Chereads / Heartless king / Chapter 13 - ch-12

Chapter 13 - ch-12

प्रजापति महल मे,

रौनक और कनक अगले दिन प्रजापति महल लौट आते है लेकिन किसी से कुछ नहीं कहते है। इस दौरान दोनों के रिश्ते भी अच्छे और बेहतर हो रहे होते है। वक़्त बीत रहा होता है और देखते ही देखते सारे बच्चों को लेकर रौनक प्रजापति महल आ जाते है।

आज दक्ष के छोटे भाई हार्दिक और बहन अनामिका भी आने वाले होते है। पुरे प्रजापति महल मे रौनक लगी होती है।तुलसी सी, सुमन के साथ रसोई मे खुद महराज और झुमरी को सारी हिदायते दे रही होती है।रसोई घर से उनकी नजर,कामनी और लक्षिता पर जाती है जो कहीं बाहर जा रहे होते है, उनको बाहर जाते देख कर, वो कहती है, आप दोनों कहाँ जा रही है।

दोनों उनके इस तरह पूछने पड़ सम्भलती हुई कहती है, कहीं नहीं बस बाहर सारे इंतजाम देख रही थी।

उन्दोनो की बातें सुनकर तुलसी जी कहती है, "कामनी आप लक्षिता के साथ मिलकर हमारे कुल देवी के मंदिर मे प्रसाद और चढ़ावा भिजवा दीजिये। दादी है आप अपने पोतों  की।

हम और सुमन बिंदिनी अभी रसोई मे व्यस्त है आज हमारे घर के सभी बच्चे आ रहे है। जिसे सुनकर कामनी जी कहती है, "जीजी क्या दक्ष भी आने वाला है! उनकी बातें सुनकर तुलसी जी कहती है,"नहीं कामनी सिर्फ बच्चे आएंगे। कनक को भी दक्ष के मेंशन ही भेज देंगे शाम को, ज़ब मेहंदी लग जाएगी तब।

लेकिन क्यों बड़ी माँ से!लक्षित पूछती है तुलसी जी से।

अरे लक्षिता आप भूल गयी की शादी प्रजापति महल से होगी तो दूल्हा और दुल्हन शादी तक एक छत के निचे कैसे रहेंगे।

कल शादी के वक़्त दोनों दुल्हन आएगी क्योंकि शादी यही से हो रही है और हाँ आज शाम तक अतुल और अनीश का भी परिवार आ जायेगा तो सारी तैयारियां देख लीजिये। हम नहीं चाहते की मेहमान नवाजी मे कोई भी कमी रह जाये और लक्षिता आप  सबके रहने का प्रबंध देख लीजिये और मेहंदी वाली को बोलिये समय से आ जाये गीं।

जी जी बड़ी माँ!!!हम देख लेगे। कहती हुई दोनों माँ -बेटी वहाँ से चली आती है।

लक्ष्य कहीं जाने के लिए हॉल से निकल रहा था तो उसे देख कर राजेंद्र जी कहते है, लक्ष्य जरा इधर आईये। जी बड़े पापा!!

लक्ष्य वैसे तो दक्ष से बाहर की सारी जिम्मेदारी पूरी कर  ली है लेकिन हम चाहते है की आप उनके हिस्से के भाग की जिम्मेदारी अपनी देख रेख मे ले ले। ज़ब कल वो आये तो कोई परेशानी ना हो और आपने मालूम किया की, सिंहानियाँ और मल्होत्रा परिवार कब तक आएंगे। उनके रहने का प्रबंध कर दिया ना।

आप फ़िक्र ना करे बड़े पापा!! हमने सब पहले ही ठीक करवा रखा है। राजेंद्र जी मुस्कुराते हुए कहते है, हमे आप कभी निराश नहीं करते लक्ष्य। हार्दिक और अनामिका कब तक आएंगे।

जी!उनको लेने दक्ष ने अपने आदमियों को भेजा है। तो वो दक्ष अपने हिसाब से ही करेंगे।ठीक है फिर आप की दक्ष से बातें हुई। नहीं बड़े पापा हमारी नहीं हुई है, लेकिन अंकित बता रहा था की सब कुछ देर मे पहुँचेगे।

पृथ्वी बहुत तेजी से रंजीत जी के कमरे मे आता है और दरवाजा बंद कर देता है। कमरे मे पहले से ही शमशेर,दाता हुकुम और जयचंद के साथ उनके छोटे भाई मौजूद होते है। इस तरह पृथ्वी के आने और दरवाजा बंद करने से सभी एक साथ प्रश्न भाव से पृथ्वी को देखते है। जिसे देख पृथ्वी कहता है, आप लोग ऐसे क्यों मुझे देख रहे है?

