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Chapter 3 - अध्याय 3 समुद्री यात्रा

समय नदी में बहते हुए पानी की तरह होता है, देखते देखते ही उस घटना को डेढ़ दशक बीत गया था।

कैलिस्टो देश के मेधना राज्य में कंचन जंगा शहर के किनारे के समुद्र में....

धीरे बेटा समीर, धीरे, तुम नाव के चप्पू को बहुत तेज चला रहे हो, हम बस पहुंचने ही वाले हैं, हामिद ने समीर को समझाते हुए कहा।

ठीक है पिताजी, समीर ने कहा।

और समीर धीरे-धीरे चप्पू को चलाने लगा, हामिद दूसरी ओर नाव के किनारे पर झुका हुआ था और समुद्र की गहराई में मछलियों को देख रहा था।

जब हामिद को लगा कि वह सही जगह पर आ गया है तो उसने हाथ के इशारे से समीर को रुकने के लिए कहा।

हामिद का इशारा पाते ही समीर ने चप्पू चलाना बंद कर दिया और चप्पू को नाव के अंदर की ओर खींच लिया, धीरे-धीरे नाव रुक गई, और एक जगह पर स्थिर हो गई।

समीर धीरे धीरे आगे की ओर आया और हामिद के बगल से खड़ा हो गया।

इस बार बेटा हम जरूर कामयाब होंगे, हामिद ने कहा।

हां, पिताजी यहां पर समुद्र में मछलियां पहले की तुलना में कुछ ज्यादा हैं, समीर ने कहा ।

हामिद ने समीर की तरफ देखा और बोला, मुझे इसी बात का तो डर है, जिस जगह मछलियां ज्यादा होती हैं उस जगह शिकारी भी ज्यादा होते हैं।

इस जगह अगर मछलियों की संख्या ज्यादा है, तो उनके पास शिकारी होंगे और जब हम जाल डालेंगे तो वह शिकारी हमारे जाल को काट देंगे।

पिताजी मुझे यहां कोई शार्क मछली नजर नहीं आ रही है, आप बेफिक्र होकर जाल समुद्र के पानी के अंदर डालिए, समीर ने अपने पिता को हौसला देते हुए कहा।

यह हमारे पास आखिरी जाल है, शार्क मछली और अन्य शिकारी मछलियों ने हमारे चार जाल पहले से ही खराब कर दिए हैं, और उन चार जालों से हमने जितनी भी मछलियां पकड़ी है, उन मछलियों को बेचने के बाद, हमारा नुकसान भी पूरा नहीं होगा, हामिद ने कहा।

समीर जानता था कि उसके पिता सही कह रहे हैं।

बेटा पिछले 12 दिन में हमने जितनी मछलियां पकड़ी हैं, वह कितने सिक्कों में बिक जाएगी, हामिद ने अपने बेटे से प्रश्न पूछा।

समीर कुछ देर रुका और हिसाब लगाते हुए बोला, पिताजी पिछले 12 दिनों में हमने जितनी भी मछलियां पकड़ी है कम से कम वह 25 चांदी के सिक्कों के बराबर कीमत की होंगी।

नया मछली का जाल और जहाज की मरम्मत में कितना खर्चा आएगा, हामिद ने फिर से समीर से एक और प्रश्न पूछा।

समीर फिर से हिसाब लगाने लगा और फिर से बोला, मछली के चार नए जाल खरीदने में 20 चांदी के सिक्के लगेंगे, और जहाज की मरम्मत में कम से कम 10 चांदी के सिक्कों का सामान आएगा, और तीन चांदी के सिक्के मजदूर लेंगे जो हमारे जहाज को सही करेंगे।

अपने बेटे को इस तरह से सही जवाब देता देख हामिद बहुत खुश था, वह अपने बेटे की पीठ थप थपाते हुए बोला, बेटा एक दिन तुम मुझसे अच्छे मछुआरे बनोगे।

