Chapter 56 - chapter 56

"कार रोको।"

कार बच्ची के सामने रुकी। हरकत सुनकर लड़की ने धीरे से सिर उठाया।

जब अर्जुन ने उसका चेहरा देखा, तो उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

छोटी बच्ची की आंखें नैंसी की तरह लग रही है

"तुम कौन हो?"

अर्जुन ने गहरी आवाज में पूछा। छोटी लड़की की आंखें तेज और समझदार थीं। उसने डरते हुए पुकारा,

"डैडी "

यह सुनकर रणवीर के होश उड़ गये

( मिस्टर मेहरा के कितने बच्चे है ? )

अर्जुन को लग रहा है कि छोटी लड़की की आंखें नैंसी की तरह दिखती हैं, लेकिन रणवीर को ऐसा नहीं लग रहा है आखिर उसने इससे पहले कभी नैंसी की आंखों को करीब से नहीं देखा था

वो कार से बाहर निकला और नाराजगी के साथ कहा,

"लिटिल गर्ल ,तुम कहाँ से आई हो? तुम ऐसे दूसरे लोगो को अपना डैडी नहीं कह सकती , ठीक है?"

छोटी लड़की ने अपने हाथ में एक गुड़िया पकड़ी और दयनीय आँखों से रणवीर की ओर देखने लगी।

"क्या आप मुझे भगा रहे है अंकल?"

छोटी लड़की इतनी सुंदर और नाजुक लग रही है , जैसे किसी दुकान के शोकेस में रखी गुड़िया।

जो कोई भी उस पर नजर डालता , वो उसे देखता ही रहता । रणवीर उससे और कठोर शब्द नहीं कह सका

"नहीं, नहीं, मैं तुम्हें दूर भगाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं। मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि तुम किसी भी आदमी को अपना डैडी नहीं कह सकती ।"

"मैंने किसी भी आदमी को अपना डैडी नहीं कहा...मैं आपका जिक्र नहीं कर रहा थी मैं उनकी बात कर रहा हूँ ।"

उसकी छोटी उंगली अर्जुन की ओर इशारा कर रही है ।

रणवीर ".."

जब अर्जुन कार से बाहर निकला, तो रणवीर ने जल्दी से उसके लिए एक छाता रखा। अर्जुन छोटी लड़की के सामने आधा झुक गया।

छोटी लड़की की आँखें बहुत शाइनी है । वो कुछ नहीं कर सका लेकिन सोच रहा है कि शायद नैंसी बचपन में भी ऐसी दिखती थी। बहुत ही एडोरेबल ।

"डैडी..."

छोटी बच्ची ने फिर पुकारा। अर्जुन ने उसका सिर सहलाया।

"हम कार में बैठकर बात करेंगे...ठीक है ?"

रणवीर ने झिझकते हुए कहा,

"सर... सर ...हमें अभी तक पता नहीं चला है कि यह बच्ची कौन है।"

(मिस्टर मेहरा का टेम्पर इन दिनों इतना अच्छा है कि वो एक छोटी लड़की को घर ले जाने को तैयार है , जो अचानक आकर उन्हें अपना डैडी कह रही है ।इसके अलावा, क्या... क्या होगा अगर मिस नैंसी ने गलत समझ लिया ?)

अर्जुन की आंखें डार्क हो गयी ।

"तुम अब काफी केपेबल हो गए हो , है ना? तो तुम्हे लगता है कि अब तुम मेरे बॉस हो सकते हो , हुह?"।

"मु .. मुझे बस इस बात का डर है कि आपके दादाजी पता लगा लेंगे और मेरे साथ हिसाब चुकता करेंगे... । "

वो आगे कुछ कह पाता इससे पहले ही अर्जुन उसे नज़रअंदाज़ कर छोटी बच्ची को लेकर कार की ओर बढ़ गया

रणवीर ".."

छोटी लड़की ने अर्जुन का हाथ थाम लिया और लग्जरी कार में बैठ गई।

अर्जुन ने उसके गीले बालों और चेहरे को पोंछने के लिए कुछ टिश्यू निकाले, उसकी हरकतें पहले से कहीं ज्यादा कोमल थीं।

"तुम्हारा क्या नाम है?"