रंजीत जी कहते है, पहले आप बताईये आपने इस तरह से दरवाजा क्यों बंद किया है।पृथ्वी अपनी आँख दिखाते हुए सभी को घूरता है। सभी उसका ये तेवर देख कुछ देर के लिए ठिठक जाते है। पृथ्वी अपनी कठोर आवाज़ मे कहता है, "दादू सा !! आपसे निवेदन है की शादी तक आप या आप से जुड़ा कोई भी व्यक्ति ऐसा कुछ ना करे,दक्ष के खिलाफ,जिसका उनको अफसोस हो।"

आप कहना क्या चाहते है पृथ्वी!हम कुछ समझे नहीं। रंजीत जी की बात सुनकर पृथ्वी कहता है, "दादू सा बात ये है की, मै सिर्फ चाहते हूँ की शादी बिना किसी बखेरे का हो। आप सभी को जो भी करना है शादी के बाद करे क्योंकि दक्ष को आप सबकी हरकतों की भनक लग चुकी है और आप सभी चाहते है की एक नरसंघार ना हो तो दो दिन शांति से बैठ जाये।

उसकी बात सुनकर शमशेर कहता है, ऐसा क्या हो गए पृथ्वी जो आप अचानक ऐसी बातें कह रहे है हमे!वो भी इस तरह से जैसे बता नहीं रहे हो, धमकी दे रहे हो हमलोगो को दक्ष की तरफ से।

शमशेर की बातें सुनकर पृथ्वी हल्का अपनी आवाज़ गुस्से मे करते हुए कहता है, "फूफा सा ज़ब आपको शोख है ओखली मे सर डालने की तो डालिये। आप सभी जानते है की दक्ष के शब्दकोष मे माफ़ी नहीं है और मौका तो. वो देता नहीं है। ज़ब तक शांत है तो ठीक नहीं तो फिर प्रलय तय है। तो आप क्यों चाहते है की हमारी शादी शांति से ना हो। वैसे ही एक बिघ्न दादू सा के परम् मित्र के बेटे ओमकार रायचंद ने कर दी है।

पृथ्वी के मुँह से ओमकार की बातें सभी हैरान होकर कहते है। ओमकार कहाँ से आ गया। दादू सा अभी इतना वक़्त नहीं है, ये बताने का ज्यादा कुछ भी बस आप सभी दो दिन शांति बनाये रखिये, ये कहते हुए सबको उलझन मे छोड़, वो दरवाजा खोल कर बाहर निकल जाता है।

अवंतिका विला

दक्ष!!!दक्ष... आवाज़ देते हुए कुछ लोग अंदर आते है।दक्ष कहाँ है आप? बाहर आईये अभी के अभी!!इतनी बड़ी बात हो गयी और किसी ने जरूरी नहीं समझा हमे कुछ बताने का।

निचे हॉल से,लगातार जोर जोर ये कुछ लोग बोल रहे होते है। जिसे सुनकर दक्ष -दीक्षा, अतुल -तूलिका, अनीश -रितिका... बाहर निकलते है और सामने सभी को देख तीनों की आँखे बड़ी हो जाती है।

शमशेर की बातें सुनकर पृथ्वी हल्का अपनी आवाज़ गुस्से मे करते हुए कहता है, "फूफा सा ज़ब आपको शोख है,ओखली मे सर डालने की तो डालिये। आप सभी जानते है की दक्ष के शब्दकोष मे माफ़ी नहीं है और मौका तो. वो देता नहीं है। ज़ब तक शांत है तो ठीक नहीं तो फिर प्रलय तय है। तो आप क्यों चाहते है की हमारी शादी शांति से ना हो। वैसे ही एक बिघ्न दादू सा के परम् मित्र के बेटे ओमकार रायचंद ने कर दी है।

पृथ्वी के मुँह से ओमकार की बातें सभी हैरान होकर कहते है। ओमकार कहाँ से आ गया। दादू सा अभी इतना वक़्त नहीं है, ये बताने का ज्यादा कुछ भी बस आप सभी दो दिन शांति बनाये रखिये, ये कहते हुए सबको उलझन मे छोड़, वो दरवाजा खोल कर बाहर निकल जाता है।

अवंतिका विला

दक्ष!!!दक्ष... आवाज़ देते हुए कुछ लोग अंदर आते है।दक्ष कहाँ है आप? बाहर आईये अभी के अभी!!इतनी बड़ी बात हो गयी और किसी ने जरूरी नहीं समझा हमे कुछ बताने का।

निचे हॉल से,लगातार जोर जोर ये कुछ लोग बोल रहे होते है। जिसे सुनकर दक्ष -दीक्षा, अतुल -तूलिका, अनीश -रितिका... बाहर निकलते है और सामने सभी को देख तीनों की आँखे बड़ी हो जाती है।

सभी सामने देखते है तो दक्ष मुस्कुराते हुए निचे आता है और उनसभी के पैरों को छूते हुए कहते है, कैसे है आप सभी? चारों एक साथ आशीर्वाद देते हुए कहते है हम सब ख़ुश है। तू कैसा है हमारा बच्चा!!!

