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Chapter 11 - Chapter 02: Nervousness (part 4)

ये सुनने के बाद यश घबरासा जाता है और खड़ा होकर सैल्यूट करता है क्युकी वो एक पूर्व पुलिस अधिकारी थे।

"लड़के तुम डर क्यू गए? क्यू तुम्हे मै शैतान नजर आ रहा हूं क्या?" वीरेंद्र हंसते हुए पूछते है। यश भी अपने चेहरे पर थोड़ी हंसी लाता है लेकिन अंदर से वो घबराया हुआ होता है।

"नही बस मैने सुना था आप थोड़े स्ट्रिक्ट हो और मैं तो तबसे लेकर अभी तक आपसे कैजुअली बात कर रहा हूं तो बस में थोडा नर्वस हूं।" यश मुस्कुराते और अपने सिर के पीछे हाथ फेरते हुए मासूम अंदाज में कहता है। वीरेंद्र फिर उसे रिलैक्स करते हुआ बेंच पर बैठाता है।

"मैं थोड़ा स्ट्रिक्ट हूं लेकिन इतना ज्यादा भी नही। मुझे डिसिप्लीन पसंद पसंद है क्युकी ये आपको एक अच्छी जिंदगी देता है। तुम्हे डरने की जरूरत नहीं। दराशल जब से मैंने पुलिस फोर्स ज्वाइन की थी तभी से में डिसिप्लीन और सिंसेरिटी से अपनी जॉब की और उसी के कारण मुझसे पोर्मोशन मिला और में डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस की पोजिशन पर प्रोमोट हो गया। मेरे डिसिप्लीन को फॉलो करने की आदत से सभी लोग मुझे पसंद किया करते थे लेकिन अब वो दिन कहां।" वीरेंद्र थोड़ा दुखी अंदाज में कहते है।

"आप दुबारा ज्वाइन कर लीजिए एक इंस्ट्रक्टर के तौर पर" यश ऐसे ही कह देता है और फिर वीरेंद्र उसकी पीठ थपथापाते है और मुस्कुराते हुए एक बागीचे में ले जाते है।

"तुम ये सब देख रहे हो, ये सब हमारी पुस्तैनी जमीन है जो ये पूरी पांच सौ एकड़ में फैली हुई थी। मेरे पिताजी की मौत के बाद ये पूरी पांच हिस्सो मे बट गई। मेरे भाइयों ने तो अपनी अपनी जमीन बेच दी और अब सिर्फ ये सौ एकड़ जमीन बची है।" वीरेंद्र यश को बगीचा घुमाते हुए बताते है। यश भी सुन रहा होता है।

"तुम्हे पूछा था की में दुबारा पुलिस फोर्स एक इंस्ट्रक्टर के तौर पर ज्वॉइन क्यू नही करता तो इसका जवाब भी यही है। मेरी उम्र अब पचास के पर हो चुकी है और अब में चाहता हूं की बची हुई जिंदगी आराम से इसी जगह बिताऊं। मेरी बात तो पूरी हो गई तो तुम बताओ तुम्हारी दोस्ती मेरी बेटी से कैसे हुई? क्युकी मैं अपनी बेटी को बचपन से जानता हूं लेकिन वो कभी भी किसी लड़के के साथ अच्छे से पेश नही अति।" वीरेंद्र अपनी उत्सुकता के चलते प्रश्न करते हैं।

लेकिन तभी कहीं से एक बडा सा तेंदुआ पेड़ो की आड़ से निकलता है और यश के उपर हमला करता है। यश समय रहते हुए उस तेंदुए का जबड़ा पकड़ लेता है और उसे एक पेड़ पर दे मारता है।

यश उसे इतनी जोर से मारता है की वो तेंदुआ दुबारा खड़ा नही हो पाता। इन सब में उस तेंदुए के नाखून यश के हाथ पर बड़ा सा घाव कर देता है लेकिन फिर यश अपनी स्पेस स्टोरेज से एक पानी जैसी चीज निकालता है और उस घाव पर डाल देता है जिससे खून बहना रुक जाता है।

यश फिर खड़ा होता है और उसके हाथ के ऊपर एक सिल्वर स्टील का बना एक पंजा आ जाता है। यश उस तेंदुए की तरफ बढ़ता है और वो तेंदुआ भी एक डरावने अंदाज में उठता है और फिर वो दोनो एक दूसरे की तरफ भागते हुए हमला करते है।

