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Married to a Dangerous Vampire

🇮🇳Nidhi_Sharma_0445
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Synopsis

Chapter 1 - The dangerous night

ये शहर है अमन का,

यहाँ की फिज़ा है निराली,

यहाँ पे बस शांति शांति है...

देहरादून का खूबसूरत शहर। हजारों लोगों की आबादी जहां बस्ते हैं इंसान और कुछ शैतान यानि vampires. दिन में इन vampires के बारे में कोई भी नहीं जान सकता क्यूंकी ये इंसानों के बीच इंसान बनकर घूमते हैं। लेकिन अगर रात में ये vampires तभी अपने असली रूप में आते हैं जब इन्हें शिकार करना होता है। खासकर पूर्णिमा की रात को ये अपना भयानक रूप दिखाते हैं। इंसानों को अच्छे से पता है कि उनके बीच कहीं ना कहीं vampires रहते हैं। लेकिन वो भेड़िये कौन हैं, ये उन्हें नहीं पता। 

ऐसी काली और भयानक दुनिया में पनपेगी -- एक वैम्पायर, रेयांश मेहरा और लड़की, ईशा शर्मा की प्रेम कहानी।

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देहरादून 

रात 1 बजे 

देहरादून, एक खूबसूरत शहर जो चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ था। दिसम्बर की ठंड की वजह से चारों तरफ तरफ कोहरा छाया हुआ था।

 सिटी हॉस्पिटल से बाहर निकलकर एक लड़की तेजी से निकलकर बाहर की तरफ चल पड़ी। वो अपनी घड़ी देखकर बड़बड़ाई,"हे भगवान! एक बज गया। आज तो शिफ्ट में कुछ ज़्यादा ही देर हो गई। ईशा! तुझसे किसने कहा था कि डॉक्टर बन। अब भुगत।"

वो तेजी से पैदल ही अपने घर की तरफ चल पड़ी। बहुत ज़्यादा ठंड भी थी। ईशा अपने हाथ आपस में रब करते हुए धीमे कदमों से आगे बढ़ने लगी। "इतनी ठंड है, यार। ऊपर से ये कोहरा। कुछ भी ना तो दिखाई दे रहा है और ना रास्ता पता चल रहा है।"

एकदम घना अंधेरा छाया हुआ था। ईशा थोड़ा घबरा भी गई। उसे ऐसे में पता ही नहीं चला कि वो एक खाई के करीब पहुँच गई। इससे पहले कि वो अगला कदम रखती, एक साये के हाथ ने उसे पकड़ा और अपने करीब खींच लिया। ईशा उस साये के ऊपर जा गिरी।

"ये क्या बतमीज़ी है?"

साया धीमे से बोला,"बतमीज़ी? एक कदम और आगे बढ़ाती तो तुम सीधा नीचे खाई में जा गिरती, बेवकूफ लड़की।" ईशा ये सुनकर बुरी तरह से कांप गई। वो उठकर खड़ी हुई और उसने देखा कि सच में वो एक खाई के करीब थी। 

साया ईशा की तरफ ही देख रहा था जो सच में बहुत खूबसूरत थी।

ईशा शर्मा,उम्र 26 साल,भूरी आँखें, खूबसूरत नैन-नक्श और पतला छरहरा बदन। दिखने में इतनी सुंदर कि परियाँ भी शरमा जाएँ। और पेशा एक डॉक्टर का। वो एक नाइट शिफ्ट से लौट रही थी। इस टाइम उसने साधारण सा सूट पहन रखा था और उसके ऊपर ओवरकोट पहना हुआ था। वो साया उसे देखता रह गया। 

 उस साये के ऊपर ईशा के खून की महक असर कर रही थी। वो साया और कोई नहीं बल्कि एक खतरनाक वैम्पायर था। 

ईशा उस वैम्पायर की ओर देखकर,"Thank you. आपने मेरी जान बचाई।"

वो साया गुर्राने लग गया। ईशा उसे देखकर घबरा गई।

वो वैम्पायर ईशा को बुरी तरह से घूर रहा था। ईशा थोड़ा पीछे हुई,"तुम?"