मैं ठीक हूँ,बड़ी मॉम,छोटी मॉम।

साथ खड़ी दीक्षा को इशारे से अपने पास बुलाते हुए कहता है,"मॉम ये है आपकी बहु दीक्षा प्रजापति "। चारों प्यार से उसे आशीर्वाद देती है।तब तक अनीश और अतुल भी रितिका और तूलिका के साथ निचे आ जाते है। दोनों अब भी आँखे बड़ी किये हुए खड़े थे।रितिका और तूलिका असमंजस मे उन चारों कोई. देख रही थी।

फिर आकर कहती है दक्ष जरा डंडा लाना!अभी लाया बड़ी मॉम!!दक्ष लाकर उन्हें डंडे दे देता है। दीक्षा धीरे से कहती ये क्या कर रहे है दक्ष? दक्ष उसे इशारे से चुप होने को कहता है। दीक्षा, रितिका और तूलिका तीनों दक्ष कर करीब आती है। रितिका कहती है जीजू ये कौन है?दक्ष धीरे से कहता है तुमदोनों के सास -ससुर। क्या!!! कहती हुई तीनों दक्ष कोई देखती है। दक्ष हाँ मे अपनी पलकें झपकाता है और धीरे से कहता है, अभी मजे लो। सब ठीक है फ़िक्र मत करो।

अनीश और अतुल की तरफ दोनों डंडे लेकर आने लगती है। अनीश जोर से कहता है,"दक्ष कमीने तुझे कीड़े पड़ेगें। तुझे नर्क मे भी कोई जगह नहीं मिलेगी।कसाई कहीं का!!दग़ा बाज!!!धोखे बाज!!साले तुझे छोड़ूंगा नहीं।

अतुल भी गुस्से से उसे घूर रहा होता है। अनीश उसे देख कर कहता है, तू ये आखों से भस्म करना उसे छोड़ कर मुँह खोलेंगे । अतुल कहता है सबके बदले ज़ब तू ही बोल चुका है तो मै क्या बोलू। तब... दोनों रलेक साथ कहते है,... आअह्ह्ह !!!!! मॉम!!!!! लगता है हमदोनों कोई आपदोनों मंदिर से उठा कर लायी थी ऐसे कौन करता है।

दोनों डंडा मारती हुई उन्दोनो कोई पुरे हॉल मे घुमाती हुई कहती है, "नालायको शादी कर लिए और अपने माँ -बाप कोई बताना जरूरी नहीं समझा रुको अभी बताती हूँ और पूछता है ऐसा कौन करता है। ये बता कौन से सगा बेटा ऐसा करता है। आअह्ह्ह!!!आअह्ह्ह मॉम।... चुप हो. जा मॉम के बच्चे।

अतुल कहता है,"मॉम पहले मारना बंद कीजिये और बात सुन लीजिये और ये ये दक्ष इसकी तो मै। खबरदार जो तूने उसे आँख दिखाया तो. वो हमेशा हमारा सबसे अच्छा बेटा है और तुम दोनों नालायको कोई तो हमें छोड़ेंगे नहीं। पुरे हॉल मे अनीश और अतुल भाग रहे होते और वो दोनों उन्हें डंडे से पीट रही होती थी।सभी अच्छे से मजे ले रहे होते है।

तभी मुकुल जी कहते है, दीक्षा बेटा थोड़ा चाय हो. जाये वैसे ये इंटरटेनमेंट देखने का मजा नहीं आ रहा है क्यों भाई चेतन। बिल्कुल ठीक कर रहे हो मुकुल। दक्ष इशारे मे दीक्षा से कहता है।

दक्ष फिर जा कर उन्दोनो कोई पकड़ते हुए कहता मॉम धक जाएगी बैठ जाईये। थोड़ी देर आराम कीजिये फिर कुटाई इनदोनो की करना आप । दीक्षा पानी लाईये।उसकी बातें सुनकर अतुल और अनीश उसका मुँह देखते है क्योंकि वो भी दौड़ते और मार खाते थक चुके होते है।

ज़ब दीक्षा पानी लेकर आती है तो दक्ष कहता आईये मिलिए इनसे ये है, निशा मॉम, अतुल की माँ और ये है मुकुल सिंहानियाँ अतुल के डैड।ये है चेतन मल्होत्रा और सुकन्या मॉम अनीश के मॉम।

