Chapter 16 - chapter 16

अर्जुन देख लेता है ब्लैक को बाहर से गेट लगाते हुए और सोचता है

[ क्या यह नैन्सी की कोई चाल है उसे लुभाने की? ]

अंदर आने के बाद नैन्सी ने लेमन वॉर्टर बेडसाइड टेबल पर रख दिया और अर्जुन से बोली |

" मिस्टर मेहरा यह लेमन वॉटर है हनी के साथ इसे पीने से आपको अच्छी नींद आएगी "

" हम्म "अर्जुन ने कोल्ड आवाज में जवाब दिया |

अर्जुन के कोल्ड रवैया को देख नैन्सी सोचती है

[ यह आदमी इस तरह से बिहेव क्यों कर रहा है.. जैसे यह इस घर का मालिक है और मैं नैन्सी मलिक इसकी नौकर हूं   ]

" आपको नहीं लगता मिस्टर मेहरा जो मैंने आप पर अभी एहसान किया है लेमन वॉटर लाने का..  उसके लिए आपको मुझे थैंक्यू बोलना चाहिए " 

अर्जुन दबी हुई हंसी से कहता है 

" ओह्ह तो यह है तुम्हारी ट्रिक? "

" आप कहना क्या चाहते हैं? "

अर्जुन की तिरस्कारपूर्ण निगाहें नैंसी का खून खोल रही है |

" मिस्टर मेहरा मैं आपसे इसलिए अच्छे से व्यवहार कर रही हूं क्योंकि मेरे बेटे ने आपको बहुत परेशान किया है.. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप हक़दार हे जिससे अच्छे से ही व्यवहार किया जाए "

" आप मेरे घर में रहने के लिए आए हैं ना कि मैं.. अगर यहां रहना है तो सही रवैये से रहिए.. नहीं तो अपना सामान पेक करिये और निकल जाइए यहां से  "

इतना कहकर नैन्सी कमरे से बाहर जाने के लिए अपने कदम बढ़ाती है लेकिन अर्जुन बेड से उठकर उसकी कलाई पकड़ कर अपनी ओर खींच लेता है |

इतने पास से अर्जुन के आकर्षक चेहरे को देख नैन्सी कुछ सेकंड तक उसके हाथों से अपना हाथ छुड़ाने का संघर्ष नहीं करती है |

" लगता है तुमने शानदार रणनीति बनाई है मेरे करीब आने की.. लेकिन उस चीज के सपने देखना बंद करो जो तुम्हारी नहीं है |

एक धमाके के साथ.. नैन्सी ने अर्जुन के मुंह पर जोर से मुक्का मारा | अर्जुन दर्द से हल्का चिका और नैन्सी की कलाई  छोड़ दी..  वह अपना हाथ गाल पर रखकर नैन्सी  को ठंडी आंखों से देखने लगता है |

नैन्सी उसकी  तरफ बिना देखे लंबे - लंबे कदमों से कमरे से बाहर जाने लगी |

जब उसने दरवाजा खींचा तो... देखती है दरवाजा बाहर से लोक था.. नैन्सी जोर-जोर से दरवाजे को खटखटाने लगी|

"ब्लैक दरवाजा खोलो "

पास के कमरे में वीर पूरी तरह से कांप रहा था | 

" मेरे लिटिल ब्लैक.. तुमे दरवाजा खोल देना चाहिए? हम्म? "

ब्लैक उसकी और देख कर कहता हे

"आप इतनी डरपोक क्यों हो? अंकल वीर? "

" लेकिन ब्लैक.. अगर मैंने अभी दरवाजा नहीं खोला.. तो तुम्हारी मम्मी मुझे इस घर से बाहर निकाल देगी |

" आप चिंता मत करो.. मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगा? "

वीर टेंशन की वजह से अपने वालों को खींचने लगता है और ब्लैक से फिर बोलता है 

" अगर तुम्हारी मम्मी ओर भी ज्यादा सख्त हो गई और उन्होंने तुम्हें भी घर से बाहर निकाल दिया.. तो फिर तुम्हें कौन कवर करेगा? "

ब्लैक ने वीर के कंधे को थपथपाया और कहा

"ऐसा कुछ नहीं होगा.. आप चिंता मत करो और सो जाओ"