लेकिन वैम्पायर उसे बिना कोई जवाब दिए वहाँ से चला गया। 

"कमाल का आदमी है। मैं तो ना उसे देख पाई और ना थैंक्स कर पाई अब अगर वो मेरे सामने आ भी जाए तो मैं उसे पहचान भी नहीं सकती।"

वो सिर हिलाकर अपने घर ओकलैंड निवास की तरफ चल पड़ी। वहीं वो वैम्पायर उसे दूर से अभी भी देख रहा था। वो मुसकुराते हुए बोला,"ये लड़की मेरे बहुत काम आएगी। इतनी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी। इसे पाना तो अब मेरी ज़िद्द है।" वो बहुत देर तक ईशा के बारे में सोचता रहा।उसके बाद वो वहाँ से गायब हो गया। 

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 अगली सुबह 

देहरादून का ओकलैंड निवास 

एक छोटा- सा घर। वहाँ सुबह -सुबह पूजा करने की आवाज़ आ रही थी। तभी आवाज़ आई,"रेणु! मेरी चाय कहाँ है?"

रेणु ने अपनी पूजा खत्म करके जवाब दिया,"विजय! आप थोड़ी देर इंतज़ार नहीं कर सकते। आप देख रहे हैं ना कि मैं पूजा कर रही हूँ। अब हमारी तीन-तीन बेटियाँ हैं और आपको ना सही लेकिन मुझे उन तीनों की शादी की बहुत चिंता है।"

विजय जी खड़े हुए और रेणु के पास आए और उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले,"आप क्यूँ चिंता कर रही हैं, रेणु जी? हमारी तीनों बेटियाँ इतनी सुंदर हैं कि कोई भी लड़का उन्हें पसंद कर लेगा।"

रेणु ने गहरी संस लेते हुए कहा,"देहरादून में कौन मिलेगा? कोई भी अमीर लड़का नहीं है जो मेरी बेटियों का हाथ थामकर उन्हें अच्छी लाइफ दे सके।"

विजय जी सिर हिलाते हुए,"तुम्हें अमीर चाहिए या अच्छा लड़का?"

"दोनों। मैं नहीं चाहती कि शादी के बाद मेरी बेटियों को कोई भी कमी हो।"

विजय जी कुछ बोलने ही लगे थे कि उनकी सबसे छोटी बेटी, पूजा ने उन्हें चुप रहने का इशारा किया। 

वो रेणु के गले लगते हुए बोली,"क्या मम्मी? आप भी ना जाने कौन सी चिंता लगाकर बैठी हो।"

रेणु उसके गाल पर मारते हुए बोली,"जब तू माँ बनेगी तब पता चलेगा कि बच्चों की चिंता किसे कहते हैं?"

पूजा ने कहा,"आप सोचो। मैं तो चली कॉलेज। बाय।"

रेणु इससे पहले कि उसे आवाज़ देती, वो वहाँ से चली गई। विजय जी ने कहा,"एक बेटी तुम्हारी डॉक्टर है। उसकी चिंता करने की तो ज़रूरत नहीं है।"

रेणु ईशा के कमरे की तरफ बढ़ते हुए बोली,"महारानी सो रही होगी अभी तक। इसे ड्यूटी पर नहीं जाना क्या?"

उसने दरवाज़ा खोला और देखा कि ईशा गहरी नींद में सो रही थी। 

"ये देखिए। अभी तक सो रही है।"

ईशा गहरी नींद में एक सपना ले रही थी। ईशा के पीछे कोई खतरनाक आदमी लगा हुआ था। ईशा घने जंगल में भागती जा रही थी। वो आदमी ईशा के सामने आ गया। ईशा बुरी तरह से कांप गई। उस आदमी के पैने दाँत थे। वो घबरा गई और कांपने लगी। उस आदमी ने अपने हाथ ईशा के आसपास रखे और बोला,"तुम्हें मुझसे शादी करनी ही होगी।"

ईशा ने ना में सिर हिलाते हुए कहा,"नहीं! मैं आपसे शादी नहीं करूंगी।"

उस आदमी को गुस्सा आ गया और उसने अपने पैने दाँत बाहर निकाल लिए और उसने ईशा गले पर ज़ोर से काटा। ईशा ने उसे धक्का दिया और भागने लगी। तभी वो आदमी ठीक उसके सामने खड़ा था। उसने ईशा को पकड़ लिया और उसे ज़बरदस्ती किस करने लगा। ईशा खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उस आदमी ने ईशा को पेड़ से सटाया और उसके आसपास हाथ रखकर उसे किस करने लग गया।

