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Chapter 12 - Chapter 12

आरव साची की मासूम नजरों को देख कर मुस्कुराता है ।

और उसकी तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए उससे कहता है ।

" कहां जा रही हो साची तुमने जो मेरी गाड़ी खराब की है ।

उसकी कीमत तो अदा करती जाओ " ।

 सांची उसकी बात सुन कर अपने कदम पीछे लेते हुए ।

उससे अपनी घबराई हुई आवाज में कहती है ।

 " दे . . . . देखिए मैं मानती हूं कि मुझे से गलती हो गई है ।

मैं यहाँ किसी और काम के लिए आई थी और हो कुछ और गया ।

 लेकिन . . . . लेकिन पहले तो सॉरी इसके लोई और ।

मैं इसके पैसे देने के लिए तैयार हु आप फिकर मत करिए म पैसे दे दूँगी आप को " ।

 आरव उसकी बात सुन कर एक शातिर मुस्कान मुस्कुराता है और उससे कहता है ।

 " कीमत तो तुम्हें चुकानी पड़ेगी सांची वह भी सूत समेत " ।

 यह कहते वक्त आरव की नजर सांची के मुलायम होठों पर थी ।

 सांची उसकी नजरों को बिना देखे गाड़ी की तरफ देखते हुए ।

उसे के धीरे से कहती है ।

 " हां तो मैं पैसे दे दूँगी वह भी सूत समेत लेकिन इंस्टॉलमेंट में " ।

 आरव साची की बात सुन कर उसकी तरफ बढ़ते हुए ।

 उसके होठों को देखते हुए उसे कहता है ।

 " ठीक है तो चलो पहले किस्त अभी दे दो " ।

 सांची उसकी बात सुन कर कुछ सोचती है ।

और उससे अपनी मासूम चेहरा बना कर उससे कहती है ।

 " अभी कहां से देदु अभी मेरे पास कुछ नहीं है और वैसे भी दीदु ने भी सिर्फ आज ₹ 1000 दिये है ।