तीनों मुँह खोले देख रही होती है तब निशा जी और सुकन्या जी उन तीनों के पास आती है,'दीक्षा के गले मे एक चैन निशा जी पहनाती हुई कहती है, ये मेरी तरफ से तुम्हारी मुँह दिखाई। सुकन्या जी दीक्षा को उसके बालों मे लगाने वाला सोने की एक बहुत खूबसूरत जुड़ा पिन देती है। दिशा कहती है इसकी क्या जरूरत थी। दोनों कहती है, आशीर्वाद को ना नहीं कहते है।

चारों उन्दोनो कोई आशीर्वाद देते हुए कहते है, दक्ष तू ये मत सोचना की मै तेरे से नाराज नहीं हूँ बहुत नाराज हूँ पुत्र तूने हमे हमारे पोते से भी नहीं मिलवाया। बड़ी मॉम बहुत जल्द आप सभी को आपके पोते से मिलवाऊंगा। पहले आप दोनों अपनी बहु से मिल लो।

दक्ष फिर से कहता है, "शादी का फैसला मेरा था मॉम।मैंने ही अतुल और अनीश कोई कहा था शादी के लिए और आप तो जानती है की मेरी किसी बात कोई ये दोनों ना नहीं कहते। इसलिए अगर आप नाराज है तो मुझसे होने, इन चारों से नहीं।

दक्ष की बातें सुनकर,चारों मुस्कुरा देते है,और मुकुल जी और चेतन जी कहते है, "अरे पुत्र तुमने तो बहुत अच्छा किया इनदोनो की शादी करवाकर नहीं तो इन नायलायको को कौन अपनी लड़की देती। हमें तो सोच रहे थे इनकी शादी होगी भी या नहीं।"

उनकी बातें सुनकर सभी हंसने लगते है और अतुल और अनीश गुस्से मे सिर्फ़ दक्ष को घूर रहा होता है। निशा जी आगे आकर तूलिका के पास आती है। तूलिका नजरो कोई झुकाये खड़ी थी। मुकुल जी कहते है क्या तुमदोनों को न्योता दूँ यहाँ आकर जोड़े मे हमारे पाउँ छू लो और आशीर्वाद लो ।

दोनों आकर तूलिका और रितिका के बगल मे खड़े हो जाते है और झुक कर आशीर्वाद लेते है। दोनों के माता पिता चारों को आशीर्वाद देते है।निशा जी कंगन निकाल कर तूलिका के हाथों मे पहनाती हुई कहती है ये मेरी सास ने मुझे दिया और अब मै तुझे दे रही हूँ। वैसे तो सभी सास कहती है की आज से तू मेरी बेटी है बहु नहीं। लेकिन मै तुझसे कहूँगी की मै तेरी दोस्त हूँ जिसे तू बेहिचक कुछ भी कह सकती है, बिना किसी सोच के निःसंकोच भाव से। तूलिका आंसू लिए कहती है, क्या आपको मेरे से कोई परेशानी नहीं है क्या आप नाराज नहीं है मुझसे। निशा उसके माथे पर हाथ फेरते हुए कहती है, "बिल्कुल नहीं पुत्र!!!तुझसे क्यों नाराज होने लगी, इति सोनी पुत्र मिली है मुझे वो तो दक्ष ने मना कर दिया है की अभी किसी कोई नहीं बताना है नहीं तो मै तो तुझे बाजे -गाजे के साथ ले जाती।एक बात कभी इस खोते ने तुझे परेशान किया तो सबसे पहले मुझे फोन करना।तूलिका मुस्कुरा कर हाँ मे सिर हिला लेती है।

सुकन्या जी रितिका के पैरों मे सोने की खूबसूरत पायल पहनाती हुई कहती है, ये बंधन बांध रही हूँ की आज से हमारे घर के हर रिश्ते कोई इसी तरह खुद से बांधे रखना और आशीर्वाद देती हूँ इसी तरह तुमदोनों एक दूसरे से बंधे रहो।

अनीश और अतुल कुछ कहने कोई होते है तो मुकुल जी और चेतन जी कहते है,"तुमदोनों कोई कुछ कहने की जरूरत नहीं हमे दक्ष ने सब कुछ बता दिया था।

सब एक दूसरे से मिल लेते है।

फिर दक्ष कहता आप सब आज प्रजापति महल जाने की तैयारी कीजिये। ड्राइवर छोड़ आएगा आप. सब को फिर शादी के बाद आप आराम से अपनी बहुओं के साथ रहना। सभी कहते है ठीक है।