ईशा रोते हुए,"मुझे जाने दो।"

वो आदमी गुर्राते हुए,"अब तो तुम मेरी बीवी बनने वाली हो। तुम्हारे करीब आना मेरा हक है।" वो ईशा के और भी करीब आता जा रहा था और वो उसके साथ ज़बरदस्ती करने लग गया। वो अपनी सभी मर्यादाएँ लांघ रहा था। 

ईशा ने चीख मारी और उसकी नींद खुल गई। 

रेणु उसके पास आ गई और बैठकर उसके बालों में हाथ फेरते हुए बोली,"क्या हुआ, ईशा बेटा?"

ईशा के चेहरे पर पसीने की बूंदें थीं। रेणु ने उसका पसीना पोंछा और बोली,"बेटा, कुछ भी नहीं हुआ।" 

ईशा रेणु के गले से लग गई। रेणु ने उसके बिस्तर पर नज़र डाली जहां एक बुक पड़ी थी। उसने वो बुक हाथ में लेकर नाम पढ़ा,"Vampire. अब तुम ऐसी किताबें पढ़ोगी तो यही होगा ना। कितनी बार मना किया है कि ऐसी बुक्स मत पढ़ा कर। अब ऐसे सपने नहीं आएंगे तो क्या होगा।"

ईशा उठकर खड़ी हो गई। 

"मम्मी! इन कहानियों में मुझे बहुत मज़ा आता है।"

"तभी ऐसे सपने आते हैं। समझी। और वैसे भी कहते हैं कि देहरादून में vampires बसते हैं।"

ईशा स्माइल देते हुए,"अगर कोई सच में मेरे सामने वैम्पायर आ जाए, तो देखूँ कि वो कैसा लगता है। लंबे दाँत, होंठों से रिसता खून। वाउ।"

रेणु ने उसका ब्लैंकेट ठीक करते हुए कहा,"तू डॉक्टर पता नहीं कैसे बन गई? तुझे तो ओझा या तांत्रिक कुछ होना चाहिए था।"

ईशा इस बात पर हंसने लग गई और बोली,"मैं हॉस्पिटल जाने के लिए रेडी हो रही हूँ। आज मेरी दिन की शिफ्ट है। आप ब्रेकफास्ट लगा दो।"

रेणु सिर हिलाकर वहाँ से चली गई। लेकिन वो नहीं जानती थी कि वो पिछली रात वाला वैम्पायर उसी के घर के आसपास मंडरा रहा था।

"तुम्हें नहीं पता,ईशा कि तुम अब सिर्फ मेरी हो। सिर्फ मेरी। मेरा प्यार नही हो तुम। लेकिन तुम मेरे मकसद में बहुत काम आओगी।" इसके बाद वो वहां से चला गया।

कुछ देर में ही ईशा तैयार हो चुकी थी। उसने अपना लैब कोट, स्टेथस्कोप और मोबाईल लिया और बाहर पहुँच गई। कुछ देर में ईशा ब्रेकफास्ट करके अपने हॉस्पिटल के लिए निकल गई। 

रेणु को तभी कॉल आया। 

"हाँ विद्या।"

दूसरी तरफ से विद्या ने कहा,"एक खबर है।"

"क्या?"

"ग्रीन विला को किसी ने खरीदा है। सुना है कि वहाँ बड़े अमीर लोग रहने आ रहे हैं।"

ये सुनकर रेणु की आँखों में चमक आ गई। "क्या? सच में।"

"और सुन है कि जिसने इस विला को खरीदा है वो काफी हैन्सम है और यंग और आज ही शिफ्ट हो रहा है।" 

रेणु खुश होते हुए,"वाउ! तूने बहुत अच्छी खबर सुनाई।"

"हाँ! क्या पता कि तेरी तीन बेटियों में से किसी की वहाँ शादी फिक्स हो जाए।"

रेणु के चेहरे पर रौनक आ गई। "काश ऐसा हो जाए।"

उसके बाद रेणु ने फोन रख दिया। 

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ग्रीन विला 

उसी शाम ग्रीन विला में किसी ने कदम रखा। उसका बड़ा सा ट्रक सामने रुका और उसमें से सामान उतरने लगा।

आखिर उस विला में कौन रहने आया है?

आगे जारी.....

ॐ नमः शिवाय