 अगर वो भी आप ले लेंगे तो फिर मेरा खर्चा कैसे चलेगा पूरा दिन ।

 मैं कल दे दूंगी आप को पक्का प्रॉमिस प्लीज अभी मुझे जाने दीजिए " ।

 आरव साची की बात और उसकी मासूमियत देख कर मुस्कुराता है ।

और अपना सर हिला कर उसकी तरफ अपने कदम बढ़ाने लगता है ।

 आरव सांची के करीब पहुंचने ही वाला था कि तभी ।

उ से किसी की आवाज सुनाई देती है ।

 " अरे सांचु बेटा तुम यहाँ ? " ।

 साची जब उस आवाज को सुनती है तो उसकी जान में जान आ जाती है ।

 और वो पीछे मुड़ कर देखती है ।

 साची जब पीछे मुडती है तो देखती है कि वहाँ ।

पूनम जी अपने हाथों में पूजा की थाली लेकर खड़ी थी ।

 साची पूनम जी को देख कर एक नजर आरब को देखती है ।

फिर खुश होकर पूनम जी से कहती है ।

 " आ . . . . आंटी अच्छा हुआ अच्छा हुआ आप आ गई ।

 मेरा मतलब मैं मैं मैं आप ही से मिलने आई थी " ।

 यह कह कर साची पूनम जी के पास खड़ी हो जाती है ।

पूनम जी साची के पास आने पर पहले उसे प्रसाद देती है ।

फिर उससे प्यार से कहती है ।

" अच्छा बेटा तुम मुझसे मिलने आए थी कुछ काम था क्या ? " ।

साची पूनम जी की बात सुन कर कुछ सोचती है फिर उमस कहती है ।

नही आंटी कुछ काम नही था वो तो मैं यहाँ से जा रही थी ।

तो सोचा आप से मिलती जाऊ " ।

फिर साची आरव को अपनी तिरछी नज़रो से देखती है ।

फिर पूनम जी से कहती है ।

" अच्छा आंटी अब मैं चलती हु " ।

ये कह कर जैसे ही साची जाने लगती है तभी पूनम जी उसे रोक कर उससे कहती है ।

" अरे ऐसे कैसे पहली बार तुम हमारे घर आई हो चाय नास्ता कर कर जाओ " ।

पूनम जी की बात सुन कर साची उन्हें मना करते हुए ।

उनसे कहती है ।

" अरे नही नही आंटी मैं चाय नास्ता कर - कर आई हूं " ।

ये कह कर साची एक नज़र आरव को देखती है जो उसे ही मुस्करा कर देख रहा था ।

पूनम जी जब साची को कही देखता हुआ पति है ।

तो वो उसकी नज़रो का पीछा करती है ।

पूनम जी जब साची की नज़रो का पीछा करती है ।

तो वो देखती है कि साची आरव को देख रही है ।

और आरव साची को एक प्यारी सी मुस्कन के साथ देख रहा है ।

आरव की मुसकान देख कर पूनम जी को ये समझने में देर नही लगती की ।

आरव को साची पसंद आ गयी है जिसे देख कर वो मुस्करा देती है ।

पूनम जी आरव को देख ही रही थी की तभी उनकी नज़र आरव की कार पर जाती है ।

कार की हालत देख कर पूनम जी थोड़ी हेरान होती है ।

और वो हैरानी से आरव से पूछती है ।

" अरे आरव ये आप की कार को क्या हुआ ? किसने किया ये ? " ।

पूनम जी की बात सुन कर साची हड़बड़ा जाती है ।

और अपनी नज़रे नीचे कर कर इदर - उदर देखने लगती है ।

वही आरव पूनम जी की बात सुन कर एक नजर साची को देखता है ।

फिर मुस्करा कर उनसे कहता है ।

" कुछ नही मासा एक जंगली बिल्ली घर घुस आए थी ।

उस ने ही मेरी गाड़ी का ये हाल किया है " ।

आरव की बात सुन कर पूनम जी कुछ सोवज्मे लगती है ।

वही साची जब आरव की बात सुनती है तो वो उसे घूरने लगती है ।

वही आरव जब साची को खुद को घुरत पता है ।

तो वो अपनी एक आँख बिलंक कर देता है ।

जिसे देख कर साची ग़ुस्से से अपना मुँह फेर लेती है ।

और और पूनम जी से कहती है ।

" अच्छा आंटी मैं चलती हु " ।

ये कह कर साची जाने लगती है तभी उसके कंनो में पूनम जी की आवाज़ पड़ती है ।

" रोको बेटा आरव तुम्हे कॉलेज छोड़ देगा " ।

साची जब पूनम जी की बात सुनती है तो उसके कदम रुक जाते है ।

और उसकी आखे हैरानी से बड़ी हो जाती है ।

वही आरव जब पूनम जी की बात सुनता है तो उसके चव्हरे पर एक शातिर मुस्कन छा जाती है ।

फिर पूनम जी आरव के पास जाकर उसे उमीद भरी नज़रो से देख कर ।

उससे कहती है ।

" बीटा कट तुम सांचु को उसके कॉलेज छोड़ दोगे " ।

पूनम जी की बात सु। कर आरव साची को देखते हुए ।

पूनम जी से कहता है ।

" जरूर मासा ये मेरी होने वाली भाभी सा की छोटी बहन है ।

इन्हें तो मैं ज़िंदगी भर इनके कॉलेज छोड़ने और लेन को तैयार हु " ।

आरव की बात सु। कर साची उसकी तरफ मुडती है ।

और उसे कन्फ्यूज्ड नज़री से देखने लगती है ।

वही पूनम जी जब आरव की बात सुनती है तो समंझ जाती है ।

की साची आरव के दिल को भा गई है ।

जिसे जान कर उन्हें बहोत खुशी होती है ।

फिर आरव अपनी दयसरी कार की तर्क इसारा कर कर उससे कहता है ।

" चले साची जी " ।

साची आरव की बात सुन कर नकली हँसी हँसते हुए ।

अपनी गर्दन हा में हिलती है ।

और अपने धीरे कदमो से उसकी तरफ बढ़ने लगती है ।

साची उसकी तरफ बढ़ते हुए कुछ सोचते हुए अपने मन मे कहती है ।

" हे महादेव कहा फस गयी में अगर मैं इसके साथ कॉलेज गयी तो ।

दिदु को क्या कहूंगी की ये कोन है और पता नही ये मुझे अकेले में ।

अपनी गाड़ी खराब करने की क्या सजा देगा ? कैसे निकलू यहाँ से ।

अब आप ही मुझे यहाँ से निकालो " ।

ये सोचते हुए साची आरव की कर के पास पहोच जाती है ।

पर जैसे ही साची आरव की कार में बैठेने वाली होती है ।

तभी उसके कानों में किसी की आवाज़ पड़ती है कि।

जब साची उस आवाज़ की तरफ देखती है तब उसकी आँखों मे चमक आ जाती है ।

Dear रीडर्स । तो आप को क्या लगता है ? की कोन है जिसे देख कर साची की आखों में चमक आ गयी ? और क्या आरव को सच मे साची पसंद आ गयी है ? अपना जवाब मुझे कमेंट कर कर जरूर बताएं और Guys मैं आप को रोज नही पर दो दिन में एक एपिसोड दे पहुगी और अगर फ्री हुई तो रोज भी दे सकती हूं और guys मेरी दूसरी नावेल Psycho Devil को भी सपोर्ट करे।