Chereads / RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत) / Chapter 1 - खूबसूरत रात beautiful night

RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत)

🇮🇳Alokks
  • --
    chs / week
  • --
    NOT RATINGS
  • 57.8k
    Views
Synopsis

Chapter 1 - खूबसूरत रात beautiful night

हेलो दोस्तो इस प्लेटफार्म पे मेरा पहला नोवेल है। आई होप आपको बहुत मजा आयेगा पढ़ कर।

इस नोवेल के नायक है" RAMYA जिसका उम्र लगभग seven years का था। जो की एक बजरंग बल्ली का भक्त था। राम्या जब बजरंग बल्ली का कहीं भी संगीत सुनता था तो उसका दिल या दिमाग में सिर्फ बजरंग बल्ली के प्रति प्रेम हो जाता था। राम्या बजरंग बली के संगीत से इतना प्रेम करता था की उस संगीत के आगे सारा जवाना भूल जाता था। राम्या का उम्र बहुत छोटा था लेकिन बहुत नेक भी था। राम्या का कोई दोस्त नहीं था क्यों की राम्या सिर्फ अपने मां के साथ एक जंगल के मंदिर में रहता था। वो मंदिर भी इट या पत्थर का नही था वो मंदिर एक फूस फास का बना हुआ था। उस मंदिर में दूर दूर से लोग पूजा करने आते थे। लेकिन वहा पे कोई टिकता नहीं था।

राम्या और राम्या का मां उस मंदिर के अंदर एक चटाई बिछा कर एक साथ दोनो सोए थे। 10 PM के करीब राम्या को टॉयलेट लगा। राम्या उठ कर देखा तो राम्या का मां सो रही थी राम्या धीरे धीरे मंदिर से बाहर निकला। राम्या को डर था की मां ना जाग जाए। राम्या जब बाहर निकला तो बाहर पूरा अंधेरा था लेकिन असमान में एक चांद खिला था जिस चांद को देख कर राम्या बहुत आकर्षित हो गया था। वो चांद दूर से देखने पे लग रहा था वो चांद कहीं जमीन के आस पास ही होगा। राम्या का नजर उस चांद पे पड़ा। राम्या उस चांद को देख कर बजरंग बल्ली का दिन याद आ गया। राम्या अभी बहुत नादान था। राम्या को लगा की ," जब मेरा बजरंग बल्ली इस सुंदर फल को खा सकते है तो फिर मैं क्यू नही खा सकते,"

