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छत्तीसगढ़ युद्ध १८९५ (Chhattisgarh youdh 1895)

🇮🇳SunilTengre
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Synopsis
अब युद्ध कभी खत्म नहीं होगा, ये तो बस एक शुरुआत मात्र है। इसमें कितनो का जान गया और अब कितनो का जान जायेगा। वो आए थे, अभी गए नही, हम उनका मुकाबला कैसे करेंगे। सवाल कितने है, जवाब देने वाला कोई नहीं। हमे इस हाल में पहुंचाने के लिए उन्हे महज 39 दिन ही लगे अब आगे क्या वो कौन है कहा से आए है और क्यों...! अतीत में ही सभी का जवाब है... और वर्तमान ...? अब क्या होगा डर, अंधकार या इंसानियत का अंत... "The past will make the present but the war will never end..." This is an original✓ Story Author: SunilTengre Twitter: @SunilTengre Url: https://linktr.ee/suniltengre
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Chapter 1 - युद्ध के बाद दिन 40

1. भयानक आवाज

सभी तरफ सिर्फ जंगल का सन्नाटा ऊपर पेड़ो के पत्ते जो आसमान को छुपा कर रख लिए है जंगल का सबसे ऊंचा पेड़ उस पर एक व्यक्ति ऊपर चढ़ रहा है जब वह व्यक्ति सबसे ऊपर की डाली पर पहुंच जाता है तो अपने हाथ को अपने दोनो भवो के ऊपर रख कर चारो तरफ देखता है उसे दूर तक सिर्फ जंगल और उसकी फैली हुई वादी दिखाती है वो ये देख कर थोड़ा सा मुस्कुराता है और अपने मन में कुछ सोच कर वही बैठ जाता है।

एक नदी, शुरुआत में खड़ा हो कर देखो तो अंत का पता नही चारो तरफ सन्नाटा और उसके साथ चारो तरफ छावनी लगा हुआ पर उसमे कोई नही, एक लड़की जल्दबाजी में जंगल से किसी से, या तो कुछ से डरते हुए नदी के दूसरे किनारे से इस तरफ आते हुए।

एक कबीला का सदस्य जो अपने काबिले के मुख्या से बात करते हुए, वहा जिधर देखो सफेद कपड़े में कुछ लिपटा हुआ बहुत सारा कुछ रखा हुआ है, एक बच्ची उन सभी सफेद कपड़ों में लपेटे हुए में से एक को देख कर रो रही थी पर उसके मुंह से आवाज नहीं, लेकिन आंख से आसू जरूर आ रहे थे। सभी आदमियों के पास कई प्रकार के हथियार थे जिन्हे देख कर लग रहा था की वो बहुत ही आधुनिक हथियार हो और साथ में उसमे कई पुराने हथियार थे जिसमे से कई तो लोहे के तो कई लकड़ी और बास के थे, सभी का चेहरा देख कर लग रहा था की कुछ बहुत ही अनजान और कुछ अजीब सा घटना घटा है।

कबीला का मुख्या कुछ बोलता है (उसका उम्र 85 साल है पर उसे देख कर कोई नही कह सकता है की वह 85 साल का है वो महज 24 साल का लगता है) "सभी तैयार रहे अभी खतरा टला है पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है सभी अपने - अपने हथियार के साथ हमेशा तैयार रहे।" फिर तभी उसी वक्त दूर जंगल से कुछ आवाज आता है। और सभी उसी तरफ देखने लगते हैं, कबीले का मुख्या सभी को बोलता है। "वे अभी तो चले गए हैं पर वे बहुत जल्दी से वापस आयेंगे हमें सभी को ये सूचना देना पड़ेगा।" (अभी भी वो आवाज सभी को सुनाई दे रही थी और सभी के चेहरे पर डर का भाव साफ साफ देखा जा सकता था, वे किसी अनजान चीज से ऐसे डर रहे थे की उस डर की कल्पना ही रूह कंपा दे।) सर पर सूर्य तांडव कर रहा था, ज़मीन मिट्टी की खुशबू को भूलकर रक्त की खुशबू से महक रही थी जंगल घना होने के कारण सूर्य की रोशनी ज़मीन पर नहीं पड़ती, जिस कारण यदि जमीन एक बार पानी से या किसी अन्य तरल से भीग जाए फिर क्या कई हफ्तों तक नहीं सूखता था और इस वातावरण में रहना मानों की किसी वर्षा वन में रहना धूप के कारण जब पानी वाष्प बनकर उड़ती है तो शरीर से अपने आप ही बीना मेहनत के पसिना निकलने लगता यदि किसी बहुत ही सुंदर नर्क की कल्पना की जाय तो यह भी इसके लिए कम होगा।

