ग्रीन विला
उसी शाम ग्रीन विला में किसी ने कदम रखा। उसका बड़ा सा ट्रक सामने रुका और उसमें से सामान उतरने लगा। दिखने में वो सब काफी बड़े लोग लग रहे थे। आसपास के सभी लोग उन लोगों को देखकर हैरान थे क्यूंकी शायद वो लोग देहरादून के सबसे अमीर लोग थे।
पहले एक बड़ी सी कार आकर रुकी जो ब्लैक कलर की मर्सिडीज़ थी। सब आसपास के लोग उसी तरफ देख रहे थे। ग्रीन विला देहरादून का सबसे बड़ा बंगला था जो करोड़ों रुपयों का था। कई साल से ये खाली पड़ा था और अचानक इसे किसी ने खरीद लिया था।
"पता नहीं कौन लोग हैं? इतने अमीर लोग मैंने तो आज तक देहरादून में नहीं देखे।" किसी ने उस कार की तरफ देखते हुए कहा।
इस पर किसी दूसरे का जवाब था,"दिखने में ही कोई खानदानी लोग लग रहे हैं।"
"मुझे नहीं लगता कि ये लोग किसी से भी बात करेंगे।" एक ने आकर कहा।
मर्सिडीज़ की पीछे की सीट से एक आदमी उतरा। देखने में बहुत हैन्सम, नीली आँखें। छह फूट, भूरा रंग और घुंघराले बाल। जिसने भी उसे देखा वो देखता रह गया। बाहर निकलकर उसने अपना ओवर-कोट ठीक किया और आसपास देखा।
सब लोग उसकी आँखों को देखकर घबरा गए और वहाँ से चले गए। इस पर उस आदमी के चेहरे पर स्माइल आ गई।
तभी कार में से एक लड़की उतरी जो देखने में काफी खूबसूरत थी। इस लड़की की भी नीली आँखें थीं। गोरा रंग, काले घने बाल, सुंदर चेहरा।
"रेयांश! अंदर चलो। क्या देख रहे हो?"
ये आदमी रेयांश मेहरा था जिसने ये ग्रीन विला खरीदी थी और अब ये देहरादून का सबसे अमीर आदमी होने वाला था।
रेयांश ने उस लड़की की तरफ देखा,"जूही दी! देहरादून की वादियों और यहाँ के लोगों पर नज़र डाल रहा हूँ।"
रूही मुसकुराते हुए,"रेयांश! तुम यहाँ के रिचेस्ट आदमी हो। इसलिए तुम्हें किसी को भी देखने की ज़रूरत नहीं है बल्कि सब लोग तुम्हें ही देखेंगे। देखेंगे क्या? देख रहे है।"
रेयांश ने स्माइल दी और बोला,"आओ अंदर चलें।"
जूही अंदर चली गई। इससे पहले कि रेयांश आगे बढ़ता कोई उससे ज़ोर से टकराया।
रेयांश गुस्से में चिल्लाया,"दिखाई नहीं देता है क्या?"
उससे टकराने वाली एक लड़की थी। वो और कोई नहीं बल्कि ईशा थी। रेयांश की आवाज़ सुनकर वो रुक गई और उसने उसकी तरफ पीछे मुड़कर देखा।
"I am so sorry."
लेकिन रेयांश तब तक वहाँ से जा चुका था।
ईशा बड़बड़ाते हुए,"अजीब आदमी है।"
रेयांश के कान बहुत तेज़ थे। उसने पीछे घूमकर देखा। लेकिन तब तक ईशा वहाँ से जा चुकी थी। रेयांश अंदर विला में पहुंचा जो काफी बड़ी थी। सब कुछ डेकोरटेड था। बस रेयांश और जूही की जरूरतों का सामान ट्रक से नीचे उतारा जा रहा था।
जूही ने विला पर नज़र डालते हुए कहा,"रेयांश! वैसे जगह बुरी नहीं है।"
रेयांश पूरी विला की तरफ देखते हुए बोला,"पूरा देहरादून ही काफी इन्टरेस्टिंग है।"
जूही ने मज़ाक करते हुए कहा,"एकदम भूतिया।"
रेयांश ने गहरी नज़रों से जूही की तरफ देखा,"दी! हमसे खतरनाक कोई भूत भी नहीं।" ये बोलकर उसके चेहरे पर कोल्ड लुक्स आ गए।
जूही सिर हिलाते हुए,"रेयांश! तुम्हें कितनी बार कहा है कि इस तरह के लुक्स मुझे नहीं दिया करो।"
रेयांश ने अपनी आँखें और भी गहरी करते हुए कहा,"क्यूँ ? आपको मुझसे डर लगता है?"
