Chereads / Begunah ishq / Chapter 7 - वह अब तक की ही क्यों रही है

Chapter 7 - वह अब तक की ही क्यों रही है

कुछ देर बाद साइना कैंटीन में जा अपना लंच करने लगती है,,,,, वाह आज अकेला लंच कर रही थी क्योंकि आज उसका कोई दोस्त नहीं आई थी,,,,, कि तभी वहां अयान आता है ,,, और फिर एक चीज़ बरगर और पिज़्ज़ा ऑर्डर कर,,,,,,,,साइना के बगल में बैठ जाता है

अपने साथ बैठा देख साइना,,,,,,एक नजर उठा अयान को देख दोबारा अपना लंच करने लगती है

और वही आयान खुद को नजर अंदाज होता देख,,,,,,हेलो साइना क्या हम दोस्त बन सकते हैं,,,,

अयान की बात सुन साइना ,,,,,,,,एक नजर अयान को देख फिकी स्माइल कर,,,,,,,अपना टिफिन बंद कर ,,,,,,,,,वहां से चली जाती है क्योंकि साइना को,,,,,,,,,,,,,लड़कों को दोस्त बनाना अच्छा नहीं लगता,,,,

और वही आयांन ,,,,,साइना को ज्यादा देख,,,,,,उसका मुंह लटक जाता है,,,,

🩵🩵🩵🩵🩵🩵🩵

अब आगे________________________________

एक कमरे में,,,,,,कुर्सी के ऊपर रोशनी थी,,,,जहां पर एक लड़का बैठा हुआ था ,,,,,,,और पूरे कमरे में सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था ,,,,,और उस लड़के के पैरों ,,,,,, किसी ने पकड रखा था,,,,,,

और उसके पैरों को पकडे हुए ,,,,,,प्लीज मुझे मत सजा दो ,,,,,,मैं सच में कुछ नहीं किया मिहिर,,,,,,मेरा यकीन करो

मैं हमेशा सिर्फ और सिर्फ तुमसे प्यार किया है,,,,,,,और किसी से नहीं,,,,,,तुम्हें कैसे यकीन दिला ओ मैंने अलिशा को नहीं मारा था

लेकिन मिहिर,,,,,,,,,उसकी एक नहीं सुनता,,,,,,,,और उसे अपने पैरों से झटक,,,,,,,,,जमीन पर गिरा देता है

और वही वह लड़की कोई और नहीं रुही थी ,,,,,,,,,,,जो अपने आंखों में आंसू ले,,,,,,,,बस महिर को देखी जा रही थी,,,,,,,वह इस वक्त,,,,,,,,,अपनी आंखों में ढेर सारी मासूमियत ले मैहर को देखी जा रही थी,,,

उसकी मासूमियत से भरी चेहरे को देख,,,,,,,,,मिहिर का दिल बेचैन होता है,,,,,,,,जिससे मिहिर उसके बाल पकड़,,,,,,,,,,उसे उठा उसकी आंखों में,,,,,,,,घुर के देखते हुए,,,,,,,,,तुझे क्या लगता है ,,,,,,,,मैं तेरे इस चुपड़ी चुपड़ी बातो और तेरी खूबसूरत चेहरे से पिघल जाऊंगा,,,,,,,,,तो ऐसे कभी नहीं होगा,,,,,,,,,,,,तुझे जिंदगी भर मेरा गुलाम बनकर रहना होगा ,,,,,,,,तु तड़पती रहेगी और फिर उसे दोबारा जमीन पर पटक देता है ,,,,,और फिर देखते हुए ,,,,,,,मैं तुझे कभी भी चैन से जीने नहीं दूंगा

की तभी रुही दोबारा,,,,,,,,,मिहिर के पैर पकड़ते हुए ,,,,,,,,,,प्ली प्लीज मिहिर ,,,,,,,,,,मुझे माफ कर दो और मेरे डैड को भी छोड़ दो

