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Chapter 3 - चैप्टर 1 प्राची का जलता हुए घर प्राची का जलता हुए घर

रात के टाइम बोहोत सारे लोग एक घर मे घुस कर वाह के लोगो के मर रहे थे ओम को जान से मार दिया था 5-6 बार उसके पेट मे चाकू मारा गया था ओर नील को भी मार दिया था समे वैसे ही जैसे उसके पापा को मारा था वही मधु को एक आदमी खीच कर एक रूम मे ले गया और उस का रपे करने  लगा जब मधु चिल्लाई तो उस आदमी ने मधु को किस कर लिया था रपे करने के बाद उस औरत को जान से मार दिया था सब को मार ने के बाद वो लोग वाह से चले गये और  घर से बाहर जाने से पहले गैस सिलेंडर ओन कर दिया था और वाह से बाहर चले गये बाहर जाके माचिस की तीली जल कर उस घर मे फेक कर चले गये वो घर पुरा जल गया था इतने मे उस घर के सामने एक ऑटो आ के रुका उस ऑटो मे से एक लड़की उतरी और जब उसने अपना घर जलता हुआ देख कर जोर जोर से रोने लगी वही बैठ कर चिला चिला कर रोने लगी वाह पर परोसी आ गए थे और वो लड़की सब से हेल्प माँग रही थी लेकिन किसी ने उसकी हेल्प नही की बस वाह पर सब भूत बन कर खड़े थे और ये सब देख रहे रहे

वो लड़की उसका लड़की का नाम प्राची है ओम राय उसके पापा का नाम मधु उसकी माँ का नाम था उसके भाई का नाम नील था प्राची अपनी फैमिली को बाचा भी नही पाई उसको इस बात का बुरा लग रहा था बोहोत ज्याद प्राची उस घर मे दुबारा जाने की कोशिश करती है लेकिन उस कोई पीछे खीच लेता हैं और प्राची को गले लागा लेती हैं प्राची उसके गले लग कर बोहोत जोर जोर से  रोती हैं बार बार अपनी फैमिली को बचाने के लिए बोलती हैं ओर अंदर जाने की भी कोशिश करती हैं लेकिन उसकी दोस्त उसे नही जाने देती कही भी बोलती हैं नही तु अंदर मत जा वो बोलती हैं प्राची तू खुद को सम्भल तेरे को उन सब की मौत का बदल भी लेना हैं उस लड़की का नाम जिया होता हैं जिया प्राची से बोलती हैं प्राची सुन मेरी बात तू मर नही सकती तुझे अभी यहाँ नही रहना चाहिए वो लोग तेरे को मर देंगे तू यहाँ से कही बोहोत दूर चली जा ओर खुद को बोहोत स्ट्रांग बना ले जब तू स्ट्रांग बन जाये तो वापिस आ जाना मे यहाँ तेरा वेट करूँगी ये ले टिकट बंगलौर से दिल्ली की टिकट तू दिल्ली चली जा फिर प्राची बोलती हैं लेकिन जिया मे यहाँ से नही जाऊंगी तुझे अकेले छोड़ के हम दोनों मिल कर उस राक्षस का सामना करेंगे मे दिल्ली जा कर क्या करूँगी मे वाहा किसी को नही जानती कहा रहूँगी तभी जिया बोली नही प्राची तू यहाँ नही रहा सकती वो तुझे जान से मर देगा जैसे तेरी फैमिली को मर दिया तू दिल्ली अकेली नही जाएगी तेरे पीछे मेरा एक आदमी जाएगा वो वाहा तेरा ध्यान रखेगा  पर प्राची प्लीज तू यहाँ से जा मे नही चाहती तुझे कुछ हो  मेरी बात मान तू दिल्ली जा स्टेशन पे दिल्ली जाने वाली ट्रेन खड़ी हैं तू जा यहाँ से फिर प्राची ना चाहते हुए भी जिया को गले लगा लेती हैं ओर वाहा से जाने लगती हैं और जाने से पहले अपने घर को देखती हैं जो बुरे तरीके से जाला हुआ होता है