उसी टाइम जूही के चेहरे का रूप बदलने लगा। वो अगले ही पल रेयांश के करीब थी। उसका चेहरा काफी भयानक बन चुका था। उसने रेयांश का गला पकड़ लिया।
"अब बोलो! हम दोनों में से ज़्यादा डैन्जरस कौन है?" जूही ने पूछा।
रेयांश ने जूही की आँखों में देखते हुए कहा,"आप।" फिर उसने जूही को आँख मार दी। जूही ने खुद को नॉर्मल करना शुरू किया और कुछ पलों में उसका चेहरा पहले की तरह हो गया।
"मैंने आपका सामान सेकंड फ्लोर पर रखवा दिया है। और मैं फर्स्ट फ्लोर पर रहूँगा।" रेयांश ने ऑर्डर देते हुए कहा।
जूही ने मुंह बनाते हुए कहा,"हाँ! पहले ही सब तुम्हारा डिसाइडिड है। छोटा होकर भी हुकूम चलाता है।"
रेयांश ने फिर से अपना सर्द चेहरा बनाया तो जूही उसकी तरफ देखते हुए,"रेयांश! तुम मुझसे छोटे हो ना। तो वैसे ही रहा करो। और कभी अपने चेहरे पर स्माइल ले आओगे तो कुछ हो नहीं जाएगा।"
रेयांश ने अपनी भौहें उठाते हुए उसकी तरफ देखा,"मुझसे नहीं होता। फिलहाल! मुझे यहाँ अपने काम सेट करने हैं। ये स्माइल देने का मेरे पास फालतू टाइम नहीं है।"
"यहाँ नौकर कब आएंगे? अगर तुम्हें लग रहा है कि मैं कोई काम करूंगी तो सॉरी।"
रेयांश ने उसे सामने देखने के लिए कहा जहां दरवाज़े से दो तीन सर्वेन्ट्स चले आ रहे थे।
रेयांश अपने रूम की तरफ बढ़ गया। जूही के चेहरे पर स्माइल आ गई।
"Now see yourself. मैं चला। मुझे बहुत ज़ोरों से नींद आ रही है।"
रेयांश सीधा अपने कमर में चला गया। उसका रूम काफी बड़ा था। सामने एक ग्लास बालकनी थी। वो उस बालकनी में गया जहां से देहरादून की खूबसूरत वादियाँ दिख रही थीं।
रेयांश ने अंगड़ाई ली और बड़बड़ाया,"सो ब्यूटीफुल।"
कुछ देर वो वहीं खड़ा रहा और फिर वो अंदर जाकर अपने क्लोज़ेट में जाकर चेंज करने लग गया जहां उसके हजारों कपड़े थे। ये सब उसके यहां आने से पहले ही कई दिनों पहले सेट किया जा चुका था।
रेयांश ने कमरे को अपने हिसाब से बनवाया था। साथ में एक क्लोज़ेट, वॉशरूम, जिम, लाइब्रेरी और एक सीक्रेट रूम। बाहर आकर उसने ड्रेसिंग टेबल के शीशे में खुद पर नज़र डाली।
वो खुद को देख रहा था। इस टाइम वो बेर चेस्ट था। गठीला बदन, सुडौल शरीर, बाइसेप्स उसे काफी हैन्सम बना रहे थे।
रेयांश ने टेबल पर हाथ रखा और अपने चेहरे पर दूसरा हाथ लगाते हुए बोला,"Vampires are really the most handsome supernaturals."
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ओकलैंड
ईशा का घर
वहीं ईशा अपने घर पहुंची और धम्म से सोफ़े पर बैठ गई। पानी पीते हुए उसने रेणु से पूछा,"ग्रीन विला में कोई रहने आया है क्या?"
रेणु खुश होते हुए,"तूने उन्हें देखा क्या?"
ईशा ने ना में सिर हिलाते हुए कहा,"देखा तो नहीं। वहाँ कोई आदमी था जिससे मेरी टक्कर हो गई। उसके साथ में एक लड़की भी थी।"
रेणु मन में सोचने लगी,"हे भगवान! कहीं वो आदमी और औरत हज़्बन्ड-वाइफ तो नहीं थे। मुझे पता लगाना होगा।"
ईशा उसे देखकर,"आप कहाँ खो गए?"