अब मिहिर रुही के बार-बार गिरगिराने से,,,,,,,,,अब इरिटेट हो चुका था ,,,,,,,,,,जिससे मिहिर गुस्से से ,,,,,,,,,रुही की तरफ देखते हुए,,,,,,,,,,दफा हो जो सुना नहीं तुमने,,,,,,,,,दफा हो जाओ यहां,,,,,,,,,,

और एक चीख के साथ मिहिर कि आखे खुल जाती है,,,,,,,,तब अपने चारों तरफ देखता है ,,,,,,,,,,तो इस वक्त मिहिर बेड पर था,,,,,,,,,और उसका पूरा फेस पसीने से भीगा हुआ था

जिसे मिहिर बेड पर बैठा,,,,,,,,,,,,जल्दी से पानी पिए अपने हाथों से पसीने को पूछते हुए ,,,,,,,तुमने बहुत परेशान किया है रूही ,,,,,,,,,,,,,,,मैं इन 7 सालों से चैन से नहीं सो पाया हूं ,,,,,,,सिर्फ तुम्हारी वजह से

बस तुम्हें एक बार जेल से छुटो,,,,,,,,तब मैं तुम्हें एक असली नरक दिखाता हूं

तुमने मेरी जिंदगी hell बनाई है मैं तुम्हारी जिंदगी hell बना दूंगा ,,,,,,,,,जस्ट वेट एंड वॉच ,,,,,,,,,,,,,यहां कह मिहिर बेडशीट हटा बालकनी में जा सिगरेट पीने लगता है

क्योंकि रात इसी तरह ,,,,,उसकी नींद सपनों से टूट जाती मिहिर काफी बेचैन होता था,,,,,,,,इस भी नहीं पता था,,,,,,,,,,,,,कि यहां बेचैनी उसे क्यों होती थी,,,,,,,,,,जिसे काम करने के लिए ,,,,,,,,,मिहिर हमेशा बालकनी में जा सीटेट पीने लगता था

और Vahi dusri Taraf ,,,,ek Khandar Jaisi ,,,,dikhne wali Jagah per ,,,,Ek Ladki Jisne Apne face ko ,,,ek masks cover Kiya hua tha,,,, Jise Log dark princes ke naam se Jante the,,,,Or Aaj Tak Kisi Ne,,,, uska face Nahin Dekha Tha ,,,

,or is Waqt,,, uski sirf Aankhen Hi Najar a rahi thi ,,,,vah Apne aadmiyon per chikhate hue,,,, Jise Maine Tumhen dhundhne ko kaha ,,,,,,,,vah Mila Ki Nahin ,,,,Aab Tak,,,

Uss Ladki Ki gusse Bhari Awaaz Sunn,,,, Uske Aadmi darte hue ,,,,,humne Pata Laga Liya Hai,,, Ki vah ,,,Ab Jinda Nahin Hai ,,,,ki mam aaj se 5 sal pahle hi,,, Kisi Ne usse jaan Se Maar Diya ,,,,

Ladki Apne aadmiyon ke Munh se,,,,,,uss aadami Ke Mar Jaane ki khabar Sunn,,, Khush Hote hue,,, ab tum mujhe,,, batane ka kasht Karoge ,,,,ki usse Marne ki jurat Kisne ki,,,, Kyunki usse to Mere Hathon Marna tha,,,,

Mam Hamen Jyada Toh Nahin Pata ,,,,lekin usse Marne wali ek ladki thi,, jiska naam FIR vah sochte Hue,,,, kya,, kya,,,saina,, hann mam,,,,,uska name saina thaa,,,

Apne aadmiyon ke Munh se saina Naam Sunn,,,,,,,,,,,,vah ladki chokte hue,,,,,toh is Waqt vo ladki kahan hai ,,

Mam Insan ko marne ke baad ,,, Kisi Ko Nahin pata ki vah ladki kahan hai ,,,, ki vah ladki jinda bhi hai ,,,yaa nhi , ,,,,