उसके बाद वह दोनों मछली पकड़ने के काम में लग गए, हामिद ने मछली का जाल समुद्र में फेंक दिया और मछलियों के फंसने का इंतजार करने लगा।

जैसे ही हामिद को लगा कि अब हलचल बढ़ गई है वह जोर से चिल्लाया, बेटा रस्सी को खींचना चालू करो।

अपने पिता की आवाज सुनकर समीर ने रस्सी को खींचना शुरू किया।

इस बार समीर को रस्सी खींचने में काफी परेशानी आ रही थी, उसके माथे से पसीना बेहने लगा था, उसे एहसास हो चुका था की जाल में इस बार काफी ज्यादा मछलियां फंस गई है।

वही पर जब हामिद की नजर रस्सी पर पड़ी, तो उसे समझ में आ गया कि इस बार जाल में काफी ज्यादा मछलियां फंसी हैं, वह तुरंत दौड़कर अपने बेटे की तरफ आ गया और उसके पीछे खड़े होकर मछली की रस्सी को खींचने लगा।

कुछ ही देर में मछलियों से भरा जाल नाव के बीच में था।

हामिद ने बहुत खुश होकर जल्दी से अपने बेटे को गले लगाया और उससे बोला, मेरे बेटे मैंने अपनी पूरी जिंदगी में एक बार में इतनी ज्यादा मछलियां कभी नहीं पकड़ी हैं।

फिर वह दोनों जाल के पास में आए और उस जाल को नीचे कर दिया और उसमें से मछलियों को छाटने लगे।

मछलियों को अलग करने की एक वजह थी, दरअसल समुद्र की सारी मछलियां बिकाऊ नहीं होती थी, काफी मछलियों की प्रजाति के कोई खरीददार नहीं होते थे।

उन्हें पकड़ कर ले जाना बेकार होता था, कुछ ही देर में समीर और हामिद ने सभी मछलियों को अलग-अलग कर दिया।

जो मछलियां बेची जा सकती थी, उन्हें नाव की पानी की टंकी में डाल दिया गया, और बेकार मछलियों को फिर से समुद्र में छोड़ दिया गया।

फिर हमीद और समीर ने नाव पर खाना खाया और उसके बाद अन्य स्थान पर मछली पकड़ने के लिए निकल गए।

अगले तीन दिन तक उन्होंने मछली पकड़ने के लिए कई बार मछली का जाल समुद्र में डाला, कई बार वह कामयाब हुए और कई बार नाकामयाब हुए।

लेकिन इस बार उनकी समुद्र में आने की यात्रा बहुत लाभ दायक रही थी, इस बार समुद्र की यात्रा में उन्होंने जितनी भी मछलियां पकड़ी थी, वह इससे पहले जितनी भी उन्होंने समुद्र की यात्रा की थी, जो सबसे अच्छी यात्रा थी, उसमें पकड़ी गई मछलियों से दोगुनी थी।

हामिद बहुत खुश था, उन दोनों ने वापसी की यात्रा शुरू कर दी थी, हामिद का अनुमान था, कि वह कल सुबह तक समुद्र के तट के किनारे पर पहुंच जाएंगे।

इसलिए उसने अपने एक बाज के पैर में संदेश बांधकर अपनी बीवी के पास खबर भेज दी थी।

रात हो चुकी थी, समीर चप्पू चला रहा था और हामिद नाव के व्हील को पकड़े हुए नाव को सही दिशा में थामे हुए था।

पिताजी, क्या आप मुझे उस जानवर की हड्डी से बने चाकू के बारे में बताएंगे वह हमारे परिवार में कैसे आया, समीर ने अपने पिता से पूछा।

वह जानवर की हड्डी का चाकू मेरे दादाजी के दादाजी का है, हामिद ने समीर को बताया।

क्या वह जानवर की हड्डी का चाकू इतना पुराना है, समीर ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।