यश अपना पंजा उस तेंदुए की गर्दन में घुसाने के वार करता है लेकिन तेंदुआ हवा में छलांग लगाकर यश के पीछे आ जाता है और उसकी पीठ पर अपना पंजा मारने ही वाला होता है लेकिन तभी यश एकदम से पीछे घूमता है और उस तेंदुए के मुंह पर जबरदस्त लात मारता है जिससे वो तेंदुआ दूर जाकर गिरता है।

यश एक बार फिर तेंदुए को मारने आगे बढ़ता है। तभी तेंदुआ एक दहाड़ मारता है और फिर एक और काला तेंदुआ यश की पीठ पर वार करके उसे घायल कर देता है।

वो दोनो तेंदुए यश को मारने आगे बढ़ते है लेकिन तभी। एक सीटी की आवाज सुनकर पीछे हाथ जाते है और एक पालतू जानवर को तरह लाइन में बैठ जाते है। यश को ये सब पहले से मालूम था तो वो चौंकता नही है। वो अपनी शर्ट से धूल झाड़ते हुए उठता है और अपने कपड़े ठीक करता है।

वो दोनो तेंदुए वीरेंद्र के पालतू थे। "इन दोनो बड़ी बिल्लियों का टीमवर्क काफी अच्छा था।" यश वीरेंद्र के पास आने के बाद कहता है।

"बच्चे माफ करना लेकिन ये सिर्फ एक टेस्ट था तुम्हारी काबिलियत जानने के लिए। तुम चाहते तो इन दोनो को जान से मार सकते थे लेकिन तुमने नही किया तुमने अपनी स्ट्रेंथ बड़े अच्छे से छुपा रखी है।" वीरेंद्र यश के कंधे पर हाथ रखकर उसे और घुमाता फिराता है। थोड़ी देर में यश के घाव भी भर जाते है।

वीरेंद्र के हाथ की तरफ देखता है और घाव इतनी जल्दी ठीक हो जाने पर उसे थोड़ा अजीब लगता है और फिर वो यश से इसके बारे मे पूछता है "यश, तुम्हारा घाव इतनी जल्दी कैसे भर गया? माइक के पंजों से किया गया भी इतनी जल्दी नही ठीक हो सकता लेकिन तुम्हारा घाव ठीक हो गया, कैसे?"

यश अंदर से थोड़ा घबरा सा जाता है लेकिन वो जाहिर नही करता और बहाना बनाते हुए बात टालने की कोशिश करता है। थोड़ी देर बाद वो लोग वापिस आ जाते है।

"बच्चे तुम जाकर उन छोटे मोनस्टर्स के साथ रहो। मै उनके लिए खाना लेकर आता हूं" यश हां में सर हिलाके चला जाता है और वीरेंद्र अपनी और डिटेक्शन स्किल्स की मदद से यश का और चेक करते है और कुछ भी गलत नही पाते तो वो घाव जल्दी भरजाने वाली बात को महज एक गलती समझकर अनदेखा कर देते हैं।

यश अपने हाथ की तरफ देखता है तो उसके हाथ के ऊपर एक ड्रैगन की खाल को परत आने लगती है और उसकी आंखो को पुतलियां सुनहरे रंग की जो जाति है। और उसका हाथ एक ड्रैगन के हाथ की तरह बन जाता है। वो आसमान की तरफ चांद को देखता है और फिर गुस्से में आ जाता है।

उसके शरीर से गहरे लाल और काले रंग की डरा देने वाली काफी खतरनाक आभा निकलती है। तभी उसे महसूस होता है की कोई आ रहा है तो फिर से नॉर्मल हो जाता है और फिर से पहले जैसा हो जाता है।

"सुकर है कि तुम यहां पर हो, तुम्हे मालूम है मै तुम्हे कितनी देर से ढूंढ रही थी। और..." निधी थोड़ी नाराजगी के कहती है फिर रुक जाती है। वो यश की तरफ कुछ ध्यान से देखती है और यश थोड़ा सा घबरा जाता है।

वो अपने धीरे से अपनी उंगली से खुजाता है और मन में सोचता है "कही इसने देख तो नही लिया। निधी मुझे माफ करना लेकिन मै तुम्हे अभी अपना सच नही बता सकता।"

"यश तुम्हारी तबियत ठीक है ना? तुम कुछ परेशान से लग रहे हो? क्या हुआ तुम्हे ये जगह पसंद नही आई? और ये तुम्हारी शर्ट फटी हुई क्यू है?" निधी चिंता करते हुए पूछती है।

"नही, बस तुम्हारे पिताजी की कुछ पालतू बिल्लियों ने ये सब किया। मै ठीक हूं।" यश के कहने के देर थी की निधी उसे परेशान होकर उसे चेक करने लगती है।