कानपुर
सुनसान अँधेरी रात
एक लड़की उस काली गहरी रात मे रोड पर नंगे पाँव भाग रही थी वह बार बार पीछे पलट कर देख रही थी उसके चेहरे पर डर और घबराहट के मिले जुले एक्सप्रेशन थे तभी उसके पीछे 2 स्कार्पिओ... उस लड़की तरफ आ रही थी....
जिन्हे देख कर उस लड़की के पाँव के रफ़्तार तेज हो गए वह तेज भागने लगी उसके पाँव छील चुके जिससे उसका पैर लहू लुहान हो चूका था...
स्कार्पिओ मे बैठा एक आदमी जिसकी उम्र लगभग 28 साल कि होंगी उसके मुंह मे पान था वह बोला " उ रही उ लोंड़िया... कार भगाओ रे आज तो इ साली को छोड़ेगे नाहीं.... भगाओ कार को "
उसके साथ मे बैठा ड्राइवर कार तेज चला दिया जिससे उस लड़की को धक्का लगा जिससे वह लड़की थोड़ी दूर जा गिरी... वो आदमी जिसका नाम लल्लन था वह उस लड़की पास आया और निचे झुक उस लड़की के बालो को पीछे से पकड़ा और पान थूक कर बोला " क्यों रे साली तुम्हरे पाँव मे ज्यादा ताकत आ गयी साली कुतिया भैय्या जी को धोखा देगी "
यह लड़की थी वैदेही हमारी कहानी कि हीरोइन...
वैदेही को दर्द हो रहा था उसने गुस्से से कहाँ " हमने कोई भैय्या जी को धोखा नहीं.. दिया उ हमारे साथ जबर्दस्ती कर रहे थे....हम उ से शादी नहीं करना चाहते "
तब लल्लन ने एक खिंच के थप्पड़ वैदेही को मारा और बोला " साली जबान लड़ाती है.... भैय्या जी से शादी तुम का तुम्हारा बाप भी करेगा तुम्हरी क़ीमत दी है भईया जी ने तुम्हरे घर वालो को.... चल साली तुमको तो भैय्या जी बताएंगे... "..
तब वैदेही खुद को छुड़ाते हुए बोली " हम उ घटिया आदमी... से शादी कभी नाहीं करेंगे छोड़ो हमको उ जाहिल आदमी हमरा मरद बने के काबिल नाहीं..छोड़ो जाने दो हमको . "
लल्लन ने उसकी एक नहीं सुनी उसने वैदेही के बालो को खिंचते हुए लेकिन जाने लगी... तब वैदेही जोर जोर से चिल्लाने लगी " बचाओ हमको... बचाओ "
तब लल्लन और उसके आदमी हसने लगे और बोले " चिल्ला और चिल्ला तुम्हारी सुनने वाला तो कोनो नाही " कह कर और हसने लगा...
तब एक सर्द और डोमिनेटिंग आवाज आयी " हम है ना सुनने वाले... "
यह सुन लल्लन वैदेही के साथ सभी पीछे पलट के देखने लगे जहाँ एक लड़का जिसने ब्लैक शर्ट और ब्लैक जीन्स पहनी हुई थी उसके शर्ट के ऊपर के 3 बटन खुले हुए थे जिससे उसका सेक्सी चेस्ट दिख रहा था वह सामने ब्लैक थार कि बोनट पर किसी राजा कि तरह बैठा हुआ था ..उसका औरा ही अलग था
वह लड़का स्टाइल से निचे उतरा वैदेही को लगा उसे बचाने के लिए कोई फरिश्ता आ गया वैदेही ने तुरंत लल्लन को धक्का देकर...
उस लडके के पीछे छिप गयी उसने उसने जल्दी से कहाँ " plz हमें गुंडा लोगन से बचाइये... "....
उस लडके ने रात कि अँधेरी रात वैदेही का चेहरा ठीक से नहीं देखा था..
तब लल्लन ने आगे बढ़ते हुए कहाँ " काउन हो बे... भैय्या जी मामले मे मत पड़ो वरना भैय्या जी तुमको छोड़ेंगे नाहीं...इ हेरोगिरी कही और करना..."
क्यूंकि रात थी इसीलिए किसी को उस लडके का चेहरा नहीं दिखाई दे रहा था शिवाय उसकी चमकती नीली आँखों के
उस लडके ने राइट हैंड को नेक पीछे कर रब करने लगा उसने अपना सर अजीब तरीके से घूमाया....
