सूरज दो पहाड़ियों के बीच में से धीरे-धीरे निकल रहा था और आसमान में ऊपर की ओर जा रहा था।
चारों तरफ हरियाली फैली हुई थी, पंछी पेड़ों पर चेंह चहा रहे थे, जंगल में धीरे धीरे चहल पहल बढ़ती जा रही थी, शिकारी जानवर शिकार की तलाश में इधर उधर भटक रहे थे, कई जानवर घात लगाकर शिकार के फसने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
रात के निशाचर जानवर अपनी गुफाओं में लौट चुके थे, पेड़ के पत्तों के बीच से हल्की हल्की रोशनियां जमीन पर गिर रही थी।
यह सुंदर नजारा किसी को भी अपनी ओर देखने के लिए मजबूर कर सकता था।
इस पूरे हरे भरे पहाड़ियों से घिरे इलाके के बीच में एक शहर बसा हुआ था।
इस शहर के महल की एक बालकनी की ओर एक सुंदर लड़की चली आ रही थी, उसका रंग जैड जैसा सफेद था, उसके शरीर की बनावट किसी को भी अपनी और मोहित कर सकती थी।
बहुत धीरे धीरे बलखाती हुई, वह सुबह की ताजी हवा में बालकनी की ओर चली आ रही थी।
बालकनी में आकर वह लड़की बीच चेयर के प्रकार की कुर्सी पर आकर बैठ गई।
और जंगल की ओर देखकर उस हसीन नजारे का सुखद आनंद लेने लगी।
उस आराम कर रही लड़की के पीछे एक औरत चली आ रही थी।
उस औरत के हाथ में एक प्लेट थी, और उस प्लेट के बीच में एक प्याला रखा हुआ था जो कि एक लाल रंग के द्रव्य से भरा हुआ था।
वह औरत उस लड़की के पास आई और झुक कर उस प्लेट को उस लड़की के सामने कर दिया।
उस लड़की ने अपने नाजुक हाथ को आगे कर दिया, उसकी पतली पतली खूबसूरत उंगलियां प्याले के चारों ओर लिपट गई थी ।
उस लड़की ने उस प्याले को उठाया और बड़ी नजाकत से अपने हाथ को धीरे धीरे अपने होठों के करीब लाने लगी।
उसने धीरे से अपना मुंह खोला और उस प्याले में भरे हुए लाल द्रव्य का एक घुट पिया और उस लाल द्रव्य का आनंद लेने लगी।
कोई भी उस लड़की के चेहरे को देखकर बता सकता था कि यह लाल द्रव्य उस लड़की को बहुत पसंद आया है।
आज यह लाल अंगूर का रस अन्य दिनों की तुलना में इतना स्वादिष्ट क्यों लग रहा है, उस खूबसूरत लड़की ने अपनी नौकरानी से पूछा।
उस नौकरानी ने जवाब दिया, मालकिन इस बार यह लाल अंगूर बाहर से नहीं मंगाए गए है, आपने एक आदेश दिया था कि हमें हमारे बगीचों में ही लाल अंगूर की बेल लगानी चाहिए।
हमने ऐसा ही किया, हमने लाल अंगूर की बेल लगाई, यह हमारे द्वारा लगाई गई लाल अंगूर की बेलों की पहली कटाई से प्राप्त लाल अंगूर की खेप है।
इसके लिए तो तुम सब इनाम के हकदार हो, वह खूबसूरत लड़की बोली।
शुक्रिया मालकिन, नौकरानी ने कहा।
तभी एक आदमी दौड़ता हुआ उस खूबसूरत लड़की के पास में आया और अपनी गर्दन झुका कर उसके बगल से खड़ा हो गया।
क्या जानकारी लेकर आए हो, जल्दी से बोलना शुरू करो, उस खूबसूरत लड़की ने कड़ी आवाज में कहा।
मोहिनी जी, हमारी एक गुफा में बगावत हुई है, उस आदमी ने कहा।
मोहिनी मन में सोचने लगी वाकई में जिसने भी बगावत की है उसने बहुत सही समय चुना है।
इस समय हमारे शहर के सबसे ताकतवर योद्धा इस समय शहर से बाहर गए हुए हैं, पर उन बागियों को नहीं पता, गुफा की बगावत को तो हमारे पहरेदार ही रोक सकते हैं।
इसके लिए मुझे उस गुफा में जाने की भी जरूरत नहीं है, अगर किसी ने हमारे शहर पर बाहर से हमला किया होता, तो इस समय मुझे उसकी चिंता होती।
अब कैसे हालात है उस गुफा में, मोहिनी ने प्याले से लाल अंगूर के रस का एक घूंट पीने के बाद पूछा।
मोहिनी जी हमारे पहरेदारों ने सब कुछ काबू कर लिया है सारे बागियों को मार दिया गया है, पहले उन्हें आत्म समर्पण के लिए कहा गया था लेकिन किसी ने भी आत्म समर्पण नहीं किया था, इसलिए पहरेदारों ने उन सब को मार डाला, उस आदमी को जो कुछ भी जानकारी थी उसने मोहिनी को बता दी।
तुम यहां से जा सकते हो, मोहिनी ने कहा।
उस आदमी ने अपना सर मोहिनी के सामने झुकाया और उसके बाद वह पीछे मुड़कर बालकनी से वहां से जाने लगा।
तभी मोहिनी ने उसे रुकने का आदेश दिया और उससे पूछा की कौन से नंबर की गुफा में बगावत हुई थी।
10 नंबर की गुफा में बगावत हुई थी, उस आदमी ने कहा।
