Chapter 2 - दिन 39

2. अतीत में

दिन का समय, सूर्य और पृथ्वी सीधे एक ही रेखा में, पर न जाने क्यों सूर्य के किरण में आज वो तेज नही था जो बाकी दिनों में रहता, न जाने मुझे भी ये क्यों लगने लगा की सूर्य को भी हमारे भविष्य के बारे में पता चल गया है और वो भी इसका शोक माना रहा ।

(इतने में ही आदिता एक नागिन की तरह कुछ ऐसे बलखाती है और एक आधुनिक हथियार से निकले आग जैसे गोले से वो इस तरह बच जाती है जैसे की उसके पीछे भी दो आंख हो।)

फिर अचानक पूरा जगह ही बदल जाता है आदिता को लगाने लगता है की वो कोई सपना देख रही हो, सपना तो अभी ही टूट जायेगा और सुबह वो अपने नर्म और मखमल से भरे बिस्तर में अपने आप को पाए। पर जिंदगी को कभी भी आसान समय पसंद नहीं आता और आदिता अपने ख्वाब को साइड करके चारो तरफ नजर करती है और सभी तरफ सिर्फ खून ही खून और आधुनिक हथियार से निकलने वाली वो आग का गोली जो कभी लाल होती, तो कभी पीली, नीली और तो और कभी वो ऑरेंज कलर भी हो जाती, आग के गोले को आदिता अपने हथियार से कभी राइट तरफ तो कभी लेफ्ट तरफ कर देती। वहा दया के छोड़ सभी चीज चीज था, खून था, लाश था और तो और वहा अनेक प्रकार के हथियार भी थे जिन्हे आदिता को देखे सिर्फ़ 15 से 16 दिन ही हुए थे, पर जब आदिता ने उन हथियार को पहली बार देखा था तब उसको वो सिर्फ एक खिलौनों के तरह लगा, पर आज और उस दिन को याद करके आदिता का रूह पूरी तरह से काप गया था। उसको पहचानने में इतनी बड़ी गलती और उस गलती के कारण आज हम इस तरह की मुसीबत में (कान में बिप्प.... का आवाज जोर से गूंजता है और आदिता दूर जा कर गिरती है और बेहोश हो जाती है)

(ये सभी आज के छत्तीसगढ़ की गंगा के नाम से प्रसिद्ध महानदी के किनारे पर आज से कई साल पहले घाटा...)

(वर्तमान में) कियान अपनी रूरिका में पहुंच गया। वो बार - बार सिर्फ सरदार के बात को सोचे जा रहा था कियान अपने मन में सोचते हुए "हम अभी भी सब ठीक कर सकते है..." यही सोचते हुए कब कियान को नींद आ जाता है उसे याद भी नहीं रहता।

(वर्तमान में अगली सुबह) सरदार अपने रूरिक से निकलते हुए जब बाहर को देखते है तो बाहर बहुत ही मनमोहक और आंख को बांध देने वाली खूबसूरती उनका इंतजार कर रही थी आज सरदार का मन थोड़ा उदास था कल जब वो कियान से जैसे बात किए थे उस कारण वो रात भर सो नहीं पाए थे और साथ ही वो बार - बार कियान के बात को अब भी याद किए जा रहे थे उनको कभी कियान का बात कभी सही लगता तो कभी उनको गलत लगता वो अभी भी फैसला नहीं कर पाए थे।

इधर आदिता झकनाका कर(अचानक से) नींद से उठ जाती है और वह सोचने लगती है की पिछले रात जब वो अतीत के बारे में सोच रही थी तब ही वो सो गई शायद... आदिता अब नदी के किनारे पर पहुंच गई, नदी के पानी से चेहरे को साफ करते – करते उसे भूख भी लग रहा था तो उसने अपने बैग में से एक पिल्स निकली और उसे खा लिया फिर वो जो पिछले रात खोज रही थी, उसे से फिर खोजने लगी।

दूर जंगल से, जो भयानक आवाज था वो पहले की तरह ही आए जा रहा था।

करीब 800 किलो मीटर चलते हुए, एक व्यक्ति गंभीर हालत में पहाड़ी से नीचे आ रहा था, और उसे देखने में ऐसा लग रहा था की वो कई सालो से जंगल में ही रह रहा है वो कपड़े की जगह पत्तो को ही ढका हुआ था, और तो और उसके शरीर का जो भी हिस्सा दिख रहा था उसमे से कई जगह में चोट लगे हुए थे उसको देखने में लग रहा था की वो नॉर्मल स्पीड से कुछ ज्यादा ही स्पीड में पहाड़ से नीचे आ रहा है। उसके स्पीड को देखने में कभी कभी तो ऐसा लगता की वो एक मैदान में ही तेजी से दौड रहा है। लेकिन उसका उस पहाड़ी की ढलान में ऐसा स्पीड देख कर कोई भी चौक जाए।

आदिता जो खोज रही थी फाइनली उसे वह मिल गया। वह एक बहुत ही पुराना डायरी थी जिसे देख कर ऐसा लग रहा था की वो कम से कम 1000 साल पुराना तो होगा ही। जब मनुष्य का आबादी बहुत कम रहा होगा और वो कम पढ़े लिखे होंगे और यह उस समय का डायरी था जिसमे कोई व्यक्ति इस समय नहीं पढ़ सकता इसमें कोई अक्षर नही चिन्ह बने हुए थे जो की अभी से 2 महीने पहले आए जीवो की तरह दिख रहे थे आज के खगोल शास्त्री कहते है की हमारे आकाश गंगा के छोड़ और भी कई सारे आकाश गंगा है जिसमे कई सारे जीव रहते होंगे, जब हमे सबसे पहले आकाश से आने वाली अनंत का आवाज ओम (ॐ) का पता चला तब किसी भी मनुष्य को इस पर यकीन नहीं हुआ। जब तक हम उनसे मिल नही गए। हमारे धारणा के अनुसार यदि कही बहुत दूर के किसी आकाश गंगा में हम से भी ज्यादा आधुनिक जीव रहते होंगे। यदि वो भी हमारी तरह हमे ज्यादा जानना चाहे, तब हम लोगो की तरह उनके पास भी तीन ही रास्ता हो, तब पहला या तो हमे वो छुप कर देखे, दूसरा या हमसे बात करे जो की कुछ सालो के बाद तो हो ही सकता है नही तो तीसरा हमे मारे और हम पर प्रयोग करके देखे और साथ ही उनका व्यवहार सही इंटेशन वाला हो तो ठीक नही तो यदि गलत इंटेशन वाला हो तब तो फिर भगवान ही मालिक है।