प्रजापति महल

राजेंद्र जी बैठे हुए थे तभी सिंघानियाँ और मल्होत्रा परिवार अंदर आते है। जिन्हें देख राजेंद्र जी की आखों मे नमी आ जाती है. मुकुल और चेतन जी झुक कर तुलसी जी और राजेंद्र जी पैर छूते है और उनके साथ सुकन्या जी और निशा जी भी। मुकुल जी और चेतन जी राजेंद्र जी आखों की नमी क़ो पोंछते हुए कहते है, "बेटों क़ो होते हुए एक पिता के आखों मे आंसू आये ये किसी क़ो बर्दास्त नहीं बाबा सा।"हमदोनों हर्षित और हिमांशु नहीं है लेकिन है तो आपके बेटे।"

राजेंद्र जी और तुलसी जी कहती है, हाँ आप हमारे ही बच्चे है। आप दोनों क़ो देखते है तो हमे हमारे बेटे और बहुओं की कमी नहीं होती।सभी मुस्कुरा देते है.।

अरे हमसे कोई नहीं मिलेगा कहते हुए लक्ष्य की आवाज़ आती है। जिसे देख कर वो दोनों आकर उसके गले मिल जाते है। पूरा परिवार आज बहुत ख़ुश हो रहा होता है। दूर खड़ा पृथ्वी अपनी मोबाइल से दक्ष क़ो यहाँ का ये पल दिखा रहा होता है। फिर धीरे से कहता है अब चला आ। कब तक आएगा, कहते हुए फोन रख देता है।

सुमन जी कहती है, सौम्या जरा कनक क़ो बुला दे। मामी मै अभी मेहंदी नहीं लगवाउंगी ;मै बाहर जा रही हूँ। तुम कहाँ जा रही हो लावण्या। मेरे साथ जा रही है काकी से ये कहती हुई लतिका अपने परिवार के साथ अंदर आती है। सुमन जी जयचंद जी के साथ उसके परिवार क़ो नमस्ते करती है। कामिनी जी कहती है, आईये बैठिये।

स्नेहलता जी कहती है, सुमन बहन बच्चियों का अगर मन नहीं है तो जाने दीजिये बाहर वैसे भी जिस तरह से ये शादी हो रही थोड़ी तो अजीब से हालात जरूर हो गए है। हम सोचते है क्या और हमे मिलता है क्या!!

सुमन जी कहती है, "जो होता है उसमें महादेव की मर्जी होती है!!! चलिए बैठिये मेहंदी लगवाते है। माँ सा !बड़ी माँ सा!! लक्षिता बाई सा!!! आईये बैठिये। मेहंदी लगवाते है।

मै जरा निशा भाभी और सुकन्या भाभी क़ो बुला लाती हूँ। तुलसी जी बैठती हुई कहती है ठीक है। लावण्या अब भी खड़ी थी जिसे देख कर लक्षिता जी कहती है, जाओ लेकिन तुम दोनों समय पर आ जाना।

सौम्या कनक क़ो बुलाने जाती है तो रास्ते मे उसे रौनक मिल. जाता है ;जिसे देख कर कहते है, भाई सा!! भाभी कहाँ है!!

तुम उन्हें क्यों ढूढ़ रही हो। काकी माँ ने, बुलाया मेंहदी लगवाने, लेकिन आप क्यों. थानेदार की तरह मुझसे पूछ रहे है। शादी हुई नहीं की बहन क़ो भूल गए। रौनक उसके माथे पर हाथ मारते हुए कहता है, कौन कहेगा इस बेअक्ल लड़की इतनी पहुंची हुई खिलाड़ी है। अरे बुद्धू!!तुम्हारी भाभी पहले ही चली गयी है, मेहंदी लगवाने।ठीक है भाई सा!! कहती हुई आगे बढ़ जाती है की तभी कोई हाथ उसे तेजी से एक कमरे मे खींच लेता है।

दक्ष कहता है, रानी सा क्या आप चारों सारे श्रृंगार कर के कल निचे उतरने वाली है तो बता दीजिये। कब से आपके पांच मिनट खत्म ही नहीं हो रहे है।

दक्ष जोर आवाज़ देकर दीक्षा क़ो सुनाये जा रहा था। अनीश कहता है, कोई जवाब मिला तुझे पिछले एक घंटे से से तू सबको आवाज़ लगा रहा है लेकिन सब सुनना तो दूर ये भी नहीं बता रही है, कब तक तैयार होकर निचे आ रही है।चारों ना जाने एक. कमरे मे, क्यों तैयार हो रही है।

अनीश की बातें सुनकर अतुल कहता है, सुना था की औरतों का पांच मिनट कभी खत्म नहीं होता और आज देख रहा हूँ।

मॉम डैड के पचचीस फोन आ गए है, कब आओगे तुम सब। अपने शब्दों क़ो चबाते हुए कहता है, उन्हें क्या बताऊ की आप सब की लाडली बहुएँ आज मिस यूनिवर्स बन कर ही निचे आयेगीं।