"सेप्टेम्बर "

छोटी लड़की की आवाज़ बहुत प्यारी लग रही थी

अर्जुन ".."

रणवीर ".."

" सेप्टेम्बर ? नहीं.. मैंने तुम्हारा फॉर्मल नाम पूछा है "

" मुझे नहीं पता मुझे बस इतना पता है मेरा जन्म सेप्टेम्बर में हुआ है "

छोटी बच्ची की बड़ी-बड़ी आंखें काले अंगूरों की तरह है , एक ही समय में तेज और दयनीय दोनों दिख रही है ।

"तुम कहा रहती हो ? तुम मेरे पास क्यों आई ? और तुम मुझे अपना डैडी क्यों कह रही हो?"

"मैं एक अनाथ आश्रम में रहती थी.. .एक दिन एक अंकल मुझे मिले और बताया कि मेरे डैडी लवासा सिटी में रहते है । ...उन्होंने कहा कि मेरे डैडी का नाम अर्जुन मेहरा है, इसलिए मैं आपके पास आयी हूं।"

"अंकल? क्या तुम उन अंकल को जानती हो "

" नहीं...में बस उनसे एक बार मिली हूँ.. उन्होंने एक पेपर में आपका एड्रेस दिया.. और एड्रेस देकर वो जल्दी जल्दी में चले गये "

रणवीर ने रियरव्यू मिरर से छोटी लड़की की ओर देखा

" क्या यह एक नया स्कैम है? अगर ऐसा है, तो इस बच्ची के माँ बाप ने मिस्टर मेहरा के साथ स्कैम करने का बहुत बड़ा दुस्साहस किया है.. ओह, मिस्टर मेहरा , आपके जैसे एक पॉवरफुल बिजनेसमैन को चार से पांच साल की छोटी लड़की से मुर्ख नहीं बनना चाइए !)

हालाँकि, अर्जुन की कोमलता और छोटी लड़की के साथ पेशेंस ने उसे हैरान कर दिया।

जब वे विला में लौटे, तब ब्लेक का फोन आया ।

"डैडी , कल मेरा बर्थडे है..आपको मेरे बर्थडे की पार्टी में आना है ।"

अर्जुन की आंखें डार्क हो गयी ।

"कल तुम्हारा बर्थडे है? 12 सितंबर?"

"मम्म..क्या कोई प्रॉब्लम है, डैडी?"

"नहीं, कोई बात नहीं।"

जब छोटी बच्ची नाहा कर आयी , तो आंटी रोज़ ने उसे एक छोटे से बाथरोब में लपेट दिया। एक छोटे से पकौड़े की तरह, छोटी लड़की सुंदर और मनमोहक दोनों लग रही थी। घर के सभी नौकर उससे प्यार करने लगे क्योंकि उन्होंने इतनी अच्छी दिखने वाली और मनमोहक छोटी लड़की को पहले कभी नहीं देखा था।

अर्जुन ने उसे इशारा किया।

"यहाँ आओ।"

छोटी बच्ची नंगे पांव उसके पास गयी ।

"हाँ डैडी ?"

" तुमने कहा था कि तुम सितंबर में पैदा हुई थी । क्या तुम्हे याद है कि सितंबर में कौनसे दिन तुम्हारा बर्थडे आता है ?"

छोटी बच्ची ने ना में सिर हिलाया

"मैं यह नहीं जानती ।"

अर्जुन ने उसका सिर सहलाया।

"अब से तुम यहीं रहोगी..और आज से तुम्हारा नाम परी है... ठीक है "

छोटी बच्ची यह सुनकर बहुत खुश हो गयी और अर्जुन की गोदी में बैठकर.. उसके गाल को किस करके कहने लगी

" थैंक्यू डैडी.. मुझे यह नाम बहुत पसंद आया "

अर्जुन ने उसका सिर सहलाया

रणवीर ने हकलाते हुए कहा,

" मिस्टर... मिस्टर मेहरा ..."