रेणु ने पूछा,"फिर क्या हुआ?"
"होना क्या था? कोई बतमीज़ है। हल्की सी टक्कर पर ऐसे ज़ोर से चिल्लाया जैसे मैंने उसका सिर फोड़ दिया हो।"
रेणु मुंह बनाते हुए,"तो सॉरी बोल देती।"
ईशा खड़े होकर,"बोली थी। लेकिन वो तब तक अंदर अपनी विला में जा चुका था।"
"बड़े अमीर लोग हैं। देहरादून के सबसे अमीर लोग।"
ईशा ने रेणु की तरफ देखा,"मम्मी! जो आप सोच रही हैं ना, मत सोचिए।" वो बड़बड़ाते हुए अंदर चली गई। रेणु सिर हिलाते हुए बड़बड़ाई,"तीनों ने लगता है मेरे सिर पर ही बैठना है। एक भी ठीक से कोई बात भी नहीं सुनती।"
ईशा अपने रूम में गई और कपड़े चेंज किये। उसके कमरे के साथ भी एक अटैच बालकनी थी। वो उसमे जाकर खड़ी हो गई। शाम के सात बज चुके थे। सर्दियों की वजह से धुंध होती जा रही थी।
ईशा ने अपने हाथ फैलाए और ठंडी हवा को खुद पर महसूस करने लग गई। "I just love this winter season."
उसने हवा में गहरी सांस ली जिसके बाद उसके चेहरे पर स्माइल आ गई।
कुछ देर बाद उसे रेणु ने आवाज़ लगाई,"ईशा, ईशा।"
ईशा बाहर गई,"जी मम्मी।"
"मेरा एक काम कर। ये मैंने खाना बनाया है। जाकर ग्रीन विला में दे आ।"
ये सुनकर ईशा की आँखें फैल गईं,"क्या? ग्रीन विला में? लेकिन क्यूँ? इतने बड़े लोग हैं और उनके वहाँ तो नौकर-चाकर होंगे। आपको क्या मुसीबत पड़ गई है?"
रेणु नाराज़ होते हुए,"एक तो तू मुझसे ठीक से बात कर। ऊपर से जितना कहा, उतना कर।"
ईशा मुंह बनाते हुए,"मम्मी! वो लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे कि ऐसे उनके घर पहुँच गए।"
"घर नहीं बंगला बोल। अब ये बैग पकड़ और जा जल्दी।"
ईशा ने उसकी तरफ देखा तो रेणु ने उसके गाल पर हाथ लगाते हुए कहा,"प्लीज़ बेटा।"
ईशा ने बैग अपने हाथ में लिया और सिर हिलाकर वहाँ से निकल गई। काफी कोहरा छाया हुआ था। वो बड़बड़ाते हुए बोली,"ये मम्मी भी ना। कुछ भी करती हैं। और अगर उनके काम को ना बोलो, तो मुहँ बना लेती हैं।"
रास्ते में उसकी बहन सुहाना आ रही थी। ईशा की सबसे छोटी बहन, उम्र 19 साल, दिखने में सुंदर, लेकिन हर टाइम बड़बड़ करने वाली।
"तू कहाँ जा रही है?"
"ग्रीन विला।"
सुहाना हैरान होकर,"क्यूँ? वहाँ क्या है?"
ईशा ने बैग दिखाते हुए कहा,"खाना देने जा रही हूँ। वहाँ कोई नए लोग रहने आए हैं। आ जा। तू भी मेरे साथ चल।"
"लेकिन मम्मी परेशान होंगी।"
ईशा ने जवाब दिया,"फोन करके उन्हें बोल दे।"
सुहाना ने रेणु को कॉल कर दी और दोनों ग्रीन विला की तरफ बढ़ गईं। जैसे ही उन दोनों ने ग्रीन विला के लॉन में कदम रखा, कमरे में सो रहे रेयांश की नींद खुल गई। इंसान की स्मेल उसे साफ महसूस हो रही थी।
वो बड़बड़ाया,"कौन आया है?"
उसके चेहरे का रंग साथ ही बदल गया। वो एकदम भयानक रूप लेने लग गया।
क्या रेयांश की ईशा से पहली मुलाकात एक वैम्पायर के रूप में होगी?
To be continued..