तीनों गुस्से मे घूम रहे होते है। तभी दक्ष ऊपर जाता और दरवाजे के पास खड़े होकर कहता है, दीक्षा हम तीन तक गिन रहे है, अगर अब आपने दरवाजा नहीं. खोला तो ठीक नहीं होगा। एक, दो..... दक्ष के गिनते ही दरवाजा खुलता है और सामने रितिका खड़ी होती, हरे रंग के राजस्थानी लहंगे मे..... और दक्ष क़ो अपने चश्मे से घूरती हुई कहती है, जीजू लगता है आपके अंदर हमारी दोस्त का खौफ खत्म हो गया है।

उसकी बातें सुनकर दक्ष उसे आँखे बड़ी करके देखता है और कहता है, " साली साहिबा हमारे अंदर के खौफ का तो मालूम नहीं लेकिन आप शादी के बाद कुछ ज्यादा ही बेखौफ नहीं हो गयी है। "ये बात कहते हुए दक्ष की आवाज़ थोड़ी कठोर हो जाती है। जिसे महसूस कर रितिका कहती है, दिक्षु बाहर आ। आप हटीये हमे जाने दीजिये जीजू कहती हुई उसके बगल से निकल जाती है, उसके पीछे शुभ भी जाने लगती है और धीरे से कहती है, बच कर देवर सा।

दक्ष क़ो ज़ब तक उनकी बातें समझ मे आती तब तक तूलिका आकर कहती है, जीजू आपकी बेशब्री का कुछ नहीं हो सकता कहती हुई बगल से निकल जाती है।

दक्ष अपने मन मे कहता है, ये अच्छा है!!लगता है दक्ष प्रजापति अब तुम्हारा डर किसी क़ो नहीं रहा जो आ रही है सुना के जा रही है। ये सोचते हुए अंदर जाता है। जहाँ दीक्षा अपनी गुस्से भरी नजरो से दक्ष क़ो घूर रही होती है।

दक्ष अपनी सोचो से बाहर आकर सिर्फ दीक्षा क़ो देख रहा होता है। हरे रंग का लहंगा, हाथों मे भरी चुड़ीयाँ बाल खुले बेहद हसीन लग रही थी अभी दीक्षा।

दक्ष उसके करीब आते हुए कहता है, क्या बात है स्वीट्स!!आज आप चारों ने एक जैसे कपड़े पहने है। उसके गालों क़ो चुम कर कहता है, अगर मालूम होता की इंतजार का फल इतना मीठा होगा तो हम इतने बेशब्र नहीं होते।फिर उसकी आखों मे देखता है, जो उसे गुस्से मे देख रही होती है।दक्ष उसके चेहरे क़ो प्यार से पकड़ते हुए, उसके दोनों आखों क़ो चुम लेता है। जिसका अहसास पाते हूँ दीक्षा मुस्कुरा देती और उसके सीने पर हल्का मारती हुई कहती है,"हर बार आप इसी तरह मुझे अपनी मोहब्बत के जाल मे फंसा लेते है। मै नहीं मानूगी अभी। दक्ष उसकी खुली कमर पर हाथ रख कर अपनी मदहोश आवाज़ मे कहता है,"स्वीट्स!! तुम चाहती हो तो मै तुम्हें और मदहोश कर सकता हूँ और हम यही रुक सकते है कहते हुए उसके गर्दन क़ो हल्का से काट लेता है। "दीक्षा अपनी सांसों क़ो संभालती हुई कहती है,"दक्ष, हमे देर हो रही है।"हम्म्म्म लेकिन स्वीट्स आज आप बहुत खूबसूरत लग रही है और हमारा दिल नहीं कर रहा आपको छोड़ने का, कहते हुए दक्ष उसे बाहों मे भर लेता है।

निचे ज़ब अतुल और अनीश की नजर तूलिका और रितिका पर जाती है तो दोनों अपनी अपनी नाराजगी छोड़ कर उन्हें प्यार से देखने लगते है। दोनों की नजरो खुद पर महसूस होता देख रितिका और तूलिका शरम से अपनी नजरें नीची कर लेती है। अनीश रितिका के पास आकर अपने हाथों से उसके चेहरे क़ो प्यार से छू कर कहता बेहद हसीन लग रही हो बीबी कहते हुए उसके गालों क़ो चुम लेता है। रितिका उसकी इस हरकत पर कहती है, कुछ तो शरम करो सब्बि देख रहे है। अनीश कहता है जिसने की शरम उसके फूटे करम।रितिका अपना सर ना मे हिलाती हुई कहती है, कौन कहेगा ये बेस्ट क्रिमिनल लायर है।