अर्जुन की आँखें कोल्ड हो गयी ।

"क्या? क्या तुम्हे इसके बारे में कुछ कहना है?"

उसकी कोल्ड आँखों को देख रणवीर ने अपनी बात पलट दी

"मैं परी के लिए एक बैडरूम खाली करवा देता हूँ । "

अगले दिन, अर्जुन...नैंसी के घर आया

अर्जुन ने ब्लैक को गिफ्ट देने के लिए नया आयरन मेन लेगो मंगवाया है जिसे देख ब्लेक एक्ससाइटेड हो गया ।

"आप सबसे अच्छे हैं, डैडी ।"

उसका छोटा चेहरा अभी भी सूजा हुआ है , इसलिए जब वो बोलता है , तो वो एक ही समय में दयनीय और मनमोहक लग रहा है ।

अर्जुन ने उसका सिर सहलाया ।

"तुम्हे कुछ भी चाइए.. डैडी से मांग सकते हो ।"

अचानक से उसका फोन वाइब्रेट करने लगा। यह परी का फोने है

जब अर्जुन ने फोन का जवाब दिया, तो दूसरे छोर पर डैडी को पुकारने वाली एक प्यारी आवाज सुनाई दी।

जब नैंसी अंदर गई, तो उसे फोन के दूसरे छोर से डैडी शब्द क्लियर सुनाई दे रहा था

जिसे सुन उसके दिल में बेचैनी हुई

( क्या अर्जुन के एक और बच्चा है?)

अर्जुन की आवाज बहुत ही कोमल थी ।

"मुझे कुछ काम है.. तुम्हे जो चाइए आंटी रोज तुम्हे दे देंगी ।"

परी ने पूछा,

"डैडी आप कब वापस आ रहे हैं?"

"रात में।"

इतना कहकर उसने फोन काट दिया।

अर्जुन इस बात से अनजान था कि नैंसी ने दूसरे छोर पर आवाज सुनी थी इसलिए जब वो उसके पास से गुजरी तो उसने उसे कुछ एक्सप्लेन नहीं किया

नैंसी ने उदासीनता(indifferet ) से कहा,

"खाना तैयार है ।"

अर्जुन कभी भी उसके इमोशन का अनुमान नहीं लगा सकता है क्योंकि वो हमेशा उदासीन (indifferent) रहती है ।

रात के खाने के दौरान, उसने देखा कि नैंसी कई बार उसे जानने वाली निगाहों से घूर रही है।

ब्लैक.. वीर के कान में फुसफुसाया और कहा,

"क्या मेरी आंखें जो देख रही है वो सही है , अंकल वीर ? मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मॉमी चुपके से डैडी की तरफ देख रही है ?"

वीर ने जवाब दिया,

"हेहे... क्या तुमने कभी किसी को इतनी कोल्ड निगाओं से देखते हुए देखा है ?"

( बॉस की निगाह साफ तौर पर खून की प्यासी थी।)

ब्लेक खुश हुआ।

"मुझे परवाह नहीं है। मेरी मॉमी सबसे अलग है ।"

रात के खाने के बाद, मेडिकल मैग्नेट वीर और रॉय परिवार के इकलौता बारिश शिविन किचन में बर्तन धोने गए।

ब्लेक उसके मॉमी डैडी को अकेला छोड़कर अपने कमरे में आयरन मेन लेगो से खेलने चला गया

"क्या ब्लेक... तुम्हारा इकलौता बच्चा है?"

अर्जुन पूछने से पहले एक पल के लिए झिझक रहा था ।

यह सुनकर नैंसी के एक्सप्रेशन डार्क हो गये ।

( क्या इस आदमी को लगता है कि वो उसके जैसी है ? बेशक, ब्लेक उसकी इकलौती संतान है । )

" हाँ, क्यों कोई बात है ?"

अर्जुन ने उसके एक्सप्रेशन को ध्यान से देखा जिसे देख उसे लग रहा है वो झूठ नहीं बोल रही है.. उसने हल्के से जवाब दिया,

"कुछ नहीं।"

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