राम्या उस चांद को फल समझ रहा था हालाकि वो चांद उजला रंग का था। लेकिन वो चांद एक सेव फल की तरह दिख रहा था राम्या को लगा की ये नया फल कहा से आ गया। राम्या उस फल के वजह से, ना अपने मां को देखा और नही अपने उम्र का लिहाज़ किया। राम्या उस चांद को पकड़ने के लिए वहा से अपने दोनो पैर पे चल दिया। राम्या अपने पैर में चप्पल या कोई भी वस्तु नहीं पहना था। उस समय चप्पल भी नही था। राम्या उस चांद को देखते हुए पैदल ही भागने लगा।रात का समय था इस वजह से राम्या के पैर में एक कांटा चुभ गया। राम्या को दर्द पीड़ित हुआ। राम्या वही पे बैठ कर उस कांटा को निकालने लगा साथ ही राम्या उस चांद को देखते हुए सोचने लगा," हे प्रभु, आप कैसे इस फल को खा लिए थे मैं इतना दूर आ गया लेकिन इसका कोई अंत ही नही मिल रहा है," राम्या अपने पैर से कांटा बैठ कर निकाल रहा था। तभी राम्या को एक संगीत सुनाई दिया। वो संगीत श्री बजरंग बल्ली का था राम्या उस संगीत को सुन कर खुश हो गया और कांटा का दर्द भूल गया। राम्या खड़ा होकर चारो तरफ अपना नजर घुमा कर देखने लगा और ध्यान से इस संगीत को सुनने लगा। वो संगीत कोई बाबा गा रहे थे," वो... मंगल भवन अमंगल हारी.... द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी... राम सिया राम.. सिया राम जय जय राम... राम सिया राम... सिया राम जय जय राम!." राम्या इस संगीत को सुनते ही दौर पड़ा पता करने के लिए की ये संगीत कौन गा रहा था। राम्या को संगीत गाने नही आता था लेकिन संगीत में बहुत मन लगता था। राम्या को इस लिए संगीत गाने नही आता था क्यू की राम्या को संगीत सिखाने के लिए कोई गुरु नही था। राम्या उस संगीत का बहुत दीवाना हो गया था। राम्या सब भूल गया की कहा जाना था मुझे क्या हुआ था। राम्या को सिर्फ बजरंग बल्ली का संगीत के प्रति प्रेम हो गया था। उस संगीत को सुन कर राम्या उसके पीछे पीछे भागने लगा था। राम्या को डर या भय कुछ नही लग रहा था। राम्या इस संगीत को सुन कर पीछे भागे जा रहा था। वो संगीत कोई बाबा गा रहे थे," हो... होइहै वही जो राम रचि राखा... को करे तरफ़ बढ़ाए साखा... राम सिया राम... सिया राम जय जय राम.. राम सिया राम.. सिया राम जय जय राम," राम्या दौर्ते हुए काफी दूर चला गया था लेकिन राम्या को अभी भी पता नही चल पाया था की ये संगीत कौन गा रहा था। रात का समय का था राम्या फिर भी भागते जा रहा था और वो संगीत भी बाबा गाते जा रहे थे," रघुकुल रीत सदा चली आई... प्राण जाए पर वचन न जाई... राम सिया राम.. सिया राम जय जय राम... राम सिया राम... सिया राम जय जय राम," राम्या इस संगीत से बहुत खुश था क्यू की ये संगीत राम्या का दिल छू लिया था। राम्या दौर्ते दौर्ते अपनी जंगल छोड़ कर उसकी बगल में एक दूसरी जंगल में पहुंच गया था। राम्या को अभी वो संगीत सुनाई दे रह था। मगर पहले जादा आवाज अभी सुनाई दे रहा था। राम्या समझ गया की," यहीं पे कहीं है जो मेरे इस प्रेम संगीत को गा रहा है," राम्या वहा से चारो तरफ नजर घुमा कर देखा मगर कोई नही दिखा। फिर राम्या अपना ध्यान सिर्फ उस संगीत पे लगाया। राम्या समझ गया की,"ये संगीत की आवाज दक्षिण दिशा से आ रही है!." राम्या वहा से दौर पड़ा उस संगीत का आवाज सुन कर," हो... जाकी रही भावना जैसी.. रघु मूर्त्ति देखी तीन तैसी.. राम सिया राम.. सिया राम जय जय राम... राम सिया राम... सिया राम जय जय राम," राम्या काफ़ी दूर भाग चुका था। राम्या अब उस संगीत के पास पहुंच चुका था। राम्या जब दक्षिण दिशा की तरफ दौर्ते हुए भाग रहा था। तभी राम्या का पैर एक कलश से टकरा गया। वो कलश का जल भी वही पे गिर गया। और राम्या भी वही पे गिर गया। राम्या जब जमीन पे गिरा तो सामने एक तालाब दिखा उस तालाब के किनारा एक औरत जिसका उम्र राम्या से बीस साल जादा थी वो औरत तालाब में बैठ कर कलश में जल भर रही थी। राम्या समझ गया की," ये कलश भी उस औरत का है!." राम्या जैसे वहा से उठने को चाहा तभी वो औरत वहा पे पहुंच गई थी। राम्या उस औरत को देख कर डर गया था। वो औरत अपने कलश का जल गिरते हुए देख कर गुस्सा हो गई। राम्या बालक था अभी लेकिन किसी का भाव विचार देख कर समझ जाता था। राम्या समझ गया की ये औरत हांपे वार करेगी। राम्या उस औरत से कहा," माते मुझे छमा कर दो। में नही जानता था की आपके कलश का जल गिर जाएगा!." राम्या अपना कान पकड़ कर कहा," मुझे छमा कर दो माते, में फिर से आपके कलश में जल भर लता हूं, और आपके कुटिया तक पहुंचा देंगे!." राम्या इतना कह कर उस कलश को उठा लिया। उस कलश में जल भरने के लिए चला तभी वो औरत उस राम्या बालक को रोक कर पूछ," पुत्र तुम कौन हो, और इतना निसा में तुम क्या कर रहे हो!." राम्या वही पे रुक कर औरत से कहा," माते में उस संगीत को सुन कर बहुत दूर से आया हूं! अर्थात लगता है नही पहुंच पाऊंगा!." वो औरत राम्या का बात सुन कर थोड़ा पिघल गई। वो औरत राम्या से पूछी," पुत्र, क्या तुम वहा जाना चाहते हो!." राम्या, इतमीनान से कहा," जी माते!." वो औरत अपना हाथ का कलश वही जमीन पे रख कर पूछी," लेकिन पुत्र, इतना रात को क्या जरूरी है मिलना!." राम्या कहा," माते में बजरंग बल्ली का भक्त हूं, अर्थात जब मैं बजरंग बल्ली का संगीत या नाम सुनता हूं तो उनसे मिलने के लिए अंदर से मैं प्रेरित हो जाता हूं!." वो औरत राम्या से कही," अच्छा पुत्र, बजरंग बली से इतना प्रेम करते हो!." राम्या औरत से कहा," जी माते!." वो औरत राम्या से पूछी," पुत्र मेरे साथ चलोगे!." राम्या उस औरत का बात सुन कर बहुत प्रेरित हो गया। और मुस्कुराते हुए कहा," जी माते!." वो औरत राम्या को मुस्कुराते हुए देख कर बोली," चलो मेरे साथ!." और वो औरत राम्या को अपनी साथ लेकर चल दी।

my WhatsApp group please you can joined with me https://chat.whatsapp.com/F77HiO0NAky37XWTqqUciv

to be continued...

क्या होगा जब राम्या की मां उठेगी और अपने पुत्र राम्या को पास न पाएगी। क्या वो औरत सच में राम्या को उस संगीत के बाबा से मिलाएगी जानने के लिए पढ़े" राम्या युद्ध!." और जुड़े रहिए हमेसा webnovel पर।