अतुल. ज़ब तूलिका के पास आता है तो बिना उसे कुछ कहे, उसके माथे क़ो चुम लेता है और उसे अपनी बाहों मे भरता हुआ कहता है, तुम्हें किसी की नजर ना लगे। तूलिका उसकी गरमहट भरी बाहों मे अपनी आँखे बंद कर लेती है।

शुभ सबकी तरफ और ऊपर सीढ़ियों की तरफ देखती है। फिर तेज आवाज़ मे कहती है, अगर आप सभी ये भूल गए है तो आप सभी क़ो याद दिला दूँ की आज हमारी मेंहदी है आप सब की नहीं। दक्ष देवर सा!!क्या आप हमारी देवरानी क़ो लेकर निचे आएंगे या हम आपके भाई सा!! क़ो बता दे की आपका कोई इरादा नहीं है, हमारी शादी करवानी की।

शुभ की बात सुनकर दीक्षा दक्ष क़ो धका देती हुई सीधे बाहर चली आती है। शुभ अपनी आखों क़ो तरेर कर सभी क़ो देखती हुई कहती है, "हमे अपने इन देवरों पर भरोसा नहीं था लेकिन आप तीनों भी भूल. गयी की आज आपकी जीजी की मेंहदी है। दीक्षा उसके गले लग कर कहती है, माफ़ी दे दीजिये जीजी और चलिए हम चलते है। सभी प्रजापति महल के लिए निकल जाते है।

तभी दक्ष किसी क़ो फोन करता है और कहते है, बच्चे पहुंच गए। उधर से कोई कहता है, जी राजा सा!!! हम्म्म्म।

सौम्या क़ो इस तरह खींचने पर भी उसकी आखों मे कोई खौफ नहीं था और वो कहती है, मै तुम्हारे सामने ही तो थी फिर ये हरकत किस लिए !!! वो हँसते हुए कहता है,"महादेव से मैंने सीधी साधी बीबी चाही थी लेकिन उन्होंने मुझे ऐसी तेज तरार बीबी दे दी जिसके साथ मोहब्बत की दो बातें करनी भी मुश्किल हो जाती है। सौम्या अपनी नजरो क़ो तिरछी करती हुई कहती है, अच्छा जी!!तो अंकित सिंहानियाँ क़ो सीधी साधी बीबी चाहिए थी। अंकित बच्चों सी शक्ल बना कर हाँ मे अपना सर हिला कर उसे जबाब देता है। जिसे देख कर सौम्या कहती है,"तो मौका भी है और तस्तूर भी है!शादी की गहमा गहमी भी है और आँखे चार करने के लिए खूबसूरत तीतीलियां भी। इंतजार किस बात का जा कर ढूढ़ लीजिये। कौन अंकित सिंहानियाँ क़ो इन्कार करेंगे। आप नजरें तो उठाईये, कदमों मे तो कई बिछ जाएगी।"

हाय!!! कमबख्त आपकी बातें कानों क़ो तो बहुत पसंद आ रही है लेकिन इस दिल का क्या करे वो तो बस आपकी मोहब्बत मे गिरफ्तार हुआ पड़ा है,माना की हमारी नजरों क़ो उठाने की देर है और कई बिछ जाएगी,इस अंकित सिंहानियाँ के कदमों मे !!! लेकिन ये आँखे तो बस आप पर ही आकर रूकती है, इन नजरों क़ो सिवाय आपके कुछ भाता नहीं है और ये अंकित सिंहानियाँ तो खुद आपकी कदमों मे आ झुका है,'कहते हुए अंकित सौम्या के कदमों मे घुटनों के बल झुक जाता है। जिसे देख सौम्या भी उसके पास बैठ जाती है और कहती है, मेरी मोहब्बत मेरे सर का ताज मेरी कदमों का ठोकर नहीं और उसे उठा देती है।

अंकित मुस्कुराते हुए उसे अपनी बाहों मे भरते हुए कहता है, "छः महीने बाद इस दिल क़ो ठंडक मिली है, सोमू!!!आई लव यु एंड आई मिस यु सो मच। आई लव यु टू अंकी। मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ इसलिये ऐसे तुम्हें अपने करीब ले आया मिसेस सिंहानियाँ , कहते हुए उसके होठों पर अपने होठों क़ो रख देता है। दोनों एक दूसरे क़ो पूरी मोहब्बत मे किश करने लगते है। कुछ देर बाद.... खाँसने कई आवाज़ आती है। जिसे सुनकर दोनों अलग हो जाते है और इधर -उधर देखने लगते है। दोनों इशारे मे पूछते है कई कौन है? तभी आवाज़ आती है,"भाई -भाभी क़ो छोड़ो। बाहर सभी आ चुके है तो जल्दी चलो।"

