अंतिम संस्कार
कुछ समय पहले
निहारिका कि अचानक तबीयत खराब हो गई वह चक्कर खाकर नीचे जमीन पर गिर गई।
जितेश जल्दी से निहारिका को अस्पताल ले गया जितेश बहुत डर गया थाउसे समझ नहीं आया कि निहारिका को अचानक क्या हो गया।
निहारिका हॉस्पिटल में एडमिट हो गई डॉक्टर निहारिका का इलाज कर रहे थे।
जैसे ही डॉक्टर कमरे से बाहर आए जितेश ने तुरंत डॉक्टर से पूछा
जितेश - डॉक्टर निहारिका को क्या हुआ है निहारिका ठीक है ना (लड़खारती हुई आवाज मैं बोला)
डॉक्टर - गंभीर आवाज में बोलते हैं कि
एक्चुअली निहारिका को एक गंभीर बीमारी है
इसकी वजह से वह कुछ ही समय तक ही जिंदा रह पाएगी इस बीमारी का इलाज नहीं है
जितेश - आंसू भरी आंखों से डॉक्टर की ओर देखा और गंभीर आवाज में बोला डॉक्टर ऐसा मत बोलिए कुछ तो इलाज होगा इस बीमारी का
जितेश की आंखों में बहुत इमोशन और आंसू आंखों से बाहर छलक रहे थे डॉक्टर भी जितेश की ऐसी हालत देखकर उसे बोलते है
डॉक्टर - जितेश मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकता हूं इस समय तुम्हें निहारिका को संभालना है उसे अच्छा फील करना है वह बहुत दुखी है
वह अंदर से पूरी तरह से टूट चुकी है
अगर अभी तुम भी इमोशनल हो जाओगे तो उसे कौन संभालेगा तुम्हें मजबूत रहना है।
डॉक्टर जितेश को यह बोलकर चले गए
जितेश - बाहर खड़ा था जिस रूम में निहारिका थी उसका दरवाजा कांच का था तो जितेश को अंदर निहारिका दिख रही थी कि वह अभी लेटी हुई है उसने अपनी आंखें बंद की हुई है ।
जितेश निहारिका को बाहर से हीआंसू भरी आंखों से देख रहा था उसकी आंखों में इतने आंसू थी कि वह बस बहे जा रहे थे रुक ही नहीं रहे थे वह अंदर से खुद को यह समझने की कोशिश कर रहा था कि उन्हें हरिका को संभाल पाएगा निहारिका को यह बता पाएगा कि वह ठीक है वह अब दुखी ना हो उसके साथ है पर जब-जब इस बात को सोचता था तब तक उसके अंदर एक दर्द एक पेन फील होता थावह अंदर से इतना टूट गया था कि वह खुद को भी नहीं समझ पा रहा था बहुत दीवार के सहारे खड़ा था और अंदर की ओर ही देख रहा था।
वह यह पूरी तरह से देख पा रहा था कि निहारिका की आंखें तो बंद है लेकिन उसकी आंखों से आंसू बह रहे हैं
वह पूरी तरह से समझ पा रहा था की निहारिका अभी क्या महसूस कर रही है पर वह खुद भीकितने दर्द में था कि वह ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था वह अंदर से खोखला हो गया था वह इस बात को सोचकर ही कर रहा था निहारिका अब नहीं बच पाएगी वह खुद को समझ पा रहा था किस्मत है
वह अंदर ही अंदर सोच रहा था कि यह किस्मत है
यह कैसी किस्मत है हमारी भगवान ने क्यों बनाई है ऐसी किस्मत जिसमें दुख ही दुख है भगवान ने निहारिका के साथ ही ऐसा क्यों किया क्या भगवान को प्यार करने वाले लोगों को दूर करना अच्छा लगता है।
तभी अंदर निहारिका की नजर जितेश पर पड़ती है जो की दीवार के सहारे खड़ा था निहारिका समझ पा रही थी की जितेश क्या सोच रहा होगा कैसा फील कर रहा होगा
उससे ज्यादा तो जितेश टूट गया होगा।वह सोच रही थी कि उन दोनों में जो सपने देखे हैं एक दूसरे के साथ वह शायद अब अधूरे ही रह जाएंगे । यह कैसे मोड़ पर ले आए हैं भगवान उन दोनों को
निहारिका -की आंखों में बहुत सारी फीलिंग थी वह बाहर जितेश को देखी जा रही थी वह चाहती थी कि अब जितना समय उसके पास है वह बस जितेश के साथ ही बताएं वह अपने साथ एक अच्छी मेमोरीज ले जाना चाहती थी ।