नैन्सी बहुत देर से गेट खटखटा रही है लेकिन बाहर से उसे कोई हलचल नहीं सुनाई देती है |

नैन्सी ने गुस्से से दरवाजे को किक मारी और जोर से चिल्ला कर बोली

"बस तुम रुको .. ब्लैक"

अर्जुन कमरे के चारों तरफ देखता है.. सोने के लिए सिर्फ एक ही बेड है |

" तुम फ्लोर पर सो सकती हो "

नैन्सी उसे नजर अंदाज कर बेड पर बैठ जाती है और कहती है |

" लगता है आपको मजाक करने का ज्यादा शौक है मिस्टर मेहरा..  यह घर मेरा है और यहां फैसले भी मेरे ही होंगे.. मैंने आप पर वैसे ही एक उपकार कर दिया है आज रात आपको यहां सोने दिया..  तो मैं आशा करती हूं आप अपनी जगह जानते होंगे और एक अच्छे मेहमान की तरह व्यवहार करेंगे "

अर्जुन की माथे  की नीली नसें हिंसक रूप से धड़क रही है.. आज तक उससे किसी ने भी इस टोन में बात नहीं की..  पर यह लड़की बार - बार उसके सब्र का इम्तिहान ले रही है |

नैन्सी ने बेड से एक तकिया उठाकर अर्जुन की तरफ फेंका  और कहा

"सो जाइए.. मिस्टर मेहरा"

इतना कहकर वो बेडसाइड लैंप को बंद कर सो जाती है |

" अर्जुन तकिया पकड़ कर लम्भी सांस लेता है और फ्लोर पर लेट जाता है "

[डेम इट..  यह तकिया तो फ्लोर से ज्यादा कटोरे है ]

अर्जुन को लग रहा है वह इस कठोर फ्लोर पर नहीं सो पएगा लेकिन साइप्रस और पाइन की सुगंद आज तेज है जिसे महसूस कर वो कुछ ही मिनटों में सो जाता है |

यह वही सुगंध थी.. जिसके लिए वह इतने दिनों से तरस रहा था |

यह एक ताजा और ठंडी सुगंद है जो बेड पर सो रही नैन्सी  से आ रही है |

एक झटके के साथ.. अर्जुन की बाहों में कुछ आ कर गिरा.. जब उसकी आंखें खुली तो वह मंद रोशनी में देख सकता था  नैन्सी उसकी बाहों में गिर गई है |

[ क्या यह औरत जानबूझकर उसकी बाहों में गिरी है? ]

आर्यमन ने कहा था यह औरत षड्यंत्रकारी लग रही है इसका मतलब आर्यमन सही है |

अर्जुन उसे अपने ऊपर से उठाने ही वाला था लेकिन नैन्सी ने उसके हाथ कस कर पकड़ लिया.. उसकी आवाज कोमल और कमजोर लग रही थी |

" मॉम..डैड प्लीज मत जाओ.. मॉम मत जाओ "

नैन्सी पूरी तरह से दिन की तुलना मैं अलग लग रही थी अर्जुन ने उसके ठन्डे रवैये को देखा है वो वही करती है जो वो करना चाहती.. पर इस वक्त उसे नैंसी कमजोर और असहाय दिख रही है |

नैन्सी का शरीर नर्म और नाजुक है जबकि उसकी सुगंध इतनी व्यापक है अर्जुन उसे अपने से दूर कर ही नहीं पाया |

नैन्सी उससे चिपक जाती है |

" मॉम.. डैड " 

अर्जुन को याद आता है किस तरह नैन्सी के पेरेंट्स उसे छोड़ कर गए..  वह उसके एक हाथ से नैन्सी के बालो को सेहलाने लगता है |

शांत और सुंदर चांदनी में..नैन्सी के हथेली के आकार का चेहरा चमक रहा था |

पहले अर्जुन ने सोचा जैसे नैन्सी अपने डराबने सपने से बड़बड़ाना बंद कर देगी वो उसे बेड पर वापस सुला देगा लेकिन नैन्सी ने उसे इतना कसकर पकड़ रखा था जिससे अर्जुन अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पाया और उसे अपनी बाहों में ही सुला लिया |

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