अंकिता कई आवाज़ सुनकर अंकित अपनी आँखे बंद कर के कहता है, ये लड़की हमेशा गलत वक़्त पर आ जाती है। जिसे सुनकर अंकिता कहती है, ये मत भूलो भाई!!मै ही हूँ जो आप दोनों क़ो मिलवाने वाली सूत्र धार हूँ। समझे।हुँह कहती हुई वो चली जाती है।

अंकित और सौम्या निकल जाते है।

दक्ष ज़ब सबके साथ अंदर आता है तो सबकी नजर उसके साथ आ रही. दीक्षा पर जाती है। लक्षिता कहती है, माँ सा!! ये दक्ष कई सेक्टरी इतनी सज धज कर क्यों आयी है। उसकी बातें सुनकर जयचंद का परिवार भी उधर देखते है। सबकी निगाहो मे जलन और नफ़रत थी। सुमन जी सबकी भावनाओ क़ो समझते देख कर कहती है, वो बाई से, पृथ्वी की जिद थी इसलिये वो आयी है। पृथ्वी का नाम सुनकर सभी की मन की बात मन मे रहा जाती है।

तुलसी जी और राजेंद्र जी तो बस उन्दोनो क़ो निहार ही रहे होते है। रानी सा कितने प्यारे लगते है दोनों। उनकी बातें सुनकर तुलसी जी कहती है, राजा साहब अरमान तो हमारे अंदर भी बहुत है लेकिन क्या करे। महादेव क्या चाहते है?

सभी मेंहदी लगाने बैठ जाती है। निशा जी कहती है, "अरे लडको मेहंदी है जरा ढ़ोल सोल बजाओ। ये रूखी सुखी शादी होगी।

तभी बाहर से जोर जोर से ढ़ोल की आवाज़ आने लगती है। सभी खड़े होकर देखने लगते है। दक्ष मुस्कुराते हुए कहता है लो मॉम आ गया आपका सबसे छोटा और लाडला बेटा।

हार्दिक गले मे ढ़ोल पहन कर बजाते हुए अंदर आने लगता है और उसका साथ देने अंकित और आकाश आ जाते है। पीछे से एक ढ़ोल बजाते हुए शुभम आ जाता है। जिसे देख कर पुरे घर मे रौनक आ जाती है।

हार्दिक और शुभम दोनों सबसे पहले सभी बड़ो का आशीर्वाद लेते है। ज़ब वो दोनों दक्ष के गले लगने लगते है तो अनीश कहता है ऐसे तो तुम दोनों क़ो पूरी रात लग जाएगी एक एक करके सबके पाउँ छूने मे तो क्यों ना सभी भाई एक साथ गले मिल ले।

ये सुनकर दक्ष और पृथ्वी एक साथ अपनी बाहें फैला देते है, सभी भाई एक साथ जोर से चिल्लाते हुए गले लगते है। जिन्हें देख पूरा प्रजापति महल ख़ुशी से झूम उठता है।

तुलसी जी और कामिनी जी दूर से ही सभी बच्चों की बलाईया लेती है।

दक्ष कहता है, अनामिका कहाँ है??

अनामिका पीछे मुँह फुलाये खड़ी थी। जिसे देख सब समझ जाते है की अब उसे मानना मुश्किल है। पृथ्वी कहता है ये छोटी शेरनी तेरे से मानेगी। हमलोगो अगर गए तो अपने दूध के दांत से हमे काट खायेगी। सभी दक्ष क़ो आगे कर देते है। दक्ष ज़ब उसके पास आते हुए कहता है,"बेटू!!

खबरदार भाई!! म नहीं बात करुँगी किसी से और वो वहाँ से भागने लगती है। उसे इस तरह से भागते देख सभी उसे पकड़ने  दौड़ते है। जिसे देख कर एक बार फिर सब बड़ो की आँखे नम हो जाती है। राजेंद्र जी कहते है, देख रहे है आप रंजीत हमारे घर के बच्चों क़ो। हाँ!! भाई सा!!फिर से अब हमारी गुड़िया क़ो मानाने उसे पकड़ने मे लगी है और हमारी गुड़िया भागने मे।

उन्दोनो की बातें सुनकर लक्ष्य कहता है, "हाँ!!बाबा सा!! ज़ब गुड़िया छोटी थी तब भी ज़ब उसे इस तरह से कोई नजरअंदाज करता था तो वो इसी तरह सबसे भागती रहती थी और ये सभी उसे पकड़ने के लिए चारों तरफ से घेरा बना लेते थे।

हाँ!!लक्ष्य आप ठीक कह रहे है और पकड़ आती भी तो किसके सिर्फ दक्ष के।

लीजिये भाई सा आपने कहा नहीं की गुड़िया पकड़ी गयी, कहते हुए सभी हंसने लगते है।