उधर वह लड़की नदी को पार कर छावनी वाले किनारे पर पहुंच गई थी। उसका पूरा बदन पानी से भीगा हुआ और जगह जगह से कटा हुआ था। जिनमें से अभी भी रक्त का रिसाव हो रहा था, पर उस लड़की को किसी भी प्रकार का दर्द नहीं हो रहा था लेकिन वो थोड़ा थक जरुर गई थी। अपनी जान को जोखिम में डाल वो छावनी के अंदर कुछ खोज रही थी पता नहीं वो क्या था। बारी-बारी हर छावनी को अंदर से देखते जा रही थी और अब तो उसे लगाने लगा था की वो जो खोज रही है किसी भी छावनी में मिलने वाला नहीं है। तभी थोड़े दुर से वो भयानक आवाज छावनी में भी आने लग गई। इस आवाज को सुन कर लड़की भी कांपने लग गई। लेकिन तब भी वो छावनी में अपनी खोज जारी रखे हुई थी। उसे उसकी किसी सोच ने, उस आवाज से ज्यादा डरा कर रखा था की यदि वो जो खोज रही है वो नही मिला यदि तो उसकी ये जिंदगी भी कोई काम की नही।

वो अपने अतीत के बारे में सोचने लग गई और वही बैठ गई...( अतीत में...)

इधर रात होने को आगया था और काबिले के लोग जो की कुछ 822 लोग ही बचे थे उनको वो भयानक आवाज दोपहर से ही डरा कर रखे हुए था उन लोगो में से कई लोग जो आधुनिक और प्राचीन काल के जो हथियार रखे हुए थे वो सभी तरफ फैल कर कबिले के लोगो की रक्षा करने में लगे हुए थे उन्हे देख कर लग रहा था की वो कई रातों से नही सोए हुए है उनके आखों के नीचे पड़ा हुआ कला घेरा उनके कई रातों से जागे रहने का सबूत दे रहे थे पर उनको अपने काबिले के लोगो का चिंता उनके सोने से ज्यादा था। उनमें से ही एक बच्ची अपने माँ के पास बैठी थी और बार-बार खाना के लिए अपने माँ को जिद कर रही थी उन सभी ने पिछले कई दिनों से कुछ भी नही खाया था और जो भी खाना उनके पास बचा है वो सिर्फ बच्चो के लिए 2-3 दिन तक ही चल सकता था। बच्चे कई दिनों से 24 घंटो में सिर्फ एक बार खाना खा रहे थे वो भी किसी नूडल्स के 10 रुपए वाला पैकेट जितना। वो लोग जगल के जिस हिस्से में थे वहा सिर्फ जगली पौधे ही उगते थे यदि उन्हे लालच में आकर खा दिया जाए तब इंसान पहले अपना आपा खो देता फिर किसी बिजली के तार को छूने में जैसा होता है वैसे ही धीरे-धीरे उस इंसान के शरीर से पूरा रक्त सुख जाता है और वह सूखे लकड़ी के जैसे दिखाने लगता और उसके शरीर को कोई जंगली जानवर भी नही खाता साथ ही यदि किसी ने उसे छू लिया उसे भी थोड़ा धीरे पर जो उस पौधे के फल को खाया है उसी के तरह उसका भी हालत हो जाता और इसमें महज 1 से 2 दिन का समय लगता तथा खाने वाले को सिर्फ वो पौधा 30 मिनट में ही अपना असर दिखाने लग जाता है।