वह जानवर की हड्डी का चाकू कोई मामूली हड्डी से बना चाकू नहीं है, बौनों की राजकुमारी ने उपहार के रूप में उस जानवर की हड्डी के चाकू को दिया था, हामिद ने समीर को जानकारी दी।

पिताजी, पिताजी, आप मुझे पूरी बात बताओ, बौनों की राजकुमारी का नाम सुनकर समीर छोटे बच्चों की तरह अपने पिता से उस जानवर की हड्डी के चाकू के बारे में पूछने लगा।

समीर के चेहरे पर इतनी ज्यादा उत्सुकता के भाव देखकर हामिद के चेहरे पर मुस्कान के भाव आ गए।

हामिद हंसते हुए बोला, ठीक है ठीक है मैं तुम्हें सब कुछ बताता हूं बस तुम नाव के चप्पू को चलाने पर ध्यान रखो।

ठीक है पिताजी, समीर खुश होकर बोला।

हामिद ने समीर को बताना शुरू किया, मेरे दादाजी के दादाजी शक्तिमान योद्धा थे।

एक बार वह एक काले आयाम में गए थे, वहां पर उन्होंने एक एल्प के योद्धा के हमले से बौनों की राजकुमारी की जान बचाई थी।

बौनों की राजकुमारी ने अपनी जान बचाने के रूप में उन्हें जानवर की हड्डी के चाकू को उपहार के रूप में दिया था।

वह जानवर की हड्डी का चाकू एक आध्यात्मिक हथियार है, काले आयाम से लौटने के बाद मेरे दादाजी के दादाजी ने उस जानवर की हड्डी के चाकू को बहुत सारे ताकतवर योद्धाओं को दिखाया, पर कोई भी यह बताने में असमर्थ रहा कि उस जानवर की हड्डी के अंदर कौन सी आध्यात्मिक शक्ति का गुण है।

सभी को लगता था कि मेरे दादाजी के दादाजी को उस बौनों की राजकुमारी ने बेवकूफ बना दिया, और अपनी जान बचाने के बदले में एक साधारण जानवर की हड्डी से बना हथियार उसे दे दिया।

पर मेरे दादाजी के दादाजी को इस बात पर कभी यकीन नहीं हुआ उन्होंने इसे हमेशा संभाल के रखा ।

यह कहानी सुनने के बाद समीर के मन में कई सारे सवाल उत्पन्न हो गए, वह उनका जवाब अपने पिता से जानना चाहता था, इसलिए उसने अपने पिता से एक साथ सारे सवाल पूछ लिए ।

पिताजी आपने मुझे केवल हरे आयाम के बारे में बताया था, यह काला आयाम कैसा होता है।

और आपने मुझे लघु लड़ाकू योद्धाओं और उच्च लड़ाकू योद्धाओं के बारे में बताया था, यह शक्तिमान योद्धा कौन से होते हैं।

समीर के मुंह से यह सब सुनने के बाद हामिद कुछ देर के लिए विचलित हो गया, उसे लगा के उसने अपने बेटे समीर को जरूरत से ज्यादा बता दिया है।

फिर उसने अपने आप को संभालने की कोशिश की और आगे कहा यह सब भूल जाओ, हमारा परिवार अब इन सब से बहुत दूर आ गया है, अब तुम्हें यह सब जानने की कोई जरूरत नहीं है।

समीर उनसे सब जानना चाहता था, पर जिस तरह से उसके पिता ने उससे अभी बात की थी वह समझ गया था कि उसके पिता उसे कुछ नहीं बताने वाले थे।

वह उनसे बार-बार पूछ कर उन्हें गुस्सा नहीं करना चाहता था, क्योंकि उसके पिता इस समुद्री यात्रा से काफी खुश थे।

रात धीरे-धीरे बी

त गई, सुबह होते ही उनकी नाव समुद्र के तट पर लग गई।

क्या होगा समुद्री तट पर यह जानने के लिए सुनते रहिए इस कहानी को।