निहारिका- अंदर से जितेश को आवाज लगाती है। जितेश अंदर आओ ! निहारिका स्माइल करते हुए बोलती है।
जितेश अपनी ख्वाबों में था तभी उसके कानों में एक आवाज आती है जो की अंदर निहारिका की थी वह अपने आंखों से आंसुओं को साफ कर कर निहारिका की तरफ देखा है । वह देखता है कि निहारिका हंसते हुए उसे बुला रही है ।
जितेश देख पा रहा था कि निहारिका की मुस्कान में बहुत दर्द है बहुत दुख है वह भले ही हंस रही थी पर उसकी मुस्कान की अंदर जो दर्द था वह बस जितेश ही देख पा रहा था।
जितेश अंदर गया निहारिका की साइट चेयर मैं बैठ गया
निहारिका लेटी हुई थी निहारिका जैसे ही उठने लगी
जितेश ने तुरंत निहारिका से कहा निहारिका तुम अभी लेटी रहो तुम्हारी तबीयत अभी अच्छे से ठीक नहीं हुई है।
निहारिका रितेश की बात मानते हुए बेटी रहती है।
जितेश निहारिका का हाथ पकड़ते हुए निहारिका की ओर देखता है।
जितेश की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे वह बस निकलने ही वाले थे वह उन्हें बहुत रोकने की कोशिश कर रहा था पर ऐसा लग रहा था कि अब उसकी आंखें उसकी आंखों को और नहीं रोक पाएंगे।
वह निहारिका के हाथ अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने से लगता है और अपनी नजर नीचे कर लेता है उसकी आंखों से आंसू बहाने लग गए थेवह खुद को रोक नहीं पा रहा था नहीं सो पा रहा था कि वह निहारिका को क्या बोले
निहारिका यह समझ पा रही थी जितेश बहुत दुखी है जितेश को गले लगा देती है और वह जितेश को बोलता है
निहारिका - जितेश तुम रो क्यों रहे हो मैं अभी यही तो हूं मैं तुम्हारे साथ हूं मैं कहीं नहीं जा रही हूं अगर तुम ऐसे ही रोते रहोगे तो मैं चली जाऊंगी हमेशा तुम्हारे साथ ही रहूंगी जितेश ।
जितेश- निहारिका की यह बात सुनकर और हीरो ने लग गया उसकी आप रोते-रोते सांस फूल रही थी वह कुछ बोल नहीं पा रहा था वह निहारिका को गले लगा कर फूट फूट कर रोता है वह निहारिका को बोलता है
मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं तुम्हारे लिए मैं क्या करूं ऐसा क्या करूं कि तुम ठीक हो जाओ तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगा मैं जब भी ऐसा सोच रहा हूं तो बसमुझे ऐसा लग रहा है बस मैं मरने वाला हूं तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है मैं ऐसा क्या करूं निहारिका क्या करूं ऐसा कि यह किस्मत बदल जाए यह पल बदल जाए नहीं चाहता उसे दूर जाना मैं नहीं चाहता तुम मुझसे दूर जाओ वह निहारिका को गले लगा कर यह बातें बोलता है और बहुत ही इमोशनल था अंदर से वह पूरी तरह से टूट गया था।
निहारिका- जितेश की ऐसी बातें सुनकर वह खुद भी बहुत इमोशनल हो गई खुद भी अंदर से पूरी तरह से टूट गई थी वह भी ऐसा ही फुल कर रही थी पर वह जितेश के सामने
नहीं दिखाई कि वह कितनी दुखी है
बहुत जितेश के गालों पर अपने दोनों हाथ रखती है और जितेश का चेहरा अपनी ओर करती है उसकी आंखों से आंसुओं को पूछता है उसका चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था कि वह बहुत रोया है
उसकी आंखें सूज गई थी निहारिका यह देखकर बहुत इमोशनल हो गई वह जितेश का चेहरा अच्छे से पहुंच कर जितेश को बोलता है समझता है अच्छे जितेश में कहीं नहीं जा रही हूं मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी
मैं हमेशा तुम्हारे दिल के अंदर कभी भी फील करोगे अपना हाथ अपने दिल में रखना और मुझे याद करना मैं हमेशा तुम्हारे साथ ही रहूंगी ।