फिर प्राची स्टेशन पर जाके दिल्ली जाने वाली ट्रेन मे बैठ जाती हैं कुछ घंटो बाद वो ट्रेन दिल्ली स्टेशन पे पहुच जाती हैं फिर प्राची ट्रेन से उतर जाती लेकिन वो आदमी नही उतर पता जब तक वो उतर ता हैं जब तक प्राची वाहा से चली जाती हैं प्राची उस बॉडीगार्ड को कही नही दिखती हैं वो बहुत परेशान हो जाता हैं (प्राची उस बॉडीगार्ड की नज़र से गायब इसलिए होजाती हैं क्यू की ट्रेन मे बोहोत भीड़ होती जब तक वो उतर था है भीड़ मे से जब तक प्राची चली जाती हैं) वो आदमी प्राची को पूरे स्टेशन पे ढूँडता हैं लेकिन वो उसे नही मिलती

प्राची एक खाली और सुनसान सड़क पे चुप चाप चली जा रही होती है.. उसे तो पता ही नही होता वो कहा चले जा रही हैं| प्राची अपने घर वालो की मौत के सदमे मे होती हैं  इतने मे प्राची की एक कार से टकर हो जाती हैं प्राची वही बेहोश हो जाती हैं फिर कार में से एक आदमी उतर के प्राची की ओर बढता हैं ओर उसे देखता है प्राची को चोट आई हुई हैं वो आदमी अपने ड्राइवर को बोलता है इसे उठाओ और हॉस्पिटल लेके चलो  फिर वो ड्राइवर बोलता हैं जी साब

ड्राइवर उस आदमी की बा मान कर प्राची को उठा के कार में बैठता हैं फिर कुछ देर बाद वो लोग एक हॉस्पिटल मे होते हैं डॉक्टर जल्दी से आकर प्राची को चेक करता हैं  बाहर जा कर बोलता हैं don't worry, वो अब ठीक हैं उन्हे ज्याद चोट नही आई आप टेंशन मत लीजिए मिस्टर रावत फिर डॉक्टर वाहा से चला जाता हैं इतने मे ड्राइवर बोलता हैं साब मे कार निकलू मिस्टर रावत उससे माना कर देते हैं ओर बोलते हैं रुक जाओ पहले उस लड़की को होश आजाये फिर चलेंगे ये बोल कर मिस्टर रावत चुप चाप बैठ जाते हैं

कुछ देर बाद प्राची को होश आजाता हैं वो खुद को हॉस्पिटल मे देख कर हैरान हो जाती हैं प्राची के रूम मे एक नर्स होती हैं.. जब वो देखती हैं प्राची को होश आगया हैं.. वो बाहर बैठ मिस्टर रावत को बता देती हैं की उस लड़की को होश आगया हैं आप उन से मिल सकते हैं मिस्टर रावत बोहोत खुश हो जाते हैं मिस्टर रावत प्राची के रूम मे जाते हैं और उससे पूछते हैं बेटी तुम अब कैसी हो प्राची बोलती हैं जी मे ठीक हु आपका बोहोत बोहोत धन्यवाद  फिर मिस्टर रावत बोलते हैं बेटी इस मे धन्यवाद की कोई जरूरत नही हैं गलती मेरे ड्राइवर की थी  इसलिए ये तो मेरा फ़र्ज़ बनता था मिस्टर रावत फिर से बोलते हैं बेटी चलो मे तुम्हे घर छोड़ दू तुम्हारा घर कहा हैं मिस्टर रावत के ये बोलने पे प्राची को अपनी फैमिली कि याद आती हैं कैसे उन लोगो को जला दिया हैं मिस्टर रावत बोलते हैं बोलो बेटी 

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