वहा का मोहोल काफ़ी अजीब हो गया उस लडके ने लल्लन कि तरफ देख कर कहाँ " इ लड़की तुम्हरे साथ नहीं जाना चाहती... तो काहे जबरदस्ती कर रहे हो बे जाने दो... "
लल्लन ने गुस्से से उस लडके को देखा जिसकी नीली ऑंखें चमक रही थी जो किसी गहरे समंदर कि तरह थी लल्लन ने कहाँ " अबे ओ लोंडे ज्यादा हेरोगिरी नाही करो वरना लगाएंगे एक कंटाप के निचे.... जानते भी हो हम कोउन है भैय्या जी के आदमी और इ लोंड़िया भैय्या जी कि होने वाली औरत "
तब उस नीली आँखों वाले लडके ने कहाँ " अरे अरे हमको पता नही था इ लड़की भैय्या जी कि होने वाली मेहरारू है वर्ना हम खुद तुम्हे इ लड़की को कब का देदेते जाओ ले जाओ...हमको भैय्या जी पंगा नहीं लेना "
लल्लन के चेहरे पर स्माइल आ गयी तो वैदेही कि पकड़ उस लडके पर कस गयी और उसकी आंशू कि बूंद उस लड़के कर बाजु पर चली गयी थी...
लल्लन ने वैदही का हाथ पकड़ने के लिया आगे बढ़ा था कि एक जोर फटका लल्लन को पड़ा जिससे लल्लन जमीन से दूर जा गिरा.... यह इतनी जल्दी हुआ था कि किसी को समझने का मौका नहीं मिला था....
सभी उस लडके कि तरफ देखने लगे जिसने वैदेही का हाथ पकड़ कर थार मे बिठा रहा था
लल्लन जल्दी से हरकत मे आया और वह उठा और उसने अपनी पिस्टल निकाल कर उस पर शूट करने लगा लेकिन उससे पहले ही 2 गोली लल्लन के सर के आर पार हो गयी...
वैदेही यह सब देख चीख पड़ी उसके लिए ये सब नया था उस लडके ने अपनी कान बंद कर लिये और वैदेही को डांटते हुए बोला " इतना चीख काहे रही हो मर्डर ही तो किये है.... कान फट गया हमारा "
वैदेही आँखे फाड़े उस नीली आँख वाले लडके को देख रहु थी जो ढंग से दिखाई तो नहीं दे रहा था वह लड़का बोल तो ऐसे रहा जैसे यह आम बात है या गिल्ली डंडे का खेल...
वैदेही के कानो मे फिर से गोली कि आवाज आयी उसने देखा लल्लन के बाकि आदमी भी जमीन पर ढ़ेर पड़े हैऔर वह लड़का वैदेही कि आँखों मे देखते हुए गन चल दिया था
वैदेही सह ना सकी और बेहोश हो गयी उस लडके अपनी ऑंखें रोल किया और बोला " नाजुक कली... "
बोलकर उसने अपनी बाहो मे झूली वैदेही को गोद मे उठा अपनी थार मे लिटा दिया और एक नज़र लल्लन और उसके आदमी कि लाशो को देखा और बोला " भोले बाबा को परणाम करना हमारा बोलो जय बाबा कि "
रुद्राक्ष ने बेहोश वैदेही को अपनी बाहों में उठाया और मारे गए लोगों की ओर देखा। उसकी मन में एक अटल संकल्प। उसने गहरी सांस ली और कहा, "जय बाबा!" यह एक आह्वान था, एक शक्ति की तलाश में।
लल्लन और बाकी मरे हुए लोग उसके सामने थे।उसकी सोच में कंठ से गुंजती हुई उन लम्हों की यादें थीं, जब सब कुछ ठीक था। अब, उसे एक नया रास्ता चुनना था।
कानपुर की गलियों में, हर एक मोड़ पर उसे नया संघर्ष झेलना था। लेकिन वह थकने वाला नहीं था। उसकी नजरें आगे बढ़ने पर टिकी थीं। वैदेही की सुरक्षा अब उसकी प्राथमिकता थी।
रुद्राक्ष ने अपनी ताकत इकट्ठा की और आगे बढ़ने लगा। "अब मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा, वैदेही," उसने मन में ठान लिया। कानपुर की गलियों में उसकी यात्रा एक नई शुरुआत थी, जहाँ उसे अपने अतीत को पीछे छोड़ते हुए नए दोस्तों और दुश्मनों का सामना करना था।
हर कदम पर, रुद्राक्ष ने अपने इरादे को मजबूत किया, और उसका दिल यह कह रहा था—"जय बाबा!