया। हमेशा उस के साथ रहा।
शुभम ने कहा। तभी अभिनव तुम्हे इतना मानता है। तुम्हे अपने भाई की तरफ ट्रीट करता है। अब तक अभिनव ओर प्रिया भी मार्केट से वापस घर आ गए थे।
फिर अभिनव, विभव, शुभम ओर प्रिया चारो भी मेले की तैयारी देखने चले जाते है।
दो दिन बाद...
आज से रामकेली मेले की शुरुआत हो रही थी।
अभिनव, विभव, शुभम ओर प्रिया मेले में आए हुए थे। ओर मेले में गुम रहे थे। उन्होंने यहां भगवान कृष्ण ओर राधा की आरती की। उन सब ने प्रतियोगिताएं देखी। उन्होंने लोक नृत्य, संगीत, नाटक और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखे।
आज रामकेली मेले का पांचवा दिन था।
शाम का समय हो गया था। अभिनव, विभव, प्रिया ओर शुभम तीनो एक ही कमरे मे बैठे बाते कर रहे थे।
अभिनव खिड़की के पास बैठ कर खिड़की से जंगल की तरफ देख रहा था। तभी उसे वही गुनगुना ने की आवाज आने लगी। ओर उसे ऐसा लगने लगा जैसे कोई उसे पुकार रहा हो। उस ने इस बार किसी को नहीं बताया कि उसे आवाजें आ रही है। उसे लगा कि इस बार भी उस की बात का कोई यकीन नहीं करेगा ओर सब उस की बात का मजाक उड़ाएंगे। उसे ना जाने क्या हुआ। उस के मन में जंगल की तरफ जाने का हुआ। ओर वहां जाकर देखना था है कि आखिर जंगल मे से मुझे आवाज दे कौन रहा है। ओर इतने मधुर स्वर में गुनगुनाता कौन है। अभिनव ने सभी को कहा कि में नीचे थोड़ा वॉक कर के आता हु। तब शुभम, विभव ओर प्रिया ने भी कहा कि चलो हम भी चलते है।
जवाब में अभिनव ने कहा कि अरे नहीं। में बस ऐसे ही नीचे राउंड निकाल कर वापस आ रहा हु। तुम सब यही बैठ के बाते करो। में अभी वापस आता हु। ओर सभी ने भी कोई एतराज नहीं जताया और अभिनव अकेला चला गया। ओर अभिनव छुपते छुपाते जंगल की तरफ चला गया।