जितेश और निहारिका, एक दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करने वाले दो मासूम दिल। कॉलेज के दिनों में मिले थे, जहाँ जितेश की शायरी और निहारिका की हँसी ने उन्हें एक-दूसरे का दीवाना बना दिया। हर रोज़ की मुलाकातें, छोटी-छोटी बातें, और हसीन यादें, दोनों की ज़िंदगी का हिस्सा बन गईं।
एक दिन, जितेश ने निहारिका से कहा, "निहारिका, तुम्हारी हँसी मेरे लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है। मैं चाहता हूँ कि हमेशा ऐसे ही हँसती रहो.
निहारिका मुस्कुराते हुए बोली, "और तुम्हारी शायरी मेरे दिल को सुकून देती है। हमें एक-दूसरे का साथ हमेशा चाहिए।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। निहारिका की तबियत अचानक बिगड़ने लगी। उसे एक दुर्लभ बीमारी हो गई, जिसका इलाज बहुत मुश्किल था। जितेश ने हर संभव कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने जवाब दे दिया।
एक दिन, अस्पताल में निहारिका ने जितेश का हाथ पकड़कर कहा, "जितेश, मुझे पता है कि मैं ज्यादा समय तक नहीं रहूँगी। लेकिन मेरी एक आखिरी ख्वाहिश है।
जितेश ने आँसू भरी आँखों से कहा, "बोलो निहारिका, मैं तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करूँगा।
निहारिका ने कहा, "मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी शायरी को पूरा करो, जो अधूरी रह गई है। उसे दुनिया के सामने लाओ, ताकि लोग हमारी मोहब्बत को जान सकें।
जितेश ने निहारिका की ख्वाहिश को पूरा करने का वादा किया। लेकिन उसी रात निहारिका ने आखिरी साँस ली। जितेश का दिल टूट गया, वह पूरी तरह बिखर गया। लेकिन उसने अपने वादे को याद रखा।
जितेश ने निहारिका की अधूरी शायरी को पूरा किया, और उसकी किताब 'अधूरी मोहब्बत की दास्तान' नाम से प्रकाशित की। किताब में जितेश की और निहारिका की सभी यादें, सभी ख्वाहिशें, और उनका सच्चा प्यार बयां किया गया।
जब लोग इस किताब को पढ़ते, तो उनकी आँखों में आँसू आ जाते। जितेश ने निहारिका की ख्वाहिश को पूरा किया और उसके प्यार को अमर कर दिया।
कहानी का अंत दुखद था, लेकिन जितेश ने अपनी मोहब्बत और निहारिका की यादों को जिंदा रखा। उसने सिखाया कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता, वह यादों में हमेशा जिंदा रहता है।
यही सच्चा प्यार है, जो जितेश और निहारिका की अधूरी मोहब्बत को अमर बना गया.