10 नंबर गुफा का नाम सुनकर मोहिनी अपनी बीच चेयर से खड़ी हो गई, कुछ समय पहले जो चेहरा बड़ा शांत और आनंद में था, उस चेहरे पर घबराहट और डर के भाव देखे जा सकते थे।
मोहिनी इतना डरी हुई थी के उसके हाथ और पैर डर से कांप रहे थे।
वहां पर उपस्थित नौकरानी और वह आदमी अचानक आए परिवर्तन से असमंजस में थे, क्योंकि पहले यह खूबसूरत लड़की गुफा में हुई बगावत की खबर सुनकर बिल्कुल भी विचलित नहीं हुई थी और बड़ी ही लापरवाही से व्यवहार कर रही थी, वह खूबसूरत लड़की अचानक गुफा का नंबर सुनकर इतनी भयभीत लग रही थी मानों उसने अपनी मौत की खबर सुन ली हो।
मोहिनी ने अपने आप को संभाला और अपने अंदर के दर को कम किया और एक गहरी सांस ली, फिर उसने अपने रूप को बदला और अपने असली रूप में आ गई।
दरअसल मोहिनी कोई इंसान नहीं थी, बल्कि वह एक हार्पी (harpies) थी।
हार्पी रूप में आते ही मोहिनी बालकनी से उड़कर गुफाओं की तरफ चल दी।
उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था की गुफा नंबर 10 में बगावत हो सकती है।
आसमान से उड़ते हुए मोहिनी ने देखा की गुफा नंबर 10 में से मरे हुए पहरेदारों की लाशें निकाली जा रही है।
जैसे ही मोहिनी गुफा नंबर 10 के दरवाजे पर उतरी और वह पहले की तरह एक इंसानी रूप में आ गई, तभी एक आदमी उसके पास आया और बोला लीडर मोहिनी हालात काबू में कर लिए गए हैं आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
जब्बार मुझे बताओ यह सब कैसे हो गया, मोहिनी ने गुस्से में पूछा।
मोहिनी जी, मोहिनी जी, जब्बार डर से हकलाते हुए बोलने लगा, सुबह सुबह जब गुफा का निरीक्षण करने वाला, गुफा के दरवाजे पर आया तो किसी ने अंदर से दरवाजा नहीं खोला।
जब बाहर के पहरेदारों ने गुफा के अंदर जाने की कोशिश की तो गुफा के अंदर मौजूद पहरेदारों ने बाहर के पहरेदारों पर हमला कर दिया ।
काफी देर तक लड़ाई चलती रही, बाहर के पहरेदारों ने विद्रोह करने वालों को कई बार आत्म समर्पण के लिए कहा पर किसी ने भी आत्म समर्पण नहीं किया और कुछ ही देर में सारे विद्रोही मारे गए।
यह सब सुनने के बाद भी मोहिनी के चेहरे पर डर के भाव शांत नहीं हुए थे बल्कि वह और बढ़ गए थे।
मोहिनी जल्दी से गुफा के अंदर गई गुफा काफी लंबी थी, जो नीचे की तरफ चली जा रही थी।
गुफा के पूरे रास्ते में 10 दरवाजे थे, जिनकी हिफाजत ताकतवर योद्धा करते थे, मोहिनी को तो समझ नहीं आ रहा था खुद के पहरेदारों ने इतनी बगावत क्यों कर दी थी।
दरअसल बगावत करने की वजह तो वह जानती थी कि इस गुफा के अंदर क्या था, पर वह यह नहीं समझ पा रही थी, की बगावत क्यों की गई थी।
उसे पता था इस गुफा के अंदर जो खजाना था वह बहुत कीमती था, उसके लिए कोई भी ताकतवर योद्धा लड़ाई लड़ सकता था।
पर मोहिनी का मानना था, उसक खजाने के लिए अपनी जान गवा देना यह उसे सही नहीं लग रहा था, क्योंकि जब मोहिनी ने उस खजाने को देखा तो उसे उस खजाने में कुछ भी खास नहीं लगा था, वह तो कीमती खजाना कहलाने लायक भी नहीं था, पर शहर के कुलपति उसे बहुत महत्व देते थे, इसीलिए उसे लगता था इस खजाने में कुछ ना कुछ तो बात है।
और इस गुफा में विद्रोह ना होने की एक बजाहे यह थी, कि इस गुफा की हिफाजत में जितने भी पहरेदार लगाए गए थे, उनको इस शहर के पहले वाले कुलपतियों ने चुना था।
और उनकी वफादारी पूरी तरह से इस शहर के लिए थी, फिर ऐसी क्या वजह है आ गई जिसके कारण उन ताकतवर योद्धाओं ने अपने शहर के वासियों के खिलाफ बगावत कर दी।
मोहिनी जब गुफा के आखिरी दरवाजे को पार कर कर पहुंची, तो गुफा के अंतिम हिस्से में एक बास्केट बॉल के मैदान के क्षेत्रफल के बराबर का एक अर्ध वृताकार गोला बना हुआ था।
इस गोले के केंद्र में एक छोटा सा घर बना हुआ था, मोहिनी दौड़कर उस घर के अंदर गई, और जल्दी-जल्दी ख़ज़ाने को ढूंढने लगी, जब उसे वहां पर खजाना नहीं मिला, तो वह परेशान हो गई और उस घर से बाहर आ गई।
वह निरीक्षण करने वाला पहरेदार कहां है, मोहिनी ने गुस्से से जब्बार से पूछा।
उस ख़ज़ाने के खो जाने पर क्या होगा मोहिनी के साथ, क्या शहर के कुलपति उसे मार देंगे, या मोहिनी उस ख़ज़ाने को उनके आने से पहले हासिल कर लेगी, यह जानने के लिए सुनते रहिए इस कहानी को।