FIR vah ladki Apne mann mein sochte huye,,,, vah ladki bhi,,, uss Janwar ke changul Se Bachkar Khud ko,,, vo itna hi Soch pai,,,,, Kyunki usse isse Aage sochne ki Himmat ,,na

Ki tabhi waha par,,, Uska dusra aadami a jata hai

Use Dekh,,,, wah ladki,,,, Kya ,,,,,kam Hua Ki Nahin,,,

Vo dusra admi Mein darte Hue,,,, mam kam to Ho Gaya,,,, Lekin Ham do Ladkiyon ko Nahin bacha Paye,,,,kyuki vo unn do ladkiyon ko utha legaye,,,,

Ladki uski baat sunn,,,,,,,,gussa se Chikhate hue,,, Kyon Nahin bacha Paye,,,, kya,,,tum sab,,,, Ek kam bhi nahin kar sakte ,,,

Tum sab dikhte toh saand jaise ho,,,, lekin kaam tum sab ek paise ka nhi kar sakte,,, Kya main Tumhen baith kar khane ka paisa hun ,,ki kam karne ka,,,,,fir ladki gusse Se ,,,Apne pant se Banduk nikal ,,,usse aadami Ke Sar per Rakh Deti Hai,,,,

Ab toh uss aadami ki Dar Ki vajah se,,, bhi ho gai ,,,,fir vah admi darte Hue ,,,mam mam,,,,hum unka picha kar rahe thee,,, lekin pahunchne se pahle hi ,,,,, , ASR ke aadmiyon Ne,,,,,UN do Ladkiyon ko bacha liya,,,,

Lekin mam in Sab Mein Hamari Koi Galti Nahin Thi,,,, Humne Puri koshish ki thi UN donon Ladkiyon ko bachane ki,,,,sach main, mam,

Vah ladki Apne aadmiyon ke Munh se ,,,,,UN do ladkiyon ke bachane ki khabar Sunn,,,,,,,,,,thoda Shant Hote hue ,,,,aditya Roy,,,, Tum hamesha mere kaam ke bich Mein Aate Ho,,,,,, lekin Khushi Hai Mujhe ,,,ki vah ladkiyan bach gai,,,,,,chahe vo tumare hi hathon,,,,

Mujhe Khushi hui ,,,,,,,,,ki tum isse Shahar Mein wapas aa gaye,,,, lekin bade dino baad ,,,,,,,,,tumse milkar aaega,,,, yah kah vo ladki uss khandar se bahar nikal Jaati Hai

Uske jate hi,,, Khade aadami ,,,ek rahat ki sans lete hain,,,,,, kyuki vah sab,,,uss ladki ke samne bhut hi jyada dare huye thee, ,,, Kyuki uneh pata tha,,,, ki yah ladki Kitni khiski Hui hai,,,, agar ise kam Sahi or sahi per Na Mile ,,,,To yah Kuchh Bhi kar deti hai,,,,

और वही रात का टाइम था,,,रूही जेल में छत के ऊपर बगैर चादर के लेटे आसमान को देखे जा रही थी,,,,,,इस वक्त रुही की आंखों में सिर्फ और सिर्फ गिल्ट था,,,,,,,वह भी प्यार करने का

उसकी आंखों में अब कोई भी इमोशंस नहीं बचे थे ,,,,,,

उसे भी पता नहीं कि वह अब तक जी ही क्यों रही थी,,,,,,,,,,,क्या वजह थी उसके जीने की ,,,,,,,,,,क्योंकि उसके पास जिन लिए कुछ बचा ही नहीं था,,,,,,सब कुछ बर्बाद हो गया था उसका ,,,,,,,

अगर कुछ था,,,,,,तो वह थी उसकी माँ,,,,,,,,जो उसे,,,,,,,उसके,,,,,,,बेटी होने का अधिकार छिन चुकी थी,,,,,,,,,लेकिन वह फिर भी जी रही है क्यों उसे नहीं पता

, ,