उस जंगल के पौधे इतने आकर्षित करने वाले और साथ इतने स्वादिष्ट दिखने वाले थे की शुरुआत में जब वो सभी आए थे उनमें से करीब 287 लोग फल खाने से और जो फल खाए है उनको छूने से करीब 146 लोगो की मौत हो गई। फिर उन लोगो ने अपने और कई लोगो को भूख से भी मरते देखे जिनकी संख्या करीब 363 थी जिसमे से करीब 203 तो सिर्फ बच्चे ही थे।

अब रात हो गया था सभी सोने को जा रहे थे जमीन तो चारो तरफ गीला था तो वो अपने रहने के लिए पेड़ो के ऊपर में रस्सियों को बांध जिसे रूरिका ( एक झोपड़ी नुमा रहने के लिए जिसमे एक खिड़की और ऊपर से पत्तो से ढका हुआ, रहने का एक स्थान जो पेड़ के ऊपर बनया जाता है लेकिन ट्री हाउस से पूरा अलग क्योंकि वर्षा वन की तरह वातावरण रहने के कारण हमेशा वहा उमस रहता था जिस कारण इस तरह का बनावट उन्हे उमस से बचाता था ) कहते थे, उसमे 1-1 परिवार रहा करते थे। यदि बड़ा परिवार रहा तो बड़ा जगह वाला रुरिका बनाया जाता और यह बहुत ही जल्दी तैयार हों जाता।

इधर कियान(कबिले में से एक व्यक्ति) हाथ में आधुनिक हथियार लिए रुद्रा(कबिले का मुख्या) के तरफ अंधेरी रात में दबे पाव बढ़ रहा था, जब छुपते-छुपाते अंततः रुद्रा के पास पहुंचा तब रुद्रा का पीठ दरवाजे के तरफ तथा उसके हाथ में कुछ था, बहुत कम रोशनी के कारण ठीक से कुछ दिखाई भी नही दे रहा था और साथ ही रुद्रा को कियान के आने का बात पहले से ही पता था।

रुद्रा कियान को बोलता है - "तुम यहा क्यों आए हो मैं तो तुम्हे पहले ही बोल चुका हुं अब कोई भी बात नहीं जो किया जाए सब खत्म हो गया"

कियान - "हमे उनसे बात करना पड़ेगा और हमारे पास अब ये आधुनिक हथियार भी है"

इतने में ही गुस्से के साथ रुद्रा बोलता है - "अब मैं अपने बाकी लोगो का जान जोखिम में नही डाल सकता, हमारे पास अब सिर्फ कुछ गिने-चुने ही लड़ने वाले बचे है और जो बचे है वो कई दिनों से सोए भी नही"

कियान रुद्रा का गुस्सा शांत करते हुए - "सरदार वैसे भी हम यदि ज्यादा दिनों तक यह रुके तो भूख और कई बीमारियों से मर ही जायेंगे, और अब तो हमारे पास ये आधुनिक हथियार भी है"

रुद्रा और ज्यादा गुस्से के साथ बोलता है - "मैं इनको मरते हुए तो देख सकता हूं पर तड़प कर मरते हुए नही"

रुद्रा का बात बिना पूरा हुए ही कियान बोल पड़ता है - "सरदार आधुनिक हथियार और उनके मदद से हम कर सकते है"

( इधर वो भयानक आवाज अभी भी बंद नहीं हुआ था)

रुद्रा गुस्से में - "तुम जा सकते हो...!"

कियान अब कुछ नहीं बोलता और वहा से चले जाता है।

आदिता (नदी पार करने वाली लड़की) अपने अतीत में चली गई और सबसे पहले उसे युद्ध का आखरी दिन याद आने लग गया। जब वो जान बचा कर वहा से भागी थी।